Thursday, December 28, 2017

क्यूँ है म्यूच्यूअल फण्ड सब से सही




जो लोग पिछले कई सालों से म्यूच्यूअल फण्ड को अपने निवेश का माध्यम बनाये हुए हैं उन सभी का विश्वास म्यूच्यूअल फण्ड में अन्य निवेश माध्यमों जैसे गोल्ड, रियल एस्टेट, डायरेक्ट इक्विटी या कॉर्पोरेट डिपाजिट से कहीं ज्यादा हो चूकी है. लेकिन अभी भी ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है जिन्होंने आज तक म्यूच्यूअल फण्ड में ना तो निवेश किया है ना ही इसे उतना भरोसेमंद मानते हैं. अभी भी अधिकांश लोग सेविंग के लिए पोस्ट ऑफिस, बैंक, लाइफ इंश्योरेंस या कैश पर और सम्पति निर्माण के लिए रियल एस्टेट या गोल्ड पर भरोसा करते हैं.

बचत करने वाले मानते हैं म्यूच्यूअल फण्ड का मतलब है शेयर मार्केट और क्यूंकि शेयर मार्केट में बहुत उतार चढाव होते हैं और यह सुरक्षित नहीं होते तो म्यूच्यूअल फण्ड भी शेयर मार्केट की तरह उतार चढाव से भरे निवेश माध्यम हैं इसलिए यह सेविंग का माध्यम बनाने के लिए सुरक्षित नहीं हैं. वहीँ दूसरी ओर जिन्हें लम्बे समय में सम्पति निर्माण या वेल्थ क्रिएशन करना है उन्हें लगता है म्यूच्यूअल फण्ड से लम्बे समय में उतने पैसे नहीं बनाये जा सकते जितने की सोने या रियल एस्टेट में बन सकते हैं. 

लेकिन इन्ही लोगों की तरह से सोच रखने वाले निवेशक जिन्होंने कुछ साल पहले म्यूच्यूअल फण्ड को अपना निवेश माध्यम बनाया उनकी सोच आज पूरी तरह से बदल चुकी है उनका आज मानना है कि म्यूच्यूअल फण्ड एक ऐसा निवेश जो ना केवल सेविंग करने के लिए सबसे अच्छा है बल्कि लम्बे समय में सम्पति निर्माण के लिए अन्य माध्यमों से बेहतर है.

तो आइये आज म्यूच्यूअल फण्ड की उन विशेषताओं के बारे में जानते हैं जिनके कारण म्यूच्यूअल फण्ड निवेशक बोलते हैं "म्यूच्यूअल फण्ड सबसे सही है "

कोई भी कर सकता है निवेश - म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश कोई भी कर सकता है, 500 रुपये बचत करने वाला भी अपने लिए म्यूच्यूअल फण्ड को निवेश का   माध्यम चुन सकता है और 100-1000 करोड़ लगाने वाला भी चुन सकता है. एक किसान भी इसमें आसानी से निवेश कर सकता  है और बड़ा व्यापारी भी, गृहणी भी निवेश कर सकती  हैं बच्चे भी, सरकारी नौकरी वाला भी कर सकता है और प्राइवेट नौकरी वाला भी . म्यूच्यूअल फण्ड सभी के लिए उनकी जरुरत के अनुसार निवेश का माध्यम उपलब्ध कराते हैं. किसी को 1 दिन के लिए भी पैसे लगाने हों उनके लिए भी योजनायें हैं और किसी को अपने रिटायरमेंट के लिए निवेश करना है उनके लिए भी, किसी को 6 महीने 1 साल के लिए सुरक्षा के साथ निवेश करना हो उनके लिए भी या बच्चों कि पढाई के लिए 10-15 साल के लिए निवेश करना हो उनके लिए भी, रिटायरमेंट से पहले के लिए भी योजनाये हैं और रिटायरमेंट के बाद के लिए भी . और सबसे अच्छी बात यह है सबके लिए अलग- अलग योजनायें. मतलब जैसी जरुरत वैसी स्कीम . 

