Thursday, December 15, 2016

कैसे पायें स्टेबल रिटर्न के साथ रेगुलर कैश फ्लो


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पिछले ब्लॉग में हमने नोटबंदी और उसके फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टर के ऊपर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जाना, हमने यह समझने की कोशिश की कैसे फिक्स्ड डिपाजिट में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए आने वाला समय मुश्किल भरा हो सकता है और वह फिक्स्ड इनकम म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश कर के स्टेबल और फिक्स्ड डिपाजिट से बेहतर रिटर्न बना सकता है. लेकिन एक समस्या म्यूच्यूअल फण्ड के साथ आती है वो है रेगुलर कैश फ्लो की और एक फिक्स्ड डिपाजिट इन्वेस्टर के लिए यह काफी मायने रखता है की उसे रेगुलर कुछ पैसे मिलते रहें.

रेगुलर कैश फ्लो  सुनिश्चित करने के लिए  फिक्स्ड इनकम म्यूच्यूअल फण्ड में आप सिस्टेमेटिक विड्राल आप्शन (SWP) चुन सकते हैं. एक तरफ आप फिक्स्ड इनकम म्यूच्यूअल फण्ड से स्टेबल रिटर्न बनायेंगे और दूसरी तरफ SWP से रेगुलर कैश फ्लो भी बन जायेगा इसलिए यह एक बेहतर तरीका हो सकता है रिटायर्मेंट के बाद ऐसे निवेशकों के लिए जो रिस्क नहीं लेना चाहते लेकिन फिक्स्ड डिपाजिट से बेहतर रिटर्न बनाना चाहते हैं और साथ ही साथ उन्हें रेगुलर कैश फ्लो भी चाहिए. इसके अलावा जब आप ऐसे इन्वेस्टर हैं जिनको 10%, 20% या 30% का टैक्स भी देना पड़ता है अपने ब्याज की कमाई पर तो आपको ऐसे साधनों के बारे में जानकारी प्राप्त करना और उसमे निवेश करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है.

इन्ही सब बातों को ध्यान में रख कर मैंने फिक्स्ड इनकम म्यूच्यूअल फण्ड से SWP और फिक्स्ड डिपाजिट से होनी वाली इंटरेस्ट इनकम का तुलनात्मक विश्लेषण किया है.

पहले हम फिक्स्ड डिपाजिट के उदाहरण को लेते हैं

1st जनवरी 2011 को किसी ने 10 लाख रुपये की फिक्स्ड डिपाजिट की है जिस पर उसे 2.25% के रेट से इंटरेस्ट हर तिमाही में मिलता है.



फिक्स्ड डिपाजिट वाले निवेशक को 1 जनवरी 2011 से अक्टूबर 2016 तक 517500 रुपये ब्याज के रूप में मिले यहाँ अगर वह 10% भी टैक्स सरकार को चुकाता है तो उसे 53302 रुपये टैक्स में चुकाने पड़ते हैं और अगर वह 20% या 30% के टैक्स दायरे में आता है तो क्रमशः 106605 रुपये या 159907 रुपये चुकाने पड सकते हैं, जो की एक बड़ी कीमत है. मेरी रिटायरड निवेशकों से बात चीत के दौरान यह बात निकल के आती है मेरे जिन्दगी भर की सेविंग पर ब्याज में सरकार रिटायर होने के बाद भी टैक्स क्यूँ लेती है , जब तक हम काम करते थे तब तक हमने टैक्स दिया अब रिटायर होने के बाद भी अगर हमें अपने बचत पर मिलने वाली ब्याज पर भी टैक्स देना पड़े तो हमारे पास बचेगा क्या.

यह वाकई में एक इमोशनल स्टेटमेंट है लेकिन सरकार के नजरिये से देखें तो उसके लिए भी ब्याज पर टैक्स की छूट देना मुमकिन नहीं.

लेकिन यहीं पर सरकार ने म्यूच्यूअल फण्ड के निवेशकों को टैक्स के मायने में बहुत हद तो छूट दे रखी है, जरुरत है उनके बारे में आप जानकारी हासिल करें और उनमे निवेश करें.

और  अगर इतना टैक्स देने के बावजूद भी आम निवेशक फिक्स्ड डिपाजिट में निवेश करता है इसका मात्र एक कारण मुझे समझ में आता है वह है फाइनेंसियल साक्षरता की कमी.

अब हम दुसरे माध्यम की बात करते हैं जो की फिक्स्ड इनकम म्यूच्यूअल फण्ड से SWP

यहाँ पर पहले यह बात स्पष्ट करना जरुरी है नीचे दिए गए उदाहरण में स्कीम का नाम मैंने नहीं लिखा है लेकिन इसमें दी गई तारीख, NAV और यूनिट्स सब एक्चुअल डेटा हैं. यह स्कीम  एक मीडियम टर्म कॉर्पोरेट बांड फण्ड (एक प्रकार का डेब्ट फण्ड) है और इस स्कीम का उद्देश्य डेब्ट या मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश कर के निवेशक को सेफ्टी के साथ स्टेबल रिटर्न देना है.

इस स्कीम में निवेशक ने 10 लाख रुपये का निवेश 3 जनवरी 2011 को किया था और 2.25% तिमाही के रेट से  SWP (सिस्टेमेटिक विड्राल) लिया. अप्रैल 2011 से अक्टूबर 2016 तक यहाँ भी 517500 रुपये निवेशक को मिले लेकिन उसको कुल 28639 रुपये टैक्स के रूप में चुकाना पड़ा और अगर निवेशक 10% या 20% टैक्स दायरे में होता तो उसको और कम टैक्स चुकाना पड़ता. क्यूंकि फिक्स्ड इनकम म्यूच्यूअल फण्ड में 3 साल के बाद पैसे निकालने पर जो लाभ प्राप्त होता है उस पर इंडेक्सेशन के लाभ के कारण टैक्स कम चुकाना पड़ता है इसलिए यहाँ निवेश करने के कई लाभ मिल जाते हैं

इसके साथ निवेश की वर्तमान वैल्यू भी 10.89 लाख रुपये है.



 फिक्स्ड इनकम म्यूच्यूअल फण्ड में आपको निम्न लिखित फायदे मिलते हैं

  • फिक्स्ड म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश कर के आप फिक्स्ड डिपाजिट से बेहतर रिटर्न बना सकते हैं
  • आप SWP के माध्यम से रेगुलार कैश फ्लो भी सुनश्चित कर सकते है
  • आप के ऊपर टैक्स का बोझ भी कम होता है
  •  म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करना और उस से पैसे निकालना इन सबकी की प्रकिया भी फिक्स्ड डिपाजिट, पोस्ट ऑफिस MIS से काफी सरल है, आप कभी भी पैसे लगा सकते हैं और कभी भी पैसे निकल सकते हैं
  • इनमे निवेश करने की कोई सीमा नहीं है आप कम से कम 5000 रुपये से शुरू कर सकते हैं और अधिक से अधिक कितना भी निवेश कर सकते हैं 

निवेश के नए माध्यमों के बारे में और जानकारी प्राप्त करें और नए ज़माने के साधनों को अपने निवेश का माध्यम बनायें.

अपने प्रश्न या सुझाव arthagyan@yahoo.co.in पर ईमेल करें.




Monday, November 21, 2016

नोटबंदी का असर आपके फिक्स्ड डिपाजिट पर



पढ़िए कैसे पड़ेगा नोटबंदी का असर आपके फिक्स्ड डिपाजिट पर और आगे क्या होगा आपके लिए रास्ता...

अगर आप फिक्स्ड डिपाजिट और स्माल सेविंग्स स्कीमों के निवेशक हैं तो नोटबंदी आपके लिए एक बुरी खबर ले कर आ रही है . संभावनायें ऐसी बन रही हैं कि अगले 6 महीने में फिक्स्ड डिपाजिट और स्माल सेविंग स्कीमों में ब्याज दर की कटौती 1%-1.5% तक हो सकती है. इसकी शुरुआत कुछ बैंकों ने कर दी है, 18 नवम्बर से नई डिपॉजिट्स पर HDFC, आईसीआईसीआई, यूनाइटेड बैंक, स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और केनरा बैंक जैसे बड़े प्राइवेट और सरकारी बैंको ने 0.25% से 1% तक ब्याज में कटौती की है.

आईसीआईसीआई और HDFC ने जहाँ 0.25% की कटौती ब्याज दरों में की है वहीँ यूनाइटेड बैंक ऑफ़ इंडिया ने शार्ट टर्म डिपाजिट पर 1% तक ब्याज दर घटा दिए हैं.

बैंकों ने ऐसा कदम नोटबंदी के बाद उनके डिपाजिट में आये उछाल के कारण उठाया है क्यूंकि बैंकों की यह मज़बूरी है कि एकाएक उनके डिपाजिट बेस बढ़ने से उनके ऊपर भी ज्यादा ब्याज देने का दबाव बनेगा जबकि ये डिपॉजिट्स अभी वो पूरी तरह से उपयोग भी नहीं कर पाएंगे.

वैसे बैंकों के लिए नोटबंदी अच्छा मुनाफा ले कर आ रही है एक तरफ उनके पास डिपाजिट अपने आप चल कर रहा है और ज्यादातर डिपाजिट सेविंग या करंट अकाउंट में ही आ रहे हैं. यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि सेविंग अकाउंट में बैंक को 3.5%-4.5%  का ब्याज ही देना पड़ता है और दूसरी तरफ करंट अकाउंट में जमा राशि पर कोई ब्याज नहीं देना पड़ता. अब अगर बैंक के पास यह पैसे सरप्लस में होते हैं तो बैंक इन सरप्लस फंड्स को RBI में रिवर्स रेपो रेट पर जमा कर सकता है. RBI ने अभी रिवर्स रेपो रेट 5.75% रखा हुआ है.

इस प्रकार से बैंक अपनी सरप्लस डिपाजिट पर 5.75% ब्याज कमायेंगे, मतलब आप से पैसे ले रहे हैं 4% पर और RBI में उन्ही पैसों पर कमायेंगे 5.75%. लेकिन इससे बैंकों के नेट इंटरेस्ट मार्जिन पर दबाव बनेगा.

अब इसका परिणाम क्या होगा जल्दी ही RBI रेपो विंडो पर सरप्लस की स्थिति देख कर अपने पालिसी रेट्स में कटौती करेगा जिसका असर आपके फिक्स्ड  डिपाजिट, स्माल सेविंग्स स्कीम और लोन सब पर पड़ेगा.

इसलिए हम सभी को आने वाले 6-12 महीनो में फिक्सड डिपाजिट और स्माल सेविंग स्कीम  पर बहुत तेजी से ब्याज दरों में आने वाली कटौती के लिए तैयार रहना चाहिए. अगर बैंकों के ऊपर उनके नेट इंटरेस्ट मार्जिन को लेकर कोई प्रभाव या दबाव आया तो उनको सेविंग्स अकाउंट के ब्याज भी घटाने पड़ सकते हैं.


तो नई परिस्थितियों में ऐसे निवेशक जो ब्याज की कमाई पर ही निर्भर रहते हैं उनको क्या करना चाहिये..

अगर बचत करने वाले, पेंशनर, ट्रेडिशनल इन्वेस्टर या पैसे की सुरक्षा को प्राथमिकता देने वाले इन्वेस्टर अपने इन्वेस्टमेंट्स को पुराने ढर्रे पर ही अपने इन्वेस्टमेंट्स चलायेंगे तब तो उनके लिए परेशानी बढ़ सकती है . जहाँ एक साल पहले उन्हें डिपॉजिट्स में 8.50% की दर से ब्याज मिलता था वहां अब अगर उन्हें 6.50% के आस पास की दर से ब्याज मिलने लगा तो उनके कैश फ्लो पर दबाव पड़ेगा और उनको अपने मूलधन से पैसे निकालने पड़ेंगे जो उनके पर्सनल फाइनेंस के लिए गलत होगा. यहाँ अगर मिलने वाली ब्याज से टैक्स घटा देंगे तो नेट ब्याज दर घट कर 5% के आस पास ही रह जायेगी, इसलिए यह अत्यंत आवश्यक है कि फिक्स्ड डिपाजिट में निवेश करने वाले लोगों को दुसरे विकल्पों की तलाश करनी चाहिए.

