Thursday, November 9, 2017

टैक्स चोरी से नहीं, टैक्स सही से भरने से बनते हैं ज्यादा पैसे


जानिए कैसे टैक्स चोरी करके नहीं बल्कि सही से चुका के ज्यादा पैसे बनते हैं 

नोटबंदी एक ऐसा शब्द जो 8 नवंबर 2016 से पहले बहुत कम उपयोग में आया होगा लेकिन पिछले एक साल में इस शब्द का उपयोग सबसे ज्यादा हुआ है. एक ऐसा शब्द जिसने कई लोगों का चैन छीन लिया था, एक ऐसी घटना जिसने कैश में काला धन रखने वालों की नीद उड़ा दी थी. लेकिन आज एक साल के बाद ऐसा लगता है कि जिनके पास भी काला धन था उन्होंने ने कोई जुगाड़ लगा कर बैंकों में अपने कैश जमा करव दिया या उसको ठिकाने लगा दिया और अपने 1000 और 500 की नोटों को नई जिन्दगी दे दी (अगर सरकार नहीं पकड़ पाई तो).

पिछले कई दिनों से प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में नोटबंदी को लेकर बहस फिर से शुरू हो गई उसके कारण चुनाव भी है और नोटबंदी को एक साल होना भी है. मै इस ब्लॉग के माध्यम से नोटबंदी के फायदे नुकसान की बात नहीं करूँगा. मेरा उद्देश्य इस ब्लॉग के माध्यम से उन लोगों के आँखों से बंधी पट्टी को निकालना है जो टैक्स बचाने के चक्कर में अपने सफ़ेद धन को काला कर लेते हैं.

एक अर्थव्यवस्था में काला धन मोटे तौर पर दो तरह से पैदा होता है, पहला अवैध कारोबार से और दूसरा टैक्स कि चोरी से .

अवैध कारोबार मतलब  लूट, चोरी, डकैती, जुआ, तस्करी, देह व्यापार, फिरौती, घोटाला, घूस जैसी तमाम घोर अनैतिक कारोबार से निकलने वाला धन

टैक्स चोरी का मतलब एकाउंट्स में हेर फेर कर के अपनी सही कमाई या लाभ को छिपाना.

मुख्यतः यही दो कारण हैं जिनसे अर्थव्यवस्था में काले धन का निर्माण होता है.

मै यहाँ पर दूसरे कारण की बात करूँगा. जो लोग टैक्स बचाने के चक्कर में अपने सफ़ेद धन को काला कर लेते हैं वो देश का नुकसान तो कर रहे हैं लेकिन देश के साथ वो अपना नुकसान भी कर रहे हैं.

टैक्स चोरी के पीछे एक मात्र कारण होता है अपनी आय बढ़ाना. कारोबारी, व्यवसायी, प्रोफेशनल या कैपिटल गेन बनाने वाले लोग आय बढ़ाने के लिए टैक्स चोरी करते हैं. लेकिन मेरा नजरिया है कि ऐसे लोग केवल छोटे फायदे देख कर या अपनी अज्ञानतावश ऐसा करते हैं वो अगर थोडा दूर की सोचें तो शायद ही टैक्स बचाने के चक्कर में लम्बे समय में अपना बड़ा नुकसान करेंगे.

आपको लग रहा है मै कैसी बात कर रहा हूँ जो आदमी सही टैक्स देता है उसकी कमाई का लगभग एक तिहाई हिस्सा डायरेक्ट टैक्स में चला जाता है और जो चोरी कर लेता है वो एक तिहाई लाभ बढ़ा लेता है. ऐसे में पहले वाले को ज्यादा फायद कैसे होगा?

इसको सिद्ध करने के लिए मै कुछ बहुत साधारण सी लेकिन जमीनी बाते आपके सामने रखूँगा.

मान लीजिये एक कारोबारी या प्रोफेशनल ने अपनी इनकम घटा के दिखाई जिस से उसे टैक्स कम देना पड़े ऐसी स्थिति में वो बचे पैसों को जो कैश में होगी उसका क्या करेगा.

1- खर्च करेगा- इस स्थिति में तो टैक्स तो बचा लिया लेकिन पैसा नहीं बचा पाया क्यूंकि आमतौर पर यह आदमी का स्वभाव होता है जब एक्स्ट्रा कमाई होती हो और वो भी आसानी से तो खर्चे अपने आप बढ़ जाते हैं और ऐसी स्थिति में टैक्स चोरी करने के बाद भी आदमी पैसे खर्च करके क्षणिक खुशियाँ तो पा लेता है लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होता.

2-कैश में जमा करेगा- चलिए मान लेते हैं कि टैक्स चोरी करके आदमी ने सयंम के साथ अपने खर्चे को नहीं बढ़ने दिया, लेकिन क्यूंकि यह 100 रुपये अब काले धन में परिवर्तित हो गए हैं तो इसे कैश में रखेगा अपनी तिजोरी में. अब आप बताइए इस 100 रुपये को आदमी 5 साल बाद खर्च करने के लिए निकालेगा तो यह 100 से ज्यादा तो होंगे नहीं यह 100 के 100 ही होंगे लेकिन महंगाई बढ़ने के कारण 5 साल बाद यह 100 रुपये उतने सामान नहीं खरीद पाएंगे जितना वो आज खरीद सकते हैं और अगर महंगाई दर 6% से बढ़ी हो तो 5 साल बाद इन 100 रुपयों कि कीमत 70 रुपये से भी कम होगी. उसके बाद इस पैसे के साथ हमेशा नोटबंदी, कालेधन धन के खिलाफ कार्यवाही, चोरी, डकैती  जैसी विभिन्न समस्याओं का डर अलग से लगा  रहेगा.

