Friday, March 18, 2016

रिटायरमेन्ट प्लानिंग........ पर क्यूँ ???? पार्ट-2

अगले दिन, शाम को खाना खा कर जब मै टहलने के लिए घर से बाहर आया तो देखा मेरा दोस्त (सचिन) बाहर चहल कदमी कर रहा है मुझे देखते ही मेरी तरफ बढ़ आया और बोला मै कल रात में यहाँ से जाने के बाद तुम्हारी बातों को सोचता रहा और आज सुबह-सुबह ऐसी घटना के बारे में पता चला की दिन में बहुत डिस्टर्ब रहा, इसीलिए थोड़ी जल्दी ही घर से खाना खा कर निकल आया कि तुमसे बात करूँगा.

उसकी बातों से मुझे लगा की वो कुछ परेशान है, मैं बोला भाई हम लोगों ने तो कल बहुत नार्मल बातें की थी मैंने तो बस इतना ही बोला था की अपने भविष्य के बारे में सोचो और Retirement Planning करो, समय रहते हमे तैयारी कर लेनी चाहिए जिस से बाद में पछताना ना पड़े. तुम्हे याद है अपना पुराना दोस्त राहुल, 10th के जब बोर्ड एग्जाम होने थे वो कितना परेशान हो कर घूम रहा था हम सबके पास आकर नोट्स मांगता क्यूंकि उसने पूरे साल मस्ती की थी, क्लास में रेगुलर नहीं आता था, जब हम लोग क्लास में होते तो वो खेल रहा होता और क्लास ख़त्म होने के बाद जब हम खेलने जाते तो हमे चिढ़ाता की हम लोग इतनी पढाई करते हैं, जब एग्जाम नजदीक आयेंगे तो पढाई कर लेंगे अभी से इतना पढना क्या, लेकिन जब एग्जाम नजदीक आये तो उसको समझ में आ गया की उसे भी पहले से तैयारी कर लेनी चाहिए थी अत्यधिक स्ट्रेस लेने से उसकी तबियत भी ख़राब हो गई और  जिसके कारण पेपर भी छूटे  और बाद में फेल भी हो गया. लेकिन अगले साल उसने मेहनत से पढाई की और अच्छे मार्क्स लाया, लेकिन जो साल उसने गवां दिया वो तो वापस लौट कर नहीं आया और हम सबसे वो एक साल पीछे ही रहा, नौकरी भी उसे हम सबसे बाद में मिली.

मेरी बातें सुन कर वो बोला इसका मतलब मै 5 साल पीछे हो गया हूँ, मुझे पहले सोचना चाहिए था Retirement Planning के बारे में, मुझे थोडा और परेशान दिखने लगा वो . अचानक एक कार वाला बहुत स्पीड से  हमारे बगल से निकला, सचिन चिल्ला उठा..इतनी तेज गाड़ी... कॉलोनी की सड़क पर चला रहा है मार डालेगा क्या
मैंने उसका हाथ पकड़ते हुए बोला भाई शांत हो जा इतना आक्रोशित ना हो..वो तो जा चुका है.

मैंने अपनी बात आगे बढाई... देख भाई तू थोडा लेट तो हो गया है लेकिन तुम अब से भी शुरू कर दोगे तब भी तुम अपने लिए अच्छा कर सकोगे और 30-30 चैलेंज आसानी से जीत सकोगे. 
लेकिन ये बताओ की ऐसा आज क्या हुआ की तुम पुरे दिन परेशान रहे?

अब हम लोग एक बेंच पर बैठ कर बातें करने लगे थे.

सचिन गहरी सांस भरते हुए बोला यार आज सुबह जब ऑफिस के लिए निकल रहा था तभी मेरे पापा के ऑफिस में उनके एक सीनियर थे वो आ गए घर पर, उनको देख कर मुझे लगा की उनका स्वास्थ कुछ ख़राब है करीब दो साल बाद देख रहा था उन्हें. अपने समय में बहुत अच्छे दिखते थे, काफी खुश दिल, मस्त मौला टाइप के आदमी थे वो . लेकिन आज बहुत अलग और बेचारे  से दिख रहे थे. मेरे पापा के ऑफिस के लोगों में सब से पहले कोई चीज आती थी तो उन्ही के घर पर आती थी वो चाहे टीवी थी या स्कूटर या वीसीआर या और कोई चीज. बहुत शौक़ीन आदमी थे, मैंने पहली बार टीवी उन्ही के घर देखी थी . लेकिन आज 70 साल की उम्र में पापा से बोलने आये थे की कहीं उनकी नौकरी लगवा दो और वो अपने सभी मित्रो के यहाँ इसीलिए जा रहे हैं कि उनसे रिक्वेस्ट करें की उनको पैसे की जरुरत है इसलिए कोई कहीं पर उनकी नौकरी लगवा दे. 