तो फिर क्या रास्ता है....कहीं 2006-07 की तरह ये लोग इक्विटी मार्केट के चक्कर में तो नहीं पड जायेंगे....मुझे लगता है इसकी सम्भावना सबसे ज्यादा है. सामान्यतया ऐसा देखा जाता है जब ब्याज दरें कम हो जाती है तो फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टर अपने निवेशों पर बेहतर कमाई करने के लिए शेयर बाज़ार का रुख कर लेते हैं, उनकी रिस्क लेने की क्षमता एकाएक बढ़ जाती है और फिक्स्ड डिपाजिट से वो सीधे शेयर बाज़ार में पहुँच जाते हैं. और यह ऐसा समय होता है जब शेयर बाज़ार में बहुत तेजी होती है और हर कोई शेयर बाजार में निवेश करने के बारे में बात कर रहा होता है. शेयर बाजार  हर 3 महीने में फिक्स्ड डिपाजिट के साल भर के ब्याज के बराबर चाल देने लगती है और इस समय में ये इन्वेस्टर अपने फिक्स्ड डिपाजिट में घटती ब्याज दर से परेसान होकर ज्यादा रिटर्न की लालच में सीधे शेयर बाज़ार में निवेश करने पहुँच जाते हैं.

मुझे डर है कि इस बार भी ऐसा ही ना हो...और फिर एक बार फिर ऐसे इन्वेस्टर जो इक्विटी मार्केट के उतार चढाव से होने वाले खतरे से अनजान हैं और अपनी रिस्क लेनी की क्षमता का सही आकलन नही कर पाते हुए ऐसे निर्णय ले लेते हैं जो उनके मूलधन पर भारी पड़ता है.

इसलिए मै यहाँ आपको आगाह करूंगा अगर आप ट्रेडिशनल इन्वेस्टर हैं तो आपके निवेश का रास्ता फिक्स्ड डिपाजिट से निकल कर सीधा शेयर बाज़ार की ओर नहीं जाता और अगर ऐसा आप करते हैं तो यह वैसा ही होगा की आप का पुराना ड्राइवर जो 50 की स्पीड से गाड़ी चलाता था उसके जाने पर जो नया ड्राइवर आया वो आप की गाड़ी 150 की स्पीड से गाड़ी चलाने लगे अब सोचिये उस गाड़ी और उस पर बैठे सज्जन यानी आपका का क्या हाल होगा. आपकी रिस्क लेने क्षमता फिक्स्ड डिपाजिट वाले इन्वेस्टर की है तो आप इक्विटी मार्केट के उतार चढाव को झेल नहीं पायेंगे और अपना ब्लड प्रेशर भी बढ़ायेंगे और अपने निवेश की वैल्यू भी  घटाएंगे.

इसलिए सही यही होगा आप फिक्स्ड इनकम म्यूच्यूअल फण्ड या हाइब्रिड म्यूच्यूअल फण्ड को अपना नया साथी चुनिए, इनकी रफ़्तार आपके फिक्स्ड डिपाजिट से बेहतर होगी और ये सुरक्षित भी होतें हैं.

फिक्स्ड इनकम फण्ड में निवेश के फायदे के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें-

http://arthagyanindia.blogspot.in/2016/05/fixed-deposits.html

http://arthagyanindia.blogspot.in/2016/04/liquid-funds.html


अक्सर डेब्ट या फिक्स्ड इनकम  म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करने वालों की ये शिकायत होती है कि उन्हें यहाँ से फिक्स्ड डिपाजिट की तरह रेगुअल्र कैश फ्लो नहीं मिलता इसे दयां में रख कर अब मै आपको एक तरीका बता रहा हूँ जिस को अपना कर आप सेफ्टी के साथ स्टेबल और बेहतर रिटर्न बना सकते हैं और साथ ही साथ आपका कैश फ्लो भी रेगुलर बना रहेगा.

म्यूच्यूअल फण्ड से कैश फ्लो आप दो तरह से बना सकते हैं एक तो डिविडेंड आप्शन चुन कर और दूसरा सिस्टेमेटिक विड्राल प्लान (SWP) से. डिविडेंड आप्शन में एक निश्चित राशि मिलना थोडा मुश्किल होता है लेकिन SWP के माध्यम से आप अपना कैश फ्लो में सुनिश्चित कर सकते हैं.

अपनाइए डेब्ट फण्ड में SWP और पाइए रेगुलर कैश फ्लो के साथ स्टेबल और बेहतर रिटर्न-

डेब्ट फण्ड में SWP कई मायने में बेहतर है एक तो आप स्टेबल रिटर्न बनाते हैं, दूसरा  एक निश्चित राशि आपके बैंक अकाउंट में एक निश्चित दिन आ जाती है जिस से आपका कैश फ्लो भी बना रहता है, तीसरा आप दुसरे फिक्स्ड डिपाजिट के मुकाबले बेहतर रिटर्न बना रहे होते हैं और चौथा आपके उपर टैक्स का बोझ भी कम हो जाता है.

डेब्ट फण्ड में SWP कैसे काम करता इसके बारे में अगले ब्लॉग में विस्तार से चर्चा करूंगा

आशा है आप को इस ब्लॉग से कुछ नई जानकारियां मिली होंगी, अगर आप को यह ब्लॉग पसंद आये तो अपने मित्रों, परिजनों से जरुर शेयर करें.

Friday, November 4, 2016

क्या आपके इन्वेस्टमेंट्स देते हैं आपको रियल रिटर्न ...


आप सोच रहे होंगे रियल रिटर्न क्या बला है , क्या अभी तक आप को अपने डिपाजिट में जो इंटरेस्ट मिलता था वो रियल नहीं  था !!!


समझिये कुछ ऐसा ही है...अगर आप ने आज तक रियल  रियल रिटर्न नहीं समझा है तो आप सच में अपने डिपाजिट या सेविंग में जो इंटरेस्ट या रिटर्न कमा रहे थे वो रियल नहीं था और आप रियल रिटर्न समझने के बाद आप को लग सकता है कि आप ने अपने इन्वेस्टमेंट को लेकर जो गलतियाँ की हैं उसमे सबसे बड़ी गलती रियल रियल रिटर्न को ना समझना रही है.

आइये समझते हैं रियल रिटर्न क्या है....


यदि आपकी सैलरी 1 लाख रुपये महीने की है तो आपके अकाउंट में 70 से 75 हजार ही क्रेडिट होते होंगे जानते हैं ना ऐसा क्यूँ .... ऐसा इनकम टैक्स के कारण. अब अगर आपके हाथ में 75 हजार ही सैलरी आती हो तो आप उसे 1 लाख समझ के अपना बजट नहीं बनायेंगे. कहने के लिए आपकी सैलरी 1 लाख है लेकिन आपको 70-75 हजार ही मिलती है.

जैसे कहने के लिए आपकी सैलरी 1 लाख मासिक है लेकिन हाथ में आते यह 70 हजार ही रह जाती है ऐसा अक्सर आपके इन्वेस्टमेंट के साथ भी होता है. आप को निवेश करते समय 10% ब्याज बताया लेकिन साल के अंत मे आपको 30% टैक्स देना पड़ा तो आपके हाथ में बचे केवल 7%.

तो क्या यही है आपका रियल रिटर्न ???

नहीं .... अभी आप रियल रिटर्न तक नहीं पहुचे हैं यह तो आपका आफ्टर टैक्स रिटर्न है

अब आप मान लीजिये की कुछ कारणों से आपकी सैलरी पिछले साल नहीं बढ़ी थी मतलब पिछले साल नवम्बर में जितनी सैलरी आपके अकाउंट में क्रेडिट होती थी वही इस साल भी नवम्बर महीने में क्रेडिट हुई. अब आप अगर सोच रहे हैं कि आपकी सैलरी पिछले साल के बराबर है तो यहाँ आप बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं क्यूंकि सही मायने में आपकी सैलरी पिछले साल की तुलना में घट गई. यह समझना यहाँ बहुत जरुरी है कि पिछले साल के 70 हजार रुपये की क्रय शक्ति इस साल घट गई होगी इसलिए आप सही मायने में 70 हजार रुपये नहीं पा रहे हैं.

इसी तरह अगर आपने १०० रूपये पिछली साल निवेश किये थे तो उन रुपयों की भी क्रय शक्ति महंगाई के कारण घट गई होगी. अब आज आप के १०० रुपये में उतना सामान नहीं खरीद पाओगे जितना आप एक साल पहले खरीद सकते थे.

अब हम इसको निवेश करने के उदाहरण से समझते हैं मान लीजिये आपको 1 साल बाद अपने घर के फर्नीचर बदलने हैं और आपने कुछ दुकानों पर देखा और जो फर्नीचर आप को पसंद आया वो 1 लाख रुपये का मिल रहा है आप के घर वालों को भी यही फर्नीचर पसंद आया लेकिन समस्या यह है कि आप अपने नए घर में ही उसे लगाना चाहते हैं. अभी आपके पास लगभग 1 लाख रुपये पड़े भी हैं लेकिन मजबूरी ऐसी कि आप कुछ कर नहीं सकते. इसलिए आपने निर्णय लिया कि यह पैसा 1 साल के लिए कहीं डिपाजिट कर देते हैं जिससे यह खर्च भी ना हो और 1 साल में कुछ इंटरेस्ट भी मिल जायेगा, फर्नीचर भी आ जायेगा एक साल बाद और कुछ पैसे भी बन जायेंगे. आप अगले दिन बैंक गए और 10% की ब्याज दर पर 1 साल के लिए आपने 1 लाख रूपये डिपाजिट कर दिए.

एक साल बाद आप बैंक गए आप ने देखा कि आपको डिपाजिट 1 लाख से बढ़ कर एक लाख 10 हजार रुपये हो गए है. आपको यह देख कर बहुत ख़ुशी हुई . लेकिन थोड़ी ही देर में आपके बैंकर ने यह बताया कि सर आप 30% टैक्स स्लैब में आते हैं तो आप को लगभग 3000 रुपये टैक्स देना पड़ेगा क्यूंकि ब्याज या इंटरेस्ट आप की इनकम में जुड़ जाती है और आपको उसी दर से टैक्स देना पड़ता है जिस स्लैब में आप होते हो.

यह सुन कर आपकी ख़ुशी थोड़ी कम हो जाती है लेकिन फिर भी आप को लगता है कि आप यह सोच के खुश रहते हो कि चलो 1 लाख रुपये का फर्नीचर लूँगा 7 हज़ार की बचत हो जायेगी यही सोचते हुए आप  फर्नीचर वाली दुकान पे पहुचें लेकिन ये क्या उसी फर्नीचर का रेट 1 लाख 15 हजार रुपये.... यह देख कर आप को बहुत गुस्सा आई आपने दुकान वाले से बोला कि 1 साल पहले यह फर्नीचर 1 लाख में था इतना रेट कैसे बढ़ गया. दुकान वाले ने लकड़ी, लेबर चार्ज और कई चीजें गिना कर 15 हजार रुपये बढ़ने की कहानी समझा दी आखिर में आपको वो फर्नीचर 1 लाख 15 हजार रुपये में मिला.

अब आप इस कहानी से समझिये रियल रिटर्न या रियल इंटरेस्ट के मायने...

रियल रिटर्न = ग्रॉस रिटर्न - टैक्स - महंगाई 

Real Return = Gross Return - Tax - Inflation

ऊपर दिए हुए उदारहण में

आपका ग्रॉस रिटर्न है- 10%
टैक्स आपने दिया - 3%
फर्नीचर महंगा हो गया - 15%
रियल रिटर्न = 10% - 3% - 15%
                    = -7%

अब बताइए इसे आप अच्छा निवेश मानेंगे.... नहीं ना..

हमेशा इन्वेस्टमेंट करते हुए रियल रिटर्न के ऊपर जरुर ध्यान देना चाहिए.

इन्वेस्टमेंट या निवेश का अर्थ ही यही होता है जब आप अपने धन का निवेश ऐसी जगह करें, भविष्य में आपके धन की क्रय शक्ति  आज की तुलना में अधिक हो तो उसे निवेश या इन्वेस्टमेंट माना जाता है. 

लेकिन अधिकांश लोग निवेश का सही अर्थ नहीं समझते और जीवन भर इस छलावे में रहते हैं कि उन्होंने  अपने इन्वेस्टमेंट पर अच्छे पैसे बनायें लेकिन वास्तव में वो तो अपनी सम्पतियों को घटा रहे होते हैं.

टैक्स और इन्फ्लेशन को समायोजित करने के बाद जो रिटर्न बचता है उसे  हम रियल रिटर्न कहते हैं.


क्या करना चाहिए निवेश करने से पहले-

जब भी निवेश करिये ऊपर दिए हुए रियल रिटर्न के फार्मुले को याद रखिये.


