रिटायरमेंट फण्ड कैसे बनाये इसके बारे में बहुत सारे लेख मिल जायेंगे, बहुत सारी योजनायें हैं लेकिन रिटायरमेंट के बाद इकट्ठा किये हुए आपके रिटायरमेंट फण्ड का सही प्रबन्धन कैसे करें इस के बारे में बहुत कम बाते होती हैं, बहुत कम लेख छपते हैं और बहुत कम टीवी प्रोग्राम होते हैं. इसी कमी को पूरा करने के उद्देश्य से मैंने पिछला ब्लॉग लिखा. कई लोगों ने मुझे पिछले ब्लॉग के लिए अच्छा फीडबैक दिया और मुझे प्रोत्साहित किया कि मै इस विषय पर और विस्तार से चर्चा करूँ. वैसे भी इस विषय को एक ब्लॉग में पूरा कर पाना संभव नहीं है और मुझे पता है कि इस ब्लॉग में भी सभी पक्ष पर प्रकाश नहीं डाला जा सकता क्यूंकि इसके आगे की बात अलग-अलग व्यक्ति के लिए अलग हो सकती है .
अगर आपने पिछला ब्लॉग नहीं पढ़ा है तो नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करके उसे पढ़ें और फिर इस ब्लॉग को पढ़ें.
http://arthagyanindia.blogspot.in/2017/05/blog-post_27.html
इस ब्लॉग के माध्यम से ऐसे कुछ विकल्प के बारे में बताने का प्रयास कर रहा हूँ जो कि सीनियर सिटीजन के लिए सही हो सकते हैं.
एक रिटायर्ड इन्वेस्टर को सबसे पहले पैसे की सुरक्षा को लेकर सलाह दी जाती है और यह उचित भी है रिटायरमेंट के बाद या तो इनकम समाप्त हो जाती है या आधी रह जाती है इसलिए आदमी को पैसे की सुरक्षा का नजरिया जरुर रखना चाहिए . लेकिन केवल सुरक्षा का नजरिया लेकर अगर रिटायर्ड इन्वेस्टर निवेश करें तो उन्हें वो परेशानी हो सकती है जो पिछले ब्लॉग में मैंने श्याम जी के उदाहरण से समझाने का प्रयास किया था.
मेर विचार से आपके इन्वेस्टमेंट ऐसी जगह होने चाहिए जो आपका लम्बे समय तक साथ भी दे, सुरक्षित भी रहे और जरुरत पड़ने पर आप आसानी से पैसे निकाल सकें यानी की आपको पैसे की सुरक्षा के साथ बेहतर रिटर्न और लिक्विडिटी भी चाहिए. और ऐसे में आप किसी एक विकल्प में निवेश कर के सारी चीजें नहीं पा सकते. आपको एक रणनीति के अनुसार विभिन्न निवेश विकल्पों और अलग-अलग अवधि के लिए निवेश करना होगा.
और नीचे दिए गए चार्ट को ध्यान से देखिये, मुझे लगता है कोई भी विकल्प अपने आप में ये तीनो चीजें आप को नहीं दे सकते.
* Expected Return (Mutual Fund investments are subject to market risks, read all scheme related documents carefully.)
PMVVY और SCSC दोनों में मिला कर आप 22.5 लाख रुपये तक का निवेश कर सकते हैं दोनों को मिला कर आपको इन से आज की ब्याज दर के अनुसार अगले 5 वर्ष तक लगभग 8.25% का ब्याज मिल सकता है, लेकिन उसके बाद क्या होगा पता नहीं. अच्छी बात यह है कि PMVVY से आपको हर महीने ब्याज मिलता है वहीँ SCSC से आपको हर तिमाही पर. इन स्कीमों अगर यही रिटर्न टैक्स फ्री होते तो बहुत अच्छा होता लेकिन टैक्स देने के बाद आपका रिटर्न 0.80%-2.40% तक कम हो जाता है, अगर 10% स्लैब में हैं तो पोस्ट टैक्स रिटर्न लगभग 7.45%, 20% में हैं तो 6.65% और 30% स्लैब में हैं तो लगभग 5.85% का ही रह जाता है. इन विकल्पों में भविष्य में ब्याज दर कम होने का रिस्क हमेशा रहता है.