व्यवसायी को अपने करंट अकाउंट में पड़े पैसे पर कुछ कमाई करनी हो या किसी को सेविंग अकाउंट में पड़े एक्स्ट्रा फण्ड पर एक्स्ट्रा कमाई करनी हो तो लिक्विड फण्ड जहाँ एक दिन के लिए भी पैसे डाल सकते हैं

3 महीने 6 महीने के लिए किसी को पैसे लगाने हैं तो अल्ट्रा शार्ट टर्म

6 महीने या 1 साल 1.5 साल के लिए शार्ट टर्म फण्ड

दो तीन साल में फिक्स्ड डिपाजिट से बेहतर कमाई के लिए कॉर्पोरेट बांड फण्ड

5 साल में गाडी या घर खरीदने के लिए या वर्ल्ड टूर के लिए पैसे  इकट्ठा करना है तो बैलेंस्ड या एसेट एलोकेशन फण्ड में SIP

बच्चे की पढाई या शादी के लिए पैसे इकट्ठे करने हैं अगले 10-15 साल में तो डाइवर्सिफाइड इक्विटी फण्ड या चाइल्ड केयर प्लान में SIP

रिटायरमेंट के लिए पैसे जोड़ने हों तो SIP इक्विटी फण्ड में

रिटायरमेंट के बाद रेगुलर कैश फ्लो के लिए SWP

टैक्स बचत के लिए इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम

इस तरह के अनेकों तरीके उपलब्ध कराता है म्यूच्यूअल फण्ड

बस जरुरत है सही अपनी जरुरत के हिसाब से उन योजनाओं का चुनाव करना.

मिलता है प्रोफेसनल मैनेजमेंट- एक तरीका है आप खुद से विभिन्न कंपनियों और बैंक के शेयर या फिक्स्ड इनकम  इंस्ट्रूमेंट (बांड, फिक्स्ड डिपाजिट या डिबेंचर) के बारे में विस्तार से पता करें और फिर निवेश करें  खुद से निवेश करने के लिए हमारे पास उतना समय, ज्ञान, विशेषज्ञता, अनुभव और साधन होना चाहिए जिस से की आप सही जगह निवेश कर सकें. दूसरा तरीका है यह सारे काम आप किसी विशेषज्ञ को दे दें और म्यूच्यूअल फण्ड आपको ऐसा प्रोफेसनल मैनेजमेंट देता है जो यूनिट होल्डर कि तरफ से योजना के उद्देश्य के अनुसार सबके हित को ध्यान में रख कर बहुत ही कम खर्चे पर वो सर्विसेज देता है जिसका भार उठा पाना एक आम आदमी के बस की बात नहीं होती. यहाँ एक प्रोफेसनल टीम आपका फण्ड मैनेजमेंट आपके उद्देश्यों के अनुसार करती है .

म्यूच्यूअल फण्ड है सुरक्षित-  म्यूच्यूअल फण्ड पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं यहाँ सुरक्षा का अर्थ पैसे डूबने से है, म्यूच्यूअल फण्ड की देख रेख के लिए एसेट मैनेजमेंट कंपनी होती है, एसेट मैनेजमेंट कम्पनी का काम काज देखने के लिए ट्रस्टी होते हैं और इन सबके का काम काज देखती है सेबी . म्यूच्यूअल फण्ड योजनायें सेबी के नियमों के मुताबकि चलती हैं और इन योजनाओं का स्वामित्व इनके निवेशको के पास होता है, एसेट मैनेजमेंट कम्पनी सिर्फ इन निवेशकों अपनी फण्ड मैनेजमेंट सर्विसेज देती हैं जिसके बदले में वो अपनी फीस चार्ज करती हैं एसेट मैनेजमेंट कम्पनी इन योजनायें के ओनर नहीं होतीं. म्यूच्यूअल फण्ड की यूनिट को किसी अन्य व्यक्ति या संस्था  को ट्रान्सफर नहीं किया जा सकता इसलिए कोई फ्रॉड का रिस्क नहीं होता , जब इसमें पैसे निकाले जाते हैं तो पैसे सिर्फ उसी अकाउंट में जायेंगे जो म्यूच्यूअल फण्ड के पास पहले से रजिस्टर्ड है. म्यूच्यूअल फण्ड अकाउंट से पैसे किसी दूसरे के बैंक अकाउंट में ना तो ट्रान्सफर किया जा सकता है ना तो किसी दूसरे के  बैंक अकाउंट से इसमें पैसे लिए जा सकते हैं, इस प्रकार से म्यूच्यूअल फण्ड फ्रॉड के रिस्क से पूरी तरह से सुरक्षित है.

