Tuesday, October 16, 2018

बिग बिलियन डे-ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल से आप कैसे फायदा उठायें ?

2 बिलियन डॉलर का टर्नओवर सिर्फ 4-5 दिनों में, जी खोल के खर्च किया इंडिया ने 10-15 अक्टूबर के बीच में.
पेश है, फ्लिप्कार्ट बिग बिलियन सेल और अमेजॉन के ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल से जुड़े कुछ रोचक तथ्य-
# पिछले साल के कुल टर्नओवर 1.5 बिलियन डॉलर की तुलना में इस साल टर्नओवर में 33% की बढ़त हुई. अनुमानों के अनुसार इस वर्ष यह आंकड़ा 2 बिलियन डॉलर रहा.
# अमेजॉन के अनुसार उन्हें जो ऑर्डर मिले उसमे 63% ऑर्डर टियर 2 और टियर 3 शहरों से मिले
# अमेजॉन का दावा है कि उसके प्लेट फार्म पर शाओमी के 10 लाख फोन 1 दिन में बिके # अमेजॉन पर वनप्लस ने 1 दिन में 400 करोड़ रुपये के फोन बेचे # 48 घंटे में सारे अमेजॉन इको बिक गए # फ्लिप्कार्ट के अनुसार सेल में 2.5 करोड़ लोगों ने उनके प्लेटफार्म से खरीददारी की # फ्लिप्कार्ट सेल में कुंभ मेले से 5 गुना ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया है # फ्लिप्कार्ट पर एक दिन में 30 लाख मोबाइल फोन बिके # फ्लिप्कार्ट पर हर सेकंड में 5 जोड़ी जूते बिके # फ्लिप्कार्ट पर हर मिनट में 50 जूसर मिक्सर बिके # फ्लिप्कार्ट पर हर घंटे 120 आई पैड बिके # 27 अंतर-रास्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम को प्रकाशित करने के बराबर एल ई डी बल्ब बिके
# इस सेल में हुई खरीद से एवरेस्ट से 15 गुना ऊंची वॉशिंग मशीन की ढेर लग सकती है
# भारत में जितने हाथी हैं उनके भार के बराबर फैशन प्रोडक्ट्स फ्लिप्कार्ट ने इस सेल में बेचे.
अब बात आती है ये आंकड़े मै आप से क्यूँ शेयर कर रहा हूँ ? इसलिए कि एक तरफ लोग बोलते हैं लोगों के पास पैसे नहीं है, देश में मंदी का माहौल है, महंगाई के कारण लोग पैसे नहीं बचा पा रहे, तेल के दाम बढ़ने से लोगों का हाल बुरा है और दूसरी तरफ 15000 करोड़ रुपये का टर्नओवर सिर्फ 4-5 दिनों में. अब अगर इसे बुरा हाल कहें,अगर इसे मंदी कहते हैं तो ऐसी मंदी हमेशा देश में बनी रहे. जब की सच्चाई यह भी है की इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों को छोड़ दें तो ज्यादातर महंगे सामान जैसे गाड़ी, गहने, फर्नीचर, डिजायनर कपडे इत्यादि सामान लोग लोकल मार्केट से ही खरीदते हैं. आंकड़े तो आप ने देख लिए अब प्रश्न यह है कि आप इन ऊपर दिए गए आंकड़ों से लाभ उठा पाते हैं या खर्चे और EMI के बोझ में फिर से अपने कामों में व्यस्त हो जाते हैं या कुछ और सामान खरीदने की नई लिस्ट तैयार करते हैं और उसके लिए पैसे कहाँ से आयेंगे इसके बारे में सोचते हैं या आप यह सोचते हैं कि लोग इतने पैसे खर्च कर रहे हैं वो जा कहाँ रहे हैं?? वो पैसे वापस आपके पास कैसे आ सकते हैं ? वो जा रहे हैं बड़े कॉर्पोरेट्स की कमाई बढ़ाने में,अगर आप इन कम्पनियों में पार्टनर होते तो अप्रत्यक्ष रूप से ये पैसे आपके पास भी आ सकते थे
तो सार यह है इन सब बातों का देश में कहीं मंदी नहीं है सब जी खोल के खर्च कर रहे हैं और आने वाले समय में ये खर्चे और बढ़ेंगे. अगर इंडिया आने वाले समय में और खर्च करेगी तो कॉर्पोरेट्स की कमाई और बढ़ेगी और अगर कॉर्पोरेट्स के कमाई बढ़ेगी तो उनके शेयर के दाम भी बढ़ेंगे.
अगर आपकी सोच है इन कम्पनियों के प्रॉफिट में हिस्सेदार बनने की इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करिए. पिछले 1 महीने में मार्केट में बड़ी गिरावट आई है और इस समय नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड 100 सबसे बड़ी कम्पनियों में से 60 कम्पनियों के शेयर 28 अगस्त के स्तरों से 10-40% से नीचे की दरों पर ट्रेड हो रहे हैं. मार्केट में आई इस सेल का फायदा उठाइये, इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड में 5 साल से ज्यादा समय अवधि के लिए निवेश करिए जिससे की अगले वर्षों में कॉर्पोरेट्स की कमाई जब अन्य लोगों के खर्चे से बढे तो उसका फायदा आप उठा सकें. सिर्फ उपभोक्ता ही न बने रहिये,सिर्फ बैंक को EMI ही न देते रहिये, सिर्फ हर दिवाली में घर के लिए बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स, गाड़ियाँ और गहने ही न खरीदते रहिये. इस बार दिवाली में SIP करिए या STP करिये और अगर 5 साल या उस से ज्यादा दिन के लिए निवेश करना है तो एक साथ भी निश्चिंत होकर इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड में पैसे लगाइये. हैप्पी इन्वेस्टिंग


