Sunday, January 28, 2018

टैक्स बचाने के तरीके




जहाँ सही टैक्स चुकाना हर नागरिक का कर्त्तव्य है वहीँ  कानून के दायरे में रह कर टैक्स प्लानिंग करके टैक्स बचाना हर व्यक्ति का अधिकार. इसलिए हर व्यक्ति को टैक्स प्लानिंग का रास्ता अपनाना चाहिए. एक अच्छे टैक्स सलाहकार से आपको बहुत फायदे हो सकते हैं, कई बार फीस की चिंता करके हम अच्छे सलाह कर से सम्पर्क नहीं करते लेकिन सही यह होगा कि फीस की चिंता ना कर के अपने फायदे के बारे में सोचना चाहिए. 
एक अच्छे टैक्स सलाहकार का काम सिर्फ रिटर्न फाइल करना नहीं है उसका काम है आपके इनकम, सम्पतियों और खर्चों को ध्यान में रख कर आपके लिए ऐसी टैक्स प्लानिग करे जो कानून कि परिधि में हो और जिस से आपके ऊपर टैक्स का बोझ कम हो सके.

आम तौर पर एक नौकरी करने वाला व्यक्ति समझाता है कि उसको टैक्स सलाह कार की जरुरत नहीं है क्यूंकि उसकी कमाई पर टैक्स बचाने के बारे में कोई क्या सलाह देगा उसे तो सिर्फ 80C के अंतर्गत होने वाले निवेश को दिखाना है और समय से रिटर्न फाइल कर देना है  इसलिए टैक्स सलाह कार कि जरुरत उसे नहीं है यह सिर्फ बिज़नेस या पेशे वाले व्यक्ति के लिए है. लेकिन मेरा मानना है कि टैक्स प्लानिंग सबके लिए जरुरी है आपको कुछ समय निकाल कर टैक्स प्लानिंग के बारे में अच्छे टैक्स सलाह कार से सलाह जरुर लेनी चाहिए.

क्यूंकि टैक्स प्लानिंग एक विस्तृत विषय है इसलिए हर व्यक्ति के हिसाब से टैक्स प्लानिंग के बारे में सब कुछ एक ब्लॉग में लिख पाना  संभव नहीं है लेकिन इसे पढने के बाद आप यह जरुर समझ जायेगे कि टैक्स प्लानिंग आपके लिए भी कितनी जरुरी है.



इनकम टैक्स में आय के पांच प्रमुख श्रोत (Source of Income) बताये गये हैं..

1- वेतन से आय (Income from Salary)
2- मकान सम्पति से आय (Income from House Property)
3- व्यापार एवं पेशे से आय (Income from Business & Profession)
4- कैपिटल गेन से आय (Income from Capital Gain)
5- अन्य श्रोतों से आय (Income from Other Sources) 



यह पांचो श्रोत ही मुख्य होती हैं और बाकी किसी भी तरह की हुई इनकम इन्ही श्रोतों में शामिल हो जाती हैं. इन सभी आयों पर लगने वाले टैक्स और उनसे बचने के प्रावधान इनकम टैक्स में मौजूद हैं जैसे बचत योजनायें, ट्रस्ट बना कर, HUF के माध्यम से या टैक्स फ्री इनकम ज्यादा से ज्यादा अर्जित कर के, गिफ्ट के माध्यम से, परिवार की आय को डिस्ट्रीब्यूट कर के.


टैक्स प्लानिंग की कुछ मुख्य बातें-



सबसे पहले यह जानकारी होना जरुरी है कि आपके लिए कितने तक की इनकम टैक्स फ्री है. हर साल सरकार इनकम टैक्स का स्लैब और उसके रेट घोषित करती है उसके बारे में सही जानकारी लेनी चाहिए. इस साल 60 साल से कम उम्र के लोगों को इनकम टैक्स में काफी छूट मिल गई है, पहले तो उनको 2.5 लाख की इनकम तक कोई टैक्स नहीं देना और उसके बाद 5 लाख तक की इनकम पर सिर्फ 5% के रेट से टैक्स देना है. 
साल 2017-18 के लिए  इनकम टैक्स स्लैब नीचे चार्ट में दिया हुआ है 



