Wednesday, March 13, 2019

रिटायरमेंट के बाद निवेश कैसे करें



यह लेख विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों को ध्यान में रख कर लिखा गया है. सामान्यतया रिटायरमेंट फण्ड का निवेश करने में वरिष्ट नागरिकों के सामने क्या कठिनाइयाँ आती हैं और उन्हें निवेश से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिये. (Investment Planning for Retired)

यह बहुत बड़ी विडम्बना है कि हमारे देश में सीनियर सिटीजन या रिटायर्ड लोगों को सोच कर कोई प्लान नहीं बनाया जाता वो चाहे हेल्थ की बात हो उनकी सोशल सिक्योरिटी की बात हो या उनके वेल्थ की बात हो. इस बात को आप किसी भी राज्य या केंद्र सरकार की योजनाओं और उनसे मिलने वाले लाभों को देख कर अनुमान लगा सकते हैं कि सीनियर सिटीजन और रिटायर्ड लोगों को कितना नजर अंदाज किया जाता है. इस मामले में सब से बुरा हाल तो उनका है जिन्होंने जिन्दगी भर किसी ऐसी संस्था के साथ काम किया है जहाँ पर पेंशन नाम मात्र हो या पेंशन ना हो, उनको न तो पेंशन हैं न ही किसी और तरह का लाभ. वैसे मौजूदा केंद्र सरकार ने कुछ एक कदम इस दिशा में उठाये है जिस में  देश के वरिष्ट नागरिकों का थोडा ध्यान रखा गया है लेकिन वो भी पर्याप्त नहीं है.

जब सरकारें वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ सेवा एवं सोशल सिक्योरिटी के बारे में ज्यादा सोचने के लिए तैयार नहीं है तो ऐसे में रिटायर्ड लोगों को ध्यान में रख कर अगर कोई इन्वेस्टमेंट आप्शन नहीं बनाया गया या सोचा गया तो कोई बड़ी बात नहीं है. ले दे कर वही 5 साल की सीनियर सिटीजन स्कीम या पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम या 10 साल लॉक इन वाली LIC की पेंशन योजना के अलावा कुछ समझ में नहीं आता और इन सब पर भी मिलना वाला ब्याज टैक्सेबल है जिससे  इन योजनाओं पर मिलने वाले पोस्ट टैक्स रिटर्न भी मुश्किल से महंगाई की दर के बराबर ही रह जाते हैं. इन योजनाओं के साथ एक बुराई और है कि इनमे डिपाजिट करने की सीमा बहुत कम है इसलिए यदि कोई भी इन योजनाओं के भरोसे अपनी रिटायर्ड लाइफ प्लान कर रहा है तो उसको भविष्य में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.

क्यूँ सिर्फ इन योजनाओं पर निर्भरता आप को परेशान कर सकती है- 

पहली बात तो इन योजनाओं पर मिलने वाला ब्याज दरें एक सीमित समय के लिए ही निश्चित होते हैं, जब जब आप इनका नवीनीकरण करवाएंगे तो नई ब्याज दर जो की कम भी हो सकती है उस दर पर भविष्य में आप को ब्याज मिलेगा.  हो सकता है 10 साल बाद आप को मिलने वाला ब्याज 1%-2% कम हो जाय और ऐसे में इन योजनाओं पर पूरी तरह से आधारित इन्वेस्टमेंट प्लान आपके लिए एक साथ कई मुसीबतें लानी वाली योजना साबित हो सकते हैं. क्यूंकि एक तरफ आपको ब्याज मिलना समय के साथ कम हो गया और दूसरी तरफ समय के साथ आपके खर्चे बढ़ गए और तीसरी तरफ आपके पैसे की क्रय शक्ति समय के साथ कम हो गई. 

और यह बात ना समझ पाने की गलती सभी रिटायर्ड या सीनियर सिटीजन अपने रिटायरमेंट के शरुआती सालों में कर देते हैं.