https://www.moneycontrol.com/news/business/markets/early-diwali-sale-63-of-top-100-companies-available-at-10-40-discount-3026521.html

Sunday, October 14, 2018

मार्केट में गिरावट आने पर क्या आपको SIP बंद करनी चाहिए ?



शेयर  मार्केट में गिरावट बढती जा रही है और ऐसे में क्या मुझे अपनी SIP बंद कर देनी चाहिए, क्या मुझे पैसे निकाल कर कहीं और लगाना चाहिए क्या SIP की क़िस्त जब तक मार्केट सुधर न जाये तब तक के लिए रोक देनी चाहिए या SIP की किस्तें घटा देनी चाहिए ??? अगर आप के मन में भी ये प्रश्न हैं तो इस ब्लॉग के माध्यम से यह समझने की कोशिश करेंगे कि आपको क्या करना चाहिए?

 पिछले दो-तीन वर्षो में म्यूच्यूअल फण्ड के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है और काफी सारे लोग अपनी बचत का एक हिस्सा हर महीने म्यूच्यूअल फण्ड के माध्यम से इक्विटी में निवेश कर रहे हैं.  पिछले कुछ महीनों का ट्रेंड देखें तो लगभग हर महीने 9-10 लाख नए SIP अकाउंट म्यूच्यूअल फण्ड इंडस्ट्री में जुड़ रहे हैं और ये आंकड़े मेरे जैसे लोगों को एक सुखद अनुभव देते हैं कि एक आम भारतीय सही तरीका समझ गया है अपनी बचत को कैपिटल मार्केट ले जाने का और उससे लम्बे समय में अपने लिए अच्छी सम्पति बनाने का. लेकिन एक डर जो हमेशा मेरे मन में रहती है कहीं फिर से लोग केवल इसलिए तो नहीं आ रहे कि पिछले 5 सालों में मार्केट ने कोई बड़ा झटका नहीं दिया और लोगों के अनुभव इन समयों में अच्छे ही रहे हैं !! कभी अगर बड़ा झटका मार्केट में लगा या लम्बे समय तक मार्केट में पॉजिटिव रिटर्न न बने तो क्या यह ट्रेंड बना रहेगा लोग अपने विश्वास को बनाये रखेंगे और अपना इन्वेस्टमेंट चलाते रहेंगे ? या फिर लोग SIP बंद कराने लगेंगे और फिर ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट की तरफ फिर वापस चले जायेंगे जैसा पहले भी लोगों ने किया है. और इसीलिए आज मै यह ब्लॉग लिख रखा हूँ कि ऐसे लोगों के डर को दूर किया जाय.

म्यूच्यूअल फण्ड में SIP के माध्यम से जब निवेश शुरू होती है तो पहली समझ लोगों को यही दी जाती है कि यदि आप इक्विटी ओरिएंटेड म्यूच्यूअल फण्ड में SIP कर रहे हैं तो आपका नजरिया लम्बे समय का होना चाहिए , दूसरी बात यह होती है कि मार्केट में आने वाले उतार चढाव का फायदा भी SIP के माध्यम से आप को मिलता है जब मार्केट में गिरावट आती है तो फंड्स की NAV में भी गिरावट आती है और आप कम कीमत पर ज्यादा यूनिट्स खरीद पाते हैं और इस तरह से आपकी औसत लागत कम हो जाती है, तीसरी बात कि SIP के माध्यम से आप छोटी छोटी बचत कर लेते हैं और दीर्घ अवधि में चक्र्वृधि की ताकत से आश्चर्यजनक रूप से आपकी संपत्ति में  वृद्धि होती है.

