Friday, April 6, 2018

सेबी के इस कदम का पड़ेगा आपके म्यूच्यूअल फण्ड पोर्टफोलियो पर बड़ा असर



लगभग 6 महीने पहले सेबी ने म्यूच्यूअल फण्ड योजनाओं की संख्या घटाने और उनके नाम और काम को ज्यादा युक्तिसंगत (Rationalise) करने के लिए सभी एसेट मैनेजमेंट कंपनियों को दिशा निर्देश जारी किया थे. सेबी के इस कदम का उद्देश्य यह था कि उस भ्रान्ति को कम किया जाय जो अलग-अलग फण्ड हाउसेस एक ही तरह के फण्ड को अलग-अलग नामों से चलाने के कारण उत्पन्न होते हैं और एक आम निवेशक को म्यूच्यूअल फण्ड की अलग-अलग योजनाओं का समझने में आसानी हो जाए साथ ही म्यूच्यूअल फण्ड कंपनियों को फंड्स को चलाने के लिए मोटे तौर पर एक दिशा निर्देश दिया जाय.

आज के समय लार्ज कैप फण्ड कोई फण्ड हाउस टॉप 100 फण्ड के नाम से चलाता है तो कोई टॉप 200 या ब्लुचिप या फोकस्ड लार्ज कैप या फ्रंट लाइन के नाम से चलाता है, इक्विटी फंड्स में तो तब भी कम उलझन है डेब्ट फण्ड में उलझने कहीं ज्यादा है क्यूंकि यहाँ पर कोई कॉर्पोरेट बांड फण्ड के नाम से 6-12 महीने के बांड फण्ड चलाता है तो कोई 3-5 साल के बांड फण्ड चलाता है, कोई उसी केटेगरी के फण्ड को मीडियम टर्म फण्ड का नाम दे देता है और कोई उसे क्रेडिट फण्ड नाम देता है. हाइब्रिड फण्ड में  में कोई 5% इक्विटी वाला फण्ड भी MIP कहलाता और 15%,25% , 30% वाला भी MIP कहलाता है इस प्रकार से म्यूच्यूअल फण्ड योजनाओं को उनके नाम से समझ पाना बहुत मुश्किल है और इसी मुश्किल को थोडा आसान करने का काम करेंगे सेबी के ये नए दिशा निर्देश.


सेबी सर्कुलर अक्टूबर 2017- पढने के लिए नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करें 

क्या है इस सर्कुलर में -
इस सर्कुलर के अनुसार अब म्यूच्यूअल फण्ड योजनायें  मुख्यतः 5 कैटेगरी में ही आयेंगे 

1) इक्विटी स्कीम
2) डेब्ट स्कीम
3) हाइब्रिड स्कीम
4) सोल्यूशन ओरिएंटेड स्कीम
5) अन्य प्रकार की योजनायें

इन 5 केटेगरी के अन्दर कुछ फंड्स या योजनाओं की सब-कैटेगरी बनाई गई हैं और आगे से प्रत्येक सब-कैटेगरी में सिर्फ एक म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम ही कोई भी फण्ड हाउस चला सकेगा. जैसे इक्विटी कैटेगरी में सिर्फ 10 अलग-अलग फंड्स (सेक्टोरल और थीमेटिक फंड्स छोड़ कर) हो सकते हैं, डेब्ट कैटेगरी में 16 और हाइब्रिड में 6 फंड्स होंगे, सोल्यूशन ओरिएंटेड दो स्कीम हो सकेंगी, इसके अलावा इंडेक्स फण्ड, एक्सचेंज ट्रेडेड फण्ड (ETF) और फण्ड ऑफ़ फंड्स (FOF) अन्य प्रकार की योजनाओं में आयेंगे.

इस सर्कुलर के आने के बाद कुछ फण्ड हाउसेस को जरुर अच्छा नहीं लगा होगा क्यूंकि इसके लागू होने  से उनको अपने हिसाब से अलग-अलग तरह की ओपन एंडेड योजनायें लांच करने और चलाने की छूट नहीं रह जायेगी.

आइये समझते हैं हम सब पर इसका प्रभाव क्या होगा

स्कीमों की संख्या होगी कम- 
क्यूंकि सेबी ने फंड्स की संख्या कैटेगरी और सब-कैटेगरी में फंड्स की संख्या निर्धारित कर दी है तो अब उस से ज्याद ओपन एंडेड फंड्स एक फण्ड हाउस नहीं चला सकेगा. इससे म्यूच्यूअल फण्ड कंपनियों द्वारा चली जा रही योजनाओं की संख्या कम होगी फलस्वरूप एक आम निवेशक को स्कीम के बारे में समझने और चुनाव करने में आसानी होगी क्यूंकि आज ओपन एंडेड फंड्स की संख्या लगभग 1100 के आस पास है, अब एक आम निवेशक के सामने 1100 स्कीमो में से अपने लिए 7-8 स्कीम चुनना काफी उलझन भरा होता था, जितनी स्कीमों की संख्या कम होगी एक आम निवेशक को उसमे से अपने लिए फण्ड चुनने में आसानी होगी. . 

