Thursday, April 25, 2019

Rap.....Apna Bonus Aayega


अपना बोनस आएगा...ख़र्चे में चला जायेगा
गाड़ीं नई ख़रीद के..लॉंग ड्राइव पे जायेगा
या ऐपल का नया मोबाइल जल्दी बुक करवाएगा
जब अपना बोनस आएगा ...

लोन भी चुकायेगा या बीवी को फ़ॉरेन घुमायेगा
पार्टी शार्टी करके दोस्तों पे रोब जमायेगा
जब अपना बोनस आएगा..
पिछले सालों के गैजेट तो कूड़े के भाव बिक गए

कितने सालों के बोनस पार्टी करने में फूँक गए
थोड़ा सा दिमाग़ लगा तो पैसा ही पैसा कमाएगा
इस बार के बोनस को भी मैं काम पे लगायेगा
लॉंग टर्म की प्लानिंग करके अपना भविष्य बनायेगा..
अब अपना बोनस आएगा...अब अपना बोनस आयेगा


बोनस या अतिरिक्त आय का उपयोग समझदारी से करें...पढ़े 

https://arthagyanindia.blogspot.com/2019/04/the-6-smartest-things-to-do-with-your.html

Wednesday, April 24, 2019

The 6 smartest things to do with your Yearly Bonus





अप्रैल का महीना आपके लिए यदि नौकरी में बोनस ले कर आ रहा है तो यह मौका खुशियाँ मनाने का है . एक नौकरी वाला आदमी इस समय का इंतजार पूरे  साल करता है. बोनस में मिले पैसे को खर्च करने के लिए उसके मन में बहुत सारी योजनायें होती है. हो सकता है आपके मन में भी ऐसे कई सारे प्लान हों बोनस को लेकर जैसे बच्चे के लिए बाइक लेनी है या पूरे परिवार के साथ बाहर घुमने जाना है या अपने कार का डाउन पेमेंट या कुछ महंगे गैजेट खरीदने या घर की थोड़ी मरम्मत करानी है या घर के लिए ने फर्नीचर या और आवश्यक चीजें खरीदनी है. ऐसे बहुत सारी प्लानिंग एक नौकरी पेशे वाले के मन में बोनस को लेकर होती है. 

अर्थज्ञान के माध्यम से आपको फाइनेंसियल मामलों में सही जानकारी देने का और आपको फाइनेंसियल लाइफ को सही दिशा देने के प्रयास की अगली कड़ी में आज हम बात करेंगे बोनस या अतिरिक्त लाभ के सही ढंग से उपयोग करने के बारे में.

जब भी कभी हमें एक रेगुलर कैश फ्लो जैसे सैलरी या रेगुलर प्रॉफिट के अतिरिक्त कुछ पैसे मिलते हैं वो चाहे बोनस के रूप में हों या अधिक लाभ के रूप में हों तो उसका उपयोग करने में अक्सर लोग कैजुअल हो जाते हैं क्यूंकि ये पैसे कई बार लोग अपनी अतिरिक्त आय के रूप में समझ लेते हैं इसलिए उसका उपयोग भी बहुत सोच समझ के नहीं करते और इस कारण वो पैसे अनावश्यक खर्चे में  चले जाते हैं जिनका उपयोग अगर  सही ढंग से करते तो वह उनकी फाइनेंसियल लाइफ को और अच्छा बना सकता था. तो आज हम समझते हैं की ऐसे समय में हमे कैसे संतुलन बनाना चाहिए जिस से की हम इन मौकों को एन्जॉय भी कर सकें और अपने फाइनेंसियल लाइफ  को और भी व्यवस्थित कर सकें.


1- अपने आप को गिफ्ट करें- 
सबसे पहले बोनस से ऐसी चीज अपने आप को या अपने परिवार को गिफ्ट करें जिसमें आप सभी को ख़ुशी मिलें. जैसे बाहर छुट्टी पर घूमने जाने के लिए या बच्चों की बाइक या कंप्यूटर या और किसी इंस्ट्रूमेंट में जैसे अगर आपको या आपके बच्चे को म्यूजिक का शौक है तो म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट या अपनी पत्नी या अपने पति के लिए ऐसा उपहार जो उनके दिल के करीब हो. लेकिन ध्यान यह रखें कि इन मदों में पूरे पैसे ना डाल दें, एक निश्चित राशि निर्धारित करें और सिर्फ उसी बजट में यह काम करें.

2- इमरजेंसी फण्ड बनायें-
फाइनेंसियल प्लानिंग करते हुए सबसे पहले इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि आपके पास कम से कम 6 महीने के फिक्स्ड और रनिंग खर्च के बराबर की राशि का इमरजेंसी फण्ड होना चाहिए. क्यूंकि 6 महीने का खर्चा मतलब आपके 3-4 महीने की कमाई के बराबर की राशि जिसे  इकट्ठा होने में थोडा समय लगता है . इसलिए बोनस के पैसे से आप अपने इमरजेंसी फण्ड बना सकते हैं. इमरजेंसी फण्ड का उपयोग किसी को तभी समझ में आती है जब थोड़े समय के लिए उसकी नौकरी या बिज़नेस में समस्या आती है जैसे कोई मेडिकल प्रॉब्लम आ जाती है या किसी दुर्घटना में कुछ नुकसान हो जाता है या बिज़नेस में थोड़ी प्रॉब्लम आ जाय या नौकरी में कुछ समस्या हो जाय, ऐसे समय में इमरजेंसी फण्ड काम आता है. अक्सर देखा गया है जो लोग इमरजेंसी फण्ड नहीं रखते उन्हें कठिन परिस्थितियों में अपनी कुछ सम्पतियाँ मज़बूरी में कम कीमत में बेचनी पड़ जाती हैं. इसलिए इमरजेंसी फण्ड का होना सभी के लिए बहुत जरुरी होता है.

