Wednesday, January 11, 2017

बचत के सूत्र.....

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सहमी और डरी हुई 
#कमसिन_तनख़्वाह
चुपचाप सर झुकाये चली जा रही थी....!!

और

उसे देखकर 
“किश्त”
“बिल”
“खर्चा”
और 
"ज़रुरत"
नाम के 
कुख्यात #गुंडे 
सीटी बजा रहे थे....!!

आखिरकार 
#तनख़्वाह 
लुट ही गई....!!


ये लाइने पढ़ कर आपको ऐसा तो नहीं  लगा कि यहाँ आपकी तनख्वाह की बात हो रही है जो ऊपर दिए हुए मदों में महीने दर महीने चली जाती है, बेचारी अकेली आपकी तनख्वाह और किश्त, बिल, खर्चा और जरुरत नाम के कई सारे गुंडे.....

आप हर साल सोचते होंगे कि अगले साल जब बोनस मिलेगा और सैलरी बढ़ेगी तो इन गुंडों से निपट लूँगा लेकिन ये गुंडे समय के साथ और मोटे हो जाते हैं और उनके सामने आपकी सैलरी बेचारी फिर कमजोर पड जाती है.

क्या करें....इसी का नाम जिन्दगी है

लेकिन अगर आपको लगता है कि ऐसी परिस्थिति हर आदमी और हर परिवार  के साथ है तो ऐसा गलत है . हाँ लेकिन ऐसे  लोगों की संख्या बहुत कम है जो इस परिस्थति से ऊपर निकल चुके हैं और ऐसे लोगों को हम दो श्रेणी में रख सकते हैं. एक वो जिन्होंने समय के साथ अपनी इनकम और वेल्थ दोनों बहुत बढ़ा लिए हैं मतलब हमारे समाज के वो चंद बहुत धनी लोग और दुसरे वो जिन्होंने अपने फाइनेंसियल समझदारी बढ़ा ली है.

लेकिन यहाँ हम आम आदमी की बात कर रहे हैं जो ऊपर दी गई पंक्तियों को अक्षरशः जीता है वो कितना भी कमा रहा होता है उसके लिए महीने का आखिरी सप्ताह पैसों के मामले में थोडा ख़राब हो होता है और इसी कारण महीने  में 15 हजार कमाने वाले के हाल भी महीने के अंत में वही होते हैं जो महीने में 1.5-2  लाख कमाने वाले का होता है और महीने के आखिरी दिन पर हर आदमी यही बोलता है कि इस महीने खर्चे बहुत थे कुछ बचत नहीं हुई. अब प्रश्न यह उठता है कि ऐसा क्यूँ है... तो उसका जवाब आपको नीचे दिए गए चार्ट से मिल जायेगा


मनुष्य अपनी परिस्थितियों का जिम्मेदार स्वयं होता है- गौतम बुद्ध

अक्सर लोग यही करते हैं सैलरी या अन्य स्रोतों से पैसे आने के बाद पहले बैंक वाले को घर या गाडी की EMI या मकान मालिक को किराया, क्रेडिट कार्ड वाला, दूध वाला, परचून वाला, सब्जी वाला, प्रेस वाला, केबल वाला, स्कूल वाला, जिम वाला, सफाई वाला,बिजली वाला, मोबाइल वाला, गाड़ी वाला, मूवी वाला, रेस्टोरेंट वाला और पता नहीं किस-किस का हिसाब करते हैं और उसको पे करते हैं लेकिन एक आदमी जो सबसे महत्वपूर्ण है उसे भूल जाते हैं. उस बेचारे को इन सब को महीने भर देने के बाद अगर कुछ बच जायेगा तब मिलता है. जब की यही वो आदमी है जो पुरे महीने सारी मेहनत करता है.

जी हाँ मै आप की ही बात कर रहा हूँ... वो आप ही हैं जिसका नंबर सबसे बाद में आता है और अपने आप को जो बाकी लोगों से बचा खुचा होता है वही मिल पाता है जिसे आप अपनी बचत कहते हो.

 बचत = आय - व्यय
साहब आपके बचत करने का तरीका गलत है...

मै लोगों से उनकी आय, खर्च और बचत के बारे में बात करता हूँ तो अक्सर लोगों का जवाब यही होता है कि जब घर के खर्च और बाकि चीजों से कुछ बच जाता है तो कुछ सेविंग हो जाती है.

