Saturday, May 27, 2017

रिटायरमेंट के बाद इन्वेस्टमेंट कैसे करें


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मुझे लगता है यह बहुत बड़ी विडम्बना है कि हमारे देश में सीनियर सिटीजन या रिटायर्ड लोगों को सोच कर कोई प्लान नहीं बनाया जाता वो चाहे हेल्थ की बात हो उनकी सोशल सिक्यूरिटी की बात हो या उनके वेल्थ की बात हो. इस बात को आप किसी भी राज्य या केंद्र सरकार की योजनाओं और उनसे मिलने वाले लाभों को देख कर अनुमान लगा सकते हैं कि सीनियर सिटीजन और रिटायर्ड लोगों को कितना नजर अंदाज किया जाता है. इस मामले में सब से बुरा हाल तो उनका है जिन्होंने जिन्दगी भर किसी ऐसी संस्था के साथ काम किया है जहाँ पर पेंशन नाम मात्र हो या पेंशन ना हो.

जब सरकारें इनके बारे में सोचने के लिए तैयार नहीं है तो ऐसे में रिटायर्ड लोगों को ध्यान में रख कर अगर कोई इन्वेस्टमेंट आप्शन नहीं बनाया गया या सोचा गया तो कोई बड़ी बात नहीं है. ले दे कर वही 5 साल की सीनियर सिटीजन स्कीम या कुछ पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम या 15 साल लॉक इन वाली LIC की वरिष्ठ पेंशन योजना के अलावा कुछ समझ में नहीं आता और इन सब पर भी मिलना वाला ब्याज टैक्सेबल है जिससे  इन योजनाओं पर मिलने वाले पोस्ट टैक्स रिटर्न भी मुश्किल से महंगाई की दर के बराबर ही रह जाते हैं. इन योजनाओं के साथ एक बुराई और है कि इनमे डिपाजिट करने की सीमा बहुत कम है. कोई भी अगर इन योजनाओं के भरोसे अपनी रिटायर्ड लाइफ प्लान कर रहा है तो उसको भविष्य में कई कठिनाइयों का सामना करना पड सकता है.

क्यूँ सिर्फ इन योजनाओं पर निर्भरता आप को परेशान कर सकती है- 

पहली बात तो इन योजनाओं पर मिलने वाला ब्याज एक सीमित समय के लिए निश्चित होता है, जब जब आप इसका नवीनीकरण करवाएंगे तो नई ब्याज दर जो की कम भी हो सकती है उस दर पर भविष्य में आप को ब्याज मिलेगा तो हो सकता है 10 साल बाद आप को मिलने वाला ब्याज अगर 1%-2% कम हो जाय और ऐसे में आपके लिए यह एक साथ कई मुसीबतें लानी वाली योजना साबित हो सकती है. क्यूंकि एक तरफ आपको ब्याज मिलना समय के साथ कम हो गया और दूसरी तरफ समय के साथ आपके खर्चे बढ़ गए और तीसरी तरफ आपके पैसे की क्रय शक्ति समय के साथ कम हो गई. 

और यह बात ना समझ पाने की गलती सभी रिटायर्ड या सीनियर सिटीजन अपने रिटायर्मेंट के शरुआती सालों में कर देते हैं.