इस फार्मुले में आपको तीन चीजें मिल रही हैं ग्रॉस रिटर्न, टैक्स और इन्फ्लेशन .  हमारा कंट्रोल महंगाई या इन्फ्लेशन पर नहीं है यदि हम ग्रॉस रिटर्न बढ़ा सकें और टैक्स घटा सकें तो हम पॉजिटिव रियल रिटर्न बना सकते हैं.

ऊपर दिए गए उदाहरण में अगर आप ने ग्रॉस रिटर्न 20% बनाया होता और आपको टैक्स भी ना देना पड़ा होता तो आप 5% का रियल रिटर्न बनाते और आपके हाथ में 5000 रुपये बचते.

अगर आपके निवेश पॉजिटिव रियल रिटर्न नहीं बना रहे तो फिर आप सही जगह निवेश नहीं कर रहे हैं और आप केवल पैसे इकट्ठा कर रहे हैं उसे सही मायने में बढ़ा नहीं पा रहे और एक इन्वेस्टर के रूप में आप असफल हैं.

कहाँ करें निवेश-

इक्विटी और रियल एस्टेट को छोड़ कर कुछ ही विकल्प बचते हैं जिनमे आप रियल रिटर्न बनाते हैं

लेकिन इन दोनों के साथ समस्या है यह साल दर साल एक दर से बढ़ते नहीं हैं. इनकी वैल्यू घटती बढती रहती है. यहाँ से आप लम्बे समय में 5-10% का रियल रिटर्न बना सकते हैं.इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड एक अच्छे विकल्प हो सकते हैं.

लम्बे समय में इसके अलावा PPF और सुकन्या समृद्धि जैसी सरकारी योजनायें कुछ हद तक 1-2 % का पॉजिटिव रियल रिटर्न बनाने में आपकी मदद कर सकती है, लेकिन इनके साथ तमाम बाध्यताएं हैं.

टैक्स फ्री बांड्स में भी मौके मिलते हैं जहाँ पर आप 1-2% का रियल रिटर्न बना सकते हैं.

लेकिन यह सारे विकल्प आपको 5 साल से ज्यादा समय के लिए ही निवेश करना होगा.

3-5 साल के लिए के लिए आप एसेट एलोकेशन म्यूच्यूअल फण्ड या डेब्ट फंड्स चुन सकते हैं . इन विकल्पों से आप 2-5% का रियल रिटर्न बना सकते हैं.

3 साल से कम समय के निवेशों में टैक्स की छूट अब केवल इक्विटी आर्बिट्राज फंड्स में ही मिलती है यहाँ से आप 0.5%-1.5% का रियल रिटर्न बना सकते हैं लेकिन इनमे निवेश 3 महीने से ज्यादा समय के लिए करना ही उपयुक्त होगा.
http://arthagyanindia.blogspot.in/2016/05/fixed-deposits.html

http://arthagyanindia.blogspot.in/2016_04_01_archive.html


आप अपने निवेश सम्बन्धी प्रश्न arthagyan@yahoo.co.in पर भेज सकते हैं.

Tuesday, October 11, 2016

इस दशहरे पर करें अपनी १० बुरी फाइनेंसियल आदतों का दहन




दशहरा या विजय दशमी हमारे देश का एक प्रमुख त्यौहार है और इस दिन को सत्य की असत्य पर, न्याय की अन्याय पर, धर्म की अधर्म पर, सदाचार की दुराचार पर और नैतिकता की अनैतिकता की विजय की तरह हम याद करते हैं. इस दिन पुरे देश में लोग बुराई के प्रतीक रावण का दहन करते हैं और इस विजय का उल्लास मनाते हैं. यह त्यौहार एक प्रतीक है अपनी बुराइयों पर विजय प्राप्त करने की और असली मायने में यह त्यौहार हमारे लिए तभी मायने रखेगा जब हम अपनी कुछ बुराइयों को रावण के दहन के साथ ख़त्म कर दे.

आइये विजय दशमी के पर्व पर हम भी अपनी कुछ बुरी फाइनेंसियल आदतों का दहन करते हैं, इन बुरी आदतों का जिनका कुप्रभाव हम पर और हमारे परिवार पर पड़ता है, इनसे मुक्ति पा कर हम सच में रावण दहन करेंगे और अपने घर में फाइनेंसियल फ्रीडम की दिवाली मनाएंगे.


1) घर का बजट ना बनाना - घर का बजट ना बनाना बहुत छोटी सी बात है लेकिन हम सभी इस छोटी सी बात को नजर अंदाज करते हैं और पूरी जिन्दगी छोटी चीजों के लिए compromise करते हैं. अगर बजट बना कर हम खर्च करें, निवेश करें और उसको फॉलो करें तो हम फाइनेंसियल फ्रीडम की ओर अपना पहला कदम बढ़ायेंगे.

http://arthagyanindia.blogspot.in/2016_08_01_archive.html

2) निवेश के फैसले को टालना- अक्सर निवेश के फैसलों को हम टालते हैं इन्तेजार करते हैं सही समय का या अधिक पैसे कमाने या इकट्ठा होने का लेकिन यह टालने की बीमारी हमारे ऊपर कितनी भारी पड सकती है इसका अंदाजा हम नहीं लगा पाते. निवेश जितनी जल्दी हम शुरू करें उतना ही उसका लाभ हमें मिलता है.

उदाहरण के लिए एक 25 साल का युवा अपने नौकरी लगने के पहले माह से अगर 5000 रुपये प्रति माह ऐसी जगह निवेश करता है जहाँ से उसे 13% का रिटर्न मिले तो 60 वर्ष की उम्र में उसके पास 4.2 करोड़ रुपये इकट्ठा हो जायेंगे लेकिन अगर उसने 2 वर्ष बिताने के बाद निवेश करना शुरू किया तो 60 वर्ष की उम्र में उसके पास सिर्फ 3.2 करोड़ ही होंगे मतलब 2 वर्ष तक आपने निवेश के निर्णय को टाला तो उसका नुकसान आपको बहुत भारी पड़ता है. और हमारी सबसे बुरी आदत निवेश के निर्णय को टालने की होती है. इसलिए जितनी जल्दी हो सके निवेश सही जगह निवेश करना शुरू करिये. इस से पहले कि बहुत देर हो जाये.


3) बीमा और निवेश को अलग अलग ना रखना- बीमा या इंश्योरेंस का सही मायने तभी पूरा होता है जब हम अपने लिए  टर्म प्लान खरीदते हैं लेकिन फाइनेंसियल जानकारी के अभाव में या 4-5% के फिक्स्ड रिटर्न की लालच में हम बीमा को निवेश के साथ मिक्स कर देते हैं और हमारे इस निर्णय का दुष्परिणाम यह होता है कि ना तो हमारा परिवार फाइनेंसियली सुरक्षित होता है और ना तो हमारा निवेश हमारे लिए महंगाई की दर से ज्यादा हमारे लिए पैसे बना पाता है और 15-20 साल के इस समय में हम केवल अपने इस निर्णय को लेके पछतावा ही कर पाते हैं.

http://arthagyanindia.blogspot.in/2016/03/blog-post.html

इसलिए समझदारी यही होगी की बीमा के लिए टर्म प्लान लीजिए और निवेश के लिए म्यूच्यूअल फण्ड, फिक्स्ड रिटर्न स्कीम , रियल एस्टेट और इक्विटी का मिक्स पोर्टफोलियो बनायें.


4) बिना प्लानिंग के निवेश करना- एक बुरी फाइनेंसियल आदत हमारी यह भी है कि हम बिना प्लानिंग के निवेश करते हैं. निवेश करने से पहले हमे अपने निवेश करने के लक्ष्य पता होने चाहिए, निवेश के लक्ष्य जैसे रिटायरमेंट फण्ड, घर खरीदना, बच्चों की पढाई या शादी, अपनी ड्रीम कार या वेकेशन प्लान या पाने स्टार्ट-अप आईडिया के लिए फण्ड बनाना.
आप सोचिये घर से आपको कहनी घुमने भी निकलना होता है तो हम कितनी तैयारी और प्लानिंग करते हैं लेकिन अपने निवेश हम सोच समझ के बिना एक्सपर्ट के सलाह के और लक्ष्यों को बिना निर्धरित किये करते हैं, ऐसे आपके निवेश आपको अपेक्षित परिणाम कैसे दे सकते हैं . इसलिए जब भी निवेश करें तो कुछ प्रश्न अपने आप से जरुर पूछे, मै यह निवेश क्यूँ कर रहा हूँ, कितने समय के लिए कर रहा हूँ और कहाँ कर रहा हूँ, इस निवेश से मेरे लक्ष्यों की प्राप्ति हो सकेगी या नहीं?

http://arthagyanindia.blogspot.in/2016/03/2-4.html

5) टैक्स छूट के लिए आखिरी समय का इन्तेजार करना- अक्सर हम लोग टैक्स छुट के लिये फरवरी-मार्च का इन्तेजार करते हैं और आखिरी मौके पर जल्द बाजी में गलत फाइनेंसियल प्रोडक्ट में निवेश कर देते हैं .
कभी हमे सिर्फ टैक्स छूट के लिए ही निवेश नही करना चाहिए बल्कि टैक्स छूट को एक और लाभ समझ कर उस फाइनेंसियल प्रोडक्ट के अन्य लाभ हानि को देख कर निर्णय लेना चाहिए. टैक्स प्लानिंग का सबसे अच्छा समय अप्रैल-मई होता है लेकिन हम अक्सर उसे  फरवरी-मार्च में जा करते हैं.

http://arthagyanindia.blogspot.in/2016/03/wealth-creation.html

अगर अब तक हमने इस साल की टैक्स प्लानिंग नहीं की है तो अक्टूबर माह में इसे करते हैं जिस से अगले वर्ष हम अप्रैल महीने से ही टैक्स प्लानिंग कर सकें.

6) अपने निवेश से भावनात्मक जुडाव रखना- कई बार ऐसा होता है कि निवेश करने ,ना करने या उस निवेश से निकलने के निर्णय में भावनाएं हमारे ऊपर हावी हो जाती हैं. अच्छा निवेशक वही होता है जो इन भावनाओं के जाल में नहीं फंसता और निवेश करने का निर्णय या उस निवेश से निकलने का निर्णय वो अपने फाइनेंसियल लक्ष्य को ध्यान में रख कर लेता है.
अगर आप इस आदत के शिकार हैं तो आप को यह समझना चाहिए कि आपके लिए आपके निवेश लक्ष्य प्राप्त करना ज्यादा जरुरी है किसी निवेश से भावनात्मक जुडाव आपके लक्ष्यों की प्राप्ति में बाधक होंगे.

7) निवेश की बार-बार समीक्षा करना- जब हमारे निवेश में मार्केट लिंक्ड प्रोडक्ट होते हैं तो एक बुरी आदत हमारी उसकी वैल्यू  को हर रोज सुबह शाम चेक करने की पड जाती है और ग्रीड एंड फियर के जाल में हम अपने निवेश के लक्ष्यों को भूल कर मार्केट के उतार चढाव को फॉलो करने लगते हैं, जिसका परिणाम यह होता है कि हम उस निवेश के जो बड़े लाभ हैं उस से वंचित रह जाते हैं और अपने निवेश के लक्ष्य के पूरा होने से पहले ही वहां से निकल जाते हैं.
ज्यादा अच्छा यह होगा कि हम एक निश्चित अंतराल पर अपने फाइनेंसियल एडवाइजर के साथ बैठ कर अपने निवेश की समीक्षा करें.

8) अपने फाइनेंसियल लक्ष्यों के हिसाब से अपने निवेश के साधनों का चुनाव ना करना- जब हम लम्बी दूरी की यात्रा करते हैं तो ट्रेन, कार या हवाई साधनों का प्रयोग करते हैं और नजदीक दूरियां हम पैदल, साइकिल या बाइक से तय करते हैं लेकिन निवेश के मामले में कुछ उल्टा होता है. अक्सर रिटायरमेंट के लिए हम PPF, EPF, ट्रेडिशनल बीमा में निवेश करते हैं जो की फिक्स्ड और लो रिटर्न देने वाले लम्बे समय के लॉक-इन वाले फाइनेंसियल प्रोडक्ट हैं और इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश कर के रोज-रोज वैल्यू चेक करने लगते हैं. जब की करना हमे इसके एकदम विपरीत चाहिए.