इस बात को आप एक उदाहरण से समझिये-

श्याम जी आज से लगभग 10 साल पहले रिटायर हुए उन्होंने अपने फण्ड से लगभग 25 लाख रूपये मिले. श्याम जी ने पुरे 25 लाख रूपये अपने दोस्तों से सुझाव लेने और काफी अख़बारों में लेखों को पढने के बाद 9.5% की ब्याज निश्चित ब्याज दर वाली  योजना में डाल दिया. पहले साल से उन्हें 2.37 लाख रूपये का निश्चित ब्याज मिलने लगा, उस समय उनका खर्चा लगभग 20 हजार रूपये महीने का था जो कि वो आसानी से अपने ब्याज से पूरा कर सकते थे. लेकिन 2-2.5 साल के बाद उनके खर्चे एकाएक दवाओं में बढ़ गए जिस कारण 20 हजार रूपये उनके लिए पर्याप्त नहीं रहे. फिर भी कुछ अपने खर्चे कम कर किसी तरह से अपना काम चलाते रहे. लेकिन समय के साथ खर्चे बढ़ते जाने से और महंगाई के बढ़ जाने से महीने का घर का बजट गड़बड़ होने लगा और उसे सँभालने के लिए उन्होने  थोड़े-थोड़े पैसे अपने मूल धन से निकालना शुरू किया. लेकिन समस्या यहाँ पर उनकी कम नहीं होने वाली थी क्यूंकि 5 साल बाद जब उन्हें इन योजनाओं का नवीनीकरण करवाया तो ब्याज दर घट का 8.5% रह गई और मूल धन भी घट के 22.5 लाख ही रह गया. और दूसरी तरफ उनके घर का महीने का बजट, महंगाई और आवश्यकताओं के बढ़ने से हर साल लगभग 10% की दर से बढ़ते गए. अब 5 साल में उनके वित्तीय हालत में क्या परिवर्तन हुआ आप नीचे दिए हुए चार्ट से समझिये. 

साल 2009
मूलधन
ब्याज @ 9.5%
खर्चे
2500000
237500
237500

साल 2014
मूलधन
ब्याज 8.5%
खर्चे (सालाना वृद्धि @ 8%)
2250000
191250
348965

देखिये समय के साथ 2009 से 2014 आते-आते श्याम जी का मूलधन घटने लगा, ब्याज की कमाई घटने लगी और खर्चे बढ़ने लगे. इसमें एक चीज और जोड़ दें तो स्थिति और भयावह हो जाती है वो है 2009 से 2014 आते-आते रुपये की कीमत का घट जाना मतलब जो वैल्यू 25 लाख रुपये की 2009 में थी वो वैल्यू 2014 में 25 लाख रुपए की न रह जाना और दूसरी ओर मूलधन का भी घट जाना.

साल 2017
मूलधन
ब्याज 8 %
खर्चे (सालाना वृद्धि @ 7%)
1650000
132000
427498

यह उदाहरण शत प्रतिशत सही नहीं होगा, हो सकता है वास्तव में परिस्थिति इस से भी ख़राब  और हो सकता है इससे थोड़ी बेहतर लेकिन यह चार्ट जो ट्रेंड दिखा रहा है लगभग वही ट्रेंड हर रिटायर्ड निवेशक की फाइनेंसियल लाइफ में चलेगा. अगर उसने वही गलती की है जो श्याम जी ने की है. अगर यही ट्रेंड रहा तो श्याम जी 75 साल से पहले अपना रिटायरमेंट फण्ड ख़त्म कर चुके होंगे और उसके बाद के साल अपनों बच्चों की कमाई पर निर्भर रहेंगे.

इसलिए सभी रिटायर्ड लोगों को इन्वेस्टमेंट करते हुए अगले 20-25 सालों में होने वाले खर्चों और निवेश से मिलने वाली कमाई को ध्यान में रख कर ही कुछ सोचना चाहिए. 

 निवेश करते समय इन सब चीजों को अगर ध्यान में रखेंगे तो आप स्थिति को सही ढंग से समझ पायेंगे-

1-भविष्य में आपके खर्चे आपके लिविंग स्टैण्डर्ड, महंगाई और मेडिकेयर के कारण बहुत तेजी से बढ़ सकते हैं.

2- रेनोवेशन के खर्चे जो एक साथ आपके बजट बिगाड़ सकते हैं और वो घर के रेनोवेशन से लेकर, आपकी गाड़ी, आपके शरीर के रेनोवेशन (Heart, Knees, Teeth, Eyes etc..) तक हो सकते हैं.

3- अगले 20-30 सालों तक आपको इन्ही सेविंग्स पर निर्भर रहना है.

4- जब की आपके इन्वेस्टमेंट से होने वाली इनकम समय, ब्याज दरों और बाज़ार की स्थिति के अनुसार घटती बढती रह सकती हैं

5- अपनी अगली पीढ़ी के लिए आप क्या और कितना देना चाहते हैं

और इसलिए जरुरी है ऊपर दी गई बातों को ध्यान में रख कर अपनी योजना बनायें.



निवेश करने से पहले क्या क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए-

दुनिया में सबसे ज्यादा  मिस-सेलिंग फाइनेंसियल प्रोडक्ट्स की होती है और इनके साथ सबसे बड़ी समस्या क्या होती है आप ने बुरे फाइनेंसियल प्रोडक्ट्स में निवेश किया है इसका पता आपको बहुत समय बाद चलता है और तब तक आप का काफी नुकसान हो चूका रहता है.
सीनियर सिटीजन इसके सबसे ज्यादा शिकार होते हैं, पैसा ट्रान्सफर होते ही उनके पास बैंक से कॉल आनी शुरू हो जाती है बैंक के मैनेजर उन्हें इंश्योरेंस, गोल्ड और तमाम फैंसी फाइनेंसियल प्रोडक्ट बेचने के लिए अमादा हो जाते हैं. आप का भी उस समय ध्यान इसी पर रहता है की इन पैसों को खर्च होने से पहले कहीं निवेश कर दें और इन्ही का फायदा ऐसे सेल्स मैन उठाते हैं. इसलिए नीचे दी गई बातों का जरुर ध्यान रखें.