इस बात को आप एक उदाहरण से समझिये-

श्याम जी आज से लगभग 8 साल पहले रिटायर हुए उन्होंने अपने फण्ड से लगभग 25 लाख रूपये मिले. श्याम जी ने पुरे 25 लाख रूपये अपने दोस्तों से सुझाव लेने और काफी अख़बारों में लेखों को पढने के बाद 9.5% की ब्याज निश्चित ब्याज दर वाली  योजना में डाल दिया. पहले साल से उन्हें 2.37 लाख रूपये का निश्चित ब्याज मिलने लगा, उस समय उनका खर्चा लगभग 20 हजार रूपये महीने का था जो कि वो आसानी से अपने ब्याज से पूरा कर सकते थे. लेकिन 2-2.5 साल के बाद उनके खर्चे एकाएक दवाओं में बढ़ गए जिस कारण 20 हजार रूपये उनके लिए पर्याप्त नहीं रहे. फिर भी कुछ अपने खर्चे कम कर किसी तरह से अपना काम चलाते रहे. लेकिन समय के साथ खर्चे बढ़ते जाने से और महंगाई के बढ़ जाने से महीने का घर का बजट गड़बड़ होने लगा और उसे सँभालने के लिए उन्होने  थोड़े-थोड़े पैसे अपने मूल धन से निकालना शुरू किया. लेकिन समस्या यहाँ पर उनकी कम नहीं होने वाली थी क्यूंकि 5 साल बाद जब उन्हें इन योजनाओं का नवीनीकरण करवाया तो ब्याज दर घट का 8.5% रह गई और मूल धन भी घट के 22.5 लाख ही रह गया. और दूसरी तरफ उनके घर का महीने का बजट, महंगाई और आवश्यकताओं के बढ़ने से हर साल लगभग 10% की दर से बढ़ते गए. अब 5 साल में उनके वित्तीय हालत में क्या परिवर्तन हुआ आप नीचे दिए हुए चार्ट से समझिये. 

साल 2009
मूलधन
ब्याज @ 9.5%
खर्चे
2500000
237500
237500

साल 2014
मूलधन
ब्याज 8.5%
खर्चे (सालाना वृद्धि @ 8%)
2250000
191250
348965

देखिये समय कैसा खेल कर रहा है श्याम जी के साथ 2009 से 2014 आते-आते श्याम जी का मूलधन घटने लगा, ब्याज की कमाई घटने लगी और खर्चे बढ़ने लगे. इसमें एक चीज और जोड़ दें तो स्थिति और भयावह हो जाती है वो है 2009 से 2014 आते-आते रुपये की कीमत का घट जाना मतलब जो वैल्यू 25 लाख रुपये की 2009 में थी वो वैल्यू 2014 में 25 लाख रुपए की न रह जाना और दूसरी ओर मूलधन का भी घट जाना.

साल 2017
मूलधन
ब्याज 8 %
खर्चे (सालाना वृद्धि @ 7%)
1650000
132000
427498

यह उदाहरण शत प्रतिशत सही नहीं होगा, हो सकता है वास्तव में परिस्थिति इस से भी ख़राब  और हो 
सकता है इससे थोड़ी बेहतर लेकिन यह चार्ट जो ट्रेंड दिखा रहा है लगभग वही ट्रेंड हर आदमी की फाइनेंसियल लाइफ में चलेगा. अगर उसने वही गलती की है जो श्याम जी ने की है. अगर यही ट्रेंड रहा तो श्याम जी 75 साल से पहले अपना रिटायर्मेंट फण्ड ख़त्म कर चुके होंगे और उसके बाद के साल अपनों बच्चों की कमाई पर निर्भर रहेंगे.

इसलिए सभी रिटायर्ड लोगों को इन्वेस्टमेंट करते हुए अगले 20-25 सालों में होने वाले खर्चों और निवेश से मिलने वाली कमाई को ध्यान में रख कर ही कुछ सोचना चाहिए. 

इसलिए निवेश करते समय इन सब चीजों को अगर ध्यान में रखेंगे तो आप स्थिति को सही ढंग से समझ पायेंगे-

1-भविष्य में आपके खर्चे आपके लिविंग स्टैण्डर्ड, महंगाई और मेडिकेयर के कारण बहुत तेजी से बढ़ सकते हैं.

2- रेनोवेशन के खर्चे जो एक साथ आपके बजट बिगाड़ सकते हैं और वो घर के रेनोवेशन से लेकर, आपकी गाड़ी, आपके शरीर के रेनोवेशन (Heart, Knees, Teeth, Eyes etc..) तक हो सकते हैं.

3- अगले 20-30 सालों तक आपको इन्ही सेविंग्स पर निर्भर रहना है.