यह बातें बोलने, लिखने और सुनने जितनी साधारण लगती हैं वास्तव में इनको पूरी तरह से लागू कर पाना उतना ही जटिल है. क्यूंकि मार्केट के उतार चढाव और समय के साथ एक आम निवेशक के विचार बदलने के कारण अक्सर लोग SIP लम्बे समय तक चला नहीं पाते और बंद करते खोलते रहते हैं या बीच-बीच में पैसे निकालते या डालते रहते हैं और यही एक मात्र कारण है कि बहुत कम ही लोग हैं जो लम्बे समय में इक्विटी मार्केट में निवेश का लाभ ले पाते हैं.

मार्केट में गिरावट आते ही लोगों के सोचने के तरीके बदल जाते हैं और जो लोग  कुछ दिन पहले SIP में 15%-18% के XIRR देख कर खुश हो रहा थे और SIP की क़िस्त बढ़ाने की सोच रहा थे वही SIP की क़िस्त घटाने या बंद करके पैसे निकालने के बारे में सोचने लगा है.

ऐसा मुख्यतः दो कारणों से होता है पहला निवेशको ने अपने आपको नहीं समझा है, मतलब लोग अपने रिस्क लेने की क्षमता को सही तरह से समझने में कोई गलती करते हैं और दूसरा लोग इक्विटी मार्केट के केवल एक पक्ष का समझते है और वो है अधिक रिटर्न लेकिन उसमे आने वाले उतार चढाव और उसका निवेश पर पड़ने वाले प्रभाव को सही ढंग से नहीं समझते. 

इक्विटी मार्केट में निवेश करने से पहले आपको यह दोनों चीजें सही तरह से समझनी चाहिए लेकिन अक्सर इसे न समझ पाने की गलती लोग करते हैं और इसी लिए अक्सर मार्केट में तेजी के समय ज्यादा निवेश करने वाले लोग मिलेंगे लेकिन मंदी के समय निवेश करने वाले बहुत कम हो जाते हैं साथ ही साथ समय से पहले पैसे निकालने वालों की संख्या बढ़ जाती है.

मै अपनी हर वर्कशॉप में ऐसे प्रश्नों को निवेशकों के सामने जरुर रखता हूँ जिससे के वो यह बात समझ पायें की निवेश में सबसे जरुरी है आपके रिस्क की समझ और उसको सहने की क्षमता का ज्ञान होना और इसके लिए मै एक छोटा से प्रयोग से लोगों को समझाने की कोशिश करता हूँ.

इस प्रयोग में लोगों से सिक्का उछालने के एक गेम का हिस्सा बनने के लिए कहा जाता है और उनसे तीन अलग अलग परिस्थितियों में गेम खेलने या न खेलने के विकल्प को चुनने के लिए कहा जाता है.

पहली परिस्थिति में  सिक्का उछालने पर हेड की स्थिति में 1000 रुपये मिलने का विकल्प है और अगर टेल आया तो 1000 रुपये उनको देने पड़ते हैं जो इस गेम का हिस्सा है और लोगों से पूछा जाता है कि कितने लोग इस गेम का खेलेंगे तो 40-50 लोगों में से केवल 1-2 हाथ उठते हैं

दुसरी बार उन्ही लोगों से पूछा जाता है  कि सिक्का उछालने पर हेड आये तो 2000 रुपये मिलेंगे और टेल आने पर सिर्फ 1000 रुपये देने होंगे तो इस गेम को खेलने के लिए 1-2 की जगह 6-7 लोग तैयार हो जाते हैं

तीसरी बार जब उन्ही लोगों से  हेड आने पर 5000 मिलने और टेल आने पर सिर्फ 1000 रुपये देने का विकल्प  दिया जाता है तो इस बार गेम खेलने वालों की संख्या काफी बढ़ जाती है.

अब आप आगे बढ़ने से पहले खुद को इस गेम का हिस्सा बन कर देखिये और फिर रिस्क को समझिये .

