Thursday, December 15, 2016

कैसे पायें स्टेबल रिटर्न के साथ रेगुलर कैश फ्लो


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पिछले ब्लॉग में हमने नोटबंदी और उसके फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टर के ऊपर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जाना, हमने यह समझने की कोशिश की कैसे फिक्स्ड डिपाजिट में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए आने वाला समय मुश्किल भरा हो सकता है और वह फिक्स्ड इनकम म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश कर के स्टेबल और फिक्स्ड डिपाजिट से बेहतर रिटर्न बना सकता है. लेकिन एक समस्या म्यूच्यूअल फण्ड के साथ आती है वो है रेगुलर कैश फ्लो की और एक फिक्स्ड डिपाजिट इन्वेस्टर के लिए यह काफी मायने रखता है की उसे रेगुलर कुछ पैसे मिलते रहें.

रेगुलर कैश फ्लो  सुनिश्चित करने के लिए  फिक्स्ड इनकम म्यूच्यूअल फण्ड में आप सिस्टेमेटिक विड्राल आप्शन (SWP) चुन सकते हैं. एक तरफ आप फिक्स्ड इनकम म्यूच्यूअल फण्ड से स्टेबल रिटर्न बनायेंगे और दूसरी तरफ SWP से रेगुलर कैश फ्लो भी बन जायेगा इसलिए यह एक बेहतर तरीका हो सकता है रिटायर्मेंट के बाद ऐसे निवेशकों के लिए जो रिस्क नहीं लेना चाहते लेकिन फिक्स्ड डिपाजिट से बेहतर रिटर्न बनाना चाहते हैं और साथ ही साथ उन्हें रेगुलर कैश फ्लो भी चाहिए. इसके अलावा जब आप ऐसे इन्वेस्टर हैं जिनको 10%, 20% या 30% का टैक्स भी देना पड़ता है अपने ब्याज की कमाई पर तो आपको ऐसे साधनों के बारे में जानकारी प्राप्त करना और उसमे निवेश करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है.

इन्ही सब बातों को ध्यान में रख कर मैंने फिक्स्ड इनकम म्यूच्यूअल फण्ड से SWP और फिक्स्ड डिपाजिट से होनी वाली इंटरेस्ट इनकम का तुलनात्मक विश्लेषण किया है.

पहले हम फिक्स्ड डिपाजिट के उदाहरण को लेते हैं

1st जनवरी 2011 को किसी ने 10 लाख रुपये की फिक्स्ड डिपाजिट की है जिस पर उसे 2.25% के रेट से इंटरेस्ट हर तिमाही में मिलता है.



फिक्स्ड डिपाजिट वाले निवेशक को 1 जनवरी 2011 से अक्टूबर 2016 तक 517500 रुपये ब्याज के रूप में मिले यहाँ अगर वह 10% भी टैक्स सरकार को चुकाता है तो उसे 53302 रुपये टैक्स में चुकाने पड़ते हैं और अगर वह 20% या 30% के टैक्स दायरे में आता है तो क्रमशः 106605 रुपये या 159907 रुपये चुकाने पड सकते हैं, जो की एक बड़ी कीमत है. मेरी रिटायरड निवेशकों से बात चीत के दौरान यह बात निकल के आती है मेरे जिन्दगी भर की सेविंग पर ब्याज में सरकार रिटायर होने के बाद भी टैक्स क्यूँ लेती है , जब तक हम काम करते थे तब तक हमने टैक्स दिया अब रिटायर होने के बाद भी अगर हमें अपने बचत पर मिलने वाली ब्याज पर भी टैक्स देना पड़े तो हमारे पास बचेगा क्या.

यह वाकई में एक इमोशनल स्टेटमेंट है लेकिन सरकार के नजरिये से देखें तो उसके लिए भी ब्याज पर टैक्स की छूट देना मुमकिन नहीं.

लेकिन यहीं पर सरकार ने म्यूच्यूअल फण्ड के निवेशकों को टैक्स के मायने में बहुत हद तो छूट दे रखी है, जरुरत है उनके बारे में आप जानकारी हासिल करें और उनमे निवेश करें.

और  अगर इतना टैक्स देने के बावजूद भी आम निवेशक फिक्स्ड डिपाजिट में निवेश करता है इसका मात्र एक कारण मुझे समझ में आता है वह है फाइनेंसियल साक्षरता की कमी.

अब हम दुसरे माध्यम की बात करते हैं जो की फिक्स्ड इनकम म्यूच्यूअल फण्ड से SWP

यहाँ पर पहले यह बात स्पष्ट करना जरुरी है नीचे दिए गए उदाहरण में स्कीम का नाम मैंने नहीं लिखा है लेकिन इसमें दी गई तारीख, NAV और यूनिट्स सब एक्चुअल डेटा हैं. यह स्कीम  एक मीडियम टर्म कॉर्पोरेट बांड फण्ड (एक प्रकार का डेब्ट फण्ड) है और इस स्कीम का उद्देश्य डेब्ट या मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश कर के निवेशक को सेफ्टी के साथ स्टेबल रिटर्न देना है.

इस स्कीम में निवेशक ने 10 लाख रुपये का निवेश 3 जनवरी 2011 को किया था और 2.25% तिमाही के रेट से  SWP (सिस्टेमेटिक विड्राल) लिया. अप्रैल 2011 से अक्टूबर 2016 तक यहाँ भी 517500 रुपये निवेशक को मिले लेकिन उसको कुल 28639 रुपये टैक्स के रूप में चुकाना पड़ा और अगर निवेशक 10% या 20% टैक्स दायरे में होता तो उसको और कम टैक्स चुकाना पड़ता. क्यूंकि फिक्स्ड इनकम म्यूच्यूअल फण्ड में 3 साल के बाद पैसे निकालने पर जो लाभ प्राप्त होता है उस पर इंडेक्सेशन के लाभ के कारण टैक्स कम चुकाना पड़ता है इसलिए यहाँ निवेश करने के कई लाभ मिल जाते हैं

इसके साथ निवेश की वर्तमान वैल्यू भी 10.89 लाख रुपये है.



 फिक्स्ड इनकम म्यूच्यूअल फण्ड में आपको निम्न लिखित फायदे मिलते हैं

  • फिक्स्ड म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश कर के आप फिक्स्ड डिपाजिट से बेहतर रिटर्न बना सकते हैं
  • आप SWP के माध्यम से रेगुलार कैश फ्लो भी सुनश्चित कर सकते है
  • आप के ऊपर टैक्स का बोझ भी कम होता है
  •  म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करना और उस से पैसे निकालना इन सबकी की प्रकिया भी फिक्स्ड डिपाजिट, पोस्ट ऑफिस MIS से काफी सरल है, आप कभी भी पैसे लगा सकते हैं और कभी भी पैसे निकल सकते हैं
  • इनमे निवेश करने की कोई सीमा नहीं है आप कम से कम 5000 रुपये से शुरू कर सकते हैं और अधिक से अधिक कितना भी निवेश कर सकते हैं 

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