4- जब की आपके इन्वेस्टमेंट से होने वाली इनकम समय, ब्याज दरों और बाज़ार की स्थिति के अनुसार घटती बढती रह सकती हैं

5- अपनी अगली पीढ़ी के लिए आप क्या और कितना देना चाहते हैं

और इसलिए जरुरी है ऊपर दी गई बातों को ध्यान में रख कर अपनी योजना बनायें.



निवेश करने से पहले क्या सावधानी बरतनी चाहिए-

दुनिया में सबसे ज्यादा  मिस-सेलिंग फाइनेंसियल प्रोडक्ट्स की होती है और इनके साथ सबसे बड़ी समस्या क्या होती है आप ने बुरे फाइनेंसियल प्रोडक्ट्स में निवेश किया है इसका पता आपको बहुत समय बाद चलता है और तब तक आप का काफी नुकसान हो चूका रहता है.
सीनियर सिटीजन इसके सबसे ज्यादा शिकार होते हैं, पैसा ट्रान्सफर होते ही उनके पास बैंक से से कॉल आनी शुरू हो जाती है बैंक के मैनेजर उन्हें इंश्योरेंस, गोल्ड और तमाम फैंसी फाइनेंसियल प्रोडक्ट बेचने के लिए अमादा हो जाते हैं. आप का भी उस समय ध्यान इसी पर रहता है की इन पैसों को खर्च होने से पहले कहीं निवेश कर दें और इन्ही का फायदा ऐसे सेल्स मैन उठाते हैं.

नीचे दी गई बातों का जरुर ध्यान रखें.

1- इंश्योरेंस कंपनी द्वारा ऑफर किये जा रहे किसी प्रोडक्ट में निवेश ना करें

2- रियल स्टेट में निवेश करना आपको भविष्य में प्रॉपर्टी रिच - कैश पुअर व्यक्ति बना सकता है इसलिए रिटायर्मेंट फण्ड को रियल स्टेट में निवेश करने से पहले इस पहलू पर जरुर ध्यान दें.

3- गोल्ड - सिल्वर को निवेश की तरह ना देखें क्यूंकि यह आपको लम्बे समय में महंगाई के बराबर का रिटर्न ही दे पायेंगे वो भी तब जब आप उनकी सही कीमत बाज़ार से निकाल सकें तब.

4- ऐसे प्रोडक्ट में निवेश ना करें जो आपको समझ में ना आयें

5- किसी के दबाव में या किसी का देख कर निवेश करने के निर्णय ना लें. आप की जरूरतें, निवेश लक्ष्य और रिस्क लेने की क्षमता अलग हो सकती है और अगर आप किसी को देख कर निवेश करते हैं तो शायद वो आप के लिए उतनी सही ना हो जितनी वो अगले आदमी के लिए हो.

6- केवल न्यूज़ पेपर में दिए हुए लेख को अक्षरशः सही मान कर निवेश करने के निर्णय ना लें. पहली बात की मीडिया भी कई बार फाइनेंसियल प्रोडक्ट्स के बारे में भ्रामक सूचनाएं देता है और दूसरी बात इन लेखों को लिखने वालों को अक्सर सतही ज्ञान होता है.

7- ऐसे प्रोडक्ट्स या संस्थाओं से दूर रहें जो किसी रेगुलेटरी बॉडी के अन्तर्गत काम नहीं करती.

8- शेयर बाज़ार में सीधे निवेश ना करें.

9- एक अच्छा निवेश सलाहकार ढूंढें जो अगले 20-30 सालों को ध्यान में रख कर आप के लिए ऐसी योजना बना सके जो आपके लिए सही हो और इतने समय के लिए आपको सर्विस भी दे पाए.

10- अपने परिवार के किसी सदस्य को अपने निवेश सम्बंधित बातों से अवगत रखें. नॉमिनी अपनी पत्नी को या अपने पति को ही बनायें या इनकी अनुपस्थिति में अपने बच्चों को नॉमिनी जरुर बनायें.

