Tuesday, September 11, 2018

फाइनेंसियल प्लानिंग जरुरी है


आपकी बचत को सही से निवेश सबसे अच्छा तरीका होता है फाइनेंसियल प्लानिंग. फाइनेंसियल प्लानिंग की शुरुआत निवेशकों को अपनी पहली नौकरी और पहली सैलरी से शुरू कर देनी चाहिए, जब की 100% लोग अपनी पहली नौकरी और पहली ही नहीं कई वर्षों की सैलरी का उपयोग सबसे पहले अपने शौक के लिए ही करते हैं . यदि एक आम आदमी पहली सैलरी से ही फाइनेंसियल प्लानिंग का रास्ता चुन ले तो वो अपनी आय के अनुसार अपनी जरूरतें भी पूरी कर सकता है, शौक भी पूरे कर सकता है और अपने भविष्य के लिए भी बेहतर योजनायें बना सकता है. फाइनेंसियल प्लानिंग के लिए सही निवेश की समझ और अनुशासन जरूरी होता है. निवेश से पहले अपने लक्ष्य तय करना और फिर निवेश शुरू करना चाहिए . बिना प्लानिंग से निवेश से उचित परिणाम मिलने मुश्किल होते हैं, वो कुछ ऐसा ही होता है कि आपने कार निकाल ली है सड़क पर लेकिन आपको पता ही नहीं आपको कब, कहाँ और क्यूँ पहुँचाना है . रिटायरमेंट की प्लानिंग कम उम्र से ही शुरु कर देनी चाहिए. युवाओं को पहली सैलरी से ही निवेश करना शुरु करना चाहिए. कम उम्र में छोटा निवेश भी लंबी अवधि में फायदेमंद साबित होता है. सरकारी सोशल सिक्योरिटी जिसके लिए लोग इतना परेशान रहते हैं उसकी जगह आप शुरू से अपने लिए योजनाबद्ध तरीके से निवेश करते हैं तो ये तरीका ज्यादा फायदेमंद हो सकता है. आपको अपनी सोशल सिक्योरिटी खुद हासिल करनी चाहिए, यह ज्यादा भरोसेमंद और फलदायी तरीका होता है और जिसको आप उचित फाइनेंसियल प्लानिंग से हासिल कर सकते हैं. बचत और निवेश में देरी से उसके फायदे कम होते जाते हैं, इसलिए रिटायरमेंट प्लानिंग अपनी पहली सैलरी के साथ ही शुरू करें.
रिटायरमेंट लॉन्ग टर्म लक्ष्य है, युवा रहते हुए ही बचत की आदत डालें. पीपीएफ ईपीऍफ़ के साथ साथ दूसरे प्रोडक्ट में भी निवेश करें सिर्फ इन प्रोडक्ट्स में निवेश कर के आप अपने लिए सही रिटायरमेंट फण्ड नहीं बना सकते.

यदि कोई 25 वर्ष का व्यक्ति अपनी नौकरी, प्रोफेसन या व्यवसाय Rs. 20000/माह से शुरू करता है और उसकी आय अगले 35 वर्ष तक 8% सालाना की दर से बढती है तो वह अगले 35 साल में 4.13 करोड़ रूपये कमायेगा और यदि वह पहले महीने से अपनी आय का 15% यानी 3000 रुपये की बचत से शुरुआत करता है और साल दर साल अपनी आय का 15% बचत करता जाता है और ऐसी जगह निवेश करता है जो कि उसे 12% का रिटर्न बना के दे दे तो रिटायरमेंट के समय उसके पास कुल 3.83 करोड़ रूपये होंगे. यानी जीवन भर जितना कमाया उसके बराबर का फण्ड आप सिर्फ सही समय से बचत और निवेश शुरू करके बना सकते हो. अगर यही कम शुरू करने में आप 10 साल की देर करते हो तो आपका रिटायरमेंट फण्ड कम हो कर सिर्फ 2 करोड़ रह जाएगा.