ध्यान रखें अपने इमरजेंसी फण्ड की राशि को दो हिस्सों में रखें 45 दिन के खर्च के बराबर की राशि सेविंग्स अकाउंट में और शेष राशि म्यूच्यूअल फण्ड की लिक्विड या अल्ट्रा शार्ट टर्म फण्ड में. ऐसा इसलिए कि ये ऐसे निवेश के विकल्प हैं जहाँ से पैसे बहुत आसानी से निकाले जा सकते हैं और इनमे किसी तरह के नुकसान की संभावना नहीं होती.

लिक्विड फण्ड के बारे में जानकारी के लिए लिंक पर  क्लिक करें  http://arthagyanindia.blogspot.in/2016/04/liquid-funds.html


3- लोन का बोझ कम करने में -
बोनस या अतिरिक्त लाभ के पैसे का उपयोग आप अपने लोन को चुकाने में कर सकते हैं और यह खास कर ऐसे में और जरुरी हो जाता है जब लोन पर अधिक दर से ब्याज से दिया जा रहा हो और वहीँ नए निवेश पर रिटर्न या ब्याज की दर कम हो. ऐसा अक्सर देखा गया है कि लोग लोन पर 10% की दर से ब्याज चूका रहे होते हैं और अपने पैसे को ऐसी जगह निवेश कर रखे होते हैं जहाँ से उन्हें 7-8 का ब्याज या रिटर्न मिल रहा होता है.
अगर आप अपने बोनस का उपयोग लोन को चुकाने में करते हैं तो आपके ऊपर से EMI का बोझ को कम होता है. 

4-  अपने परिवार की आर्थिक सुरक्षा में
कमाई करने वाले व्यक्ति की असमय मृत्यु पूरे परिवार को दूसरों के ऊपर आश्रित बना सकती है इसलिए  परिवार को आर्थिक सुरक्षा के लिए टर्म इंश्योरेंस पालिसी अत्यंत आवश्यक है . किसी व्यक्ति का इंश्योरेंस कवर या सुरक्षा कवर उसकी कमाई, उसके खर्चे, उसके दायित्वों और उम्र में होने वाले बदलाव से बढ़ता है, लाइफ इंश्योरेंस व्यक्ति की कमाई का कम से कम 10 गुना होना चाहिये. 
बोनस का उपयोग परिवार की आर्थिक सुरक्षा के लिए टर्म प्लान खरीदने में करना समझदारी भरा फैसला है.

लाइफ इंश्योरेंस की जरूरत समझने के लिए पढ़ें-

5- क्रेडिट कार्ड या पर्सनल लोन से छुटकारा-
अपने बोनस का उपयोग लम्बे समय से चले आ रहे क्रेडिट कार्ड पर बकाया बिल या पर्सनल लोन को चुकाने में करें. क्यूंकि यह ऐसे लोन होते हैं जहाँ पर ब्याज दर काफी ज्यादा होती हैं और इनके रीपेमेंट में कोई गड़बड़ आपके भविष्य में पड़ने वाली जरूरतों के ऊपर भारी पड सकती हैं और साथ में  इससे आपका क्रेडिट स्कोर गड़बड़ होता है. इसलिए समय रहते इस तरह के लोन से छुटकारा पाने में ही समझदारी होगी.

6- फाइनेंसियल गोल्स को रिसेट करने में-
आपके इन्वेस्टमेंट का आधार हमेशा आपके फाइनेंसियल गोल्स होने चाहिए मतलब कोई भी इन्वेस्टमेंट करने से पहले आपको उस इन्वेस्टमेंट का उद्देश्य या लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए.ऐसे में जब आपको बोनस या प्रॉफिट के रूप में कुछ सरप्लस फण्ड मिलते हैं तो अपने निवेश की जरूरतों को एक बार फिर से देखना चाहिए. हो सकता है आप बोनस के पैसे निवेश कर के अपने फाइनेंसियल गोल्स को समय से पहले प्राप्त कर सकें या अपने फाइनेंसियल गोल्स को पाने में आपको कम प्रयास करना पड़े. जब भी कभी एक मुश्त सरप्लस फण्ड आयें उनका उपयोग लम्बे समय में  वेल्थ क्रिएट करने में जरुर करिये. 


इस प्रकार से आप संतुलित तरीके से बोनस का उपयोग  कर के अपने तरक्की की राह पर आगे बढ़ सकते हैं. हो सकता है आपको अपनी बोनस की राशि कम लग रही हो या आप अपने बोनस से खुश ना हों, लेकिन आप छोटी बोनस राशि का भी सही उपयोग करके अपने लिए कुछ अच्छा कर सकते हैं.
https://www.youtube.com/watch?v=ZKC01iQrPAU

अपने सुझाव देने के लिए धन्यवाद. इस ब्लॉग को अधिक से  अधिक लोगों में शेयर करें. कोई भी प्रश्न आप ईमेल के जरिये पूछ सकते हैं.