11- निवेश ना तो जल्दबाजी में करें और ना ही उसे करने में सालों का समय लें. रिटायरमेंट के बाद निवेश और भी महत्वपूर्ण हो जाता है इसलिए अपनी पूंजी के साथ एक्सपेरिमेंट ना करें.

अगले ब्लॉग में मै प्रयास करूंगा ऐसे विकल्पों और तरीकों के बारे में बताने की जो रिटायर्ड इन्वेस्टर के लिए बेहतर हो सकती हैं.

इस ब्लॉग को अपने घर के सदस्यों और अपने शुभ चिंतको को जरुर फॉरवर्ड करें. आपके फीडबैक मुझे प्रेरित करते हैं कृपया ब्लॉग पर कमेंट कर या ईमेल या व्हाट्स एप के माध्यम से प्रेरित करते रहें.

अगर आप किसी रिटायर्ड या सीनियर सिटीजन ग्रुप को जानते हैं और आप चाहते हैं कि उन्हें भी निवेश से सम्बंधित सही जानकारी मिले तो आप मुझे ईमेल या व्हाट्स एप करिये, ऐसे ग्रुप के लिए निशुल्क वर्कशॉप आयोजित करने का प्रयास मै करूंगा.

Friday, May 19, 2017

मनी बैक और इंडोवमेंट इंश्योरेंस क्यूँ है आपकी फाइनेंसियल सेहत के लिए हानिकारक ?




जब भी कोई मनी बैक और इंडोवमेंट इंश्योरेंस प्लान लिए होने की बात करता है तो मुझे उसके लिए बहुत पीड़ा होती है क्यूंकि ये ऐसे फाइनेंसियल प्रोडक्ट हैं जो आदमी को फायदा कम नुकसान ज्यादा देते हैं. मै हमेशा से ऐसे ट्रेडिशनल इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट के हाइब्रिड रूप के खिलाफ बोलता हूँ क्यूंकि ना तो ये इन्वेस्टमेंट का काम ठीक से कर पाते हैं और ना ही इंश्योरेंस का. हाँ लेकिन जिस दोस्त, रिश्तेदार पड़ोसी या बैंक वाले ने आपको यह प्लान बेचा है उसके लिए तो फायदा ही फायदा है.

ऐसे इंश्योरेंस प्लान से दूर रहने की सलाह मै निम्न कारणों से देता हूँ.

1- यह एक परिवार की इंश्योरेंस की जरुरत को पूरा नहीं करता. आपकी सालाना इनकम 5 लाख रूपये हैं तो आपका इंश्योरेंस कम से कम 40 लाख का होना चाहिए. अगर आप मनी बैक और इंडोवमेंट इंश्योरेंस प्लान के साथ इतने अमाउंट का इंश्योरेंस कवर लेते हो तो शायद आपकी सैलरी भी उसके लिए कम पड़ जाये. इसलिए इश्योरेंस की जरूरत  सिर्फ टर्म प्लान से ही पूरी हो सकती है. जहाँ पर एक 30 साल के पुरुष को 50 लाख का इंश्योरेंस 6 हजार से 9 हजार रूपये में हो जाता है और वहीँ एक महिला को 50 लाख का इंश्योरेंस सिर्फ 5 हजार से 7 हजार के बीच में हो जाता है.

2- ये प्रोडक्ट इतने काम्प्लेक्स होते हैं कि एक आम आदमी के लिए उसको समझना बहुत मुश्किल होता है. आप अगर इन प्रोडक्ट के डिटेल देने वाले प्रोडक्ट नोट या हैण्ड आउट को पढेंगे तो आपको उसमे जवाब कम सवाल ज्यादा मिलेंगे. मतलब के आप कुछ समझ नहीं पायेंगे और अंततः इंश्योरेंस बेचने वाले बैंक के कर्मचारी या एजेंट के जबानी  उस प्रोडक्ट के फायदे, नुकसान, उपयोगिता वाली गोल मोल बातों को ही सच मान कर समझ लेते हैं. इस तरह से आप एक ऐसा फाइनेंसियल प्रोडक्ट लम्बे समय के लिए खरीद लेते हैं जिसे आप कभी समझ ही नहीं पाए हैं.