एक बात याद रखें कि आपको आपकी हर जरुरत के लिए बैंक क्रेडिट उपलब्ध कर देगा लेकिन आपकी रिटायरमेंट फंडिंग कोई भी बैंक नहीं करेगा.
टैक्स प्लानिंग और फाइनेंसियल प्लानिंग में फर्क होता है. अक्सर लोग टैक्स प्लानिंग साल के आखिर में करते हैं. केवल टैक्स बचाना फाइनेंशियल प्लानिंग नहीं होता है, टैक्स प्लानिंग आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग का हिस्सा होना चाहिए. मजबूरी में टैक्स प्लानिंग ना करें. म्यूच्यूअल फण्ड की टैक्स सेविंग योजनायें- ईएलएसएस से टैक्स बचत के साथ साथ लम्बे समय में अच्छे रिटर्न भी मुमकिन होते है. टैक्स प्लानिंग से पहले अपने लक्ष्यों की पहचान करें और लक्ष्य के मुताबिक अलग अलग प्रोडक्ट्स में निवेश करें. टैक्स बचत के साथ साथ मजबूत फाइनेंशियल प्लानिंग बेहद जरूरी होता है.
जैसा कि हमने पहले भी कहा है कि रिटायरमेंट के लिए जल्दी बचत शुरू करनी चाहिए, लेकिन रिटायरमेंट के बाद भी आपकी इन्वेस्टमेंट प्लानिंग बहुत जरुरी है .रिटायरमेंट के बाद भी अच्छे रिटर्न की जरूरत होती है, भविष्य की लाइफ स्टाइल और महंगाई को देखकर प्लानिंग करें. सही निवेश से भविष्य में अधिक रिटर्न मिलने की संभावनाएं रहती है. निवेश करते हुए इन बातों का जरुर ध्यान रखें - अपने टाइम होराइजन से मैच करने वाला प्रोडक्ट ही लें, इक्विटी में 2 साल के लिए निवेश फायदेमंद नहीं होता है, 5-10-20 साल के लिए रिकरिंग डिपॉजिट खोलना गलत होता है, लंबे समय के लिए फिक्स्ड इनकम प्रोडक्ट सही नहीं होते, डेट छोटी अवधि के लिए सही प्रोडक्ट है, महंगाई और टैक्स को ध्यान में रखकर निवेश करें. इंश्योरेंस प्लानिंग भी फाइनेंसियल प्लानिंग का जरुरी हिस्सा है . इंश्योरेंस से पहले पूरी तरह जांच पड़ताल करें. इंश्योरेंस को लेकर सही सलाह लें. सिर्फ हेल्थ इंश्योरेंस और टर्म प्लान लें, इसके अलावा इंश्योरेंस के नाम पर दिए जाने वाले प्रोडक्ट्स ना तो आपके परिवार को आर्थिक सुरक्षा दे सकते हैं और ना ही आपके लिए उचित फण्ड बना सकते हैं . इसलिए रिटायरमेंट, बेटी की शादी, बच्चों की पढाई का सोचकर इंश्योरेंस में निवेश न करें.
फाइनेंसियल प्लानिंग जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है क्यूंकि जब तक जीवन है पैसे की जरुरत और उसका सही संचालन आवश्यक है. इसलिए अपने जीवन में आर्थिक लक्ष्य,बचत और अवधि का तालमेल बने होना चाहिए. लक्ष्यों की प्राथमिकता तय करनी चाहिए. निवेश के सही प्रोडक्ट का चुनाव करना चाहिए . जिस से आपको जीवन में आर्थिक समस्यों का सामना कम से कम करना पड़े.
म्युचुअल फंड्स को अपने फाइनेंसियल प्लानिंग के लक्ष्यों को हासिल करने का माध्यम बनाना चाहिए . लेकिन कुछ बेसिक बातों का ध्यान जरुर रखें . छोटे समय के निवेश के लिए इक्विटी फंड्स को न चुनें, इक्विटी मार्केट के छोटी अवधि में दिए गए रिटर्न को ध्यान में रख कर निवेश ना करें. 3-5 साल का नजरिया हो तो सिर्फ 20-40% ही इक्विटी में निवेश करें. म्यूच्यूअल फण्ड के माध्यम से इक्विटी, हाइब्रिड,डेब्ट, लिक्विड, एसेट एलोकेशन फण्ड से अपनी फाइनेंसियल प्लानिंग के अनुसार निवेश करें.