Sunday, April 14, 2019

NCD में निवेश करने से पहले पढ़ें..



आम तौर पर निवेशकों के बीच सबसे प्रचलित इन्वेस्टमेंट आप्शन बैंक फिक्स्ड डिपाजिट है और इसका कारण है बैंक से मिलने वाला एक निश्चित ब्याज और साथ में पैसे की सुरक्षा . आप अपने बगल में खुले किसी बैंक की फिक्स्ड डिपाजिट में आसानी से निवेश कर सकते हैं और फिक्स्ड रिटर्न का लाभ उठा सकते हैं. लेकिन क्या कोई और ऐसे निवेश के साधन  हैं जहाँ पर निवेश कर के आप बैंक से 2%-3% ज्यादा मतलब वर्तमान में  9%-10.% ब्याज कमा सकते हैं और वहां पर पैसे भी सुरक्षित हो तो क्या आप इसके बारे में जानकारी लेना चाहेंगे.

तो आइये जानते हैं एक ऐसे निवेश माध्यम के बारे में जहाँ पर एक निश्चित समय के लिए पैसे लगा कर आप बैंक से बेहतर ब्याज कमा सकते हैं. इस निवेश माध्यम का नाम है डेबेंचर, यह एक ऐसे फाइनेंसियल उत्पाद या इंस्ट्रूमेंट हैं जिनको कंपनियां लम्बे और मध्यम समय के अपनी पूंजीगत जरूरतों के लिए पब्लिक को जारी करती हैं, यह एक निश्चित अवधि के लिए जारी किये जाती हैं और इनकी अवधि 1-20 वर्ष तक हो सकती है. इसमें ब्याज बैंक डिपाजिट की तरह एक निश्चित अन्तराल पर निवेशक को मिलता है. इसकी ब्याज दरें सामान्यतया बैंक फिक्स्ड डिपाजिट से अधिक होती हैं. अवधि पूरी होने पर मूलधन निवेशक को वापस मिल जाता है. बस इनकी उपलब्भता बैंक  डिपाजिट की तरह नहीं है और इन पर भरोसा भी बैंक की तरह लोग नहीं करते.

वैसे पैसे की सुरक्षा के मामले में यह निर्भर करता हैं इनकी क्रेडिट रेटिंग पर, विभिन्न रेटिंग एजेंसियां जैसे ICRA, CRISIL, FITCH और CARE, डिबेंचर जारी करने वाली कंपनियों और उनके इंस्ट्रूमेंट को क्रेडिट रेटिंग देती हैं. अगर डिबेंचर AAA रेटेड हैं तो सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं और AA हैं तो AAA से कम सुरक्षित हैं और A हैं तो AA से कम सुरक्षित हैं.


ऐसे ही ब्याज दरें भी AAA में AA से कम और AA में A से कम होती हैं.


डिबेंचर दो प्रकार के होते हैं पहला कनवर्टिबल डिबेंचर और दूसरा नॉनकनवर्टिबल डिबेंचर (NCD)

कनवर्टिबल डिबेंचर वो होते हैं जिनमें अवधि पूरी होने पर मूलधन वापस ना मिलकर उसी कम्पनी के शेयर या इक्विटी पूर्व निर्धारित शर्तों के अनुसार निवेशक को मिल जाते हैं. जब की नॉनकनवर्टिबल डिबेंचर (NCD) में मेच्योरिटी पर मूल धन निवेशक को वापस मिलता है. इसीलिए फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टर के लिए NCD उपयुक्त होती हैं.

NCD सामान्यतया दो तरह को होती हैं एक होती है सिक्योर्ड और दूसरी अनसिक्योर्ड. 


सिक्योर्ड NCD वो होती हैं जो कंपनी के एसेट्स से सुरक्षित होती हैं मतलब NCD जारी करने में जितने पैसे पब्लिक से लिए गए हैं उसके बदले में कंपनी के एसेट्स को एक तरह से बंधक बनाया गया होता है वहीँ पर अनसिक्योर्ड NCDs एसेट्स बैक्ड नहीं होती मतलब इनमें ज्यादा रिस्क होता है और इसलिए ये सिक्योर्ड NCDs से ज्यादा ब्याज दरें ऑफर करती हैं.


NCD  के फायदे



बेहतर रिटर्न- NCDs  का सबसे बड़ा फायदा यही है कि इन पर निवेशक को ब्याज या रिटर्न अन्य फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट जैसे पोस्ट ऑफिस डिपाजिट या बैंक डिपाजिट से अधिक मिलता है.


टीडीएस - NCDs से मिलने वाले ब्याज या गेन पर कोई टीडीएस नहीं लगता.

ब्याज मिलने के विकल्प- NCDs में निवेशक को ब्याज, मासिक, तिमाही, सालाना  या एक साथ परिपक्वता (Maturity) पर मिलने का विकल्प होता है.