समझने वाली बात यह है कि सभी विकल्पों में रिस्क एक बराबर है, 1000 रूपये गवाने का रिस्क और उसकी सम्भावना भी उतनी ही है 50% लेकिन ऐसा क्या हुआ कि पहले गेम में लोग रिस्क लेने के लिए तैयार नहीं थे तीसरे गेम में रिस्क लेने वाले बढ़ गए. तो पहले गेम में आप रिस्क न लेने वाले व्यक्ति हैं लेकिन तीसरे में आप रिस्क लेने वाले व्यक्ति कैसे बन जाते हैं और जब की सारी परिस्थितियों में आपके 1000 रुपये का रिस्क एक ही जैसा है.

इस प्रयोग का सार यही निकलता है कि एक आम आदमी या आम निवेशक रिस्क नहीं समझता वह सिर्फ रिवार्ड समझता है, इसलिए रिस्क एक बराबर रहते हुए भी विभिन्न परिस्थितियों में वह अलग-अलग निर्णय लेता है.

जहाँ तक इक्विटी मार्केट में रिस्क की बात है तो शेयर मार्केट में रिटर्न बिना उतार चढाव के नहीं बनते. इसमें कितनी गिरावट आ सकती है इसका भी अंदाजा लगाना मुश्किल है लेकिन यह निश्चित है कि हर गिरावट के बाद शेयर मार्केट में तेजी आती है. पिछले सालों के अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि इक्विटी मार्केट में हर साल किसी भी समय 10% की गिरावट संभव होती है, हर 2-3 सालों में 20% की गिरावट आती है , हर दशक में एक से दो बार यह गिरावट 30% तक हो सकती है और 50% या उस से ज्यादा गिरावट देखने के मौके आपको जिन्दगी में एक से दो बार मिलते हैं. यह रिस्क आपको इक्विटी मार्केट में या इस से जुड़े हुए किसी भी प्रोडक्ट में निवेश करने से पहले समझ लेना चाहिए.

SIP के इन्वेस्टर की सोच क्या होनी चाहिए 

दुनिया के सर्वश्रेष्ठ निवेशक वारेन बफेट ने सन 1997 में अपने शेयर होल्डर्स को एक पत्र में लिखा था कि यदि आप जिन्दगी भर बर्गर खाने का सोचते हैं और आप आलू या गेंहू पैदा करने वाले किसान नहीं हैं तो आप इनकी कीमतें बढ़ते हुए देखना चाहेंगे या घटते हुए, इसी तरह यदि आप को पता है कि आप अपने जीवन में समय-समय पर कारें खरीदते रहेंगे और आप एक कार बनाने वाली कंपनी के मालिक नहीं है तो आप कार की बढती कीमत पसंद करेंगे या घटती कीमत. अब थोडा मुश्किल सवाल, यदि आप अगले 10-20 साल तक स्टॉक मार्केट में निवेश करते रहने की योजना बना रहे हैं तो आप क्या चाहेंगे उनकी कीमते इस समय में बढती रहे या घट जाएँ ?

आगे उन्होंने लिखा कि एक उपभोक्ता के रूप में आप हमेशा चाहेंगे कि इनकी कीमते ना बढ़ें या घट जाए लेकिन जब आप इक्विटी  में निवेश करते है और आप को पता है कि आप अगले 10 साल के लिए इस कंपनी के शेयर खरीदते जायेंगे फिर भी आप को घटती कीमते अच्छी नहीं लगेंगी, आप हमेशा बढती कीमते पसंद करेंगे, आप हमेशा बुरा महसूस करेंगे जब शेयर की कीमते घटेंगी जब की एक प्रोस्पेक्टिव खरीददार के रूप में आपको घटती कीमते अच्छी लगनी चाहिये.

SIP का इन्वेस्टर एक प्रोस्पेक्टिवे खरीददार होता है क्यूंकि वह अगले 10-20-30 साल के निवेश का कार्यक्रम बना कर निवेश कर रहा है, वह महीने दर महीने एक निश्चित रकम अगले 10-20-30  निवेश करेगा, इसलिए जब मार्केट गिरेगी तो वह सस्ते दर पर निवेश करेगा और जब मार्केट बढेगी तो उसके फण्ड की वैल्यू बढ़ जाएगी. इसलिए उसे छोटी अवधि में होने वाले उतार चढाव को नजरअंदाज करना चाहिए, अगर किसी अवधि में बहुत अधिक रिटर्न बन रहे हैं तो भी बहुत खुश नहीं होना चाहिए और यदि गिरावट में फण्ड घाटे में चला जाए तो भी परेशान नहीं होना चाहिए. SIP में नुकसान या घाटा शुरुआत के कुछ सालों में दिखाई पद सकता है लेकिन जैसे जैसे आपका निवेश पुराना होता जायेगा SIP के नुकसान में जाने की संभावना कम होती जायेगी. 