पापा मुझे बाद में बताने लगे की,  उनके घर में ऐसा हादसा हुआ की पुरा परिवार बिखर गया. एक ही बेटा था, जैसे ये मस्तमौला थे वैसे वो भी था दो साल पहले उसका एक्सीडेंट हुआ और वो बच ना सका तब उसकी उम्र 32 वर्ष की थी, उसने भी कुछ खास बचत नहीं की थी, मेरी तरह एक LIC ले रखी थी जिससे उसके घर वालों को 4 लाख रुपये मिले. अब इनकी पेंशन से घर का खर्च चल रहा है जो घर चलने के लिए बहुत कम पड़ता है इसलिए उन्हें नौकरी की जरुरत है. घर में उनकी पत्नी, बहू और 2 बच्चे हैं जो अब उन पर आश्रित हैं. आज कल की महंगाई और पढाई का खर्चा पेंशन से कहाँ चलेगा. इसीलिए वो नौकरी ढूंढ रहे हैं. यार यही सब दिन भर दिमाग में चलता रहा की जिन्दगी कितनी अनिश्चित है, कुछ भी हो सकता है और इन्ही सब में दिन थोडा परेशानी में गुजरा. उनके बारे में जब जब सोचता हूँ तो बड़ा दुःख होता है इसीलिए आज मैंने अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया कई एक लोगों को कॉल करके उनकी नौकरी के लिए बोला, अपने यहाँ भी देख रहा हूँ की कुछ हो सके और भाई तुमसे भी रिक्वेस्ट करूँगा की तुम भी उनकी मदद करो.

उसके कंधे पर हाथ रख कर मैंने उसे सांत्वना दी और उसे आश्वासन दिया की मै भी अपनी तरफ से प्रयास करूँगा उनकी नौकरी के लिए. 

इतना कहने के बाद वो मेरी तरफ मुड़ा और बोला भाई अब बताओ मुझे क्या करना है ? मै नहीं चाहता मेरे परिवार के साथ कभी ऐसा हो, मै तो सुबह से सोच-सोच कर परेशान हूँ.


देख मेरे दोस्त जो तेरे अंकल के साथ हुआ वो किसी के साथ भी हो सकता है, इसलिए हम हर किसी व्यक्ति से यही बात बोलते हैं आपको दो चीजों के लिए अपनी लाइफ में हमेशा तैयार रहना चाहिए, पहला अगर आप को  जल्दी कुछ हो गया तो आप के परिवार की आर्थिक जरूरतें कैसे पूरी होंगी ? और दूसरा अगर आप लम्बे समय तक जीवित रहते हैं तो आपकी आर्थिक जरूरतें कैसे पूरी होंगी? अब तेरे अंकल के केस में दोनों चीजें हैं एक उनके बेटे की आकस्मिक मृत्यु, दूसरा लम्बे समय तक अपनी और अपने परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा करना. लेकिन ऐसा हर किसी के साथ नहीं होता, दुर्घटना सब के साथ नहीं होती इस लिए डर-डर के नहीं जीना चाहिए. तुम अपने दिमाग से डर को निकालो और इन सब बातों को दिमाग एक एक कोने में सिर्फ इसलिए रखो की तुम सजग रह सको, तुम परिस्थतियों का सामना करने के लिए तैयार रहो, लेकिन उसके लिए परेशान ना रहो. जब हमारे आस पास ऐसी घटनाये होती हैं तो हम डर जाते हैं, सोचते हैं, परेशान होते हैं लेकिन वक्त के साथ सब सामान्य हो जाता है. लेकिन ऐसी चीजों को नजरदांज नहीं करना चाहिए उसके लिए तैयारी रखनी चाहिए और डर आदमी को तभी लगता है जब उसने तैयारी नहीं कर रखी होती है. इसलिए हर आदमी के लिए ये जरुरी है की वो दोनों परिस्थतियों का सामना करने के लिए तैयार रहे.