इनकम टैक्स स्लैब 2017-18 :






जिस प्रकार से इनकम टैक्स एक्ट में प्रत्येक इनकम पर टैक्स लगाने का प्रावधान है उसी प्रकार से इनकम टैक्स एक्ट के अंतर्गत टैक्स प्लानिंग कर के टैक्स बचाने या कम करने के भी प्रावधान हैं. जैसे धारा 80c के अंतर्गत 1.50 लाख रुपये तक की छुट. इनकम टैक्स एक्ट कि धारा 80C से धारा 80U तक तमाम ऐसे प्रावधान जिनका उचित प्रयोग कर के टैक्स कम किया जा सकता है


सेक्‍शन 80 सी के तहत टैक्‍स छूट - Section 80C 

इनकम टैक्‍स एक्‍ट के तहत टैक्‍स छूट पाने का यह सबसे पापुलर तरीका है. इसके तहत आप लाइफ इन्‍श्‍योरेंस का प्रीमियम जमा कर, ईएलएसएस म्‍यूचुअल फंड, ईपीएफ कंट्रीब्‍यूशन, एन्‍युटी प्‍लान के प्रीमियम पेमेंट, पोस्‍ट ऑफिस स्‍माल सेविंग स्‍कीम्‍स में निवेश और होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट का रिपेमेंट कर टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं. इसके अलावा 5 साल की बैंक एफडी और पब्लिक प्रॉविडेंट फंड में निवेश कर आप टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं। सेक्‍शन 80 सी के तहत आप अधिकतम 1.5 लाख रुपए निवेश कर टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं. 

नीचे दिए गए लिंक पर  क्लिक करिये और जानिए टैक्स बचाने के साथ पैसे कैसे बढ़ाएं

सेक्‍शन 80 डी के तहत टैक्‍स छूट - Section 80D


सेक्‍शन 80 डी के तहत आप सेक्‍शन 80 सी पर मिलने वाली टैक्‍स छूट के अतिरिक्‍त आप अपने लिए, पत्‍नी, बच्‍चों और पैरेंट्स के लिए 25,000 रुपए तक का हेल्‍थ इन्‍श्योरेंस प्रीमियम भुगतान कर टैक्‍स छूट पा सकते हैं. अगर आपके पैरेंट्स सीनियर सिटीजन हैं और आप उनके लिए हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस प्रीमियम का भुगतान कर रहे हैं तो आप 30,000 रुपए तक के प्रीमियम पर टैक्‍स छूट पा सकते हैं. यहां तक कि अगर आपके पैरेंट्स आर्थिक रूप से आत्‍मनिर्भर हैं तब भी आप सेक्‍शन 80 डी के तहत टैक्‍स छूट पा सकते हैं.

सेक्‍शन 80 डीडी के तहत टैक्‍स छूट - Section 80DD


अगर आपके परिवार का कोई सदस्‍य दिव्‍यांग है जो आर्थिक तौर पर आप पर निर्भर है तो सेक्‍शन 80 डीडी के तहत टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं. टैक्‍स छूट की राशि विकलांगता के स्‍तर पर निर्भर करेगी. 40 से 80 फीसदी विकलांगता के लिए आप 75,000 रुपए तक टैक्‍स छूट पा सकते हैं वहीं 80 फीसदी से अधिक विकलांगता के लिए आप 1.25 लाख रुपए तक टैक्‍स छूट मिल सकती है. विकलांगता का स्‍तर तय करने के लिए किसी मेडिकल प्रैक्टिसर द्वारा जारी किया गया विकलांगता प्रमाण पत्र फाइनल अथॉरिटी होगा.