अगर आप सिर्फ फिक्स्ड रिटर्न की चाहत रखते हैं तो फिर NCDs और कॉर्पोरेट FDs में निवेश कर सकते हैं लेकिन इनके रिस्क फैक्टर जैसे क्रेडिट रेटिंग, लिक्विडिटी रिस्क और डिफ़ॉल्ट रिस्क के बारे में जानकारी अवश्य लेनी चाहिये. बैंक FDs के रिटर्न SCSC, NCDs, PMVVY एवं कॉर्पोरेट FDs से सामान्यतया कम होते हैं.
PMVVY एक एन्युटी प्लान ही है इसके अलावा लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों के जितने भी एन्युटी प्लान हैं उनके रिटर्न कम होते हैं. इसलिए एन्युटी प्लान को मैं उपयुक्त नहीं मानता.
अकसर ट्रेडिशनल तरीकों में इन्वेस्टमेंट करने वाले लोग निश्चित ब्याज दर को लेकर इतने कड़ा रुख रखते हैं कि वो बाकि चीजों को ध्यान नहीं देते. मेरा उनको यही सुझाव है आप को सुरक्षा के साथ लम्बे समय तक साथ देने वाले विकल्पों के बारे में पढ़ना, सुनना, समझना चाहिए और इस विषय के विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए. उसको मानना ना मानना हमेशा आपके हाथ में है.
सलाह किस से ले रहे हैं यह भी बहुत महत्वपूर्ण है अक्सर देखा जाता हैं निवेश के मामले में मिश्रा जी अपने विभाग के शर्मा जी से सलाह लेते हैं और वहीं शर्मा जी ने दुसरे विभाग के वर्मा जी से सलाह ली होती है और वर्मा जी ने किसी विशेषज्ञ से अपनी परिस्थियों के अनुकूल कोई इन्वेस्टमेंट किया होता है. अब मिश्रा जी बिना यह जाने हुए कि वर्मा जी ने क्या समझा था, किस परिस्थिति में कौन सी जगह निवेश किया था, वहां पर निवेश कर देंगे तो अब बताइए मिश्रा जी का अनुभव कैसा होगा.
जैसे आप सोचिये वर्मा जी की कमर 36 की है हाइट 5.5 ft की है अगर उनकी पैंट मिश्रा जी पहन लें जिनकी कमर 32 की है और हाइट 5.9 ft की है तो कैसा लगेगा. आपके इन्वेस्टमेंट आपकी परिस्थतियों, आपके रिस्क प्रोफाइल, कैश फ्लो की जरुरत और तमाम ऐसी बातों पर निर्भर करता है. इसलिए जैसे अपनी पैंट अपने नाप की सिलवा के पहने तो वो पहनने में भी आरामदायक होगी और देखने में भी अच्छी होगी उसी तरह से आपके इन्वेस्टमेंट भी आपके ही हिसाब से होंगे तभी आप के लिए ठीक होंगे.
रिटायरमेंट फण्ड को मैनेज करने के बारे में मै आगे और कुछ बात करूँ उस से पहले विश्व प्रसिद्ध इन्वेस्टमेंट गुरु पीटर लिंच की बात समझ लेते हैं उनका क्या कहना है रिटायरमेंट फण्ड के निवेश के बारे में.
पीटर लिंच के अनुसार रिटायरमेंट के बाद मिले फण्ड को इन्वेस्टमेंट करने का निर्णय जब आप ले रहे हों तो सेफ्टी के साथ इस बात पर जरुर ध्यान दें कि शुरुआती सालों में आपके इन्वेस्टमेंट पर मिलने वाला रिटर्न आपके द्वारा निकाले गए पैसों से अधिक रहे. अगर आप 8% का रिटर्न बना रहे हैं लेकिन आप निकाल भी उतना या उस से ज्यादा रहे हैं तो आपका फण्ड बहुत ज्यादा दिन चलने वाला नहीं है. आपके फण्ड की सेफ्टी बहुत जरुरी है लेकिन वो आपका लम्बे समय तक तभी साथ दे पायेगा जब आप शुरुआत के 5-7 सालों में अपने पे आउट से ज्यादा रिटर्न बना पायें. अगर आप ऐसा नहीं कर पाते तो आपकी मुश्किलें भविष्य में बढ़ने वाली हैं.