जब आप लम्बी अवधि की SIP चला रहे होते हैं तो मार्केट के उतार और चढ़ाव आपके सहयोगी की तरह काम करते हैं दोनों अपने-अपने हिसाब से आपके लिए फायदेमंद ही होते हैं और यह बात समझने के लिए आप कोई भी ऐसी स्कीम उठा लीजिये जो कम से कम 15 साल पुरानी हो और जिस स्कीम ने  2-3 मार्केट के उतार चढाव (मार्केट साइकल) देखें हों, आप खुद ही समझ जायेंगे की लम्बी समय की SIP करने वाले निवेशक के लिए मार्केट के उतार चढाव अच्छे होते हैं.

अगर अभी भी आपको भरोसा नहीं हो रहा की आपकी SIP  इन उतार चढाव से होते हुए आपके लिए अच्छी संपत्ति का निर्माण कर सकती है तो एक म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम का उदाहरण लेकर समझ लेते हैं. इसे समझाने के लिए थोड़ी पुरानी स्कीम लेते हैं जिससे की हम देख सकें कि कितनी समस्याओं और उतार चढ़ाव के बाद महीने की 1000 रुपये का निवेश समय के साथ कितनी संपत्ति बना देती है. मैंने जान बूझ कर इस स्कीम का नाम चार्ट से हटा दिया है जिस से कोई बिना रिस्क रिवार्ड समझे इसमें निवेश ना करे और ना ही किसी को यह गलत फहमी हो की मै किसी कंपनी के किसी प्रोडक्ट का विज्ञापन कर रहा हूँ. अगर किसी को इस स्कीम के बारे में जानकारी चाहिए तो वह मुझे ईमेल कर सकता है.


मैंने यह चार्ट 1 जनवरी 1995 से 1 अक्टूबर 2018 तक का लिया है. महीने के 1000 रुपये का मतलब साल के 12000 रुपये का निवेश पिछले 23 वर्षों से चलता रहा. इस बीच में 6 लोकसभा चुनाव, ना जाने कितने विधान सभा चुनाव, ना जाने कितने घोटाले, ग्लोबल और लोकल इवेंट, आतंकवादी घटनायें, कारगिल जैसे युद्ध, पोखरण के बाद अमेरिका और तमाम देशों द्वारा प्रतिबंध जैसे ना जाने कितने सारे कारणों ने शेयर मार्केट को कुछ दिनों और महीनों के लिए बहुत प्रभावित किया लेकिन इन उतार चढ़ावों के साथ यदि निवेश चलता रहा तो समय के साथ आप स्वयं देखिये इन्वेस्टमेंट की वैल्यू कैसे बढती गई. जिन्होंने अभी कुछ महीनों या 2-3 सालों से SIP स्टार्ट की है वो इस चार्ट को ध्यान से देखें, साल दर साल फण्ड वैल्यू कैसे घट-बढ़ रही है शुरू के 3 सालों में तो SIP के रिटर्न निगेटिव हैं लेकिन वही 3 साल की SIP जब 10-15-20 साल पुरानी हो जाती है तो कितने अद्भुत परिणाम देती है.

इसलिए आपको जितनी भी बुरी अच्छी खबरे सुनाई पड़ती हैं उनको नजरअंदाज करना सीखिये, इनसे प्रभावित होकर SIP बंद मत करिए, अपने निवेश के माध्यम यानी इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड को मत बदलिए. यूट्यूब, न्यूज़ पेपर और अन्य प्रसार माध्यमों को सुन कर अपने निर्णय को मत बदलिए. मै जानता हूँ यह कहना बहुत आसान है लेकिन इसे करना बहुत मुश्किल है, अगले 20-30 साल तक निवेश करते रहना बिना रुके, बिना किसी न्यूज़ से प्रभावित हुए, बहुत मुश्किल काम है इसलिए एक अच्छा निवेश सलाहकार खोजिये, उसको परखिये और उसके साथ बैठ कर अपने इन्वेस्टमेंट की प्लानिंग करिए, उसके अनुसार निवेश करिए, एक निश्चित अंतराल पर अपनी इन्वेस्टमेंट प्लानिंग का रिव्यु करिए. इन्ही बातों को ध्यान में रखिये आप जरुर अपने निवेश लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफलता होगी. 

मैंने अंत में सलाहकार क्यूँ रखने की बात की, क्यूँ आपके लिए सलाहकार जरुरी है इसके बारे में किसी और ब्लॉग में विस्तार से चर्चा करेंगे?