3- ऐसे इंश्योरेंस प्लान में आपको पैसे तो हर हाल में वापस मिलते हैं लेकिन वो कितना बढ़ के मिलते हैं यह ना कोई समझा पाया ना कोई समझ पाया. इन प्रोडक्ट में आपको जमा किया गए धन पर 0.50% से लेकर 6% का रिटर्न मिलता है जो की महंगाई की दर से भी कम होता है बस आपने जो 20-25 साल में कंपनी को साल दर साल पैसे दिए हैं वही इकट्ठा होकर मिल जाता है या मनी बैक के रूप में मिलता रहता है. अब आप खुद ही समझ सकते हैं कि ऐसे इन्वेस्टमेंट से आप कितना पैसा अपने या अपने परिवार के लिए बना पायेंगे.

4. अगर आप पालिसी टर्म पूरा होने से पहले इसे सरेंडर करना चाहो तो उसे आपके लिए इतना मुश्किल और डरावना बनाया गया है कि आप चाह कर भी कभी सरेंडर नहीं कर पायेंगे. सबसे पहले तो आपके पैरों तले से जमीन खिसक जाती है इन प्रोडक्ट्स के सरेंडर चार्ज सुन कर अगर उस पर भी आप सरेंडर करने का दृढ़ संकल्प ले लें तो आपका एजेंट या बैंक आपको घुमायेगा अगर आप किसी दुसरे एजेंट की मदद लेंगे तो वो इस प्लान को सरेंडर इसी शर्त पर करवायेगा जब आप उस से दूसरा प्लान लेने के लिए तैयार हो. यह सब सुनने के बाद आप निर्णय लेते हैं कि आप स्वयं जाकर इस पालिसी को सरेंडर करके मुक्ति लेंगे तो आप अपनी पड़ोस की ब्रांच में उसे सरेंडर करने जाते हैं तो वहां पर आपको यह बता दिया जायेगा कि यह सिर्फ उसी ब्रांच में सरेंडर होगी जिस ब्रांच से आपके एजेंट या बैंक ने पालिसी करवाई है. इस तरह से यह पालिसी एक ऐसा लड्डू बन जाता है जो ना निगला जाता है ना उगला जाता है.

लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी किसी के फाइनेंसियल प्लानिंग  का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। सही बीमा पॉलिसी के चुनाव से भविष्य में परिवार उस मुश्किल घड़ी का सामना कर पाता है, जब घर की जिम्मेदारी संभाल रहे व्यक्ति के साथ हादसा हो जाता है। कई बार गलत चुनाव करने से वही पॉलिसी मुश्किलें खड़ा कर देती है और बीमाधारक के फाइनेंसियल गोल्स को  हासिल करने में रोड़ा बन जाती है. 

कुछ दिन पहले सेबी की इन्वेस्टर सर्वे 2015 रिपोर्ट आई है जिसमे से एक भयावह बात निकल कर सामने आई है वो यह है कि भारत में 67% लोग लाइफ इंश्योरेंस को इन्वेस्टमेंट और सेविंग के माध्यम की तरह उपयोग करते हैं. अब आप स्वयं सोच लीजिये अगर 67% लोग अपने फाइनेंसियल प्रोडक्ट्स के चुनाव में इतनी बड़ी चूक करेंगे तो उनके फाइनेंसियल गोल्स का क्या होगा. इसलिए इस विषय पर आज ज्यादा बात करना और  भी जरुरी है.

क्या करें अगर यह पालिसी आपके पास भी है ?

