Tuesday, October 11, 2016

इस दशहरे पर करें अपनी १० बुरी फाइनेंसियल आदतों का दहन




दशहरा या विजय दशमी हमारे देश का एक प्रमुख त्यौहार है और इस दिन को सत्य की असत्य पर, न्याय की अन्याय पर, धर्म की अधर्म पर, सदाचार की दुराचार पर और नैतिकता की अनैतिकता की विजय की तरह हम याद करते हैं. इस दिन पुरे देश में लोग बुराई के प्रतीक रावण का दहन करते हैं और इस विजय का उल्लास मनाते हैं. यह त्यौहार एक प्रतीक है अपनी बुराइयों पर विजय प्राप्त करने की और असली मायने में यह त्यौहार हमारे लिए तभी मायने रखेगा जब हम अपनी कुछ बुराइयों को रावण के दहन के साथ ख़त्म कर दे.

आइये विजय दशमी के पर्व पर हम भी अपनी कुछ बुरी फाइनेंसियल आदतों का दहन करते हैं, इन बुरी आदतों का जिनका कुप्रभाव हम पर और हमारे परिवार पर पड़ता है, इनसे मुक्ति पा कर हम सच में रावण दहन करेंगे और अपने घर में फाइनेंसियल फ्रीडम की दिवाली मनाएंगे.


1) घर का बजट ना बनाना - घर का बजट ना बनाना बहुत छोटी सी बात है लेकिन हम सभी इस छोटी सी बात को नजर अंदाज करते हैं और पूरी जिन्दगी छोटी चीजों के लिए compromise करते हैं. अगर बजट बना कर हम खर्च करें, निवेश करें और उसको फॉलो करें तो हम फाइनेंसियल फ्रीडम की ओर अपना पहला कदम बढ़ायेंगे.

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2) निवेश के फैसले को टालना- अक्सर निवेश के फैसलों को हम टालते हैं इन्तेजार करते हैं सही समय का या अधिक पैसे कमाने या इकट्ठा होने का लेकिन यह टालने की बीमारी हमारे ऊपर कितनी भारी पड सकती है इसका अंदाजा हम नहीं लगा पाते. निवेश जितनी जल्दी हम शुरू करें उतना ही उसका लाभ हमें मिलता है.

उदाहरण के लिए एक 25 साल का युवा अपने नौकरी लगने के पहले माह से अगर 5000 रुपये प्रति माह ऐसी जगह निवेश करता है जहाँ से उसे 13% का रिटर्न मिले तो 60 वर्ष की उम्र में उसके पास 4.2 करोड़ रुपये इकट्ठा हो जायेंगे लेकिन अगर उसने 2 वर्ष बिताने के बाद निवेश करना शुरू किया तो 60 वर्ष की उम्र में उसके पास सिर्फ 3.2 करोड़ ही होंगे मतलब 2 वर्ष तक आपने निवेश के निर्णय को टाला तो उसका नुकसान आपको बहुत भारी पड़ता है. और हमारी सबसे बुरी आदत निवेश के निर्णय को टालने की होती है. इसलिए जितनी जल्दी हो सके निवेश सही जगह निवेश करना शुरू करिये. इस से पहले कि बहुत देर हो जाये.


3) बीमा और निवेश को अलग अलग ना रखना- बीमा या इंश्योरेंस का सही मायने तभी पूरा होता है जब हम अपने लिए  टर्म प्लान खरीदते हैं लेकिन फाइनेंसियल जानकारी के अभाव में या 4-5% के फिक्स्ड रिटर्न की लालच में हम बीमा को निवेश के साथ मिक्स कर देते हैं और हमारे इस निर्णय का दुष्परिणाम यह होता है कि ना तो हमारा परिवार फाइनेंसियली सुरक्षित होता है और ना तो हमारा निवेश हमारे लिए महंगाई की दर से ज्यादा हमारे लिए पैसे बना पाता है और 15-20 साल के इस समय में हम केवल अपने इस निर्णय को लेके पछतावा ही कर पाते हैं.

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इसलिए समझदारी यही होगी की बीमा के लिए टर्म प्लान लीजिए और निवेश के लिए म्यूच्यूअल फण्ड, फिक्स्ड रिटर्न स्कीम , रियल एस्टेट और इक्विटी का मिक्स पोर्टफोलियो बनायें.