हमें फिक्स्ड रिटर्न वाले प्रोडक्ट जैसे डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड, फिक्स्ड डिपाजिट में  निवेश 3 साल के अन्दर आने वाली फाइनेंसियल लक्ष्यों को पूरा करने के लिए करना चाहिए, 5 साल के लिए हाइब्रिड (इक्विटी और फिक्स्ड रिटर्न के मिक्स) प्रोडक्ट में और 7 साल से ऊपर के लिए इक्विटी या रियल एस्टेट में निवेश करना चाहिए.

9) नये विकल्पों में हमेशा निवेश करना- कुछ लोगों की आदत होती है जो निवेश करने का मतलब कपडा खरीदना समझने लगते हैं, उनको हर बार कुछ नया खरीदना रहता है उनके पास 40 म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम होती हैं जो की उन्होंने ने NFO ख़रीदा होगा या 15 बीमा पालिसी होंगी जो वो हर साल नया खरीद लेते हैं या 50 कम्पनियों के शेयर्स होंगे या 15 बैंक में बैंक अकाउंट या फिक्स्ड डिपाजिट होंगी. आप सोचिये अगर आपका पोर्टफोलियो कुछ ऐसा दिखता होगा तो आप कैसे इसके मैनेज कर सकते हैं.

इसलिए अच्छा यह है अपने पोर्टफोलियो को उचित संतुलन और डायवर्सिफिकेशन दें, हर बार नया प्लान खरीदने से अच्छा है अच्छे और संतुलित पोर्टफोलियो में निवेश करें.

10) कर्ज की प्लानिंग ना करना- आज कल का समय क्रेडिट कार्ड और ओवर ड्राफ्ट का है अगर आप इस फिलोसफी में विश्वास रखते हैं तो आपके अपने बैलेंस शीट की हालत बहुत ख़राब होगी. आपका ज्यादा से ज्यादा समय और पैसे अपने क्रेडिट कार्ड और OD के इंटरेस्ट और देय डेट को मैनेज करने में ही चले जाते हैं. अगर आप क्रेडिट कार्ड का प्रयोग अत्यधिक करते हैं और वो कई बार आउट ऑफ़ कंट्रोल हो जा रहे हैं तो आप वर्तमान में आपके द्वारा बुने गए कर्ज के जाल में फंस के  ही रह जायेंगे और आपकी भविष्य की फाइनेंसियल जरूरतें किसी चमत्कार से ही पूरी हो पायेंगी और ऐसे चमत्कार केवल फिल्मो में होते हैं असली जिन्दगी में नहीं.

इसलिए अपने कर्ज की प्लानिंग करना हमारे लिए बहुत  जरुरी है. अपनी क्रेडिट लिमिट का सही से इस्तेमाल करिए, इतना क्रेडिट कार्ड का प्रयोग मत करिए की बिल देने के समय आपको अपने पुराने इन्वेस्टमेंट निकालने पड़ें या कहीं और से उधार लेकर काम चलाना पड़े. कर्ज का चक्र बहुत खतरनाक होता है इस से जितनी जल्दी निकल सकें निकलिये.

आशा है आपको मेरा यह ब्लॉग पसंद आया होगा और आप इसका फायदा जरुर उठाएंगे, आइये अपनी १० बुरी फाइनेंसियल आदतों का दहन करने का संकल्प हम आज लें और वर्तमान और अपने भविष्य को और खुश हाल बनायें.

अगर आप को मेरे ब्लॉग पसंद आयें तो अपने मित्रों और परिवार के सदस्यों से जरुर शेयर करें और मेरे इस मिशन में मेरा सहयोग करें.

Friday, September 23, 2016

कैसे बनाये घर का बजट...


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बजट बनाने का अर्थ खर्चे का हिसाब लगाने से कहीं बढ़ कर है. बजट बना कर आप अपनी कमाई, विभिन्न मदों में होने वाले खर्चे और उसके बाद होने वाली बचत का सही अनुमान लगा पाते हैं इसके साथ ही  सही समय पर बिलों का भुगतान करना, कर्जों का निपटारा, अपनी लाइफ स्टाइल का सही आंकलन, बचत और निवेश कर के अपने लक्ष्यों का हासिल करना यह सब चीजें सही ढंग से तभी हो सकती हैं जब आप बजटिंग करते हैं.

अगर बजट बना कर आप अपने खर्चे 10% भी कंट्रोल कर लेते हो तो यह भविष्य में एक बड़ा अमाउंट साबित हो सकता है.

मान लीजिए आपके घर का खर्च अभी 50,000 रुपये महीने का है अगर आप बजटिंग करके 10% सेविंग कर लेते हैं या सेविंग बढ़ा लेते हैं तो एक साल में आप 60,000 रुपये बचा कर अपना फैमिली वेकेशन प्लान कर सकते हैं 2-3 साल की बचत से आप फॉरेन टूर भी प्लान कर सकते हैं. और अगर आप लम्बे समय तक इसी तरह सेविंग करके प्रत्येक महीने ऐसी जगह इन्वेस्ट करते रहे जहाँ से 12-16% का ग्रोथ आ जाये तो तो 20 साल में 75 लाख से 1 करोड़ रुपये तक इकठ्ठा कर सकते हैं.



हम सभी लोग बजटिंग करते हैं लेकिन वह ज्यादातर मौखिक होती है बेहतर यह होगा की बजटिंग के लिए आप अपने कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल या डायरी का प्रयोग करें.

सबसे पहले आप कहाँ हैं वो जानना जरुरी है, मतलब अभी आप के पैसे कहाँ जा रहे हैं यह अगर जान लें तो अच्छा होगा इसके लिए हम एक आउट  फ्लो स्टेटमेंट तैयार करें जिसमे हम अपने अभी के खर्चे को नोट करते जायें .

नीचे दिया गया  कैश फ्लो चार्ट भी एक अच्छा आप्शन आपके लिए हो सकता है

Living Expenses
House Rent/EMI
Auto Mobile (Oil, EMI, Driver & Other Exp)
Daily Living (Food, Clothing, Made etc)
Education (School, Tution, Transportation)
Entertainment & Recreation
Medical
Cigrate,Alcohal, Tobaco
Other Transportation
Phone, Cable and Internet
Utilities (Electicity, Gas, Water)
Miscellaneous
Total Living Expenses
Other Yearly Exp
Term Insurance Premium (Divide by 12)
Health Insurance (Divide by 12)
House Tax, Watre Tax (Divide by 12)
Car & House Insurance Premium  (Divide by 12)
Vacation, club memership and Travel  (Divide by 12)
Miscellaneous
Total Other Yearly Exp
     
Total Outflows

एक बार यह स्टेटमेंट बन गया तो आपको पता चल जायेगा कि आपके पैसे कहाँ जा रहे हैं, किस मद में आप अधिक खर्च कर रहे हैं और कहाँ आप को समझौता करना पड रहा है.

एक बार आपने अपने खर्चों को व्यवस्थित कर लिया तो जिन्दगी बहुत आसान हो जायेगी. आउट फ्लो चार्ट से आपको पता चल जायेगा कि आपके पैसे कहाँ जा रहे हैं अब अगला कदम होना चाहिए कि आप उनको कैसे खर्च करना चाहते हैं, जैसे चल रहा है वह सही है या कुछ गुंजाइश है , क्या कुछ गैर जरुरी खर्चे आपके जरुरी खर्चों पर भारी पड रहे हैं, क्या आप उसमे परिवर्तन करके अपने घर का बजट सुधार सकते हैं.

योजना बनाने से शुरू करें-

सबसे पहले आपको जरूरतों और चाहतों की लिस्ट बनानी चाहिए . अक्सर लोग इन दोनों शब्दों को एक ही मतलब समझते हैं, इसलिए यह समझना जरुरी है की जरूरत और चाहत में फर्क क्या है. रोटी, कपडा, घर और स्वास्थ सेवा  हमारी जरूरतें हैं. कपडे हमारी जरुरत है लेकिन  डिज़ाइनर कपडा चाहत , भोजन करना  हमारी जरुरत है खाने में पिज़्ज़ा हट का पिज़्ज़ा जैसी चीजें हमारी चाहत.
तो पहला काम है आपको अपनी जरुरत और चाहतों की लिस्ट बनानी है और इस काम में परिवार के सभी सदस्यों को शामिल करें.

उपयुक्त फ़ॉर्मेट का प्रयोग करें-

बजट के तमाम फॉर्मेट आपको इन्टरनेट पर मिल जायेंगे आपको जो फ़ॉर्मेट समझ में आये उसे डाउनलोड कर लें. अथवा अपनी डायरी में ही एक फॉर्मेट तैयार कर लें

सिर्फ कागजों में बजट बना लेना ही काफी नहीं होगा उसको असली जिन्दगी में कितना लागू कर पाते हैं बदलाव उस से आएगा.

बजट ऐसे कंट्रोल में ला सकते हैं

मॉल की जगह थोक दुकान से घर का जरुरी सामान लें

बाजार जाने से पहले सामान की लिस्ट जरुर बना लें और कोशिश करें वहीँ सामान ले जो आपकी लिस्ट में है

100 रुपये में 1 और 190 रुपये में 2 इस तरह की मार्केटिंग गिम्मिक्स से बचें जितना जरुरी है उतना ही खरीदें. जरुरत 1 की थी लेकिन डिस्काउंट की लालच में आपने 2 ले लिए इस से खर्चे घटते नहीं बढ़ जाते हैं


अगर आप हर हफ्ते मूवी देखने या रेस्तरां में खाने जाते हैं तो आप अपनी वेल्थ के साथ हेल्थ को भी ख़राब कर रहे हैं
पढ़िए १ हजार रुपये आपके लिए क्या कर सकते हैं.
http://arthagyanindia.blogspot.in/2016/07/1000.html

घर से 200-300 मीटर की दूरी पर अगर जाना है तो पैदल जाएँ इस से आप का टाइम और पैसे दोनों बचेंगे, अगर 2-3 किलोमीटर की दूरी हो तो बाइक और उससे ज्यादा हो तभी कार का उपयोग करें.

आकस्मिक खर्चे आपके बजट को बिगाड़ सकते हैं

आकस्मिक खर्चे जैसे घर में किसी सदस्य का बीमार होना, गाड़ी ख़राब होनी, एक्सीडेंट होना या घर की मरम्मत , आकस्मिक यात्रा इन सबके लिए भी बजट में प्रावधान रखें जिस से आपका महीने का बजट ना गड़बड़ हो.

याद रखें एक अच्छा बजट आपको ना केवल आपके पैसों में आपका नियन्त्रण देता हैं बल्कि इसके माध्यम से आप अपने खर्चों को तर्कसंगत बनाते हैं और चिंताओं को बढ़ाने के बजाये जिन्दगी मजे से गुजारते हैं. और सबसे जरुरी बात यह आपको आर्थिक चिंताओं से लड़ने की शक्ति देता है.


अगर आपको मेरे ब्लॉग पसंद आयें तो अपने मित्रो, प्रियजनों एवं परिवार के सदस्यों से शेयर करें और उनको भी अपने पर्सनल फाइनेंस सुधारने के लिए प्रेरित करें.
धन्यवाद !!!



Thursday, August 11, 2016

क्यूँ बनायें घर का बजट ...



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मेरे पास पैसे की कोई कमी नहीं है मेरे लिए इसका कोई मतलब नहीं , मै बजट बना के क्या करूँगा...

मेरी इतनी कमाई ही नहीं कि घर का खर्च चले बजट बना के क्या होगा....

जितना कमाते हैं उतने में घर चला लेते हैं अब घर का बजट बना कर क्या करना...

यह जवाब लोगों से सुनने को मिलता है जब उनसे यह पूछा जाता है कि "क्या आप घर का बजट बनाते हैं"

हम अक्सर बजट बनाने का आधार अपनी आमदनी को मान लेते हैं...और गौर करने वाली बात यह है  जिसकी आमदनी अधिक है उसका भी वही जवाब होता  है  जो निम्न आमदनी या मध्यम आमदनी वाले का होता है ...

सबके जवाब का मतलब एक ही क्यूँ है ....उसके लिए बजट बनाना जरुरी नहीं है

ऐसा इसलिए है कि हम सभी लोग अपने पर्सनल फाइनेंस को ले कर इग्नोरेंट हैं . हमारी आमदनी से बजट बनाने और बजट ना बनाने का कोई सम्बन्ध नहीं है. यह हमारी पर्सनल फाइनेंस को ले कर हमारी समझ और गंभीरता पर ज्यादा निर्भर करती है कि हम अपने घर का बजट बनाये या नहीं

हो सकता है आपको अभी भी मेरी बजट बनाने से सम्बंधित बातें गैर जरुरी लग रही होंगी.