1- यह करना तो बड़ा मुश्किल है लेकिन अगर आपको 1-2 साल ही हुए हैं तो अच्छा है पालिसी प्रीमियम भरना बंद कर दें और पालिसी को लैप्स हो जाने दें. वैसे यह करने का मतलब है आपने जितना प्रीमियम भरा है उसका पूरी तरह से डूब जाना लेकिन इसका फायदा यह हो सकता है कि वही पैसा आप अगले वर्ष से सही जगह निवेश करेंगे या सही इंश्योरेंस (टर्म प्लान) खरीदेंगे तो भविष्य में निश्चित रूप से आपको कहीं अधिक लाभ होगा. 

2- दूसरा तरीका है आप इसे तीन साल के बाद सरेंडर करें जहाँ पर फिर से आपको सरेंडर चार्ज के रूप में अपनी जमा किये  हुए  प्रीमियम का 30-50% तक की राशि से समझौता करना पड़ता है. वैसे यह निर्णय भी आसान नहीं होगा लेकिन अगर आप आज यह निर्णय नहीं ले पायेंगे तो समय के साथ आपका नुकसान इस फाइनेंसियल प्रोडक्ट्स में बने रहने से बढ़ता ही जायेगा.

3- तीसरा तरीका है आप मनी बैक और इंडोवमेंट इंश्योरेंस पालिसी को पेड-अप पालिसी में बदल दें . तीन साल प्रीमियम चुकाने के बाद ही इस विकल्प को आजमाया जा सकता है। इसमें निवेशक को रकम लौटाने के बजाय बीमा कंपनी उसका उपयोग बीमाधारक को लाइफ कवर देने में करती है। हर साल वह उसमें से मॉर्टलिटी चार्ज काटती है.

इनमे से आपके लिए जो सही तरीका है उसको अपना कर ऐसे बुरे फाइनेंसियल प्रोडक्ट्स से मुक्ति प्राप्त करें.

इन्वेस्टमेंट और इंश्योरेंस को अलग-अलग तरह से देखें. लाइफ इश्योरेंस के लिए टर्म प्लान लें और इन्वेस्टमेंट के लिए अपनी रिस्क लेने की क्षमता और इन्वेस्टमेंट करने के उद्देश्य के आधार पर म्यूच्यूअल फण्ड, बांड, फिक्स्ड डिपाजिट, गोल्ड, रियल एस्टेट, PPF और इक्विटी का चुनाव करें.

मेरा आप सभी से अनुरोध है लोगों को जागरूक करें ना तो स्वयं ऐसे प्रोडक्ट खरीदें ना ही किसी और को खरीदने की सलाह दें.

इस ब्लॉग को अपने मित्र, रिश्तेदार और परिवार के सदस्यों में फॉरवर्ड कर के उनको जागरूक बनाने में सहायता करें.

इस ब्लॉग को फॉलो करें और पायें फाइनेंसियल प्रोडक्ट्स के बारे में सही जानकारी.

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Monday, May 1, 2017

Bonus Time....अपने बोनस का सही उपयोग कैसे करें

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एक नौकरी पेशे वाला आदमी इस समय का इंतजार पूरे  साल करता है बोनस में मिले पैसे को खर्च करने के लिए उसके मन में बहुत सारी प्लानिंग होती है . हो सकता है आपके मन में भी ऐसे कई सारे प्लान हों बोनस को लेकर जैसे बच्चे के लिए बाइक लेनी है या पूरे परिवार के साथ बाहर घुमने जाना है  या अपने कार का डाउन पेमेंट या कुछ महंगे गैजेट खरीदने या घर की थोड़ी मरम्मत करानी है या घर के लिए ने फर्नीचर या और आवश्यक चीजें खरीदनी है. ऐसे बहुत सारी प्लानिंग एक नौकरी पेशे वाले के मन में बोनस को लेकर होते हैं. 

अर्थज्ञान के माध्यम से आपको फाइनेंसियल मामलों में सही जानकारी देने का और आपको फाइनेंसियल लाइफ को सही दिशा देने के  प्रयास की अगली कड़ी में आज हम बात करेंगे बोनस या अतिरिक्त लाभ के सही ढंग से उपयोग करने के बारे में.