यह तो वाकई में बहुत जरुरी बात तुमने बताई अब आगे मुझे क्या करना चाहिए? कैसे इन दोनों परिस्थतियों के लिए मै तैयार हो सकता हूँ? ऐसा पॉसिबल भी है की ये मै कर सकूँ? क्या प्लानिंग करके मै दोनों परिस्थतियों का सामना कर सकता हूँ ? इसका क्या रास्ता है ? एक ही सांस में वह कई प्रश्न पूछ गया.

भाई मै कुछ आगे बताऊँ उस से पहले एक कहानी सुनाता हूँ...बहुत समय पहले की बात है भारत देश में एक राजा था वह बहुत विद्वान और पराक्रमी था, एक बार उसके राज्य में एक सन्यासी पधारे. राजा को सन्यासी के दिव्य और अलौकिक ज्ञान के बारे में पता चला, राजा को मन हुआ सन्यासी से मिले उस से कुछ ज्ञान प्राप्त करे, उसने अपने मंत्री को सन्यासी को बुलाने के लिए भेजा, सन्यासी को सन्देश पहुचाया गया की राजा साहब आप से ज्ञान प्राप्त करना चाह रहे हैं इस लिए आप को महल बुलाया है. सन्यासी ने सन्देश सुन लिया लेकिन कोई जवाब नहीं दिया कुछ दिन इन्तेजार करने के बाद जब सन्यासी राजा के महल नहीं आये तो राजा स्वयं जा पहुंचे  सन्यासी की कुटिया में. राजा को अपनी कुटिया में आया देख सन्यासी ने बोला महल ज्ञान प्राप्त करने का उपयुक्त स्थान नहीं होता उसका उपयुक्त स्थान मेरा आश्रम है  इसलिए मुझे पता था अगर आप के अन्दर ज्ञान प्राप्त करने के इच्छा होगी तो आप मेरे पास मेरे आश्रम में जरुर आओगे. राजा ने अपनी गलती स्वीकार कर सन्यासी से माफ़ी मांगी और बोला गुरुवर अब मै आपके आश्रम आ गया हूँ अब मुझे अपना शिष्य बना लीजिये और मुझे भी अपने अलौकिक ज्ञान का लाभ दीजिये. सन्यासी ने बोला महाराज आप अभी आये हैं थोडा विश्राम कीजिये और मै आपके लिए शरबत का प्रबंध करता हूँ.

थोड़ी देर में एक शिष्य दो गिलास और शरबत ले कर आया. सन्यासी ने एक गिलास राजा के हाथ में दी और उसमे शरबत डालना शुरू किया, गिलास पूरी भर गई लेकिन सन्यासी गिलास में शरबत डालते रहे, शरबत छलक  कर राजा के कपड़ों पर गई, राजा यह देख कर खड़ा हो गया और सन्यासी के ऊपर नाराज हो गया उसे लगा की यह सन्यासी उसे ज्ञान नहीं देना चाहता  है इसलिए ऐसा कर रहा है, सन्यासी ने बोला महाराज शांत हो जाइये आपकी पहली सीख तो यहीं से प्रारम्भ हुई है. राजा को कुछ समझ नहीं आया की सन्यासी क्या बोल रहे हैं. सन्यासी ने राजा को समझाते हुए पूछा  मैंने जब एक भरे गिलास में शरबत डाला तो क्या हुआ  ?? राजा ने उत्तर शरबत गिलास से बाहर गिरने लगा, राजा ने जवाब दिया. सन्यासी ने बोला, महाराज जैसे भरे गिलास में जब शरबत डालने पर छलक कर शरबत बाहर गिर जाता है वैसे ही आप भी इसी गिलास की तरह भरे हुए आयें हैं, जब तक आप अपने आप को खाली नहीं रखेंगे या ज्ञान लेने के लिए अपने अन्दर से ज्ञान का अहंकार या अज्ञानता का डर नहीं निकालेंगे तब तक मै जो भी सीख दूंगा वो बाहर छलक जाएगी और  निरर्थक होगी.

इतना बोलने के बाद मै रुक गया.. मेरी बातें खत्म होते ही सचिन बोल पड़ा भाई मै तुम्हारी बातें समझ गया कल तुम्हारे ऑफिस में आता हूँ और हाँ बिना किसी डर या अहंकार के और हंसने लगा. कल मिलने का वादा करके हम लोग अपने अपने घर को निकल गए....

आगे की कहानी के लिए अगली पोस्ट का करें इन्तेजार...



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