4) बिना प्लानिंग के निवेश करना- एक बुरी फाइनेंसियल आदत हमारी यह भी है कि हम बिना प्लानिंग के निवेश करते हैं. निवेश करने से पहले हमे अपने निवेश करने के लक्ष्य पता होने चाहिए, निवेश के लक्ष्य जैसे रिटायरमेंट फण्ड, घर खरीदना, बच्चों की पढाई या शादी, अपनी ड्रीम कार या वेकेशन प्लान या पाने स्टार्ट-अप आईडिया के लिए फण्ड बनाना.
आप सोचिये घर से आपको कहनी घुमने भी निकलना होता है तो हम कितनी तैयारी और प्लानिंग करते हैं लेकिन अपने निवेश हम सोच समझ के बिना एक्सपर्ट के सलाह के और लक्ष्यों को बिना निर्धरित किये करते हैं, ऐसे आपके निवेश आपको अपेक्षित परिणाम कैसे दे सकते हैं . इसलिए जब भी निवेश करें तो कुछ प्रश्न अपने आप से जरुर पूछे, मै यह निवेश क्यूँ कर रहा हूँ, कितने समय के लिए कर रहा हूँ और कहाँ कर रहा हूँ, इस निवेश से मेरे लक्ष्यों की प्राप्ति हो सकेगी या नहीं?

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5) टैक्स छूट के लिए आखिरी समय का इन्तेजार करना- अक्सर हम लोग टैक्स छुट के लिये फरवरी-मार्च का इन्तेजार करते हैं और आखिरी मौके पर जल्द बाजी में गलत फाइनेंसियल प्रोडक्ट में निवेश कर देते हैं .
कभी हमे सिर्फ टैक्स छूट के लिए ही निवेश नही करना चाहिए बल्कि टैक्स छूट को एक और लाभ समझ कर उस फाइनेंसियल प्रोडक्ट के अन्य लाभ हानि को देख कर निर्णय लेना चाहिए. टैक्स प्लानिंग का सबसे अच्छा समय अप्रैल-मई होता है लेकिन हम अक्सर उसे  फरवरी-मार्च में जा करते हैं.

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अगर अब तक हमने इस साल की टैक्स प्लानिंग नहीं की है तो अक्टूबर माह में इसे करते हैं जिस से अगले वर्ष हम अप्रैल महीने से ही टैक्स प्लानिंग कर सकें.

6) अपने निवेश से भावनात्मक जुडाव रखना- कई बार ऐसा होता है कि निवेश करने ,ना करने या उस निवेश से निकलने के निर्णय में भावनाएं हमारे ऊपर हावी हो जाती हैं. अच्छा निवेशक वही होता है जो इन भावनाओं के जाल में नहीं फंसता और निवेश करने का निर्णय या उस निवेश से निकलने का निर्णय वो अपने फाइनेंसियल लक्ष्य को ध्यान में रख कर लेता है.
अगर आप इस आदत के शिकार हैं तो आप को यह समझना चाहिए कि आपके लिए आपके निवेश लक्ष्य प्राप्त करना ज्यादा जरुरी है किसी निवेश से भावनात्मक जुडाव आपके लक्ष्यों की प्राप्ति में बाधक होंगे.

7) निवेश की बार-बार समीक्षा करना- जब हमारे निवेश में मार्केट लिंक्ड प्रोडक्ट होते हैं तो एक बुरी आदत हमारी उसकी वैल्यू  को हर रोज सुबह शाम चेक करने की पड जाती है और ग्रीड एंड फियर के जाल में हम अपने निवेश के लक्ष्यों को भूल कर मार्केट के उतार चढाव को फॉलो करने लगते हैं, जिसका परिणाम यह होता है कि हम उस निवेश के जो बड़े लाभ हैं उस से वंचित रह जाते हैं और अपने निवेश के लक्ष्य के पूरा होने से पहले ही वहां से निकल जाते हैं.
ज्यादा अच्छा यह होगा कि हम एक निश्चित अंतराल पर अपने फाइनेंसियल एडवाइजर के साथ बैठ कर अपने निवेश की समीक्षा करें.