लेकिन बजट बनाना हमारे लिए उतना ही जरुरी है जितना किसी देश के लिए और जितना ही किसी कंपनी या बिज़नस के लिए. यहाँ पर यह फर्क नहीं पड़ता कि वह देश स्वीटजरलैंड है, भारत है या नेपाल  है, वह रिलायंस जैसी बड़ी कंपनी है या अमूल डेरी जैसी कोआपरेटिव संस्था हो या हमारे आप के शहर का कोई लोकल बिज़नस हो. बजट सभी देश बनाते हैं वो चाहें छोटे हों या बड़े, विकसित हों या विकासशील, छोटा बिज़नस हो या बड़ा बिज़नस. जैसे किसी देश की अर्थव्यवस्था चलने के लिए बजट बनाना जरुरी है, मतलब यह जानना जरुरी है की पैसे कहाँ से आ रहे हैं और समय-समय पर प्राथमिकताओं के आधार पर कहाँ खर्च होंगे. 

उसी तरह से बजट बनाना हमारे परिवार के और हमारे घर के लिए भी जरुरी है. यह हमारी आपकी इनकम पर नहीं , हमारी पर्सनल फाइनेंस को लेकर गंभीरता और समझ पर ज्यादा निर्भर करता है.

बजट बनाने का मतलब खर्चे कम करना नहीं है बल्कि  बजट बनाने का मतलब है अच्छे से खर्च करना, समझदारी से खर्च करना, सही जगह खर्च करना और अपनी लाइफ स्टाइल एन्जॉय करना.

बजट बनाने के फायदे -

आइये पहले यह जानते हैं कि बजट बनाने के फायदे क्या हैं 

1- बजट बनाने से आप पैसों को अपने कंट्रोल में रखते हैं अगर आप बजट नहीं बनाते तो पैसे आपको कंट्रोल में रखते हैं.
2- महीने की आखिरी समय में पैसों को लेकर जो स्ट्रेस आपको होता है बजट बना लेने से आपको वो झेलना नहीं पड़ता.
3- बजट बनाए से आपको खर्चों की प्राथमिकताओं का ज्ञान होता है और आपको गैर जरुरी खर्च का अहसास दिलाता है
4- जब आप बजट बनाते हैं तब वास्तव में आपको पता चलता है कि आपके पैसे कहाँ जा रहे हैं
5- बजट बना कर आप अपनी वो ख्वाइशें भी पूरी कर सकते हैं जो अपनी  जिम्मेदारियों के नाते आप ने ना चाहते हुए त्याग दी हैं. जैसे हो सकता है आपको अपने परिवार के साथ बाहर घुमने का शौक हो लेकिन रोज के खर्चे आप को ऐसा करने से रोकते हैं लेकिन आप बजटिंग करके फैमिली वेकेशन प्लान कर सकते हैं
6- बजट आप को पैसे के खर्च और कमाई को लेकर ज्यादा जागरूक बनाता है और आप को अपने परिवार की आर्थिक स्थिति की सही जानकारी होती है
7- बजट बना कर आप अपने परिवार का ज्यादा ध्यान रख सकते हैं, जब आप बजट नहीं बनाते तो गैर जरुरी चीजों पर इतना खर्च कर देते हो कि कई बार आपको जरुरी खर्चों के लिए स्ट्रेस लेना पड जाता है
8-  आप फाइनेंसियल इमरजेंसी के लिए ज्यादा अच्छे तरह से तैयार रहते हैं
9- बजट बना कर आप यह निश्चित कर सकते हैं की आप का पैसा आपके लिए कैसे काम करे क्यूंकि अब वह आपके कंट्रोल में है
10- आप अपनी सेविंग, इन्वेस्टमेंट और खर्चे आसानी से समझ सकते हैं
11- भविष्य में आने वाली पैसे की जरूरतों को समय से पहचान लेना आसान हो जाता है और आप उसके लिए समय से प्लानिंग कर लेते हैं
12- जब आप परिवार के सदस्यों के साथ घर के बजट बनाते हैं और उसका पालन करते हैं तो आप के परिवार के सदस्यों को पैसे के सही उपयोग की प्रेरणा मिलती है
13- बजट बना कर उसका पालन करने वाले परिवार की बचत करने की क्षमता बढ़ जाती है और उनकी लाइफ ज्यादा सुव्यवस्थित होती है
14- बजटिंग करने से आपको अपने फाइनेंसियल गोल्स प्राप्त करने में आसानी होती है
15- आप किसी की आर्थिक सहायता करने में भी सक्षम रहते हैं क्यूंकि तब आप को अपनी आर्थिक स्थिति का सही अंदाजा होता है

अकसर लोग बजट बनाने को लेकर इसलिए सशंकित रहते हैं कि इसमें समय बहुत ज्यादा लगता है और इससे आपको अपनी लाइफ स्टाइल से समझौता करना पड़ता है, लेकिन यह सच नहीं है, बजट बनाने और उसे फॉलो करने में आपको समय उस से भी कम जाता है जितना आप वीकेंड पर किसी  कॉमेडी शो को देते हैं और जहाँ तक बात लाइफ स्टाइल से समझौता करने की तो बजटिंग कर के ना केवल आप अपनी वर्तमान की लाइफ स्टाइल अच्छे से मैनेज कर लेते हैं बल्कि भविष्य में भी आप उस से बेहतर लाइफ स्टाइल जीने के लिए सक्षम बनते हैं.

इसलिए घर का बजट जरुर बनायें और उसे फॉलो करें.

मेरे अगले पोस्ट को जरुर पढ़ें ....कैसे बनायें घर का सही बजट...


Saturday, July 30, 2016

बचत... निवेश.... बढ़त....


अगर आप निवेश के बारे में सीखना चाहते हैं तो आप को अपना 23 मिनट इस वीडियो को जरुर देना चाहिये.. बचत...निवेश...बढ़त नाम की यह फिल्म मनोरंजन के साथ एक अच्छा सन्देश भी देती है.


Source: IDFC Mutual Fund & Youtube

Friday, July 22, 2016

1000 रुपये आपके लिए क्या कर सकते हैं ?


















इस ब्लॉग में दिए गए फंड्स की केवल परफॉरमेंस देख कर निवेश ना करें. इस ब्लॉग का उद्देश्य इनमे से किसी भी फण्ड की मार्केटिंग करना नहीं. इस ब्लॉग का उद्देश्य SIP के बारे में लोगों में जानकारी बढ़ाना है.

अगर आपको यह ब्लॉग अच्छा लगे तो अपने मित्रों, सहयोगियों और परिवार के सदस्यों में जरुर शेयर करें.
आपके सहयोग के लिए धन्यवाद !! 

Thursday, July 21, 2016

कैसे बनेंगे आप फाइनेंसियली फिट


सोर्स: http://www.freedigitalphotos.net/

आज कल लोगों के पास समय का अभाव है इसलिए हर आदमी चाहता है की उसे कुछ मंत्र या सूत्र पता हो जिस से वह कम समय में सही ढंग से हर काम पूरा कर सके . जैसे हर आदमी चाहता है की स्वस्थ रहने के लिए उसे कुछ योगा या एक्सरसाइज करने के तरीके पता हों, साथ ही साथ खाने पीने का ध्यान रखने के लिए सिंपल डाइट चार्ट हो जिसमे उसको कम समय देना पड़े लेकिन उसके परिणाम स्वास्थ के लिए अच्छे हों. उसी तरह से हर आदमी चाहता है की वो फाइनेंसियली फिट हो और उसके लिए भी उसे कुछ मंत्र पता हों.

फाइनेंसियली फिटनेस टेस्ट- http://arthagyanindia.blogspot.in/2016/05/blog-post_39.html

 इस ब्लॉग के माध्यम से  फाइनेंसियली फिट रहने के मंत्र या स्टेप्स बताये जा रहे हैं. ये वो 22 सूत्र हैं जिसको आप आसानी से अपने जीवन में उतार कर अपना अपने परिवार का भविष्य  सुरक्षित और समृद्धशाली बना सकते हैं .




1- एक इमरजेंसी फण्ड बनाइये जो आपके 6 महीने के खर्चे के बराबर हो. इमरजेंसी फण्ड ऐसी जगह रखिये जहाँ से आप जब चाहें आसानी से निकल सकते हैं (सेविंग्स अकाउंट या लिक्विड फण्ड उपयुक्त होंगे).


2- इंश्योरेंस - आपको अपनी सालाना कमाई का 8-10 गुने का रिस्क कवर (Term Plan) लेना चाहिए और ध्यान रखिये  इंश्योरेंस का मतलब Term Plan. साथ में ही आपको अपने परिवार के लिए मेडिकल इंश्योरेंस भी लेना चाहिए.


3- क्रेडिट कार्ड का उपयोग कम से कम करिए और रिवॉल्विंग क्रेडिट का उपयोग तो कभी ना करिए.


4- केवल 2 बैंक अकाउंट और अगर जरुरत तो हो तो 1 क्रेडिट कार्ड रखिये. याद रखिये जितने कम अकाउंट उतनी कम झंझंट.


5- अपने कैरिएर की शुरुआत में ही बचत करना और निवेश करना शुरू कीजिये, अगर आपको फाइनेंसियल मार्केट की समझ नहीं तो बैंक में ही RD करिए लेकिन बचत जरुर करिए.


6- कभी भी ULIP, मनी बैक पालिसी, Endowment प्लान ,पेंशन प्लान, चिल्ड्रेन प्लान जैसे बुरे फाइनेंसियल प्रोडक्ट्स में निवेश मत करिए.


7- घर खरीदने और बिज़नस के अलावा किसी भी चीज के लिए बैंक से लोन मत लीजिये.


8- आपको घर अपनी सालाना कमाई के 5 गुने से ज्यादा कीमत का नहीं खरीदनी चाहिए.


9- रिटायर होने के समय आपके पास कम से कम आपके सालाना खर्चे के 30 गुने का रिटायरमेंट फण्ड होना चाहिए.


10-  अपने खर्चे कभी भी अपनी कमाई से ज्यादा ना बढ़ने दें.


11- कम से कम अपनी कमाई का 30%  बचत करें. 


12- बचत और निवेश करने की आदत डालें और उसे रेगुलर रखें.


13- अपने भविष्य की जरूरतों के हिसाब से अलग-अलग निवेश करें. जैसे रिटायरमेंट फण्ड के लिए अलग, घर या गाड़ी खरीदने के लिए अलग और बच्चों की पढाई के लिए अलग. और कभी भी एक उद्देश्य के लिए किये गए निवेशों का उपयोग दूसरे उद्देश्य के लिए किये गए निवेश से मत करें जब तक की वह उद्देश्य पूरा नहीं हो जाता.


14- हमेशा एक्चुअल रिटर्न या रियल रिटर्न (टोटल रिटर्न - टैक्स - इन्फ्लेशन = एक्चुअल रिटर्न ) को देख कर ही लम्बे समय के लिए निवेश करें. पॉवर ऑफ़ कोम्पौन्डिंग समझें, लम्बे समय 2% का भी फर्क बहुत ज्यादा होता है.


15- लम्बे समय में इक्विटी से बेहतर कोई रिटर्न नहीं दे सकता इसलिए इक्विटी मार्केट में म्यूच्यूअल फण्ड के जरिये निवेश जरुर करें. छोटे समय के लिए डेब्ट फण्ड और मध्यम अवधि के लिए बैलेंस्ड या एसेट एलोकेशन फण्ड में निवेश करने.


16- किसी एक एसेट क्लास में ओवर इन्वेस्टेड ना रहें. 


17- इन्वेस्टमेंट करने से पहले इन प्रश्नों का जवाब आपके पास होना चाहिए , मै यह निवेश क्यों कर रहा हूँ, कितने समय के लिए कर रहा हूँ, कहाँ कर रहा हूँ और क्या इस निवेश माध्यम से मै अपने फाइनेंसियल गोल निर्धारित समय में प्राप्त कर लूंगा ?


18- निवेश करने के विभिन्न विकल्पों को इन पांच मापदंडों पर जरुर परखें- सेफ्टी, लिक्विडिटी, रिटर्न या इंटरेस्ट, रिटर्न में सम्भावित उतार चढ़ाव, प्रोडक्ट पर लगने वाला टैक्स  और आपकी सुविधा.