सेक्‍शन 80 डीडीबी के तहत टैक्‍स छूट - Section 80DDB


अगर आपका कोई रिश्‍तेदार जो आप पर निर्भर हो गंभीर बीमारी से पीड़ित है तो आप आप सेक्‍शन 80 डीडीबी के तहत 40,000 रुपए तक पर टैक्‍स छूट पा सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि बीमारी इनकम टैक्‍स एक्‍ट के रूल 11डी में दी गई बीमारी में से एक होनी चाहिए. अगर आप सीनियर सिटीजन है तो आप को 60,000 रुपए तक टैक्‍स छूट मिल सकती है और अगर किसी की उम्र 80 साल से अधिक है तो उसे 80,000 रुपए तक की टैक्‍स छूट मिल सकता है. सेक्‍शन 80 डीडीबी के तहत टैक्‍स छूट पाने के लिए आपको हॉस्पिटल या मेडिकल स्‍पेशलिस्‍ट से बीमारी का सर्टिफिकेट देना होगा.

सेक्‍शन 80 ई के तहत टैक्‍स छूट - Section 80E


अगर आपने खुद के लिए या बच्‍चों के लिए एजुकेशन लोन लिया है तो आप इनकम टैक्‍स एक्‍ट के सेक्‍शन 80 ई के तहत टैक्‍स छूट पा सकते हैं. लोन के रिपेमेंट पर जो ब्‍याज आप चुकाएंगे उस पर आप टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं। आप जब से एजुकेशन लोन का रिपेमेंट शुरू करते हैं उसके बाद 8 साल तक आप टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं. 

सेक्‍शन 80 जी के तहत टैक्‍स छूट - Section 80G


अगर आप दान के तौर पर किसी संगठन को पैसा देते हैं जो टैक्‍स छूट का हकदार है तो आप इनकम टैक्‍स एक्‍ट के सेक्‍शन 80 जी के तहत टैक्‍स छूट ले सकते हैं. आप इस तरह से 50 फीसदी या 100 फीसदी टैक्‍स छूट पा सकते हैं। यह चैरिटेबल ऑर्गनाइजेशन पर निर्भर करेगा। अगर आप 2,000 रुपए से अधिक कैश में डोनेशन देते हैं तो आप को टैक्‍स छूट नहीं मिलेगी.

सैलरी क्‍लास एम्प्लाइज के लिए टैक्‍स बचाने के लिए कुछ और ऑप्‍शन 


सैलरी क्‍लास के लोग सेक्‍शन 10 14 (आई) के तहत आने वाले सभी टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं। जैसे आपके इम्‍पलायर द्वारा दिए जाने वाले यूनीफॉर्म अलाउंस, हेल्‍थ क्‍लब अलाउंस, टेलीफोन अलाउंस, टेलीफोन और इंटरनेट अलाउंस, मील बाउचर, प्रोफेशनल जरूरतों के लिए अलाउंस, कार लीज और रीइम्‍बर्समेंट अमाउंटस आदि. इनमें से ज्‍यादतर अलाउंस सेक्‍शन 10 14 (आई) के तहत आते हैं.

1.     जब आप लोन लेते हैं तो ऐसा नहीं है कि सिर्फ रिपेमेंट पर ही आप टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं। आप बैंक को जो लोन प्रोसेसिंग फीस का भुगतान कर सकते हैं आप सेक्‍शन 2 (28 ए) के तहत टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं.
2.     किसी भी लोन पर 2 लाख रुपए तक के इंटरेस्‍ट पेमेंट पर आप सेक्‍शन 24 के तहत टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं। होल लोन के लिए प्रिंसिपल अमाउंट पर टैक्‍स सेविंग के अलावा आप सेक्‍शन 24 के तहत टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं. 

3.    आप अपनी सैलरी का 10 फीसदी तक न्‍यू पेंशन सिस्‍टम यानी एनपीएस में निवेश कर 80 सीसीडी के तहत 50, 000 रुपए टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं। यह 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपए तक मिलने वाली टैक्‍स छूट के अतिरिक्‍त है.