3- गोल्ड, सिल्वर या एसेट्स खरीदेगा- टैक्स चोरी करके आदमी और  स्मार्ट बन गया और उसने उसे खपाने के लिए बेनामी संपत्ति बनाई, सोना ख़रीदा चांदी खरीदी. लेकिन एक चीज उसे हमेशा परेशान करेगी वह है डर लेकिन दूसरी चीज जो उस से भी बड़ी है वो है लम्बे समय सही तरह से संपत्ति निर्माण करने के मौके से चूकना.


अब एक बहुत सामान्य सी लगने वाला कैलकुलेशन करते हैं.

मान लीजिए किसी की 100 रूपये की कुल आय है , वह अपने हिसाब किताब में कुछ हेरा फेरी करके इस आय को 0 बना देता है अब किताब के हिसाब से उसके पास कोई तो आय नहीं है लेकिन वास्तव में उसके पास 100 रुपये हैं दूसरी स्थिति में आदमी 100 रुपये कि आय दिखाता है और उस पर 30% कि दर से टैक्स देता है और 70 रुपये अपनी आय घोषित करता है .

नीचे दिए हुए चार्ट में इन विभिन्न परिस्थितियों में इस 100 रुपये का भविष्य क्या हो सकता है समझने की कोशिश करते हैं.


पहली स्थिति में हेराफेरी करके आदमी ने टैक्स तो बचा लिए लेकिन वो पैसे नहीं बचा पाया और सारे पैसे खर्च कर दिया, दूसरी स्थिति में टैक्स बचाए लेकिन उसे कैश में ही रखा तो 100 रुपये 10 साल बाद भी तिजोरी से 100 रुपये ही निकला और अगर इसमें महंगाई का भी नजरिया रख के सोचे तो 10 साल में 100 का 50 हो जायेगा. तीसरी परिस्थिति में टैक्स चोरी करके बनाये पैसे को सोने चांदी में लगा दिया अगर यह 8% से बढेगा तो 100 रुपये का सोना 10 साल में 216 रूपये कि वैल्यू का होगा लेकिन यह रहेगा हमेशा काला धन, आदमी इस सोने चांदी को लेकर कभी निश्चित नहीं होगा ना ही कभी खुल के उपभोग कर पायेगा.

वहीँ चौथी पारिस्थिति में टैक्स देने के बाद अगर आदमी को 70 रुपये भी बचे और उसे सही जगह निवेश कर दिए तो अगले 10-20 सालों में वो ज्यादा वैल्यू भी बनाएगा, आदमी हमेशा तिकड़म कि उलझन से दूर भी रहेगा.
उसकी सम्पति पूरी तरह से सफ़ेद और टैक्स फ्री होगी.

अब यह देख कर कोई भी समझदार व्यक्ति टैक्स चुका कर नई संभावनाओं में निवेश करना ज्यादा उचित समझेगा और वो संभावनाए खुद के कारोबार में भी हो सकती हैं और इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड के साथ देश और दुनिया के बड़े कारोबार में निवेश करने की भी हो सकती हैं.

असली समझदारी टैक्स चोरी में नहीं सही से टैक्स चूका कर पैसे को सही ढंग से निवेश करने में है

मुझे लगता है इस तरह से लोगों को जानकारी दी जाये और बताया जाय कि टैक्स चोरी करने से केवल आप देश का ही नुकसान नहीं कर रहे बल्कि लम्बे समय में आप अपना भी बहुत बड़ा नुकसान कर रहे हैं.

इसी प्रकार से एसेट्स बेचते हुए भी लोग टैक्स बचाने के चक्कर में कैश में लेन देन कर लेते हैं और जिस से काले धन की समस्या उत्पन्न होती है. वो भी अगर इस तरह से लम्बी दूरी का सोच कर अगर हिसाब लगायेंगे तो उन्हें भी टैक्स देना सुकून से रहना और बचे पैसे को सही ढंग से निवेश करने का विकल्प ज्यादा अच्छा समझ में आएगा.

आदमी तुरंत के लाभ के चक्कर में आगे के नुकसान की अनदेखी कर देता है या तुरंत की हानि से बचने के लिए आगे के अधिक लाभ के रास्ते बंद कर लेता है. तुरन्त हानि आदमी बर्दास्त नहीं करना चाहता उसे वो टालने का प्रयास करता है और इसी मनोवैज्ञानिक कारण से काले धन की समस्या खड़ी होती है और मेरा मानना है कि इस समस्या को जानकारी से दूर किया जा सकता है.

कृपया यह ब्लॉग अधिक से अधिक लोगों में शेयर करें अक्सर अज्ञानता में लोग टैक्स से सम्बन्धित गलतियाँ करते हैं अगर उन्हें सही तरह से समझाया जाय तो शायद टैक्स चोरी करने के विकल्प को लोग त्याग देंगे.

ही टैक्स भरिये अपने भविष्य की तरक्की सुनिश्चित कीजिये.