19- केवल टैक्स सेविंग के उद्देश्य से निवेश ना करें और कहीं भी निवेश करने का निर्णय जल्दी बाजी में या किसी के दबाव में मत लें. http://arthagyanindia.blogspot.in/2016/03/wealth-creation.html


20- बचत और निवेश की आदत डालने के लिए म्यूच्यूअल फण्ड में SIP करें.


21- अपने पोर्टफोलियो का रिव्यु 6 माह में एक बार करें, रोज-रोज पोर्टफोलियो रिव्यु करने से आप ग्रीड एंड फियर के भंवर जाल में फंस जायेंगे.


22- कहीं भी निवेश करने से पहले क्वालिफाइड एडवाइजर से जरुर सलाह लें.

     
ऊपर दिए गए 22 मंत्रों को अपनी फाइनेंसियल लाइफ में लागू करके आप अपने परिवार का भविष्य  सुरक्षित और समृद्धशाली बना सकते हैं .


आप अपने दोस्तों या परिवार के सदस्यों में या ब्लॉग शेयर करके उनकी लाइफ को भी फाइनेंसियल सिक्योर और प्रोस्पेरस बनाने में उनकी मदद कर सकते हैं.
धन्यवाद !!!

Sunday, July 17, 2016

बच्चों को पढ़ाना अब बच्चों का खेल नहीं


Image Courtesy: http://www.freedigitalphotos.net/

क्या आप ने अपने बच्चे का एडमिशन हाल ही में प्ले स्कूल में कराया है ?
क्या आप ने अपने बच्चे को IIT या PMT या और किसी कॉम्पटीटिव एग्जामिनेशन के लिए हाल ही में कोचिंग क्लास शुरू कराइ है?
क्या आप ने अपने बच्चे का एडमिशन लॉ, इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट या अन्य किसी कोर्स में कराया है ?

अगर इनमे से किसी भी परिस्थिति से हाल ही में गुजरे होंगे तो आपको अपने देश में शिक्षा में आई महंगाई का अंदाजा हो गया होगा. अगर आपने प्ले स्कूल में एडमिशन कराया होगा तो यह जरुर सोच रहे होंगे की जब अभी ये हाल है तो आगे क्या होगा. 

आज कल यंग पेरेंट्स अक्सर बात-चीत में यह बात बोलते हैं की जितना खर्चा हमारे पेरेंट्स ने हमारी पूरी पढाई पर किया है उस से ज्यादा खर्च हमें अपने बच्चों की प्राथमिक या प्राइमरी एजुकेशन पर ही करना पड़ रहा है. यह कडवी सच्चाई है और इसके दोषी हम आप नहीं है. लेकिन इस सच्चाई के साथ हमे जीना पड़ेगा और उसका समाना करना पड़ेगा. बच्चों की शिक्षा ऐसी चीज है जिस से कोई माँ-बाप नजर अंदाज नहीं कर सकते, खास कर तब जब इतनी ज्यादा प्रतिस्पर्धा पढाई से लेकर खेल, कला हर जगह हो .

सरकारी आंकड़ों के हिसाब से महंगाई भले 5% की दर से बढ़ रही हो लेकिन शिक्षा में महंगाई की रफ़्तार 12% से ज्यादा है. और इस लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि आप बच्चों की शिक्षा  में होने वाले खर्चों को लेकर थोड़े गंभीर हो जायें और उसके लिए आज से ही प्लान करें अन्यथा कहीं ऐसा ना हो कि आज जब आप का बच्चा प्राइमरी एजुकेशन ले रहा है तब तो आप किसी तरह से उनके खर्चे उठा ले रहे हैं लेकिन जब उनके भविष्य बनाने की बारी आई और उनको मेडिकल, इंजीनियरिंग, फैशन, मैनेजमेंट, लॉ जैसे अन्य उच्च शिक्षा के लिए फीस और अन्य खर्चों चुकाने हुए तो आपके पास पैसे ही ना हों और आपके बच्चे को और आप को उन परिस्थितयों से समझौता करना पड़े. इसलिए जरुरत है आज के खर्चे के साथ हम भविष्य में आने वाले बड़े खर्चों के लिए भी प्लान करें.


सोर्स: economictimes.com

ऊपर दिए हुए चार्ट के अनुसार अगर  आज  MBA की फीस 16 लाख रुपये है तो अगले 15-16 साल में यह बढ़ कर 85-90 लाख रुपये हो जायेगी, इसी तरह से मेडिकल की  पढाई में अगर खर्च 12 लाख रुपये हो रहे हैं तो वो 12 लाख से बढ़ कर 65-70 लाख रुपये हो जायेंगे. जब की सच्चाई हम सभी जानते हैं कि आज के समय में कम फीस वाले सरकारी संस्थानो में सीट्स कितनी है और पेरेंट्स को क्या-क्या करना पड जाता है जब उनके बच्चों की भविष्य की बात आती है.

अपने बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए आज आप को कुछ पढ़ना पड़ेगा. और अगर आज आप ने यह ब्लॉग पढ़ कर अपने बच्चों की शिक्षा के लिए फाइनेंसियल प्लानिंग शुरू कर दी तो इस से अच्छी बात कुछ भी नहीं हो सकती.

कैसे करें तैयारी

सबसे पहले यह पता करें की आज के समय मेडिकल, इंजीनियरिंग या अन्य उच्च शिक्षा माध्यमो की फीस कितनी है. आज आईआईएम से PGDBM करने की फीस लगभग 15-20 लाख रुपये है. KGMC, लखनऊ से MBBS करने की फीस लगभग 8.25 लाख रुपये सालाना है, वहीँ किसी प्राइवेट संस्था से MBBS करने के लिए आपको १ करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे.

इस प्रक्रिया से आपको मोटा मोटा अंदाजा लग जायेगा कि अगर आज आप का बच्चा इनमे से कोई कोर्स करता तो उसके लिए आपके पास आज कितने पैसे होने चाहिए .

एक बार आज के खर्चे का अनुमान लग गया तो आपको यह जानना है की आपके ऊपर यह खर्च किस समय आएगा. अगर आपका बच्चा 5 साल का है तो मान के चलिए कि उसके हायर एजुकेशन के लिए अभी 13 से 14 साल हैं. इस तरह से आप को पता चल जायेगा की आपके पास समय कितने हैं. 

अब आपको दो बाते पता हैं , पहली आज के समय उस कोर्स पर कितना खर्च आ रहा हैं और दूसरा आपको कितने समय बाद इनके लिए पैसों की जरुरत होगी.

अब तीसरा चरण में आप को यह अनुमान लगाना है  की भविष्य में उस कोर्स पर कितना खर्च पड़ेगा क्यूंकि महंगाई के साथ फीस और अन्य खर्चे भी बढ़ जायेंगे. इसके लिए आप कम से कम 10% की महंगाई दर से अनुमान लगाइए और  गणना कीजिये कि भविष्य में कितने पैसे आपको चाहिए होंगे. इस तरह से आप को यह पता चल जायेगा की आपको भविष्य में कितने पैसे इकठ्ठा करने होंगे.

अब आखिरी चरण में आपको योजना बनानी है उस अनुमानित राशि को उस समय तक इकठ्ठा करने की .

आपको नीचे दिए गए उदाहरण से और आसानी से समझ सकते हैं.

कैसे बनाये चाइल्ड एजुकेशन फण्ड 


विजय और जया जो यंग पेरेंट्स हैं उनकी बेटी (शुभा) अभी 4 साल की है और उनका सपना है की उनकी बेटी MBBS करे. इस साल उन्होंने अपनी बेटी का एडमिशन प्ले स्कूल में कराया है. अभी शुभा की पढाई में होने वाले खर्चे को देख कर उनको इस बात की फ़िक्र होने लगी की क्या वो अपनी बेटी को डॉक्टर बना पाएंगे, क्या वो MBBS का खर्च उठा पाएंगे ??
MBBS के लिए वर्तमान खर्च लगभग 30 लाख रुपये
विजय और जया के पास अभी समय है लगभग 14-15 साल का
अब हम निकालते हैं अगर महंगाई 10% की रफ़्तार से बढेगी तो 15 साल बाद कितनी फीस होगी MBBS की

30,00,000 x (1+0.10)^15 = 1,25,31,745

लगभग 1.25 करोड़ रुपये चाहिए होंगे

1.25 करोड़ की फिगर मिडिल क्लास परिवार के लिए बड़ा है इसीलिए मैं अपनी बात एक बार फिर दोहराता हूँ कि बच्चों को पढ़ाना अब बच्चों का खेल नहीं है. अब अगर कोई इस बात को नजरंदाज करे और यह सोचे जब समय आएगा तो देखेंगे तो हो सकता है तो उसको अपने बच्चों की पढाई का खर्च उठाने में कहीं ज्यादा तकलीफ उठानी पड़े उसके मुकाबले जो आज से ही उसके लिए तयारी कर रहा है. 

 विजय और जया इसके लिए आज से ही तैयारी करना चाहते हैं जो एक समझदारी भरा निर्णय है. 

यह बात तो निश्चित है विजय और जया को सेविंग और इन्वेस्टमेंट्स ऐसी जगह करनी होगी जो 10% से ज्यादा रिटर्न या इंटरेस्ट दे सके, और इन्वेस्टमेंट के सभी विकल्पों को देखें तो केवल इक्विटी और रियल स्टेट को छोड़ कर कहीं भी 10% से ज्यादा रिटर्न नहीं बन सकते. 
इक्विटी से पैसा बनाने के लिए उसकी नॉलेज, अनुभव और समय होना चाहिए, वहीं रियल स्टेट में एक साथ ढेर सारा पैसा चाहिए और उसमे भी कई तरह के रिस्क हैं जैसे कोई लीगल प्रॉब्लम हो जाये, काउंटर पार्टी रिस्क हो सकती है , कोई कब्ज़ा कर ले या जहाँ जमीन ली है उसका रेट किसी कारण ने बढ़े.

विजय और जया ने समझदारी भरा निर्णय लिया, इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड में SIP का रास्ता चुना. क्यूंकि उन्होंने पाया पिछले 15-20 वर्षों में इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड की SIP ने बहुत अच्छे रिटर्न दिए हैं, इनमे शेयर बाज़ार का रिस्क तो है लेकिन फण्ड मैनेजर की कार्य कुशलता और उनके अनुभवों के कारण वो रिस्क नहीं रह जाता जो किसी छोटे निवेशक को सीधे शेयर खरीदने बेचने में होती है और SIP की माध्यम से वो सेविंग और इन्वेस्टमेंट साथ साथ कर लेते हैं.
विजय और जया ने 19500 रुपये की SIP स्टार्ट की है जिस से अगले 15-16  वर्षों में वो शुभा की पढाई के लिए 1 से 1.25 करोड़ रुपये बचा सकें.

20,000 रुपये की SIP कैसे काम कर सकती है आपके लिए..

EXPECTED RETURN
NUMBER OF YEARS
10
15
20
25
11.00%
Rs 4339963
Rs 9093791
Rs 17312761
Rs 31522666
13.00%
Rs 4880738
Rs 10994518
Rs 22664847
Rs 44941830
15.00%
Rs 5504341
Rs 13370135
Rs 29944790
Rs 64870592

अब सवाल यह उठता है कि 20,000 रुपये कि महीने की सेविंग और इन्वेस्टमेंट बच्चे की पढाई के लिए एक मध्यम आय वाला परिवार कैसे कर सकता है.

इसका उत्तर दे पाना शायद एक ब्लॉग में कठिन होगा लेकिन यह बात तो तय है अगर आज 20,000 रुपये महीने की सेविंग कठिन है तो 15 साल बाद 1 या 1.25 करोड़ रुपये जैसी भारी भरकम रकम तो बहुत मुश्किल होगी.

तो समझदारी इसी में है जितनी जल्दी हो सके अपने बच्चों के साथ आप भी उनकी हायर एजुकेशन की तैयारी शुरू कर दीजिये, जिस से भविष्य में आपको अपने रिटायरमेंट फण्ड का उपयोग या एजुकेशन लोन का रास्ता ना अपनाना पड़े बच्चों की एजुकेशन फंडिंग के लिए. जैसा अक्सर उन लोगों को करना पड़ता है जो बच्चों को  पढाना बच्चों का खेल समझ लेते हैं.

यहाँ पर एक बात और स्पष्ट करना अत्यंत आवश्यक है कि आपको चाइल्ड एजुकेशन के नाम पर बेचीं जा रही ट्रेडिशनल और ULIP इंश्योरेंस पालिसी से दूर रहना चाहिए और अगर सही में आप गंभीर है अपने बच्चों के भविष्य के लिए तो किसी अच्छे इन्वेस्टमेंट एडवाइजर की सलाह लीजिये फाइनेंसियल प्लानिंग के लिए.