बिज़नेस क्‍लास  के लिए टैक्‍स बचाने के लिए कुछ और ऑप्‍शन 

सेक्‍शन  80 जीजी के तहत टैक्‍स छूट - Section 80GG

 अगर आपका घर नहीं है और आप किराए के घर में रहते हैं तो आप सेक्‍शन 80 जीजी के तहत टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं। टैक्‍स छूट मिनिमम होगी 
1.    रेंट पेमेंट- कुल इनकम का 10 फीसदी 
2.    प्रति माह 5000 रुपए 
3.    कुल इनकम का 25 फीसदी 


सेक्‍शन 80 आर आर बी के तहत टैक्‍स छूट - Section RRB 

अगर आपको पेटेंट पर रॉयल्‍टी के तौर पर इनकम हो रहर है तो आप सेक्‍शन आर आर बी के तहत एक साल में 3 लाख रुपए तक की टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं.

ऑपरेशन खर्च के लिए टैक्‍स छूट 

अगर आप फ्रीलांसर है तो आप बिजनेस और काम से जुडे खर्च पर टैक्‍स छूट पा सकते हैं. आप ऑफिस रेंट और रिपेयर, ऑफिस सप्‍लाई, इंटरनेट बिल, मोबाल बिल, ट्रैवलिंग, एंटरटेनमेंट, हॉस्पिटली खर्च पर टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं। इन खर्च पर टैक्‍स छूट क्‍लेम करने के लिए आपको खर्च की रसीद लगानी होगी.

बिजनेस में नुकसान पर टैक्‍स छूट 

अगर आपको किसी दूसरे बिजनेस, शेयर ट्रेडिंग या खराब कर्ज की वजह से नुकसान हुआ है तो आप इस नुकसान को अपने बिजनेस में हुए मुनाफे के अगेंस्‍ट सेट ऑफ कर सकते हैं। आप लगतार अगले 8 साल तक ऐसा कर सकते हैं। आप टैक्‍स लायबिलिटी कैलकुलेट करने से पहले कमोडिटीज ट्रांजैक्‍शन टैक्‍स, बैंकिंग ट्रांजैक्‍शन टैक्‍स, सेक्‍युरिटीज ट्रांजैक्‍शन टैक्‍स घटा सकते हैं.

बिजनेस लोन पर टैक्‍स छूट 

अगर आपने वर्किंग कैपिटल, इक्‍युपमेंट या इन्‍वेंटरी खरीदने के लिए बिजनेस लोन लिया है तो आप लोन के इंटरेस्‍ट पर टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं. आप बिजनेस के लिए पर्सनल पर इंटरेस्‍ट पेमेंट पर भी टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं. 


इम्‍पलाई खर्च पर टैक्‍स छूट 

आप इम्‍पलाई पर हुए खर्च जैसे सैलरी, बोनस या कमीशन पर टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं. ये खर्च टैक्‍स कैलकुलेट करने से पहले बिजनेस इनकम में से घटा दिए जाते हैं.

डेप्रिशिएटिंग असेट पर टैक्‍स छूट 

बिजनेस मैन बिजनेस में फर्नीचर और गैजैज जैसे लैपटाप का यूज करता है. ऐसे खर्च को कैपिटल एक्‍सपेंसेज कहा जाता है। बिजनेस मैन को हर साल डेप्रिशिएशन चार्ज करने कीअनुमति होती है. डेप्रिशिएशन के लिए कितनी टैक्‍स छूट मिलेगी यह असेट किस तरह का है इस पर निर्भर करता है. ऑफिस में नया बनवाया गया लकड़ी का स्‍ट्रक्‍चर 100 फीसदी तक डेप्रिशिएट हो सकता है.

टैक्स प्लानिंग के अन्य तरीके

  • परिवार के आपसी समझौते द्वारा टैक्स प्लानिंग
  • व्यक्ति के जन्म से बुढ़ापे तक की टैक्स प्लानिंग
  • गिफ्ट के द्वारा टैक्स प्लानिंग
  • अन्य सभी आय से टैक्स प्लानिंग

परिवार के आपसी समझौते द्वारा टैक्स प्लानिंग

सामान्यतयः यह तरीका सबसे कम इस्तेमाल किया जाता है जब कि एक परिवार आपसी समझौते से इनकम टैक्स की विभिन्न धाराओं का इस्तेमाल टैक्स प्लानिंग के लिए कर सकता है. 