हर एसेट क्लास में इन्वेस्टमेंट करने का देता है मौका - म्यूच्यूअल फण्ड के माध्यम से एक निवेशक हर एसेट क्लास में निवेश कर सकता है . म्यूच्यूअल फण्ड एक ऐसा निवेश का माध्यम है जो आपको फिक्स्ड इनकम एसेट्स में भी निवेश करने का मौका देता जो आपको गोल्ड में भी निवेश करने की योजनायें देता है जो आपको सरकारी या प्राइवेट कंपनियों या बैंको के शेयर में निवेश करने का मौका देता है, जो सरकारी और गैर सरकारी बांड में निवेश करने का मौका देता है, विदेशी कम्पनियों के शेयरों में निवेश का मौका देती है और आने वाले समय में म्यूच्यूअल फंड्स रियल एस्टेट में भी निवेश करने का मौका देंगे.

म्यूच्यूअल फण्ड एक मात्र ऐसा निवेश माध्यम है जिसके साथ आप लगभग सभी एसेट क्लास में निवेश कर सकते हैं

टैक्स का बोझ कम करता है - म्यूच्यूअल फण्ड के निवेशक को टैक्स का बोझ कम सहना पड़ता है. एक तो म्यूच्यूअल फण्ड में टैक्स सेविंग योजनाओं में निवेश करके धारा 80c की छुट ली जा सकती है . दूसरा म्यूच्यूअल फण्ड से मिलने वाले लाभ पर टैक्स कम पड़ता है या नहीं पड़ता है. म्यूच्यूअल फण्ड से लाभ दो तरह से मिलता है पहला तो डिविडेंड या लाभांश के माध्यम से और दूसरा म्यूच्यूअल फण्ड यूनिट्स बेच कर.

इक्विटी ओरिएन्टेड फंड्स  से जब डिविडेंड मिलता है तो ना तो निवेशक को उस पर  कोई टैक्स देना होता और ना ही म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी को निवेशकों की तरफ से कोई टैक्स देना पड़ता है, लेकिन डेब्ट  फंड्स के केस में निवेशक को तो डिविडेंड पर कोई टैक्स नहीं देना होता लेकिन म्यूच्यूअल फण्ड कम्पनी को निवेशकों की तरफ से डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स देना पड़ता है.

इक्विटी ओरिएन्टेड फंड्स  की यूनिट एक साल के बाद बेचने पर होने वाला लाभ पूरी तरह से टैक्स फ्री होता है लेकिन एक साल से पहले बेचने पर होने वाले लाभ पर सिर्फ 15% का टैक्स भरना होता है. वहीँ नॉन इक्विटी फंड्स के केस में 3 साल से पहले यूनिट बेचने पर होने वाला लाभ निवेशक की इनकम में जुड़ जाता है लेकिन तीन साल के बाद इंडेक्सेशन का लाभ ले कर कम टैक्स चुकाना पड़ता है.

इस तरह से म्यूच्यूअल फण्ड टैक्स का बोझ  कम करता है. 

म्यूच्यूअल फण्ड से मिल सकते हैं बहुत अच्छे रिटर्न- इक्विटी ओरिएन्टेड फंड्स के माध्यम से एक  आदमी लम्बे समय में बहुत इ लाभ कम सकता है. क्या आपको पता है  इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड की ऐसी योजनायें जो 20-22 साल   पुरानी हैं उन्होंने अपने निवेशकों का पैसा इतने समय 80-110 गुना बढाया है, पिछले 10-15 साल में भी कई ऐसे फंड्स मिल जायेंगे जिन्होंने 10-15 गुना पैसे बढ़ा दिए हैं.
इसलिए अगर कोई यह समझता है की सिर्फ रियल एस्टेट ही अच्छे लाभ दिला सकता है तो ऐसा नहीं है , लम्बे समय में इक्विटी फंड्स लाभ के मामले में रियल एस्टेट को भी पीछे छोड़ देती हैं.