जब भी कभी हमें एक रेगुलर कैश फ्लो जैसे सैलरी या रेगुलर प्रॉफिट के अतिरिक्त कुछ पैसे मिलते हैं वो चाहे बोनस के रूप में हों या अधिक लाभ के रूप में हों तो उसका उपयोग करने में अक्सर लोग कैजुअल हो जाते हैं क्यूंकि ये पैसे कई बार लोग अपनी अतिरिक्त आय के रूप में समझ लेते हैं इसलिए उसका उपयोग भी बहुत सोच समझ के नहीं करते और इस कारण वो पैसे अनावश्यक खर्चे में  चले जाते हैं जिनका उपयोग अगर  सही ढंग से करते तो वह उनकी फाइनेंसियल लाइफ को और अच्छा बना सकता था. तो आज हम समझते हैं की ऐसे समय में हमे कैसे संतुलन बनाना चाहिए जिस से की हम इन मौकों को एन्जॉय भी कर सकें और अपने फाइनेंसियल लाइफ  को और भी व्यवस्थित कर सकें.

अपने आप को गिफ्ट करें- 
सबसे पहले बोनस से ऐसी चीज अपने आप को या अपने परिवार को गिफ्ट करें जिसमे आप सभी को ख़ुशी मिलें. जैसे बाहर छुट्टी पर घूमने जाने के लिए या बच्चों  की बाइक या कंप्यूटर या और किसी इंस्ट्रूमेंट में जैसे अगर आपको या आपके बच्चे को म्यूजिक का शौक है तो म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट या अपनी पत्नी या अपने पति के लिए ऐसा उपहार जो उनके दिल के करीब हो. लेकिन ध्यान यह रखें कि इन मदों में पूरे पैसे ना डाल दें, एक निश्चित राशि निर्धारित करें और सिर्फ उसी बजट में यह काम करें.

इमरजेंसी फण्ड बनायें-
फाइनेंसियल प्लानिंग करते हुए सबसे पहले इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि आपके पास कम से कम 6 महीने के फिक्स्ड और रनिंग खर्च के बराबर की राशि का इमरजेंसी फण्ड होना चाहिए. क्यूंकि 6 महीने का खर्चा मतलब आपके 3-4 महीने की कमाई के बराबर की राशि जिसे  इकट्ठा होने में थोडा समय लगता है . इसलिए बोनस के पैसे से आप अपने इमरजेंसी फण्ड बना सकते हैं. इमरजेंसी फण्ड का उपयोग किसी को तब समझ में आता है जब उसको थोड़े समय के लिए उसकी नौकरी या बिज़नेस में समस्या आती है जैसे अभी नोटबंदी के समय इस तरह की समस्या कई लोगों को झेलनी पड़ी या कोई मेडिकल प्रॉब्लम आ जाती है या किसी दुर्घटना में कुछ नुकसान हो जाता है और  ऐसे समय में इमरजेंसी फण्ड काम आता है. अक्सर देखा गया है जो लोग इमरजेंसी फण्ड नहीं रखते उन्हें कठिन परिस्थितियों में अपनी कुछ सम्पतियाँ मज़बूरी में कम कीमत में बेचनी पड जाती हैं. इसलिए इमरजेंसी फण्ड का होना सभी के लिए बहुत जरुरी होता है.

ध्यान रखें अपने इमरजेंसी फण्ड की राशि को दो हिस्सों में रखें 45 दिन के खर्च के बराबर की राशि सेविंग्स अकाउंट में और शेष राशि म्यूच्यूअल फण्ड की लिक्विड या अल्ट्रा शार्ट टर्म फण्ड में. ऐसा इसलिए कि ये ऐसे निवेश के विकल्प हैं जहाँ से पैसे बहुत आसानी से निकाले जा सकते हैं और इनमे किसी तरह के नुकसान की संभावना नहीं होती.