इसके लिए क्या करना चाहिए

  • अपने साथ अपने परिवार कि सभी सदस्यों का इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करें 
  • अपने व्यस्क बच्चों के लिए टैक्स प्लानिंग करें
  • अपने माता पिता के इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करके अधिक स्लैब का फायदा उठायें
  • अपनी पुत्रवधू का रिटर्न फाइल करें
  • वसीयत में अपनी सम्पतियों को ऐसे बाटें जिस से वह भार उत्तराअधिकारियों पर टैक्स के रूप में कम आये
  • HUF बना कर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करें.
यहाँ पर कुछ सावधानी भी बरतने की जरुरत है. जैसे पति पत्नी की आय साथ में कब जोड़ें और कब ना जोड़ें, 18 वर्ष से कम बच्चों की आय को माता पिता की इनकम में जोड़ने से कैसे बचें और उनका निवेश किसी म्यूच्यूअल फण्ड में कैसे करें.

पढ़ें कैसे अवयस्क बच्चे की आय को माँ बाप की इनकम में जुड़ने से बचाएं- 


घर में बच्चे के जन्म पर ही उसका बैंक अकाउंट खुलवाएं वो चाहे बेटा हो या बेटी, व्यस्क होने तक उस बैंक अकाउंट को माँ बाप ऑपरेट करें. व्यस्क होने तक उस अकाउंट में हर वर्ष गिफ्ट एक रूप में कुछ पैसे जमा करते रहें, इन पैसों  को इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करते रहें जिस से कोई  टैक्सेबल इनकम ना उत्पन्न हो और लम्बे समय में अच्छी सम्पति भी बन जाये, वयस्क होने पर यह आपके बच्चे के लिए कैपिटल का काम करेगी जो उसके हाथ में भी टैक्स फ्री होगी.


गिफ्ट के द्वारा टैक्स प्लानिंग

इनकम टैक्स एक्ट के अंतर्गत 50000 रुपये तक का गिफ्ट टैक्स फ्री होता है वो चाहे कैश में हो या किसी अन्य सम्पति के रूप में. साल में 50000 रुपये  तक का गिफ्ट टैक्स फ्री कोई भी ले सकता है और उसको अपने आईटीआर में दिखा सकता है. और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें.



इसके अलावा फॅमिली ट्रस्ट, HUF बना कर भी टैक्स प्लानिंग की जाती है. 

कुछ बाते जो जरुर ध्यान रखें-

  • साल 2018 में अपना इनकम टैक्स रिटर्न समय से फाइल करें अन्यथा आपको विलम्ब शुल्क भरना पद सकता है
  • कोई प्रॉपर्टी खरीदी है या बेची है तो उसकी जानकारी जरुर दें
  • टीडीएस यदि कटा है तो जरुर क्लेम लें
  • व्यापार में नगद व्यवहार कम कर के चेक या एल्क्ट्रोनिक क्लीयरिंग कर उपयोग करें
  • एडवांस टैक्स समय से जमा करें
  • यदि अपने बिज़नस को भविष्य में बड़ा करने का सपना देखते हैं तो अकाउंट मेन्टेन करें, सारे खर्चों और आयों का सही हिसाब रखें, सही से बिलिंग कराएँ और उनका रिकॉर्ड मेंटेन करें.
जैसा मैंने शुरू में कहा था कि टैक्स प्लानिंग एक वृहद् विषय है और यह हर व्यक्ति के अनुसार अलग-अलग हो सकता है  इसलिए अच्छे टैक्स सलाहकार की मदद से टैक्स प्लानिंग करें, सही टैक्स चुकायें, तरक्की करें और अपने देश की विकास में सहायक बने.

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