लिक्विडिटी- NCD  जारी करने वाली कम्पनी सामान्यतया निवेशक को पैसे परिपक्वता पर ही देती है मगर परिपक्वता से पहले निवेशक को पैसे वापस चाहिए तो सेकेंडरी मार्केट में NCDs को बेच कर पैसे लिए जा सकते हैं. अगर NCD  पुट आप्शन के साथ है तो NCD जारी करने वाली कम्पनी से परिपक्वता से  पहले भी निवेशक पैसे वापस ले सकता है.


NCDs कहाँ से खरीदें

NCDs प्राइमरी मार्केट से और सेकेंडरी मार्केट दोनों जगह से ख़रीदे जा सकते हैं. जब कंपनी पहली बार NCD जारी करती है तो अपने DEMAT अकाउंट के माध्यम से प्राइमरी मार्केट से खरीद सकते हैं और बाद में सेकेंडरी मार्केट से भी इन्हें ख़रीदा जा सकता है. इन में निवेश करने के लिए सामान्यतया DEMAT अकाउंट होना जरुरी होता है.


ब्याज और कैपिटल गेन पर टैक्स 



NCDs से मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस नहीं कटता है लेकिन ब्याज पूरी तरह से टैक्सेबल इनकम होती है.  निवेशक को अपने टैक्स स्लैब के अनुसार ब्याज पर टैक्स भरना होता है. 

NCD में कैपिटल गेन तभी होगा जब NCDs को परिपक्वता से पहले सेकेंडरी मार्केट में बेचा जाये.

यदि खरीदने के 12 महीने से पहले NCD बेचीं गई तो सॉर्ट टर्म कैपिटल गेन होगा और पूरा गेन निवेशक की इनकम में जुड़ जायेगा और उसको पाने टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा.


यदि NCD 12 महीने के बाद बेची गई है तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन होगा और इस पर टैक्स, इनकम टैक्स एक्ट की धारा 112 के अंतर्गत 10.3% के रेट से टैक्स लगेगा.


NCD में निवेश करने से पहले इन बातों पर अवश्य ध्यान दें


अब हम आते हैं अपने मूल विषय पर की NCD में निवेश करने से पहले हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए-

1- पैसे की सुरक्षा बहुत जरुरी है इसलिए निवेश सिर्फ उन्ही NCDs में करें जिनकी क्रेडिट रेटिंग से आप संतुष्ट हों. जैसा की  मैंने पहले ही बताया AAA रेटिंग सबसे सुरक्षित मानी जाती है. वैसे AA- तक रेटिंग वाले NCDs को इन्वेस्टमेंट की दुनिया में इन्वेस्टबल ग्रेड माना जाता है लेकिन एक रिटेल निवेशक के लिए शायद यह पैरामीटर सही नहीं हो. इसलिए हमेशा निवेश करने से पहले क्रेडिट रेटिंग देखें.

2- कोई सेक्टर या कंपनी  यदि बुरे समय में है तो ऐसे सेक्टर या कंपनी की NCD खरीदना उपयुक्त नहीं होता. इसलिए ऐसी परिस्थिति में अधिक ब्याज की लालच में ना पड़ें. क्यूंकि इन परिस्थितियों में ब्याज हो सकता हो आपको अन्य NCDs से अधिक मिल रहा हो लेकिन रिस्क भी उनमे अधिक होता है.

3. ऐसी कंपनी की NCD में निवेश ना करें जिनके इक्विटी में निवेश या शेयर में निवेश करने में आप कम्फर्टबल ना हों.

4. ऐसे सेक्टर या कंपनी में निवेश करने से बचे जहाँ पर होने वाले व्यापार या उनके बिज़नस में ट्रांस्पेरंसी ना हो

5. केवल एक कंपनी की NCD में निवेश ना करें. 

6. एसेट बैक्ड NCD यानि सिक्योर्ड NCD में ही निवेश करें.

7. सेकेंडरी मार्केट में NCD की खरीद-बेच होती है और उनका मूल्य, ब्याज दरों के घटने बढ़ने पर घटता बढ़ता है, इसलिए NCDs में परिपक्वता तक बने रहें हो सकता है बीच में निकलने पर आपको मूलधन से कम पर निकलना पड़ जाय.

8. NCD यदि कॉल आप्शन के साथ है तो ऐसे में कम्पनी NCD की परिपक्वता या अवधि पूरी होने से पहले निवेशक को मूलधन वापस कर सकती है.
9. NCD यदि पुट आप्शन के साथ है तो निवेशक NCD की परिपक्वता या अवधि पूरी होने से पहले कंपनी से अपना मूलधन वापस ले सकता है.

10. NCD में इक्विटी की तरह बहुत लाभ नहीं प्राप्त किया जा सकता यहाँ पर एक निश्चित ब्याज और थोडा सा कैपिटल गेन मिल सकता है इसलिए सिर्फ अधिक रिटर्न कमाने के नजरिये से ही इनमें निवेश न करें, रिस्क और लिक्विडिटी जैसे विषय को ध्यान में जरुर रखें.

  
NCDs के माध्यम से कंपनियां समय-समय पर अपने प्राइमरी इशू ला कर मार्केट से पैसे उठाती हैं, समय पर थोड़ी से जानकारी प्राप्त करके  NCDs के माध्यम से एक आम निवेशक अपने पैसे पर अधिक ब्याज या रिटर्न कमा सकता है. 