क्यूंकि जब हमारे खर्चे निश्चित नहीं रहते तो सेविंग्स कहाँ से निश्चित हो जायेगी. और ऐसी स्थिति में हम आप कितना भी कमा लें कभी फाइनेंसियल सिक्यूरिटी हमारे जीवन में नहीं आ सकती और इसके लिए सिर्फ हम जिम्मेदार हैं हमलोग कितना भी सरकार को महंगाई और भ्रष्टाचार के लिए कोसते रहें उस से कुछ नहीं होने वाला क्यूंकि अगर महंगाई कम भी हो जायेगी तो भी हम पैसे खर्च करने के लिए कोई नया रास्ता ढूंढ लेंगे और बचत उतनी ही हो पायेगी जो बाकि खर्चों से बच जाये.

और अगर अभी भी आप को मेरी बातों में सच्चाई नहीं लग रही है तो आप अपने दो साल पहले के खर्चे और कमाई और बचत के बारे में सोच लीजिये. दो साल में जितनी आप की इनकम बढ़ी है क्या उसी अनुपात में आप ने अपने खर्चे नहीं बढ़ा लिए और क्या आपने इन दो वर्षों में यह सुनिश्चित किया की आपकी इनकम में जो भी वृद्धि हुई है उसका अधिकांश हिस्सा बचत में जाये. नहीं कर पाए ना क्यूंकि आप ने पहले बचत ही नहीं की, आपने पहले खर्च किया. 

इसलिए जरुरी यह है अगर आप को अपने जीवन में फाइनेंसियल सिक्यूरिटी लानी है तो अपने बचत करने के तरीके को बदलना होगा और वो आप ऐसे कर सकते हैं


  आय - बचत = व्यय

यह सूत्र बहुत शक्तिशाली है, इसको अपने जीवन में अपना कर के सबसे पहले जो सबसे जरुरी व्यक्ति है आपके जीवन का उसको पे करते हैं और  बाकि सबका नंबर उस व्यक्ति के बाद आता है और यही वह तरीका है जो आप को औरों से अलग कर सकता है. यह तरीका आपको फाइनेंसियल अनुशासित बनायेगा, आप को फिनासिअल सिक्यूरिटी दिलाएगा और कुछ ही सालों  में आप की सम्पति में कई गुना वृद्धि करायेगा.

खर्च करने से पहले बचत करिये

दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक वारेन बफेट भी इसी बात को कुछ ऐसे व्यक्त करते हैं,

" Do not save what is left after spending, but spend what is left after saving"

और यहाँ पर एक और बात जो वारेन बफेट ने कही उसे दोहराना चाहूँगा .

"यदि आप उन चीजों को खरीदते हैं जिनकी आप को जरुरत नहीं है तो शीघ्र ही आपको वो चीजें बेचनी पड सकती हैं जिनकी आप को जरुरत है."

और यह करना बहुत कठिन नहीं है आप महीने की आरम्भ में या आय होते ही उसका एक निश्चित हिस्सा (10% - 20%) अलग कर लीजिये और ऐसा महीने दर महीने करते जाइये. आपको इसका परिणाम कुछ ही दिनों में दिखने लगेगा. इस छोटे से परिवर्तन से आप की फाइनेंसियल लाइफ ज्यादा स्टेबल हो जायेगी.

पिछले साल मैंने अपनी कई कार्यशालायें (इन्वेस्टर एजुकेशन वर्कशॉप) की और उसके माध्यम से लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया की वो अपने पैसे की समझ को बढ़ाएं अपने आय-व्यय और  बचत-निवेश के तरीकों को सुधारें .

आज मुझे इस बात की ख़ुशी है कि बहुत से लोगों को इसका लाभ हुआ है और आज उनकी फाइनेंसियल लाइफ पिछले साल से बेहतर और सुव्यवस्थित है. मुझे उम्मीद है जो लोग अपनी काम को टालने की आदत के कारण या किसी और कारणों से अभी तक इसे अपना नहीं पायें है वो भी वर्ष 2017 में अवश्य शुरू करेंगे.

 इस वर्ष की शुरुआत अपने आप को सबसे पहले पे करके शुरू करिये. 


नया साल आपके लिए मंगलमय है !!!