1- इंश्योरेंस कंपनी द्वारा ऑफर किये जा रहे किसी भी यूनिट लिंक्ड या मनी बैक प्रोडक्ट में निवेश ना करें जब तक की आप उस से मिलने वाले रिटर्न, लॉक इन पीरियड और पैसे वापसी की शर्तो को लेकर पूरी तरह से निश्चिंत ना हो.

2- रियल स्टेट में निवेश करना आपको भविष्य में प्रॉपर्टी रिच - कैश पुअर व्यक्ति बना सकता है ऐसी स्थिति में व्यक्ति के पास प्रॉपर्टी तो बहुत होती हैं लेकिन उनके पास नगद या लिक्विड एसेट बहुत कम होता है. इसके अलावा समय के साथ प्रॉपर्टी की देख भाल करना भी कठिन हो जाता है. इसलिए रियल एस्टेट में निवेश से पहले इन पहलुओं पर जरुर विचार करें.                                                                                                                                                                                                                                 

3- गोल्ड - सिल्वर को निवेश की तरह ना देखें क्यूंकि यह आपको लम्बे समय में महंगाई के बराबर का रिटर्न ही दे पायेंगे वो भी तब जब आप उनकी सही कीमत बाज़ार से निकाल सकें.

4- ऐसे प्रोडक्ट में निवेश ना करें जो आपको समझ में ना आयें

5- किसी के दबाव में या किसी का देख कर निवेश करने के निर्णय ना लें. आप की जरूरतें, निवेश लक्ष्य और रिस्क लेने की क्षमता अलग हो सकती है और अगर आप किसी को देख कर निवेश करते हैं तो शायद वो आप के लिए उतनी सही ना हो जितनी वो अगले आदमी के लिए हो.

6- केवल न्यूज़ पेपर में दिए हुए लेख को अक्षरशः सही मान कर निवेश करने के निर्णय ना लें. पहली बात की मीडिया भी कई बार फाइनेंसियल प्रोडक्ट्स के बारे में भ्रामक सूचनाएं देता है और दूसरी बात इन लेखों को लिखने वालों को अक्सर सतही ज्ञान होता है.

7- ऐसे प्रोडक्ट्स या संस्थाओं से दूर रहें जो किसी रेगुलेटरी बॉडी के अन्तर्गत काम नहीं करती.

8- शेयर बाज़ार में सीधे निवेश ना करें.

9- एक अच्छा निवेश सलाहकार ढूंढें जो अगले 20-30 सालों को ध्यान में रख कर आप के लिए ऐसी योजना बना सके जो आपके लिए सही हो और इतने समय के लिए आपको सर्विस भी दे पाए.

10- अपने परिवार के किसी सदस्य को अपने निवेश सम्बंधित बातों से अवगत रखें. नॉमिनी अपनी पत्नी को या अपने पति को ही बनायें या इनकी अनुपस्थिति में अपने बच्चों को नॉमिनी जरुर बनायें.

11- निवेश ना तो जल्दबाजी में करें और ना ही उसे करने में सालों का समय लें. रिटायरमेंट के बाद निवेश और भी महत्वपूर्ण हो जाता है इसलिए अपनी पूंजी के साथ एक्सपेरिमेंट ना करें.

12- किसी भी प्रोडक्ट में निवेश करने से पहले उसमे पैसों की सुरक्षा, ब्याज दर या रिटर्न देने की क्षमता, उस पर पड़ने वाले टैक्स, लॉक इन पीरियड या लिक्विडिटी जैसे चार महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर अवश्य ध्यान दें.

अगले ब्लॉग में मै इसी विषय पर आगे बात करूँगा और ऐसे विकल्पों और तरीकों के बारे में बताने का प्रयास करूँगा जो रिटायर्ड इन्वेस्टर के लिए बेहतर हो सकते  हैं.

इस ब्लॉग को अपने घर के सदस्यों और अपने शुभ चिंतको को जरुर फॉरवर्ड करें. आपके फीडबैक मुझे प्रेरित करते हैं कृपया ब्लॉग पर कमेंट कर या ईमेल या व्हाट्स एप के माध्यम से प्रेरित करते रहें.

यदि आप किसी रिटायर्ड या सीनियर सिटीजन ग्रुप के सदस्य है या ऐसी संस्था के बारे में जानते हैं और आप चाहते हैं कि उन्हें भी निवेश से सम्बंधित सही जानकारी मिले तो आप मुझे ईमेल या व्हाट्स एप करिये, ऐसे ग्रुप के लिए निशुल्क वर्कशॉप आयोजित करने का प्रयास मै करूंगा.