निवेश करने से पहले अपने निवेश सलाहकार से सलाह लें. धन्यवाद.






Saturday, April 6, 2019

रिटायरमेंट के बाद निवेश कैसे और कहाँ करें !!!





रिटायरमेंट फण्ड कैसे बनाये इसके बारे में बहुत सारे लेख मिल जायेंगे, बहुत सारी योजनायें हैं लेकिन रिटायरमेंट के बाद इकट्ठा किये हुए आपके रिटायरमेंट फण्ड का सही प्रबन्धन कैसे करें इस के बारे में बहुत कम बाते होती हैं, बहुत  कम लेख छपते हैं और बहुत कम टीवी प्रोग्राम होते हैं. इसी कमी को पूरा करने के उद्देश्य से मैंने पिछला ब्लॉग लिखा. कई लोगों ने मुझे पिछले ब्लॉग के लिए अच्छा फीडबैक दिया और मुझे प्रोत्साहित किया कि मै इस विषय पर और विस्तार से चर्चा करूँ. वैसे भी इस विषय को एक ब्लॉग में पूरा कर पाना संभव नहीं है और मुझे पता है कि इस ब्लॉग में भी सभी पक्ष पर प्रकाश नहीं डाला जा सकता क्यूंकि इसके आगे की बात अलग-अलग व्यक्ति के लिए अलग हो सकती है .

अगर आपने पिछला ब्लॉग नहीं पढ़ा है तो नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करके उसे पढ़ें और फिर इस ब्लॉग को पढ़ें.
http://arthagyanindia.blogspot.in/2017/05/blog-post_27.html

इस ब्लॉग के माध्यम से ऐसे कुछ विकल्प के बारे में बताने का प्रयास कर रहा हूँ जो कि सीनियर सिटीजन के लिए सही हो सकते हैं.

एक रिटायर्ड इन्वेस्टर को सबसे पहले पैसे की सुरक्षा को लेकर सलाह दी जाती है और यह उचित भी है रिटायरमेंट के बाद या तो इनकम समाप्त  हो जाती है या आधी रह जाती है इसलिए आदमी को पैसे की सुरक्षा का नजरिया जरुर रखना चाहिए . लेकिन केवल सुरक्षा का नजरिया लेकर अगर रिटायर्ड इन्वेस्टर निवेश करें तो उन्हें वो परेशानी हो सकती है जो पिछले ब्लॉग में मैंने श्याम जी के उदाहरण से समझाने का प्रयास किया था. 

मेर विचार से आपके इन्वेस्टमेंट ऐसी जगह होने चाहिए जो आपका लम्बे समय तक साथ भी दे, सुरक्षित भी रहे और जरुरत पड़ने पर आप आसानी से पैसे निकाल सकें यानी की आपको पैसे की सुरक्षा के साथ बेहतर  रिटर्न और लिक्विडिटी भी चाहिए. और ऐसे में आप किसी एक विकल्प में निवेश कर के सारी चीजें नहीं पा सकते. आपको एक रणनीति के अनुसार विभिन्न  निवेश विकल्पों और अलग-अलग अवधि के लिए निवेश करना होगा.

और नीचे दिए गए चार्ट को ध्यान से देखिये, मुझे लगता है कोई भी विकल्प अपने आप में ये तीनो चीजें आप को नहीं दे सकते.

* Expected Return (Mutual Fund investments are subject to market risks, read all scheme related documents carefully.)

PMVVY और SCSC दोनों में मिला कर आप 22.5 लाख रुपये तक का निवेश कर सकते हैं दोनों को मिला कर आपको इन से आज की ब्याज दर के अनुसार अगले 5 वर्ष तक  लगभग 8.25% का ब्याज मिल सकता है, लेकिन उसके बाद क्या होगा पता नहीं. अच्छी बात यह है कि PMVVY से आपको हर महीने ब्याज मिलता है वहीँ SCSC से आपको हर तिमाही पर. इन स्कीमों अगर यही रिटर्न टैक्स फ्री होते तो बहुत अच्छा होता लेकिन टैक्स देने के बाद आपका रिटर्न 0.80%-2.40% तक कम हो जाता है, अगर 10% स्लैब में हैं तो पोस्ट टैक्स रिटर्न लगभग 7.45%, 20% में हैं तो 6.65% और 30% स्लैब में हैं तो लगभग 5.85% का ही रह जाता है. इन विकल्पों में भविष्य में ब्याज दर कम होने का रिस्क हमेशा रहता है.

अगर आप सिर्फ फिक्स्ड रिटर्न की चाहत रखते हैं तो फिर NCDs और कॉर्पोरेट FDs में निवेश कर सकते हैं लेकिन इनके रिस्क फैक्टर जैसे क्रेडिट रेटिंग, लिक्विडिटी रिस्क और डिफ़ॉल्ट रिस्क के बारे में जानकारी अवश्य लेनी चाहिये. बैंक FDs के रिटर्न SCSC, NCDs, PMVVY एवं कॉर्पोरेट FDs से सामान्यतया कम होते हैं.

PMVVY एक एन्युटी प्लान ही है इसके अलावा लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों के जितने भी एन्युटी प्लान हैं उनके रिटर्न कम होते हैं. इसलिए एन्युटी प्लान को मैं उपयुक्त नहीं मानता.