कभी भी पैसे निकालने की सुविधा- म्यूच्यूअल फण्ड इस मामले में भी अन्य निवेश माध्यमों से बेहतर है यहाँ से पैसे आप बड़ी आसानी से निकाल सकते हैं, क्लोज्ड एंडेड और टैक्स सेविंग म्यूच्यूअल फण्ड को छोड़ कर अन्य   योजनाओं से पैसे कभी भी निकाले जा सकते हैं. सबसे अच्छी बात यह है कि आपको गोल्ड  रियल एस्टेट की तरह यह सोचना नहीं है पैसा कैसे निकले, कहाँ निकले और कितना सही निकलेगा, सामान्यतयः गोल्ड और रियल एस्टेट से  पैसे निकालने में सही कीमत ना मिलने की सम्भावना ज्याद रहती है, खरीदते हुए तो आप  को गोल्ड और रियल एस्टेट पर प्रीमियम देना पड़ता है और बेचते समय डिस्काउंट. म्यूच्यूअल फण्ड में  जिस दिन पैसे निकालतें हैं उस दिन की आपको फेयर वैल्यू (सही  कीमत) मिलती है. 
अब तो म्यूच्यूअल फण्ड से पैसे निकालना और भी आसान हो गया है आप एक मेसेज करके यहाँ से पैसे निकाल सकते हैं.

कम खर्चीला- म्यूच्यूअल फण्ड में जितनी सुविधाएँ एक निवेशक को मिलती हैं उसके हिसाब से उस पर चार्जेज बहुत कम   हैं . म्यूच्यूअल फण्ड खरीदते समय कोई चार्ज नहीं पड़ता, एक  निश्चित समय के बाद पैसे निकालने पर भी कोई चार्ज नहीं देना पड़ता. लिक्विड फण्ड में जहाँ  सालाना खर्च 0.05% जितनी कम होती है वहीँ इक्विटी फण्ड में यह 2-2.5% तक होती है. यह खर्चे निवेशक को अलग से नहीं देने पड़ते यह उनके NAV से दिन के हिसाब से कटते रहते हैं. इसके अलावा ना तो निवेशक कोई कस्टडी चार्ज देनी है ना फण्ड मैनेजमेंट फीस देनी है ना तो डिस्ट्रीब्यूटर को कोई फीस देनी है, ना बैंक की तरह स्टेटमेंट लेने पर कोई फीस देनी है ना ही खरीदने बेचने पर कोई ब्रोकरेज चुकाने हैं . इस तरह से म्यूच्यूअल फण्ड बेहद किफायती होते हैं.


बहुत आसान और सुविधा जनक- म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश   करना और पैसे निकालना पिछले 15 सालों  से   बहुत आसान और सुविधा जनक था लेकिन पिछले 2 सालों में डिजिटल क्रांति ने इसे बहुत आसान र सुविधा जनक बना दिया है. आज म्यूच्यूअल फण्ड में आप निवेश अपने मोबाइल के माध्यम से कभी भी और कहीं भी रह कर सकते हैं इसी तरह से यहाँ से पैसे भी एक क्लिक से निकाल सकते हैं ,एक मेसेज भेज कर या कॉल करके भी निकाल सकते हैं. म्यूच्यूअल फण्ड में अपने हिसाब से एकमुश्त या RD की तरह महीने दर महीने भी  लगा सकते हैं. म्यूच्यूअल फण्ड से पैसे भी अपनी आवश्यकता अनुसार कभी भी निकाल सकते हैं यहाँ फिक्स्ड  डिपाजिट या सोने  की तरह पूरी यूनिट एक साथ बेचने की जरुरत नहीं है, जैसे आपने 50 लाख की फिक्स्ड  डिपाजिट या प्रॉपर्टी खरीदी हुई अब अगर आपको 10 लाख रूपये की जरुरत है तो आपको फिक्स्ड डिपाजिट पूरी तोडनी पड़ेगी या फ्लैट या जमीन भी पूरी बेचनी पड़ेगी आप अपने फ्लैट का एक रूम बेच कर पैसे नहीं निकाल सकते लेकिन म्यूच्यूअल फण्ड में आप को 5 हजार भी निकाल सकते हैं, 10 लाख कि जरुरत है तो 10 लाख भी निकाल सकते हैं जितनी जरुरत उतने पैसे निकाल लीजिये .आपने इक्विटी फण्ड में पैसे डाले हैं और इक्विटी में रिस्क बढ़ गया है तो आप डेब्ट या गोल्ड फण्ड में अपना फण्ड स्विच कर सकते हैं. आप   रिटायर हो गए अब आपको हर महीने अपने खर्च  के लिए एक निश्चित रकम चाहिए तो SWP या मंथली डिविडेंड (मंथली डिविडेंड निश्चित नहीं होते ) से यह सुनिश्चित कर  सकते हैं. यूनिट होल्डर कि मृत्यु के दशा में यूनिट ट्रान्सफर की प्रक्रिया भी सभी म्यूच्यूअल फण्ड में एक जैसी है और अन्य  सम्पतियों के ट्रान्सफर प्रोसेस से यहाँ प्रक्रिया काफी आसान और सुरक्षित है. इस प्रकार से म्यूच्यूअल फण्ड बहुत सरल और सुविधा जनक है