लिक्विड फण्ड के बारे में जानकारी के लिए लिंक पर  क्लिक करें  http://arthagyanindia.blogspot.in/2016/04/liquid-funds.html


लोन का बोझ कम करने में -
बोनस या अतिरिक्त लाभ के पैसे का उपयोग आप अपने लोन को चुकाने में कर सकते हैं और यह खास कर ऐसे में और जरुरी हो जाता है जब लोन पर अधिक दर से ब्याज से दिया जा रहा हो और वहीँ नए निवेश पर रिटर्न या ब्याज की दर कम हो. ऐसा अक्सर देखा गया है कि लोग लोन पर 10% की दर से ब्याज चूका रहे होते हैं और अपने पैसे को ऐसी जगह निवेश कर रखे होते हैं जहाँ से उन्हें 7-8 का ब्याज या रिटर्न मिल रहा होता है.
अगर आप अपने बोनस का उपयोग लोन को चुकाने में करते हैं तो आपके ऊपर से EMI का बोझ को कम होता है. 

अपने परिवार की सुरक्षा में-
आपके परिवार को आर्थिक सुरक्षा देती है टर्म इंश्योरेंस पालिसी और किसी व्यक्ति का इंश्योरेंस कवर या सुरक्षा कवर उसकी कमाई, उसके खर्चे, उसके दायित्वों और उम्र में होने वाले बदलाव से बढ़ता है. आप को अपने बोनस का उपयोग अपने परिवार की फाइनेंसियल सुरक्षा में जरुर करना चाहिए.

लाइफ इंश्योरेंस की जरूरत समझने के लिए पढ़ें-

क्रेडिट कार्ड या पर्सनल लोन से छुटकारा-
अपने बोनस का उपयोग लम्बे समय से चले आ रहे क्रेडिट कार्ड पर बकाया बिल या पर्सनल लोन को चुकाने में करें. क्यूंकि यह ऐसे लोन होते हैं जहाँ पर ब्याज दर काफी ज्यादा होती हैं और इनके रीपेमेंट में कोई गड़बड़ आपके भविष्य में पड़ने वाली जरूरतों के ऊपर भारी पड सकती हैं और साथ में  इससे आपका क्रेडिट स्कोर गड़बड़ होता है. इसलिए समय रहते इस तरह के लोन से छुटकारा पाने में ही समझदारी होगी.

फाइनेंसियल गोल्स को रिसेट करने में-
आपके इन्वेस्टमेंट का आधार हमेशा आपके फाइनेंसियल गोल्स होने चाहिए मतलब कोई भी इन्वेस्टमेंट करने से पहले आपको उस इन्वेस्टमेंट का उद्देश्य या लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए.ऐसे में जब आपको बोनस या प्रॉफिट के रूप में कुछ सरप्लस फण्ड मिलते हैं तो अपने निवेश की जरूरतों को एक बार फिर से देखना चाहिए. हो सकता है आप बोनस के पैसे निवेश कर के अपने फाइनेंसियल गोल्स को समय से पहले प्राप्त कर सकें या अपने फाइनेंसियल गोल्स को पाने में आपको कम प्रयास करना पड़े. जब भी कभी एक मुश्त सरप्लस फण्ड आयें उनका उपयोग लम्बे समय में  वेल्थ क्रिएट करने में जरुर करिये. 


इस प्रकार से आप संतुलित तरीके से बोनस का उपयोग  कर के अपने तरक्की की राह पर आगे बढ़ सकते हैं. हो सकता है आपको अपनी बोनस की राशि कम लग रही हो या आप अपने बोनस से खुश ना हों, लेकिन आप छोटी बोनस राशि का भी सही उपयोग करके अपने लिए कुछ अच्छा कर सकते हैं.
https://www.youtube.com/watch?v=ZKC01iQrPAU

अपने सुझाव देने के लिए धन्यवाद. इस ब्लॉग को अधिक से  अधिक लोगों में शेयर करें. कोई भी प्रश्न आप ईमेल के जरिये पूछ सकते हैं.