अकसर ट्रेडिशनल तरीकों में इन्वेस्टमेंट करने वाले लोग निश्चित ब्याज दर को लेकर इतने कड़ा रुख रखते हैं कि वो बाकि चीजों को ध्यान नहीं देते. मेरा उनको यही सुझाव है आप को सुरक्षा के साथ लम्बे समय तक साथ देने वाले विकल्पों के बारे में पढ़ना, सुनना, समझना चाहिए और इस विषय के विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए. उसको मानना ना मानना हमेशा आपके हाथ में है.

सलाह किस से ले रहे हैं यह भी बहुत महत्वपूर्ण है अक्सर देखा जाता हैं निवेश के मामले में मिश्रा जी अपने विभाग के शर्मा जी से सलाह लेते हैं और वहीं  शर्मा जी ने दुसरे विभाग के वर्मा जी से सलाह ली होती है और वर्मा जी ने किसी विशेषज्ञ से अपनी परिस्थियों के अनुकूल कोई इन्वेस्टमेंट किया होता है. अब मिश्रा जी बिना यह जाने हुए कि वर्मा जी ने क्या समझा था, किस परिस्थिति में कौन सी जगह निवेश किया था, वहां पर निवेश कर देंगे तो अब बताइए मिश्रा जी का अनुभव कैसा होगा.

जैसे आप सोचिये वर्मा जी की कमर 36 की है हाइट 5.5 ft की है अगर उनकी पैंट मिश्रा जी पहन लें जिनकी कमर 32 की है और हाइट 5.9 ft की है तो कैसा लगेगा. आपके इन्वेस्टमेंट आपकी परिस्थतियों, आपके रिस्क प्रोफाइल, कैश फ्लो की जरुरत और तमाम ऐसी बातों पर निर्भर करता है. इसलिए जैसे अपनी पैंट अपने नाप की सिलवा के पहने तो वो पहनने में भी आरामदायक होगी और देखने में भी अच्छी होगी उसी तरह से आपके इन्वेस्टमेंट भी आपके ही हिसाब से होंगे तभी आप के लिए ठीक होंगे.

रिटायरमेंट फण्ड को मैनेज करने के बारे में मै आगे और कुछ बात करूँ उस से पहले विश्व प्रसिद्ध इन्वेस्टमेंट गुरु पीटर लिंच की बात समझ लेते हैं उनका क्या कहना है रिटायरमेंट फण्ड के निवेश के बारे में. 

पीटर लिंच के अनुसार रिटायरमेंट के बाद मिले फण्ड को  इन्वेस्टमेंट करने का निर्णय जब आप ले रहे हों तो सेफ्टी के साथ इस बात पर जरुर ध्यान दें कि शुरुआती सालों में आपके इन्वेस्टमेंट पर मिलने वाला रिटर्न आपके द्वारा निकाले गए पैसों से अधिक रहे. अगर आप 8% का रिटर्न बना रहे हैं लेकिन आप निकाल भी उतना या उस से ज्यादा रहे हैं तो आपका फण्ड बहुत ज्यादा दिन चलने वाला नहीं है. आपके फण्ड की सेफ्टी बहुत जरुरी है लेकिन वो आपका लम्बे समय तक तभी साथ दे पायेगा जब आप शुरुआत के 5-7 सालों में अपने पे आउट से ज्यादा रिटर्न बना पायें. अगर आप ऐसा नहीं कर पाते तो आपकी मुश्किलें भविष्य में बढ़ने वाली हैं.


ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट आप्शन आपको रेगुलर कैश फ्लो दे सकते हैं लेकिन वो उतना पैसा आपको हर साल बना के नहीं दे सकते जितनी आपकी जरूरतें हो सकती हैं और वहीँ हाइब्रिड म्यूच्यूअल फंड्स या एसेट एलोकेशन फंड्स आपको साल दर साल, महीने दर महीने एक बराबर का रिटर्न नहीं दे सकते उनके रिटर्न में उतार चढाव होता रहता है, लेकिन 5 साल से ऊपर की समयावधि में ये प्रोडक्ट दोहरे अंक वाले पोस्ट टैक्स रिटर्न देने के क्षमता रखते हैं.  NCD और कॉर्पोरेट FD में थोड़े बेहतर रिटर्न आप तब बना सकते हैं जब आप उसमें भी थोडा रिस्क लें यानी AAA रेटेड इंस्ट्रूमेंट में आप बैंक FDs तो बेहतर रिटर्न बना सकते हैं लेकिन वो भी वर्तमान में 9% से ज्यादा नहीं होंगे उस से ज्यादा रिटर्न के लिए आपको AA रेटेड इंस्ट्रूमेंट लेना पड़ेगा. डेब्ट फंड्स में जहाँ रिटर्न देने के क्षमता ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट से 1%-2% ज्यादा रहती है लेकिन वहां भी हर महीने एक निश्चित रिटर्न तो नहीं बन सकते, लेकिन 6 महीने-1 साल के रिटर्न में आप निश्चितता देख सकते हैं.