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Saturday, June 25, 2016

क्या आपको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना चाहिए ?



Source: http://www.freedigitalphotos.net


सूरज, एक सरकारी कॉलेज में टीचर हैं और उन्हें 35 हजार रुपये वेतन मिलता है , वो 3 साल से नौकरी कर रहे हैं लेकिन आज तक उन्होंने इनकम टैक्स रिटर्न नहीं फाइल किया है. आदित्य, एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं, उनको 25 हजार रुपये वेतन मिलता है, उन्होंने भी पिछले 2 साल से कोई रिटर्न फाइल नहीं किया. विनय, गवर्नमेंट ऑफिसर हैं उनको 40 हजार वेतन मिलता है लेकिन उनका मानना है क्यूंकि उनका विभाग फॉर्म 16 उन्हें देता है और उनके ऊपर टैक्स लगा कर उसको जमा करा देता है इसलिए उनको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की जरुरत नहीं है.

इस तरह  की गलत फहमी केवल सूरज, आदित्य या विनय को ही नहीं है , अक्सर नौकरी की शुरुआत और जानकारी के अभाव में लोग इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करते. नौकरी करने वाले को लगता है की उनका टैक्स एम्प्लायर ने काट लिया है इसलिए उनके लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरुरी नहीं है.


क्यूँ नहीं करते लोग इनकम टैक्स रिटर्न फाइल :


1- मेरा एम्प्लायर मेरी सैलरी से टैक्स काट लेता है इसलिए मुझे रिटर्न फाइल करने की जरुरत नहीं है

2- मेरे पास सैलरी के अलावा कोई और इनकम नहीं है .

3- सरकार को टैक्स दे दिया है अब इसके आगे मुझे कुछ नहीं करना होता.

4- मेरे पास बहुत काम है, रिटर्न फाइल करने जैसे काम के लिए समय नहीं निकाल सकता.

5- अभी तो रिटर्न फाइलिंग की लास्ट डेट बहुत दूर है, लास्ट डेट तक कर देंगे.

6- लास्ट डेट ख़त्म हो चुकी है, अब करेंगे तो फंस सकते हैं. अब अगली साल देखेंगे.

7- मेरी इनकम इतनी है ही नहीं की मै रिटर्न फाइल करूँ.

8- मेरी कोई टैक्स लाइबिलिटी नहीं बनती इसलिए रिटर्न क्यूँ फाइल करूँ?


अगर आप के भी तर्क ऊपर दिए गए कारणों में से एक है.. तो यह ब्लॉग आप ही के लिए है.


पहले यह जानना जरुरी है की इनकम टैक्स रिटर्न होता क्या है, इसको क्यूँ फाइल करना चाहिए, क्या फायदे हैं ITR फाइल करने के और ना करने के क्या नुकसान हैं ?

इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) क्या होता है ?


ITR फाइलिंग एक प्रक्रिया है जिस के द्वारा एक व्यक्ति या संस्था अपनी साल भर की कमाई और उस पर दिए जाने वाले टैक्स का लेखा जोखा सरकार (इनकम टैक्स विभाग) को एक निश्चित फॉर्मेट में उपलब्ध कराता है . यह देश के  प्रत्येक नागरिक या संस्था का कर्तव्य है कि वह अपने पिछले साल की  इनकम की सही जानकारी इनकम टैक्स विभाग का प्रत्येक वर्ष 31st जुलाई तक उपलब्ध कराये. अगर आप ITR फाइल नहीं करते तो इसका मतलब यह समझा जाता है की आपने अपनी कमाई या इनकम को डिस्क्लोस नहीं किया है.
यहाँ पर यह भी समझना बहुत जरुरी है की इनकम किसे कहते हैं?
अक्सर लोग सैलरी या वेतन को ही इनकम मानते हैं, लेकिन इनकम टैक्स विभाग के अनुसार इनकम के 5 प्रमुख स्रोत हो सकते हैं

1- सैलरी या वेतन से होने वाली आय
2- हाउस प्रोपेर्टी से होने वाली आय
3- बिज़नस या प्रोफेसन से होने वाले लाभ
4- सम्पति को बेचने से होने वाले कैपिटल गेन
5- और किसी स्रोत से होने वाली आय

इन पाचों स्रोतों से होने वाली कुल आय को किसी की ग्रॉस टोटल इनकम कहते हैं.


किसको फाइल करना चाहिए ITR? 


वर्तमान नियमो के आधार पर अगर किसी व्यक्ति की ग्रॉस टोटल इनकम 2.5 लाख या उस से अधिक है तो उसे इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरुरी है, यहाँ इस बात से कोई सम्बन्ध नहीं है कि आपके एम्प्लायर ने टैक्स भर दिया है या आपकी इनकम टैक्सेबल नहीं है.
अगर आपकी इनकम 2.5 लाख या उस से अधिक है और आप ITR फाइल नहीं कर रहे तो इनकम टैक्स विभाग आप को  नोटिस भेज सकता है.

क्यूँ फाइल करना चाहिए ITR?


ITR फाइल करना, भारत के प्रत्येक नागरिक का दायित्व है. प्रत्येक नागरिक या संस्था को  अपनी आय की जानकारी इनकम टैक्स विभाग के द्वारा सरकार को ITR फाइलिंग की प्रक्रिया के साथ करन चाहिए और अपना टैक्स सही समय पर जमा करना चाहिए.

लेकिन इसके अलावा कई सारे फायदे भी एक व्यक्ति या संस्था को मिलता है अगर वह इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करता है.

ITR एक व्यक्ति की  फाइनेंसियल लाइफ का प्रूफ है 

- ITR आप को भविष्य में कोई इन्वेस्टमेंट करने के लिए आपकी इनकम प्रूफ की तरह काम करता है
- जब ITR फाइल करते हैं तो आपका फाइनेंसियल रिकॉर्ड इनकम टैक्स विभाग के पास बन जात है और भविष्य में यही फाइनेंसियल हिस्ट्री आपके हाउसिंग लोन, पर्सनल या मोटर लोन लेने के समय या वीजा लेने के समय में सहायक होती हैं.

अगर आपके एम्प्लायर ने टैक्स ज्यादा काट लिया है तो ITR फाइल करके आप टैक्स रिफंड भी ले सकते हैं.

अगर आप बिज़नेस में हैं तो आपके लिए ITR हर कदम पर सहायक है. एक वेतन भोगी के पास तो इनकम प्रूफ देने के लिए सैलरी स्लिप या फॉर्म 16 होता है लेकिन बिज़नेस या प्रोफेशनल के लिए ITR ही एक मात्र इनकम प्रूफ है


क्या हो सकता है अगर आप ITR फाइल नहीं करते ?


इनकम टैक्स ऑफिस आप को ITR फाइल ना करने या आय छुपाने के लिए कभी भी कारण बताओ नोटिस भेज सकता है. और अगर आप ने समय से जवाब नहीं दिया या आपके जवाब से इनकम टैक्स ऑफिसर संतुस्ट नहीं हुआ तो आपके ऊपर पेनाल्टी या फाइन भी लगा सकता है.
इनकम टैक्स की धारा 271F के अंतर्गत 5000 रुपये की पेनाल्टी या फाइन इनकम टैक्स विभाग टैक्स रिटर्न ना फाइल करने के लिए आपके ऊपर लगा सकता है. अगर आप के उपर टैक्स लायबिलिटी बनती है तो आपको टैक्स के साथ इंटरेस्ट भी भरना पड़ेगा.

अगर आपने ITR फाइल ना करने की गलती की है तो उसे आज ही सुधारिये, आप अधिकतम 2 साल पुराना ITR फाइल कर सकते हैं.


कैसे करें टैक्स रिटर्न फाइल ?

ITR आप ऑनलाइन फाइल कर सकते हैं. इसके लिए आप स्वयं इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट पर जा कर इ-फाइलिंग कर सकते हैं, लेकिन अगर आप को इसकी ज्यादा समझ नहीं है तो किसी प्रोफेशनल की मदद ले सकते हैं. अच्छा टैक्स प्रोफेशनल भी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की फीस 1000-1500 रुपये तक ही लेता है, इसलिए मेरी सलाह तो यही होगी कि अनजाने में कोई गलती ना हो इस से बेहतर है की आप प्रोफेशनल की मदद लें. अगर आप इनकम टैक्स की वेबसाइट पर जा कर स्वयं करना चाहें तो आप अपने 1000 रूपये बचा सकते हैं.

मै यहाँ पर विश्व प्रसिद्ध लेखक रोबर्ट सी क्योसकी की रिच डैड पुअर डैड की एक बात उधृत करना  चाहूँगा       "धन, स्वास्थ और कानून जैसे जरुरी मामलों में हमेशा आपको अच्छे प्रोफेशनल की सलाह लेनी चाहिए. अगर आप हेल्थ, वेल्थ और कानून के मामलों में फीस बचाने के चक्कर में अच्छे प्रोफेसनल से सलाह नहीं लेते तो यह आपके लिए काफी खतरनाक हो सकता है"

सही समय पर सही ITR फाइल करिये और सुकून से रहिये !!!


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Sunday, June 19, 2016

स्वस्थ रहें संपन्न रहें....7 बातें याद रखें

दूसरे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की तैयारी सारा संसार कर रहा है और खास कर अपने देश में लगभग हर छोटे-बड़े जगहों पर इसके कार्यक्रम रखे गए हैं. जिस से लोगों में योग के प्रति जागरूकता बढ़े और लोग स्वस्थ जीवन जीने के लिए योग को एक साधन बनायें.

इस अवसर पर स्वस्थ जीवन और संपन्न जीवन के कुछ मंत्र इस ब्लॉग के माध्यम से मै शेयर कर रहा हूँ

Image source: www.freedigitalphotos.net


1- जल्दी शुरू करने से आप स्वस्थ भी रहते हैं और संपन्न भी


अपने दिन की शुरुआत अगर आप जल्दी करते हैं तो आप के पास अधिक समय होता है और आप अपना हर काम आराम से कर सकते हैं, आप के पास व्यायाम और योग करने का समय होगा जिस से आप स्वस्थ रहेंगे और आप की कार्य क्षमता भी  बढती  है.
इसी प्रकार, संपन्न बनने के लिए भी जल्दी शुरुआत करना जरुरी होता है. आप अपने जीवन में जितनी जल्दी बचत और निवेश करना शुरू करते हैं आप को चक्रव्रिधि ब्याज का फायदा उतना ही मिलता है और आप अपने लिए अच्छा पैसा इकट्ठा कर लेते हैं.
यहाँ बचत और निवेश की की राशि से ज्यादा जरुरी समय है. इसलिए अपने नौकरी या व्यवसाय की शुरुआत से ही बचत और निवेश की आदत डालें चाहें वह अत्यन छोटी राशि क्यूँ ना हो.


उदाहरण के लिए अगर आप 60 वर्ष की आयु तक हर महीने  10,000 का निवेश करते हैं तो....

अगर आप 25 वर्षकी आयु से शुरू करते हैं तो आपके पास 7.35 करोड़ रुपये होंगे 
अगर आप 30 वर्षकी आयु से शुरू करते हैं तो आपके पास 3.90 करोड़ रुपये होंगे 
अगर आप 35 वर्ष से शुरू करते हैं तो आपके पास 2.05 करोड़ रुपये होंगे 
अगर आप 45 वर्ष से शुरू करते हैं तो आपके पास 0.53 करोड़ रुपये होंगे 
ग्रोथ रेट 12.5% चक्रव्रिधि


2- संतुलित आहार लीजिये और अपना पोर्टफोलियो भी संतुलित रखिये


हमारे दैनिक आहार में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल, कार्बोहाइड्रेट, फैट और अन्य पोषक तत्वों की सही मात्र होनी चहिये. अगर आप ज्यादा फैट ले रहें है तो भी अच्छा नहीं है और ज्यादा प्रोटीन ले रहें हैं तो भी अच्छा नहीं है. आपके आहार में कितनी मात्रा में क्या होना चाहिए  इसका कोई सब पर फिट होने वाला मंत्र भी नहीं है यह आपके शरीर की सरचना, उम्र, वातावरण आदि पर निर्भर करता है. और यही बात आपके निवेश या इन्वेस्टमेंट पर भी लागू होती है.