PMVVY और SCSC दोनों में मिला कर आप 22.5 लाख रुपये तक का निवेश कर सकते हैं दोनों को मिला कर आपको इन से आज की ब्याज दर के अनुसार अगले 5 वर्ष तक लगभग 8.25% का ब्याज मिल सकता है, लेकिन उसके बाद क्या होगा पता नहीं. अच्छी बात यह है कि PMVVY से आपको हर महीने ब्याज मिलता है वहीँ SCSC से आपको हर तिमाही पर. इन स्कीमों अगर यही रिटर्न टैक्स फ्री होते तो बहुत अच्छा होता लेकिन टैक्स देने के बाद आपका रिटर्न 0.80%-2.40% तक कम हो जाता है, अगर 10% स्लैब में हैं तो पोस्ट टैक्स रिटर्न लगभग 7.45%, 20% में हैं तो 6.65% और 30% स्लैब में हैं तो लगभग 5.85% का ही रह जाता है. इन विकल्पों में भविष्य में ब्याज दर कम होने का रिस्क हमेशा रहता है.
अगर आप सिर्फ फिक्स्ड रिटर्न की चाहत रखते हैं तो फिर NCDs और कॉर्पोरेट FDs में निवेश कर सकते हैं लेकिन इनके रिस्क फैक्टर जैसे क्रेडिट रेटिंग, लिक्विडिटी रिस्क और डिफ़ॉल्ट रिस्क के बारे में जानकारी अवश्य लेनी चाहिये. बैंक FDs के रिटर्न SCSC, NCDs, PMVVY एवं कॉर्पोरेट FDs से सामान्यतया कम होते हैं.
PMVVY एक एन्युटी प्लान ही है इसके अलावा लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों के जितने भी एन्युटी प्लान हैं उनके रिटर्न कम होते हैं. इसलिए एन्युटी प्लान को मैं उपयुक्त नहीं मानता.
अकसर ट्रेडिशनल तरीकों में इन्वेस्टमेंट करने वाले लोग निश्चित ब्याज दर को लेकर इतने कड़ा रुख रखते हैं कि वो बाकि चीजों को ध्यान नहीं देते. मेरा उनको यही सुझाव है आप को सुरक्षा के साथ लम्बे समय तक साथ देने वाले विकल्पों के बारे में पढ़ना, सुनना, समझना चाहिए और इस विषय के विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए. उसको मानना ना मानना हमेशा आपके हाथ में है.
सलाह किस से ले रहे हैं यह भी बहुत महत्वपूर्ण है अक्सर देखा जाता हैं निवेश के मामले में मिश्रा जी अपने विभाग के शर्मा जी से सलाह लेते हैं और वहीं शर्मा जी ने दुसरे विभाग के वर्मा जी से सलाह ली होती है और वर्मा जी ने किसी विशेषज्ञ से अपनी परिस्थियों के अनुकूल कोई इन्वेस्टमेंट किया होता है. अब मिश्रा जी बिना यह जाने हुए कि वर्मा जी ने क्या समझा था, किस परिस्थिति में कौन सी जगह निवेश किया था, वहां पर निवेश कर देंगे तो अब बताइए मिश्रा जी का अनुभव कैसा होगा.
जैसे आप सोचिये वर्मा जी की कमर 36 की है हाइट 5.5 ft की है अगर उनकी पैंट मिश्रा जी पहन लें जिनकी कमर 32 की है और हाइट 5.9 ft की है तो कैसा लगेगा. आपके इन्वेस्टमेंट आपकी परिस्थतियों, आपके रिस्क प्रोफाइल, कैश फ्लो की जरुरत और तमाम ऐसी बातों पर निर्भर करता है. इसलिए जैसे अपनी पैंट अपने नाप की सिलवा के पहने तो वो पहनने में भी आरामदायक होगी और देखने में भी अच्छी होगी उसी तरह से आपके इन्वेस्टमेंट भी आपके ही हिसाब से होंगे तभी आप के लिए ठीक होंगे.
रिटायरमेंट फण्ड को मैनेज करने के बारे में मै आगे और कुछ बात करूँ उस से पहले विश्व प्रसिद्ध इन्वेस्टमेंट गुरु पीटर लिंच की बात समझ लेते हैं उनका क्या कहना है रिटायरमेंट फण्ड के निवेश के बारे में.