रिटायरमेंट फण्ड को मैनेज करने के लिए Bucketing  Strategy सब से अच्छी मानी जाती है लेकिन यह विकल्प ऊपर दिए गए विकल्पों की तरह सरल नहीं है. इसमें  निवेश सलाहकार की विशेषज्ञता के साथ निवेशक के विश्वास और उस योजना पर लगातार चलते रहने पर निर्भर करता है. इस विषय के  बारे में किसी अन्य ब्लॉग में विस्तार से चर्चा करूँगा.

एक रिटायर्ड इन्वेस्टर के लिए इनके अलावा किसी अन्य विकल्पों के बारे में सोचना उचित नहीं होगा.

इन्ही विकल्पों और निवेश माध्यमों को मिला कर आप अपने लिए एक विनिंग प्लान बना सकते हैं. म्यूच्यूअल फंड्स से रेगुलर कैश फ्लो के लिए आप सिस्टेमेटिक विड्राल प्लान ले सकते हैं. म्यूच्यूअल फंड्स से डिविडेंड पेआउट आप्शन अब ना लें इस से आपको टैक्स ज्यादा चुकाना पड़ेगा और आपका पोस्ट टैक्स रिटर्न कम हो जायेगा.


पढ़ें कैसे पायें स्टेबल रिटर्न के साथ रेगुलर कैश फ्लो
http://arthagyanindia.blogspot.in/2016/12/blog-post.html

यहाँ पर मैं आपको 4 अलग-अलग समीकरणों का विश्लेषण कर के दिखाता हूँ . इसको देख कर आप समझ पायेंगे की आपको विभिन्न निवेश के साधनों में निवेश कर के लम्बे समय में कितने पैसे रेगुलरली ले सकते हैं और कितने साल तक चला सकते हैं.

1- ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट के साथ - एक्सपेक्टेड रिटर्न - 8%, टोटल इन्वेस्टमेंट कार्पस- 50 लाख रुपये,  शुरुआती मासिक विड्राल- 35000 रुपये, महंगाई दर- 5%, विड्राल में सालाना वृद्धि - 5%

Withdrawal Plan

Investment at Retirement
5,000,000
Date of Retirement
06-06-2017
Annual Interest Rate
8.00%
Withdrawal Frequency
Monthly
First Withdrawal
35,000
Payment Type
End of Period
Annual Inflation Rate
5.00%
Current Age
60.0
Results

Years Until Retirement
0.00
Age at Retirement
60.0
Initial Withdrawal
35,004.68
Number of Payouts
178
Age at Last Payout
74.8
Final Payout
48,281.02
Total Interest Earned
4,184,513.02
Total Withdrawals
9,184,513.02

ऊपर दिये हुये चार्ट से यह बात कितनी स्पष्ट हो जाती है कि ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट के भरोसे 15 साल मुश्किल से चला सकते हैं और इतने में ब्याज ही नहीं मूलधन  भी पूरी तरह से निकाल चुके होंगे. और यहाँ पर ना हमने आपके द्वारा दिए जा रहे टैक्स को ध्यान में रखा है और ना ही महंगाई दर उतनी रखी है जितनी तेजी से आपके खर्चे बढ़ सकते  हैं. इसी तरह लोगों के रिटायरमेंट फण्ड समय से पहले ख़त्म हो जाते हैं. इसलिए ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट पर पूरी तरह से आश्रित होने से पहले इस विषय पर जरुर सोचे कि यह कितने दिन तक आपका साथ देंगे. 

2- ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट के साथ डेब्ट फण्ड या NCD- एक्सपेक्टेड रिटर्न - 8.75%, टोटल इन्वेस्टमेंट कार्पस- 50 लाख रुपये, शुरुआती मंथली विड्राल- 35000 रुपये, महंगाई दर- 5%,  विड्राल में सालाना वृद्धि - 5%

Withdrawal Plan

Investment at Retirement
5,000,000
Date of Retirement
06-06-2017
Annual Interest Rate
8.75%
Withdrawal Frequency
Monthly
First Withdrawal
35,000
Payment Type
End of Period
Annual Inflation Rate
5.00%
Current Age
60.0
Results

Years Until Retirement
0.00
Age at Retirement
60.0
Initial Withdrawal
35,004.68
Number of Payouts
191
Age at Last Payout
75.9


Total Interest Earned
5,132,367.99
Total Withdrawals
10,132,367.99

इस तरह से भी अगर आप प्लान करते हैं तो भी 16 साल से ज्यादा आपके फण्ड के रहने की संभावना नहीं है. इस प्लान से भी बहुत परिवर्तन नहीं पड़ता. इसलिए यह प्लान भी बहुत उपयुक्त नहीं है.

3- डेब्ट फण्ड या NCD के साथ बैलेंस्ड एडवांटेज या एसेट एलोकेशन फण्ड- एक्सपेक्टेड रिटर्न - 11%, टोटल इन्वेस्टमेंट कार्पस- 50 लाख रुपये, शुरुआती मंथली विड्राल- 35000 रुपये, महंगाई दर- 5%, विड्राल में सालाना वृद्धि - 5%

Withdrawal Plan

Investment at Retirement
5,000,000
Date of Retirement
06-06-2017
Annual Interest Rate
11.00%
Withdrawal Frequency
Monthly
First Withdrawal
35,000
Payment Type
End of Period
Annual Inflation Rate
5.00%
Current Age
60.0
Results

Years Until Retirement
0.00
Age at Retirement
60.0
Initial Withdrawal
35,004.68
Number of Payouts
253
Age at Last Payout
81.1


Total Interest Earned
10,569,561.24
Total Withdrawals
15,569,561.24

अगर आप इस तरह निवेश करते हैं कि आप औसतन 11% का रिटर्न पूरे समय में बना सकें तो आप अपना फण्ड रिटायरमेंट के 21 साल के बाद तक चला सकते हैं और इस तरह से यह विकल्प पिछले दोनों विकल्पों से अधिक समय तक चल सकता है. और यह विकल्प कम रिस्क के साथ बेहतर काम करने के क्षमता रखता है.