आखिर में एक और जरुरी बात, SIP सिर्फ निवेश करने का तरीका है इस निवेश से आपको कब और कैसे निकलना है इसके बारे में आपके पास  या आपके निवेश सलाहकार के पास योजना अवश्य होनी चाहिये.

इन बातों पर जरुर विचार करिए अन्यथा आपके इन्वेस्टमेंट की हालत महाभारत के अभिमन्यु के जैसी हो सकती है जिसने चक्रव्यूह में अन्दर जाने के बारे में अपने पिता से सुना था लेकिन चक्रव्यहू तोड़ कर विजयी होने के बारे में उसने कभी ना सुना था ना सोचा था.

आशा है आप इस ब्लॉग को पढने के बाद रिस्क को सही तरह से समझेंगे, SIP कैसे काम कर सकती है उस पर आपका विश्वास दुबारा स्थापति होगा और आप अपने इन्वेस्टमेंट से सही समय पर निकलने और अपने निवेश लक्ष्यों को हासिल कर पाने में सफल होंगे.

ढेर सारी शुभ कामनायें !!

यदि आपको मेरे ब्लॉग अच्छे लगें तो अपने मित्रों और शुभ चिंतकों को अवश्य भेजें.

Monday, October 1, 2018

शेयर बाज़ार में आई गिरावट, आप को क्या करना चाहिए?




अगर आप लम्बे समय के नजरिये से इक्विटी मार्केट में लगातार निवेश करते हैं तो आपके गलत होने की सम्भावना बहुत कम होती है और यदि आपने निवेश गिरती हुई मार्केट में किया है तब तो आप कभी गलत हो ही नहीं सकते.

एक खबर आती है और शेयर बाज़ार जो तेजी से  दौड़ रहा था उस पर ब्रेक लग जाती है और वो U टर्न ले लेती है, जब लोग अपने पोर्टफोलियो को देखते हैं तो उन्हें लगता है कि बाज़ार से ज्यादा उनके फंड्स या शेयर गिर गए हैं.ऐसा क्या हो रहा है. सभी न्यूज़ चैनेल और समाचार पत्र बाज़ार में हुई गिरावट को फ्रंट न्यूज़ बना कर छापना शुरू कर दिए हैं ? आइये समझते हैं.

वैसे बाज़ार में गिरावट तो जनवरी महीने से शुरू हो गई थी लेकिन सेंसेक्स और निफ्टी को बढ़ता देख लोग भ्रम में थे की बाज़ार तेज है. जब की मिड और स्माल कैप, मेटल्स और कुछ सेक्टर्स में गिरावट लगातार जारी थी. पहला दुश्मन बाज़ार का बजट बना जब लॉन्ग टर्म गेन पर टैक्स लगा, उसके बाद सेबी के म्यूच्यूअल फण्ड योजनाओं को दुरुस्त करने में फण्ड हाउसेस ने मिड कैप और स्माल कैप स्टॉक से थोड़ी पोजीशन कम की उसके बाद तेल की धार ने बाज़ार का मूड ख़राब किया फिर रूपया जो अपने साथ बाज़ार को भी हिला दिया, ग्लोबल ट्रेड वॉर और अंत में आई बारी डेब्ट मार्केट से बुरी खबर आने की. डेब्ट मार्किट की खबर ने  तो मार्केट की जबरदस्त धुलाई कर दी.

तो यहाँ समझने वाली बात यह है तेल का दाम बढ़ना और रुपये का कमजोर होना अर्थव्यस्था में महंगाई बढ़ने और करेंट अकाउंट डेफेसिट बढ़ने का कारण हो सकते हैं लेकिन इनका प्रभाव कुछ सेक्टर्स के लिए पॉजिटिव होता है कुछ के लिए नेगेटिव और कुछ सेक्टर्स पर इसका को कोई प्रभाव नहीं पड़ता. लेकिन जो खबर क्रेडिट मार्केट से आई जहाँ पर IL&FS जो की इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग में काफी वृहद स्तर पर काम करने वाली संस्था है, वो सिडबी के लोन का रीपेमेंट डिफ़ॉल्ट कर गई, जब की यह कंपनी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के अनुसार AAA रेटेड थी. इस खबर ने बाज़ार को बहुत ज्यादा नर्वस कर दिया क्यूंकि इस कम्पनी ने लगभग 90,000 करोंड़ मार्केट से उठाये हुए हैं, इस कंपनी के पेपर्स में  निवेश करने वाले बैंक, इंश्योरेंस, म्यूच्यूअल फण्ड, बड़े निवेशक और अन्य वित्तीय संस्थायें हैं. जब तक लोग ऐसी बुरी खबर का विश्लेषण करते तब तक यह पता चलता है कि DSP AMC ने DHFL के पेपर्स को कम दामों में बेच दिए. अब  बाज़ार इन दोनों खबरों को आपसे में जोड़ कर कुछ इस तरह से देखा है की डेब्ट मार्केट में कोई बड़ा संकट है, NBFCs के बारे में तरह-तरह की खबरे आनी शुरू होती हैं और देखते ही देखते मार्केट में बहुत सारे शेयर्स 20-30-40% तक गिर जाते हैं. लोग इस समस्या को बढ़ा चढ़ा कर पेश करने लगे, हर बैंक और NBFCs के लोन बुक और इन्वेस्टमेंट बुक के बारे में न्यूज़ फैलने लगी. लेकिन यह सब बाते सिर्फ यह दर्शाती हैं की बाज़ार में जरुरत से ज्यादा नर्वसनेस है.
और यही नर्वसनेस एक निवेशक का सबसे बड़ा दुश्मन होता है.