पीटर लिंच के अनुसार रिटायरमेंट के बाद मिले फण्ड को इन्वेस्टमेंट करने का निर्णय जब आप ले रहे हों तो सेफ्टी के साथ इस बात पर जरुर ध्यान दें कि शुरुआती सालों में आपके इन्वेस्टमेंट पर मिलने वाला रिटर्न आपके द्वारा निकाले गए पैसों से अधिक रहे. अगर आप 8% का रिटर्न बना रहे हैं लेकिन आप निकाल भी उतना या उस से ज्यादा रहे हैं तो आपका फण्ड बहुत ज्यादा दिन चलने वाला नहीं है. आपके फण्ड की सेफ्टी बहुत जरुरी है लेकिन वो आपका लम्बे समय तक तभी साथ दे पायेगा जब आप शुरुआत के 5-7 सालों में अपने पे आउट से ज्यादा रिटर्न बना पायें. अगर आप ऐसा नहीं कर पाते तो आपकी मुश्किलें भविष्य में बढ़ने वाली हैं.
ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट आप्शन आपको रेगुलर कैश फ्लो दे सकते हैं लेकिन वो उतना पैसा आपको हर साल बना के नहीं दे सकते जितनी आपकी जरूरतें हो सकती हैं और वहीँ हाइब्रिड म्यूच्यूअल फंड्स या एसेट एलोकेशन फंड्स आपको साल दर साल, महीने दर महीने एक बराबर का रिटर्न नहीं दे सकते उनके रिटर्न में उतार चढाव होता रहता है, लेकिन 5 साल से ऊपर की समयावधि में ये प्रोडक्ट दोहरे अंक वाले पोस्ट टैक्स रिटर्न देने के क्षमता रखते हैं. NCD और कॉर्पोरेट FD में थोड़े बेहतर रिटर्न आप तब बना सकते हैं जब आप उसमें भी थोडा रिस्क लें यानी AAA रेटेड इंस्ट्रूमेंट में आप बैंक FDs तो बेहतर रिटर्न बना सकते हैं लेकिन वो भी वर्तमान में 9% से ज्यादा नहीं होंगे उस से ज्यादा रिटर्न के लिए आपको AA रेटेड इंस्ट्रूमेंट लेना पड़ेगा. डेब्ट फंड्स में जहाँ रिटर्न देने के क्षमता ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट से 1%-2% ज्यादा रहती है लेकिन वहां भी हर महीने एक निश्चित रिटर्न तो नहीं बन सकते, लेकिन 6 महीने-1 साल के रिटर्न में आप निश्चितता देख सकते हैं.
रिटायरमेंट फण्ड को मैनेज करने के लिए Bucketing Strategy सब से अच्छी मानी जाती है लेकिन यह विकल्प ऊपर दिए गए विकल्पों की तरह सरल नहीं है. इसमें निवेश सलाहकार की विशेषज्ञता के साथ निवेशक के विश्वास और उस योजना पर लगातार चलते रहने पर निर्भर करता है. इस विषय के बारे में किसी अन्य ब्लॉग में विस्तार से चर्चा करूँगा.
एक रिटायर्ड इन्वेस्टर के लिए इनके अलावा किसी अन्य विकल्पों के बारे में सोचना उचित नहीं होगा.
इन्ही विकल्पों और निवेश माध्यमों को मिला कर आप अपने लिए एक विनिंग प्लान बना सकते हैं. म्यूच्यूअल फंड्स से रेगुलर कैश फ्लो के लिए आप सिस्टेमेटिक विड्राल प्लान ले सकते हैं. म्यूच्यूअल फंड्स से डिविडेंड पेआउट आप्शन अब ना लें इस से आपको टैक्स ज्यादा चुकाना पड़ेगा और आपका पोस्ट टैक्स रिटर्न कम हो जायेगा.
यहाँ पर मैं आपको 4 अलग-अलग समीकरणों का विश्लेषण कर के दिखाता हूँ . इसको देख कर आप समझ पायेंगे की आपको विभिन्न निवेश के साधनों में निवेश कर के लम्बे समय में कितने पैसे रेगुलरली ले सकते हैं और कितने साल तक चला सकते हैं.
1- ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट के साथ - एक्सपेक्टेड रिटर्न - 8%, टोटल इन्वेस्टमेंट कार्पस- 50 लाख रुपये, शुरुआती मासिक विड्राल- 35000 रुपये, महंगाई दर- 5%, विड्राल में सालाना वृद्धि - 5%
ऊपर दिये हुये चार्ट से यह बात कितनी स्पष्ट हो जाती है कि ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट के भरोसे 15 साल मुश्किल से चला सकते हैं और इतने में ब्याज ही नहीं मूलधन भी पूरी तरह से निकाल चुके होंगे. और यहाँ पर ना हमने आपके द्वारा दिए जा रहे टैक्स को ध्यान में रखा है और ना ही महंगाई दर उतनी रखी है जितनी तेजी से आपके खर्चे बढ़ सकते हैं. इसी तरह लोगों के रिटायरमेंट फण्ड समय से पहले ख़त्म हो जाते हैं. इसलिए ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट पर पूरी तरह से आश्रित होने से पहले इस विषय पर जरुर सोचे कि यह कितने दिन तक आपका साथ देंगे.
रिटायरमेंट फण्ड को मैनेज करने के लिए Bucketing Strategy सब से अच्छी मानी जाती है लेकिन यह विकल्प ऊपर दिए गए विकल्पों की तरह सरल नहीं है. इसमें निवेश सलाहकार की विशेषज्ञता के साथ निवेशक के विश्वास और उस योजना पर लगातार चलते रहने पर निर्भर करता है. इस विषय के बारे में किसी अन्य ब्लॉग में विस्तार से चर्चा करूँगा.
एक रिटायर्ड इन्वेस्टर के लिए इनके अलावा किसी अन्य विकल्पों के बारे में सोचना उचित नहीं होगा.
इन्ही विकल्पों और निवेश माध्यमों को मिला कर आप अपने लिए एक विनिंग प्लान बना सकते हैं. म्यूच्यूअल फंड्स से रेगुलर कैश फ्लो के लिए आप सिस्टेमेटिक विड्राल प्लान ले सकते हैं. म्यूच्यूअल फंड्स से डिविडेंड पेआउट आप्शन अब ना लें इस से आपको टैक्स ज्यादा चुकाना पड़ेगा और आपका पोस्ट टैक्स रिटर्न कम हो जायेगा.
पढ़ें कैसे पायें स्टेबल रिटर्न के साथ रेगुलर कैश फ्लो
http://arthagyanindia.blogspot.in/2016/12/blog-post.htmlयहाँ पर मैं आपको 4 अलग-अलग समीकरणों का विश्लेषण कर के दिखाता हूँ . इसको देख कर आप समझ पायेंगे की आपको विभिन्न निवेश के साधनों में निवेश कर के लम्बे समय में कितने पैसे रेगुलरली ले सकते हैं और कितने साल तक चला सकते हैं.
1- ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट के साथ - एक्सपेक्टेड रिटर्न - 8%, टोटल इन्वेस्टमेंट कार्पस- 50 लाख रुपये, शुरुआती मासिक विड्राल- 35000 रुपये, महंगाई दर- 5%, विड्राल में सालाना वृद्धि - 5%
Withdrawal Plan
| ||
Investment at Retirement
|
5,000,000
| |
Date of Retirement
|
06-06-2017
| |
Annual Interest Rate
|
8.00%
| |
Withdrawal Frequency
|
Monthly
| |
First Withdrawal
|
35,000
| |
Payment Type
|
End of Period
| |
Annual Inflation Rate
|
5.00%
| |
Current Age
|
60.0
| |
Results
| ||
Years Until Retirement
|
0.00
| |
Age at Retirement
|
60.0
| |
Initial Withdrawal
|
35,004.68
| |
Number of Payouts
|
178
| |
Age at Last Payout
|
74.8
| |
Final Payout
|
48,281.02
| |
Total Interest Earned
|
4,184,513.02
| |
Total Withdrawals
|
9,184,513.02
|
ऊपर दिये हुये चार्ट से यह बात कितनी स्पष्ट हो जाती है कि ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट के भरोसे 15 साल मुश्किल से चला सकते हैं और इतने में ब्याज ही नहीं मूलधन भी पूरी तरह से निकाल चुके होंगे. और यहाँ पर ना हमने आपके द्वारा दिए जा रहे टैक्स को ध्यान में रखा है और ना ही महंगाई दर उतनी रखी है जितनी तेजी से आपके खर्चे बढ़ सकते हैं. इसी तरह लोगों के रिटायरमेंट फण्ड समय से पहले ख़त्म हो जाते हैं. इसलिए ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट पर पूरी तरह से आश्रित होने से पहले इस विषय पर जरुर सोचे कि यह कितने दिन तक आपका साथ देंगे.
2- ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट के साथ डेब्ट फण्ड या NCD- एक्सपेक्टेड रिटर्न - 8.75%, टोटल इन्वेस्टमेंट कार्पस- 50 लाख रुपये, शुरुआती मंथली विड्राल- 35000 रुपये, महंगाई दर- 5%, विड्राल में सालाना वृद्धि - 5%
Withdrawal Plan
| ||
Investment at Retirement
|
5,000,000
| |
Date of Retirement
|
06-06-2017
| |
Annual Interest Rate
|
8.75%
| |
Withdrawal Frequency
|
Monthly
| |
First Withdrawal
|
35,000
| |
Payment Type
|
End of Period
| |
Annual Inflation Rate
|
5.00%
| |
Current Age
|
60.0
| |
Results
| ||
Years Until Retirement
|
0.00
| |
Age at Retirement
|
60.0
| |
Initial Withdrawal
|
35,004.68
| |
Number of Payouts
|
191
| |
Age at Last Payout
|
75.9
| |
Total Interest Earned
|
5,132,367.99
| |
Total Withdrawals
|
10,132,367.99
|
इस तरह से भी अगर आप प्लान करते हैं तो भी 16 साल से ज्यादा आपके फण्ड के रहने की संभावना नहीं है. इस प्लान से भी बहुत परिवर्तन नहीं पड़ता. इसलिए यह प्लान भी बहुत उपयुक्त नहीं है.
3- डेब्ट फण्ड या NCD के साथ बैलेंस्ड एडवांटेज या एसेट एलोकेशन फण्ड- एक्सपेक्टेड रिटर्न - 11%, टोटल इन्वेस्टमेंट कार्पस- 50 लाख रुपये, शुरुआती मंथली विड्राल- 35000 रुपये, महंगाई दर- 5%, विड्राल में सालाना वृद्धि - 5%
Withdrawal Plan
| ||
Investment at Retirement
|
5,000,000
| |
Date of Retirement
|
06-06-2017
| |
Annual Interest Rate
|
11.00%
| |
Withdrawal Frequency
|
Monthly
| |
First Withdrawal
|
35,000
| |
Payment Type
|
End of Period
| |
Annual Inflation Rate
|
5.00%
| |
Current Age
|
60.0
| |
Results
| ||
Years Until Retirement
|
0.00
| |
Age at Retirement
|
60.0
| |
Initial Withdrawal
|
35,004.68
| |
Number of Payouts
|
253
| |
Age at Last Payout
|
81.1
| |
Total Interest Earned
|
10,569,561.24
| |
Total Withdrawals
|
15,569,561.24
|
अगर आप इस तरह निवेश करते हैं कि आप औसतन 11% का रिटर्न पूरे समय में बना सकें तो आप अपना फण्ड रिटायरमेंट के 21 साल के बाद तक चला सकते हैं और इस तरह से यह विकल्प पिछले दोनों विकल्पों से अधिक समय तक चल सकता है. और यह विकल्प कम रिस्क के साथ बेहतर काम करने के क्षमता रखता है.
4- बैलेंस्ड एडवांटेज फण्ड या एसेट एलोकेशन फण्ड के साथ- एक्सपेक्टेड रिटर्न - 13%, टोटल इन्वेस्टमेंट कार्पस- 50 लाख रुपये, शुरुआती मंथली विड्राल- 35000 रुपये, महंगाई दर- 5%
Withdrawal Plan
| ||
Investment at Retirement
|
5,000,000
| |
Date of Retirement
|
06-06-2017
| |
Annual Interest Rate
|
13.00%
| |
Withdrawal Frequency
|
Monthly
| |
First Withdrawal
|
35,000
| |
Payment Type
|
End of Period
| |
Annual Inflation Rate
|
5.00%
| |
Current Age
|
60.0
| |
Results
| ||
Years Until Retirement
|
0.00
| |
Age at Retirement
|
60.0
| |
Initial Withdrawal
|
35,004.68
| |
Number of Payouts
|
460
| |
Age at Last Payout
|
98.3
| |
Final Payout
|
164,993.05
| |
Total Interest Earned
|
43,413,872.88
| |
Total Withdrawals
|
48,413,872.88
|
आखिरी समीकरण तो अच्छा लग रहा है लेकिन यह विकल्प तभी कारगर हो सकता है जब की आप निवेश की शुरुआत में उसमें बनने वाले रिटर्न से ज्यादा पैसे न निकाले तभी लम्बे समय में यह योजना काम आ सकती है. लेकिन इस योजना पर चलने से पहले आप को इस में होने वाले उतार चढाव के बारे में ठीक से समझना होगा.