4- बैलेंस्ड एडवांटेज फण्ड या एसेट एलोकेशन फण्ड के साथ- एक्सपेक्टेड रिटर्न - 13%, टोटल इन्वेस्टमेंट कार्पस- 50 लाख रुपये, शुरुआती मंथली विड्राल- 35000 रुपये, महंगाई दर- 5%

Withdrawal Plan

Investment at Retirement
5,000,000
Date of Retirement
06-06-2017
Annual Interest Rate
13.00%
Withdrawal Frequency
Monthly
First Withdrawal
35,000
Payment Type
End of Period
Annual Inflation Rate
5.00%
Current Age
60.0
Results

Years Until Retirement
0.00
Age at Retirement
60.0
Initial Withdrawal
35,004.68
Number of Payouts
460
Age at Last Payout
98.3
Final Payout
164,993.05
Total Interest Earned
43,413,872.88
Total Withdrawals
48,413,872.88

आखिरी समीकरण तो अच्छा लग रहा है लेकिन यह विकल्प तभी कारगर हो सकता है जब की आप निवेश की शुरुआत में उसमें बनने वाले रिटर्न से ज्यादा पैसे न निकाले तभी लम्बे समय में यह योजना काम आ सकती है. लेकिन इस योजना पर चलने से पहले आप को इस में होने वाले उतार चढाव के बारे में ठीक से समझना होगा.


इन चारों समीकरणों को ठीक से समझिये. आप सबसे सुरक्षित चलना चाहेंगे और पहला या दूसरा विकल्प अपनाएंगे तो आपका भविष्य बहुत असुरक्षित हो सकता है, वहीँ चौथा विकल्प आपको थोडा परेशान कर सकता है यदि आप इक्विटी मार्केट या म्यूच्यूअल फण्ड के बारे में अधिक जानकारी नहीं रखते.

यहाँ पर एक बार पीटर लिंच की बात याद करिये और देखिये उन्होंने कितनी सही बात कही है. पहले विकल्प में आप 8% का रिटर्न बना रहें हैं और आपके विड्राल की शुरुआत 8.4% से हो रहे हैं. ऐसी स्थिति में आपका फण्ड 15 साल भी आपका साथ नहीं दे पाता है. अगर आप पहले या दुसरे विकल्प के साथ जाना चाहते हैं तो आप को अपने खर्चों पर बहुत नियंत्रण रखना चाहिए, आपके विड्राल अगर शुरुआत में 5% तक रहे तो आप अपने फंड्स 93 साल की उम्र तक चला सकते हैं. और यही एक मात्र तरीका है जो ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट के साथ आपके खर्चे लम्बे समय तक चला सकता है.

तीसरे और चौथे विकल्प आपका साथ लम्बे समय तक दे सकते हैं लेकिन हो सकता हैं आपको शरुआत के सालों में थोड़ी परेशानी भी हो, जब उनकी वैल्यू में उतार चढाव होगी. कम से कम पिछले 20 सालों के म्यूच्यूअल फण्ड के  अनुभव तो यही बताते हैं.  इन विकल्पों को यदि आप चुनते हैं तो आप अपनी लाइफ स्टाइल भी बनाये रखेंगे, खुल के जी सकेंगे और लम्बे समय तक अपने फंड्स का लाभ भी उठा सकेंगे. लेकिन इन विकल्पों के साथ आपको थोडा सजग रहना पड़ेगा. 
                                                                                                                                                             कोई भी व्यक्ति अपनी 75वीं सालगिरह पर पैसों के लिए अपने बच्चों की तरफ नहीं देखना चाहेगा और ना ही पैसों के लिए नौकरी करना चाहेगा. इसलिए समय से पहले या तो अपने खर्चों को घटा लें और ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट आप्शन के साथ चलें और या तो मार्केट लिंक्ड प्रोडक्ट में समझदारी से निवेश करके डबल डिजिट रिटर्न बनायें और अपनी लाइफ स्टाइल बनाये रखे हुए अपनी लाइफ के गोल्डेन पीरियड एन्जॉय करें.

इनमे से कोई भी विकल्प चुनने से पहले अपने आप को ठीक तरह से समझे, अपने पैसे से ना तो एक्सपेरिमेंट करें ना ही किसी अनाड़ी (अपने रिश्तेदार, दोस्त) या खिलाडी (बैंकर या LIC एजेंट ) को करने दें. सोच समझ कर अपने इस एसेट के लिए प्लान बनायें या किसी अच्छे निवेश विशेषज्ञ से सलाह लें.  

आशा है यह ब्लॉग आपके रिटायरमेंट फण्ड को मैनेज करने में सहायक होगा.