8) अपने फाइनेंसियल लक्ष्यों के हिसाब से अपने निवेश के साधनों का चुनाव ना करना- जब हम लम्बी दूरी की यात्रा करते हैं तो ट्रेन, कार या हवाई साधनों का प्रयोग करते हैं और नजदीक दूरियां हम पैदल, साइकिल या बाइक से तय करते हैं लेकिन निवेश के मामले में कुछ उल्टा होता है. अक्सर रिटायरमेंट के लिए हम PPF, EPF, ट्रेडिशनल बीमा में निवेश करते हैं जो की फिक्स्ड और लो रिटर्न देने वाले लम्बे समय के लॉक-इन वाले फाइनेंसियल प्रोडक्ट हैं और इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश कर के रोज-रोज वैल्यू चेक करने लगते हैं. जब की करना हमे इसके एकदम विपरीत चाहिए.

हमें फिक्स्ड रिटर्न वाले प्रोडक्ट जैसे डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड, फिक्स्ड डिपाजिट में  निवेश 3 साल के अन्दर आने वाली फाइनेंसियल लक्ष्यों को पूरा करने के लिए करना चाहिए, 5 साल के लिए हाइब्रिड (इक्विटी और फिक्स्ड रिटर्न के मिक्स) प्रोडक्ट में और 7 साल से ऊपर के लिए इक्विटी या रियल एस्टेट में निवेश करना चाहिए.

9) नये विकल्पों में हमेशा निवेश करना- कुछ लोगों की आदत होती है जो निवेश करने का मतलब कपडा खरीदना समझने लगते हैं, उनको हर बार कुछ नया खरीदना रहता है उनके पास 40 म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम होती हैं जो की उन्होंने ने NFO ख़रीदा होगा या 15 बीमा पालिसी होंगी जो वो हर साल नया खरीद लेते हैं या 50 कम्पनियों के शेयर्स होंगे या 15 बैंक में बैंक अकाउंट या फिक्स्ड डिपाजिट होंगी. आप सोचिये अगर आपका पोर्टफोलियो कुछ ऐसा दिखता होगा तो आप कैसे इसके मैनेज कर सकते हैं.

इसलिए अच्छा यह है अपने पोर्टफोलियो को उचित संतुलन और डायवर्सिफिकेशन दें, हर बार नया प्लान खरीदने से अच्छा है अच्छे और संतुलित पोर्टफोलियो में निवेश करें.

10) कर्ज की प्लानिंग ना करना- आज कल का समय क्रेडिट कार्ड और ओवर ड्राफ्ट का है अगर आप इस फिलोसफी में विश्वास रखते हैं तो आपके अपने बैलेंस शीट की हालत बहुत ख़राब होगी. आपका ज्यादा से ज्यादा समय और पैसे अपने क्रेडिट कार्ड और OD के इंटरेस्ट और देय डेट को मैनेज करने में ही चले जाते हैं. अगर आप क्रेडिट कार्ड का प्रयोग अत्यधिक करते हैं और वो कई बार आउट ऑफ़ कंट्रोल हो जा रहे हैं तो आप वर्तमान में आपके द्वारा बुने गए कर्ज के जाल में फंस के  ही रह जायेंगे और आपकी भविष्य की फाइनेंसियल जरूरतें किसी चमत्कार से ही पूरी हो पायेंगी और ऐसे चमत्कार केवल फिल्मो में होते हैं असली जिन्दगी में नहीं.

इसलिए अपने कर्ज की प्लानिंग करना हमारे लिए बहुत  जरुरी है. अपनी क्रेडिट लिमिट का सही से इस्तेमाल करिए, इतना क्रेडिट कार्ड का प्रयोग मत करिए की बिल देने के समय आपको अपने पुराने इन्वेस्टमेंट निकालने पड़ें या कहीं और से उधार लेकर काम चलाना पड़े. कर्ज का चक्र बहुत खतरनाक होता है इस से जितनी जल्दी निकल सकें निकलिये.

आशा है आपको मेरा यह ब्लॉग पसंद आया होगा और आप इसका फायदा जरुर उठाएंगे, आइये अपनी १० बुरी फाइनेंसियल आदतों का दहन करने का संकल्प हम आज लें और वर्तमान और अपने भविष्य को और खुश हाल बनायें.

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