निष्कर्ष -
एक श्लोक  है विद्या के बारे में न चोरहार्यं न च राजहार्यंन भ्रातृभाज्यं न च भारकारी । व्यये कृते वर्धते एव नित्यं विद्याधनं सर्वधन प्रधानम् ॥'


उसी प्रकार से म्यूच्यूअल फण्ड को ना तो चोर चुरा सकता है, ना राजा ले सकता है  ना ही भाई बाँट सकता है और इस पर टैक्स भी बहुत कम या नहीं लगता है, यह सुरक्षित भी है और अन्य एसेट क्लास से बेहतर प्रदर्शन करता है. इसलिए म्यूच्यूअल फण्ड नाम की सम्पति सभी फिजिकल और फाइनेंसियल सम्पतियों में सर्वश्रेस्ठ है.





Saturday, December 2, 2017

क्या अब आपके पैसे बैंक में भी सुरक्षित नहीं रहेंगे ?



F.R.D.I. (Financial Resolution & Deposit Insurance, 2017) बिल जिसे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किये जाने की संभावना है इस बिल के प्रावधानों को लेकर कुछ आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं और ऐसा बताया जा रहा है उन प्रावधानों को अगर मान लिया जायेगा तो बैंक डिपाजिट अब पहले की तरह सुरक्षित नहीं रह जायेंगे.

आइये समझते हैं ऐसा क्या है इस बिल में ?

विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस बिल के पास होने से एक ऐसी संस्था का निर्माण होगा जो की किसी सरकारी या गैर सरकारी बैंकों, बीमा कंपनियों, नॉन-बैंकिंग फाइनेंसियल में बड़ी वित्तीय समस्या जैसे डिफ़ॉल्ट या दिवालिया होने की सम्भावना की स्थिति में ऐसी संस्थाओं के एकीकरण, विलय या अधिग्रहण जैसी कार्यवाही करने का अधिकार होगा.

आशंका बिल में ऐसे प्रावधान से उठ रही है जिसमें कहा गया है कि अगर किसी बैंक के ऊपर देनदारी बढ़ जाती है और वो अपनी देनदारी चुकाने में सक्षम नहीं रह जाती तो उसकी देनदारी का भुगतान अब सरकार नहीं करेगी अर्थात अब सरकार बैंक को bail-out पैकेज नहीं देगी बल्कि अब बैंक अपने क्रेडिटर्स (डिपॉजिट् होल्डर भी) के बकाया को चुकाने के लिए उनके बकाये की राशि के बदले बैंक की हिस्सेदारी दे देंगे . अर्थात जैसी स्थिति आज अधिकांश सरकारी बैंकों की है भविष्य में ऐसी स्थित आने पर सरकार को कोई रीकैपिटलाइजेशन पैकेज देने कि जरुरत नहीं होगी बल्कि बैंक डिपाजिट के बदले अपने बैंक का प्रेफरेन्स शेयर डिपॉजिट् होल्डर को दे देगी और इस प्रकार से  डिपाजिट होल्डर के पैसे से ही अपने आपको Bail-in कर लेगी.