फंडामेंटल ऐट्रिब्यूट्स (मौलिक गुण) में आएगी एक रूपता-

सेबी ने जहाँ इक्विटी फंड्स में लार्ज कैप,मिड कैप , स्माल कैप को परिभाषित करके उनके अनुसार फंड्स की  सब-कैटेगरी बनाई है, वहीँ डेब्ट फंड्स में भी पोर्टफोलियो की एवरेज मेच्योरिटी और क्रेडिट रेटिंग के अनुसार फंड्स की  सब-कैटेगरी परिभाषित की है , हाइब्रिड कैटेगरी को भी उनके एसेट एलोकेशन के अनुसार सब-कैटेगरी में बांटा गया है इस तरह से सभी फण्ड हाउस के समान सब-कैटेगरी फंड्स के फंडामेंटल ऐट्रिब्यूट्स या मौलिक गुण में एक रूपता आ जाएगी. अभी तक कई फण्ड हाउसेस में मोटे तौर एक ही तरह से संचालित होने वाली 2-3 योजनायें अलग-अलग नामों से मिल जाएँगी और इन फण्ड हाउसेस के पास 50-100 योजनायें होंगी लेकिन इनमे से कई योजनायें बस नाम के लिए अलग होंगी, इनका उद्देश्य, पोर्टफोलियो, फण्ड मैनेजर सब एक ही हो सकता है, अब ऐसा नहीं चलेगा.

फंड्स के नामों में होगी एक समानता-

अभी तक ऐसा हो सकता है कि आप एक सामान संचालित होने वाले फण्ड का नाम अलग-अलग फण्ड हाउस में अलग-अलग होता जैसे किसी फण्ड हाउस में उसे कॉर्पोरेट बांड फण्ड लिख जाता , उसी का नाम दूसरे फण्ड हाउस में मीडियम टर्म या क्रेडिट फण्ड या डेब्ट ओपरच्युनिटी या रेगुलर सेविंग  फण्ड हो सकता था  और इस प्रकार से आप नाम पढ़ के उलझन में पड़ जाते रहे हों. तो अब यह परेशानी कम हो जाएगी सभी फण्ड हाउसेस में स्कीमों के नाम लगभग एक सामान होने से .


तुलना करना होगा आसान-


अभी तक एक सब-कैटेगरी के फण्ड का दूसरे सब-कैटेगरी के फण्ड से तुलना करना भी आसान नहीं था. जैसा की हमेशा फण्ड की तुलना करते हुए यह बताया जाता है कि सेब की तुलना सेब से करनी चाहिए संतरे से नहीं. सच्चाई यह है इस इंडस्ट्री में हमेशा यह तुलना सही ढंग से हो ही नहीं पाती थी क्यूंकि एक बोलता था मेरे लार्ज कैप में मिडकैप भी है इसलिए ज्यादा गिरावट आ गई तो दूसरा बोलता था मेरे लार्ज कैप में सिर्फ लार्ज कैप है इसलिए वो उतना नहीं बढ़ रहा, एक बोलता था मेरे कॉर्पोरेट बांड में AAA रेटेड बांड्स हैं इसलिए परफॉरमेंस कम है तो दूसरा बोलता था मेरे में मॉड ड्यूरेशन कम है इसलिए परफॉरमेंस नहीं आई और इस तरह से अब तक सभी फण्ड हाउस फंड्स अपने फंड्स की उस केटेगरी में अंडर परफॉरमेंस के प्रश्न को इस तरह से डक कर जाते थे. स्कीमों में एक रूपता या एक समानता होने से उनका सही तरह से तुलनात्मक अध्ययन करना आसान एवं तर्कसंगत होगा.


पुराने निवेशक को क्या करना चाहिए-

ऐसे लोग जो पहले से म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश कर रहे हैं उनको इस प्रकिया को सावधानी से समझने की जरुरत है अन्यथा आपके इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में कुछ घाल-मेल हो सकती है. जैसे आपने किसी फण्ड में निवेश करते समय उसे लार्ज कैप फण्ड मान के निवेश किया था लेकिन अब वो लार्ज-मिड कैप फण्ड बन गया या आपने मिडकैप स्मालकैप फण्ड में पैसे लगाये थे लेकिन वो स्माल कैप फण्ड बनने जा रहे हैं तो ऐसी परिस्थिति में आपको उसी फण्ड में बने रहना है या अन्य विकल्पों के बारे में सोचना है. इस तरह की परिस्थिति डेब्ट फंड्स और हाइब्रिड फंड्स में भी उत्त्पन्न होगी जैसे किसी फण्ड हाउस के पास दो या तीन मंथली इनकम प्लान या बैलेंस्ड फण्ड थे अब तो केवल एक ही मंथली इनकम प्लान रहेगा या एक ही बैलेंस्ड फण्ड रहेगा तो बाकि के फंड्स या तो किसी एक में मर्ज कर दिए जायेंगे या उनको किसी और केटेगरी का फण्ड बना दिया जायेगा मतलब उसके फंडामेंटल ऐट्रिब्यूट्स में परिवर्तन किया जायेगा जैसे HDFC के पास दो बैलेंस्ड फण्ड हैं HDFC Prudence और HDFC Balanced अब HDFC को एक ही बैलेंस्ड रखना है तो उसे या तो इन दोनों योजनाओं को मिला कर एक कर देना होगा या किसी एक के फंडामेंटल ऐट्रिब्यूट्स में परिवर्तन करके उसे दुसरे केटेगरी का फण्ड बनाना होगा, जैसे HDFC के पास एसेट एलोकेशन फण्ड नहीं तो संभवतः वह प्रूडेंस फण्ड के फंडामेंटल ऐट्रिब्यूट्स को चेंज कर दे. इसलिए यह बहुत जरुरी इस महीने आप अपने फाइनेंसियल एडवाइजर से जरुर मिलें और अपने म्यूच्यूअल फण्ड पोर्टफोलियो में आ रहे परिवर्तनों को समझें और जरुरी हो तो उसके अनुसार बदलाव करें.

वैसे सेबी ने यह कदम थोडा देर से उठाया है लेकिन फिर भी हम कह सकते हैं देर आये दुरुस्त आये.