इन चारों समीकरणों को ठीक से समझिये. आप सबसे सुरक्षित चलना चाहेंगे और पहला या दूसरा विकल्प अपनाएंगे तो आपका भविष्य बहुत असुरक्षित हो सकता है, वहीँ चौथा विकल्प आपको थोडा परेशान कर सकता है यदि आप इक्विटी मार्केट या म्यूच्यूअल फण्ड के बारे में अधिक जानकारी नहीं रखते.
यहाँ पर एक बार पीटर लिंच की बात याद करिये और देखिये उन्होंने कितनी सही बात कही है. पहले विकल्प में आप 8% का रिटर्न बना रहें हैं और आपके विड्राल की शुरुआत 8.4% से हो रहे हैं. ऐसी स्थिति में आपका फण्ड 15 साल भी आपका साथ नहीं दे पाता है. अगर आप पहले या दुसरे विकल्प के साथ जाना चाहते हैं तो आप को अपने खर्चों पर बहुत नियंत्रण रखना चाहिए, आपके विड्राल अगर शुरुआत में 5% तक रहे तो आप अपने फंड्स 93 साल की उम्र तक चला सकते हैं. और यही एक मात्र तरीका है जो ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट के साथ आपके खर्चे लम्बे समय तक चला सकता है.
तीसरे और चौथे विकल्प आपका साथ लम्बे समय तक दे सकते हैं लेकिन हो सकता हैं आपको शरुआत के सालों में थोड़ी परेशानी भी हो, जब उनकी वैल्यू में उतार चढाव होगी. कम से कम पिछले 20 सालों के म्यूच्यूअल फण्ड के अनुभव तो यही बताते हैं. इन विकल्पों को यदि आप चुनते हैं तो आप अपनी लाइफ स्टाइल भी बनाये रखेंगे, खुल के जी सकेंगे और लम्बे समय तक अपने फंड्स का लाभ भी उठा सकेंगे. लेकिन इन विकल्पों के साथ आपको थोडा सजग रहना पड़ेगा.
कोई भी व्यक्ति अपनी 75वीं सालगिरह पर पैसों के लिए अपने बच्चों की तरफ नहीं देखना चाहेगा और ना ही पैसों के लिए नौकरी करना चाहेगा. इसलिए समय से पहले या तो अपने खर्चों को घटा लें और ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट आप्शन के साथ चलें और या तो मार्केट लिंक्ड प्रोडक्ट में समझदारी से निवेश करके डबल डिजिट रिटर्न बनायें और अपनी लाइफ स्टाइल बनाये रखे हुए अपनी लाइफ के गोल्डेन पीरियड एन्जॉय करें.
कोई भी व्यक्ति अपनी 75वीं सालगिरह पर पैसों के लिए अपने बच्चों की तरफ नहीं देखना चाहेगा और ना ही पैसों के लिए नौकरी करना चाहेगा. इसलिए समय से पहले या तो अपने खर्चों को घटा लें और ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट आप्शन के साथ चलें और या तो मार्केट लिंक्ड प्रोडक्ट में समझदारी से निवेश करके डबल डिजिट रिटर्न बनायें और अपनी लाइफ स्टाइल बनाये रखे हुए अपनी लाइफ के गोल्डेन पीरियड एन्जॉय करें.
इनमे से कोई भी विकल्प चुनने से पहले अपने आप को ठीक तरह से समझे, अपने पैसे से ना तो एक्सपेरिमेंट करें ना ही किसी अनाड़ी (अपने रिश्तेदार, दोस्त) या खिलाडी (बैंकर या LIC एजेंट ) को करने दें. सोच समझ कर अपने इस एसेट के लिए प्लान बनायें या किसी अच्छे निवेश विशेषज्ञ से सलाह लें.
आशा है यह ब्लॉग आपके रिटायरमेंट फण्ड को मैनेज करने में सहायक होगा.
Very excellent article! All points are very well covered. Easy to understand.
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