इसी प्रावधान को लेकर जानकार प्रश्न खड़ा कर रहे हैं कि भविष्य में बैंक डिपाजिट पूरी तरह से सुरक्षित नहीं रह जायेंगे.

वर्तमान प्रावधान क्या हैं ?

वैसे अगर नियम की बात करें तो अभी के प्रावधानों के अनुसार बैंक अगर दिवालिया हो जाये या बंद हो जाय तो एक बैंक में एक व्यक्ति ने कितने भी अकाउंट में कितना भी पैसा रखा हो उसे DICGS (Deposit Insurance Credit Gurantee Scheme) के अंतर्गत सिर्फ 1 लाख रूपये की गारंटी मिलती है. लेकिन आज तक सहकारी बैंको को छोड़ दें तो किसी प्राइवेट बैंक को भी सरकार ने दिवालिया नहीं होने दिया और डिपॉजिट् होल्डर का पैसा कभी डूबने नहीं दिया. जिन बैंक में ऐसी समस्या आयी भी उनका सरकार ने समय पर दूसरे किसी बैंक में विलय कर दिया. जैसे ग्लोबल ट्रस्ट बैंक प्राइवेट होने के बाद भी उसका विलय  ओरिएण्टल बैंक ऑफ़ कॉमर्स में कर दिया गया और डिपाजिटर के पैसे को डूबने से बचाया, ऐसे ही बैंक ऑफ़ राजस्थान और सांगली बैंक में समस्या आपने पर उनका विलय आईसीआईसीआई बैंक में किया गया , यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक का विलय IDBI में किया गया.

क्या इस बिल के पास होने से आपके डिपाजिट सुरक्षित नहीं रहेंगे ?

जैसा की मैंने पहले ही बताया अभी तक सरकार और RBI ने किसी बैंक के बंद होने से पहले ही उसका विलय किसी और बैंक के साथ किया है या आर्थिक पैकेज दे कर बैंकों और उनके डिपॉजिट् होल्डर को सुरक्षित रखा है. इस बिल के पास होने के बाद भी सरकार किसी बैंक को ऐसी स्थिति में जाने नहीं देना चाहेगी. लेकिन यह बिल एक तरह से एक ऐसी संस्था का निर्माण करने में और बैंकों को उनकी कार्य प्रणाली सुधारने के लिए एक अच्छे सुधारों के रूप में ही देखनी चाहिए. नियमों के मुताबिक तो आज भी बैंक के बंद होने या दिवालिया होने पर सिर्फ एक लाख रुपये के डिपाजिट को वापस करने की गारंटी है लेकिन आज तक ऐसा हुआ नहीं कि बैंक डिपाजिट में किसी का पैसा डूबा हो. इसलिए किसी को सशंकित होने की जरुरत नहीं है.

वैसे बैंको को आज भी सरकार जब bail-out करती है तो पैसे तो हमारे-आप के ही जाते हैं हाँ यह अलग बात है कि वो सीधे तौर पर नहीं जाते. देश के सारे टैक्स देने वाले लोग bail-out पैकेज का भार अप्रत्यक्ष रूप से वहन कर लेते हैं और उस बैंक को बचा लेते हैं.

Financial Resolution & Deposit Insurance 2017 बिल को भी बैंकिंग सेक्टर में एक रिफार्म के रूप में देखा जाना चाहिए. इससे एक ऐसी संस्था का निर्माण होगा जो कि वित्तीय संस्थाओं को डिफ़ॉल्ट या दिवालिया जैसी विषम परिस्थिति में जाने से पहले उनको बचाने का समय पर प्रयास करेगी और ऐसा करके वो देश और उसके टैक्स देने वाले लोगों के ऊपर पड़ने वाले आर्थिक बोझ से बचाएगी. इस बिल का उद्देश्य देश के फाइनेंसियल सिस्टम को और मजबूत बनाना है, देश को 2008 विश्व आर्थिक समस्या जैसी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार करना और ऐसी समस्याओं से बचाना है.