इक्विटी के निवेशक का सबसे बड़ा दुश्मन उसका इमोशन-

जब-जब शेयर बाज़ार में गिरावट आती है, लोग डर जाते हैं और इक्विटी फंड्स या शेयर्स से पैसे निकाल लेते हैं, शुरू के कुछ दिन की गिरावट में डर नहीं लगता लेकिन जब यह गिरावट बढती है तो लोग किसी भी रेट में सेल कर के निकलना चाहते हैं और ऐसी परिस्थिति में ख़राब कंपनियों के भाव तो गिरते ही हैं अच्छे शेयर्स भी ऐसे मौकों पर गिर जाते हैं और यही समय होता है अपने डर से निकल कर अच्छे शेयर या अच्छे फंड्स खरीदने का.

इक्विटी मार्केट में निवेश करने वाले हर व्यक्ति को यह बात अच्छे से पता होनी चाहिये कि मार्केट में गिरावट भी तेज होती है और बढ़त भी तेज हो सकती है इसीलिए इक्विटी को वोलेटाइल कहा जाता है.चलिए ठीक है यह तो आप को पता ही की इक्विटी में गिरावट आती है और वह वोलेटाइल होती है लेकिन अब प्रश्न यह उठता है कि बाज़ार में गिरावट कितनी आ सकती है ? इस प्रश्न का जवाब भारत की नहीं अमेरिका की इक्विटी मार्केट जो 100 वर्षों से ज्यादा पुरानी है से मिल सकता है " एक इक्विटी इन्वेस्टर को ,साल में कम से कम एक बार मार्केट में 10% की गिरावट, 2-3 सालों में 20% तक की गिरावट, 30% तक की गिरावट हर दस सालों में एक या दो बार और 50% तक की गिरावट अपने जीवन काल में एक या दो बार देखने के लिए तैयार रहना चाहिए."

अगर आप यह रिस्क उठा सकते हैं तभी इक्विटी मार्केट आपको रिवॉर्ड देती है.

मार्केट में इस साल अभी तक कितनी गिरावट आई ?


बीएसइ सेंसेक्स में अपने उपरी स्तरों से लगभग 7% की गिरावट  आ चुकी है, बीएसइ मिडकैप इंडेक्स अपने उपरी स्तरों से 20% गिर चूका है और वहीँ बीएसइ स्मालकैप इंडेक्स लगभग 30% टूट चूका है , वहीँ कई सेक्टर जैसे NBFC, PSU Banking, OMC, Metal, Infra जैसे तमाम सेक्टर में भी भारी गिरावट आई है. (28th Sept,18)

अब ऐसे हालात में एक आम निवेशक को क्या करना चाहिए ? उसे शेयर बाज़ार से पूरे पैसे निकाल लेने चाहिये या बाज़ार में आई गिरावट को मौका समझ के और पैसे लगाने चाहिये या कुछ नहीं करना चाहिए शांत हो कर बैठे रहना चाहिए ?

अब क्या करे निवेशक-

सबसे पहली बात जो शायद हर  तेजी की मार्केट में लोग भूल जाते हैं कि जब निवेश का नजरिया आपका  लम्बा हो तभी इक्विटी में निवेश करें और यदि आप अपने फंड्स या शेयर्स से 15-20% की सालाना रिटर्न की अपेक्षा रखते हैं तो मार्केट में कोई ऐसी गिरावट आये तो डरें नहीं बल्कि मौका समझ कर कुछ और इन्वेस्ट करें. इक्विटी मार्केट ऐसे ही चलती है और ऐसी उठा पटक के साथ ही  पिछले 38-39 साल में सेंसेक्स 100 से 36000-37000 के स्तर पर पहुंचा है.