आपके पोर्टफोलियो में सभी तरह की संपतियां संतुलित अनुपात में होनी चाहिए, अगर आप केवल इक्विटी में निवेश कर रहें हैं तो वो भी सही नहीं है आप केवल सोना या जमीन और मकान में कर रहे हैं तो वो भी सही नहीं है और आप नुकसान के डर से केवल फिक्स्ड इनकम एसेट्स में निवेश कर रहे हैं तो वो भी सही नहीं है.

इक्विटी जहाँ पर आप को लम्बे समय में सबसे अच्छे रिटर्न दे सकता है वहीँ वो छोटी अवधि में रिस्की भी हो सकता है, यही बात जमीन और मकान में निवेश पर भी लागू होती है.  फिक्स्ड डिपाजिट या फिक्स्ड इनकम एसेट्स और सोने में निवेश करने वाले के लिए महंगाई दर से कम रिटर्न बनने की पूरी सम्भवना रहती है.

और भोजन की तरह आपके पोर्टफोलियो में किस जगह पर कितना निवेश करना है यह आपकी इनकम, उम्र, सम्पति, दायित्व और आपकी रिस्क लेनी की क्षमता पर निर्भर करता है.

इसलिए संतुलित भोजन और  संतुलित पोर्टफोलियो आपके स्वस्थ और संपन्न जीवन के लिए जरुरी है.

100 में से अपनी आयु घटाइए और जितना आता है उसके बराबर प्रतिशत में आपके पोर्टफोलियो में इक्विटी होनी चाहिए . अगर आपकी आयु 30 है तो 100-30=70. 70% इक्विटी आपके पोर्टफोलियो में होनी चाहिए. 


3- अनुशासित जीवन शैली और नियमितता आपको स्वस्थ और समृध बनाती है 


अगर नियमित रूप से आप समय पर सोयें, समय पर भोजन करें और समय पर व्यायाम और योग करें तो आप स्वस्थ रहेंगे और बीमारियाँ आप से दूर रहेंगी. इसलिए अनुशासन और नियमितता आप के स्वस्थ होने के लिए अत्यंत आवश्यक है.

पैसा बनाने के मामले में भी यही बात लागू होती है. अक्सर लोग समझते हैं बचत केवल आमदनी या कमाई के ऊपर निर्भर करता है लेकिन सच्चाई यह है की यह आप के अनुशासित जीवन शैली पर ज्यादा निर्भर करता है. आपकी की कमाई कितनी भी हो अगर आप ने बचत और निवेश करने को प्राथमिकता नहीं दी तो आज के समय पैसे खर्च करने के बहुत साधन हैं.
आपको ऐसे लोग भी मिलेंगे जो लाखों रुपये कमा रहे होंगे लेकिन बचत कुछ नहीं कर पा रहे होंगे और ऐसे भी होंगे जो कुछ हजार रुपये कमा कर भी बचत कर रहे होंगे. 
इसलिए अगर आप के जीवन शैली अनुशासित है तो आप स्वस्थ भी रहेंगे और समय के साथ संपन्न भी हो जाएंगे.

उदाहरण के लिए , अगर आप की उम्र 30 वर्ष की है और आप  नियमित रूप से प्रति माह अपनी कमाई का 20% बचत करें और उसे ऐसी जगह निवेश करें जहाँ से अगले 30 वर्षों में 13% की ग्रोथ आये तो 60 वर्ष की उम्र तक आप के पास उतना ही धन होगा जितना आप ने अपने पूरे जीवन काल में कमाया होगा.  

उम्र
30 वर्ष
आज की वार्षिक कमाई
5 लाख
कमाई में औसतन सालाना वृद्धि
10%
आपकी कमाई का सालाना बचत %
20%
बचत पर सालाना रिटर्न/इन्ट्रेस्ट  %
13%

उम्र
सालाना कमाई
कुल कमाई
सालाना बचत
इन्वेस्टमेंट की वैल्यू
35
7
31
1.46
9
45
19
159
3.80
78
55
49
492
9.85
392
60
79
822
15.86
816
ऊपर दिए हुए उदाहरण में, एक व्यकी की उम्र 30 वर्ष है उसकी सालाना आमदनी 5 लाख रुपये हैं, 60 वर्ष में वो रिटायर होगा और तब तक उसकी सालाना कमाई में हर साल 10% की ग्रोथ होगी. उस व्यक्ति ने एक निर्णय लिया की वह हर साल अपनी कमाई का 20% बचत करेगा और ऐसी जगहों पर निवेश करेगा जिस से उसको औसत 13% का रिटर्न आ जाये .
35 साल की उम्र में उसकी कमाई 5 लाख से बढ़ कर 7 लाख हो जाएगी और उसकी बचत भी बढ़ कर 1.46 लाख रुपये हो जायेगी. 55 साल तक वह 49 लाख रुपये साल का कमा रहा होगा और इस उम्र तक उसने 4.92 करोड़ रुपये कमाए होंगे और इस समय तक उसकी द्वारा की गई बचत भी 3.92 करोड़ होगी.

रिटायरमेंट तक वह 8.22 करोड़ रुपये कमाया होगा और उस समय उसकी बचत की कीमत भी बढ़ कर 8.16 करोड़ रुपये हो जाएगी. 

मतलब जितना जीवन भर कमाया उतना पैसा रिटायरमेंट पर बचत और निवेश से इकट्ठा हो जायेगा.
और यह केवल अनुशासित रूप से बचत और नियमित रूप से निवेश करने से हो सकेगा.


4- पानी या लिक्विड का सही अनुपात स्वस्थ शरीर के लिए भी आवश्यक है और सम्पति के लिए भी

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पानी  के बिना जीवन संभव नहीं है और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए एक निश्चित मात्रा में जल लेना चाहिए, कुछ लोग इसे लीटर में बताते हैं कुछ लोग कहते हैं की शरीर को ही तय करने दीजिये की उसे कितना पानी चाहिए. मात्रा कुछ भी हो लेकिन शरीर को जीवत रखने के लिए लिक्विड या पानी की आवश्यकता होती है.

इसी प्रकार सम्पतियों के बारे में भी कहा जाता है "सम्पति या असेट्स में  लिक्विडिटी बहुत आवश्यक होती है" आपको ऐसे तमाम लोग मिल जायेंगे जिन के पास जमीन या घर के रूप में ढेरों सम्पतिया होंगी लेकिन कैश या लिक्विड एसेट नहीं होंगे जिस से उन्हें अपनी रोज की जरूरतें पूरी करने में कठिनाई होती है, इमरजेंसी में लोगों के सामने हाथ फ़ैलाने पड़ते हैं  और मज़बूरी में औने पौने दाम पर अपनी संपतियां बेचनी पड़ती है. इसलिए 

जरुरी है की आप के पास निश्चित मात्रा में लिक्विड या कैश हमेशा हो और आपके  पोर्टफोलियो में लिक्विड एसेट्स की मात्रा कभी भी 50% से कम ना हो.

इमरजेंसी के लिए आपके पास आपकी 4-6 माह की कमाई के बराबर का कैश या लिक्विड फण्ड में निवेश होना चाहिए .


5- तनाव कम लें और धैर्य रखें 

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आज कल अधिकांश लोग तनावग्रस्त रहते हैं, यह बात  केवल युवाओं या नौकरी पेशा लोगों के लिए ही नहीं बल्कि सबके ऊपर लागू है वो चाहे पढने वाले बच्चे हों, नौकरी या कैरियर के लिये प्रयास में लगे युवा हों, नौकरी या बिजनेस करने वाले लोग हो ,हाउस वाइफ हों या रिटायरड लोग हों. हर आदमी तनावग्रस्त रहता है, जिसके परिणाम स्वरुप वो हमेशा थका, उदास और चिडचिडा रहता है. तनाव कम करने के लिए योग का सहारा लें. 
"तनाव कम लें और धैर्य से काम लें सब अच्छा होगा" अगर कुछ गलत हो गया है या आप परेशानी में हैं या आप को अपेक्षा अनुरूप परिणाम नहीं मिल रहें हैं तो धैर्य के साथ उस परेशानी को हल करने या सफल होने के लिए प्रयासरत रहें, आप जरुर सफल होंगे.

निवेश के साथ भी यह बात सही साबित होती है अगर आप को अच्छे पैसे बनाने हैं तो आप को रिस्क भी लेना पड़ेगा और रिस्क आप तभी ले पाएंगे जब आप के अन्दर धैर्य होगा क्यूंकि अच्छे रिटर्न देने वाले एसेट्स जैसे इक्विटी या रियल एस्टेट में लम्बे समय में ही अच्छे रिटर्न बनते हैं, कम समय में इनके दामों में थोड़ी अनिश्चितता होती है इसलिए धैर्य के साथ लम्बे समय में पैसे बनाने के लिए ही इसमें निवेश करें.

BSE SENSEX की शुरुआत 1980 में 100 के आधार मूल्य पर हुई थी जो 2015 में 30,000 से ऊपर पहुच गई थी. 35 वर्षों में इसकी वैल्यू 300 गुना बढ़ी है लेकिन इस बीच में कई उतार चढाव भी आयें हैं जो इन उतार चढाव से डरा नहीं धैर्य से लगा रहा उसने पैसे बनाये लेकिन जो डर के आया ही नहीं या इक्विटी मार्केट में पैसे भी लगाया लेकिन धैर्य नहीं रखा वो पैसे नहीं बना पाया.

इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश, डायरेक्ट इक्विटी मार्केट में निवेश से  कम रिस्की होता है और यहाँ से ज्यादा रिटर्न बन सकते है.


6-अच्छे डॉक्टर आपको स्वस्थ बनाते हैं और अच्छे फाइनेंसियल एडवाइजर आपको समृद्ध बनाते हैं


आज कल इन्टरनेट का जमाना है, कुछ ही सेकंड में आप किसी भी तरह की जानकारी आप इन्टरनेट के माध्यम से ले सकते हैं चाहें वह आपकी सेहत या बीमारी से जुड़ा हो या निवेश करने की विभिन्न योजनाओं के बारे में हो. लेकिन,क्या इसका मतलब है की अब डॉक्टर की जरुरत नहीं है आपको.....ऐसा नहीं है ना.. यह बात हर कोई जानता है की कोई भी दवा बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिए .

उसी प्रकार से आप को निवेश भी अपने मन से या इन्टरनेट पर पढ़ कर नहीं करना चाहिए, एक अच्छे फाइनेंसियल एडवाइजर की मदद से आप कहीं ज्यादा अच्छे रिटर्न कम रिस्क ले कर बना सकते हैं और आप निवेश में अपने आप से करने के प्रयास से होने वाली गलतियों से बच सकते हैं. 

स्वस्थ रहने के लिए हमेशा क्वालिफाइड डॉक्टर से सलाह लें....क्यूंकि कहावत है नीम हकीम खतरा ए जान मतलब झोला छाप डॉक्टर से इलाज ना करवाएं उसी प्रकार से निवेश करने के लिए क्वालिफाइड एडवाइजर की सलाह लें. क्यूंकि दवा असर कर रही है या नहीं वो तो आपको 2-4 दिन में पता चल जाता है लेकिन बुरे फाइनेंसियल एडवाइज का बुरा परिणाम आपको बहुत बाद में मतलब 10-15 साल बाद पता चलता है.

लाइफ इंश्योरेंस और बैकों के द्वारा बेचे गये बुरे फाइनेंसियल प्रोडक्ट  खरीदने के परिणाम आपको बहुत देर में पता चलते हैं और तब आपके पास पछताने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता.


7- सेहत और सम्पति , दोनों की जांच समय-समय पर आवश्यक है


30 साल से अधिक उम्र के लोगों को रेगुलर हेल्थ चेकअप कराना चाहिए ऐसा करने से समय के साथ होने वालो कुछ स्वास्थ सम्बन्धी समस्यों को सही समय पर रोका जा सकता है.

यही नियम आपके इन्वेस्टमेंट प्लान पर भी लागू होता है आपको समय-समय पर अपने फाइनेंसियल एडवाइजर के साथ बैठ कर अपने इन्वेस्टमेंट प्लान की समीक्षा करनी चाहिए और समय के हिसाब से अपने पोर्टफोलियो में रिबलेंसिंग करते रहना चाहिए.

याद रखिये जब आप स्वस्थ हों और आप के पास पर्याप्त धन हो तभी आप जीवन का आनंद ले सकते हैं और ये दोनों चीजें आप के अपने हाथों में है.

आपको स्वस्थ और संपन्न जीवन की शुभकामनाएं !!!

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