न्यूज़ पर आधारित इन्वेस्टमेंट ना करें सिर्फ अपने लक्ष्यों को ध्यान में रख कर इन्वेस्ट करें-

अगर आपके वित्तीय लक्ष्य 10-15-20 साल आगे के हैं तो आज ILFS में क्या हो रहा है या बैंकिंग, आईटी, फार्मा में क्या हो रहा है कोई मायने नहीं रखता और अगर आपको मेरी बात पर भरोसा नहीं है तो पिछले 10-20 साल का इतिहास देख लीजिये. क्या-क्या नहीं हुआ, कितनी सरकारे आईं और गई, कितने घोटाले सामने आये, कितने वित्तीय संकट आये, कितनी प्राकृतिक आपदा आई, कितने आतंकवादी हमले हुए लेकिन देश बढ़ता गया और मार्केट भी बढती गई. इसलिए लक्ष्य आपके लम्बे हों तो ऐसी खबरों को या तो नजरअंदाज कर दें या उस मौके का फायदा उठाये. हाँ यदि आप छोटी अवधि 2-4 साल वाले निवेशक हैं तो फिर इक्विटी  मार्केट से दूरी ही बना कर रखें.


जब बाज़ार में डर होता है तो अच्छी खबरों को भी नजरअंदाज कर देता है, अब आप समझिये की क्या अच्छी खबरें बाज़ार में आ सकती हैं जो मार्केट का मूड बदल सकती हैं

1- मानसून अच्छा होना, हमारी अर्थव्यवस्था और खासकर कृषि क्षेत्र और रूरल इकॉनमी  के लिए एक अच्छी खबर होती  है और ऐसी अच्छी खबर आने पर बाज़ार में तेजी लौट सकती है.

2- पिछले कुछ सालों से कॉर्पोरेट्स रिजल्ट अच्छे नहीं आ रहे थे लेकिन अप्रैल से जुलाई के महीने में कॉर्पोरेट अर्निंग में लगभग 24% की बढ़ोतरी हुई है और अनुमान यही है कि अगले 1-2  साल  में कॉर्पोरेट अर्निंग ग्रोथ अच्छी दिखनी चाहिए. इसीलिए दूसरे क्वार्टर (July-Sept) के परिणाम अच्छे आये तो भी बाज़ार का मूड बदल सकते हैं.

3- रिफॉर्म्स  जैसे सरकारी बैंकों का मर्जर, NPAs की समस्या का समाधान, न्यू टेलीकॉम पालिसी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, डिफेन्स और पॉवर सेक्टर में बढ़ते निवेश.

4- रुपये की गिरावट का पॉजिटिव इम्पैक्ट आईटी और एक्सपोर्ट सेक्टर पर अच्छा होगा और इस कारण इन सेक्टर्स की कमाई बढ़ सकती है

5- कच्चे तेल के दामों में गिरावट या डॉलर को वापस 70 रुपये  के स्तर पर वापस आना भी मार्केट का मूड बदल सकते हैं

SIP ना बंद करें-

जो लोग पिछले 2-4  वर्षों से SIP कर रहे हैं वो शायद अपने फंड्स को जो कुछ समय पहले बहुत बढे हुए दिख रहे थे उनके नीचे आने से उदास या निराश हो गए हों तो उनको घबड़ाने की जरुरत नहीं है कभी भी अपनी SIP समय से पहले मत बंद करिए, जो लोग पिछले 6-7 या और अधिक वर्षों से SIP कर रहे हैं वो यह बात अच्छी तरह से समझ रहे होंगे कि यह समय SIP बंद करने का नहीं बल्कि थोडा और पैसे डालने का है.



इक्विटी में निवेश करने वाले को एक मंत्र  हमेशा याद रखना चाहिए-

"जब बाज़ार में खबरे बुरी आती हैं तो आपको खरीद के भाव अच्छे मिलते हैं और जब खबरे अच्छी आती हैं तो खरीद के भाव बुरे मिलते हैं."

जिन्होंने पहले से निवेश किया हुआ उन्हें धैर्य रखना चाहिए, अपने पोर्टफोलियो को इस समय रिव्यु करें और अगर हो सके तो जब भी मार्केट में ऐसे करेक्शन मिलें, कुछ पैसे जरुर इन्वेस्ट करें.