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बजट बनाने का अर्थ खर्चे का हिसाब लगाने से कहीं बढ़ कर है. बजट बना कर आप अपनी कमाई, विभिन्न मदों में होने वाले खर्चे और उसके बाद होने वाली बचत का सही अनुमान लगा पाते हैं इसके साथ ही सही समय पर बिलों का भुगतान करना, कर्जों का निपटारा, अपनी लाइफ स्टाइल का सही आंकलन, बचत और निवेश कर के अपने लक्ष्यों का हासिल करना यह सब चीजें सही ढंग से तभी हो सकती हैं जब आप बजटिंग करते हैं.
अगर बजट बना कर आप अपने खर्चे 10% भी कंट्रोल कर लेते हो तो यह भविष्य में एक बड़ा अमाउंट साबित हो सकता है.
मान लीजिए आपके घर का खर्च अभी 50,000 रुपये महीने का है अगर आप बजटिंग करके 10% सेविंग कर लेते हैं या सेविंग बढ़ा लेते हैं तो एक साल में आप 60,000 रुपये बचा कर अपना फैमिली वेकेशन प्लान कर सकते हैं 2-3 साल की बचत से आप फॉरेन टूर भी प्लान कर सकते हैं. और अगर आप लम्बे समय तक इसी तरह सेविंग करके प्रत्येक महीने ऐसी जगह इन्वेस्ट करते रहे जहाँ से 12-16% का ग्रोथ आ जाये तो तो 20 साल में 75 लाख से 1 करोड़ रुपये तक इकठ्ठा कर सकते हैं.
हम सभी लोग बजटिंग करते हैं लेकिन वह ज्यादातर मौखिक होती है बेहतर यह होगा की बजटिंग के लिए आप अपने कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल या डायरी का प्रयोग करें.
सबसे पहले आप कहाँ हैं वो जानना जरुरी है, मतलब अभी आप के पैसे कहाँ जा रहे हैं यह अगर जान लें तो अच्छा होगा इसके लिए हम एक आउट फ्लो स्टेटमेंट तैयार करें जिसमे हम अपने अभी के खर्चे को नोट करते जायें .
नीचे दिया गया कैश फ्लो चार्ट भी एक अच्छा आप्शन आपके लिए हो सकता है
Living Expenses | |
House Rent/EMI | |
Auto Mobile (Oil, EMI, Driver & Other Exp) | |
Daily Living (Food, Clothing, Made etc) | |
Education (School, Tution, Transportation) | |
Entertainment & Recreation | |
Medical | |
Cigrate,Alcohal, Tobaco | |
Other Transportation | |
Phone, Cable and Internet | |
Utilities (Electicity, Gas, Water) | |
Miscellaneous | |
Total Living Expenses | |
Other Yearly Exp | |
Term Insurance Premium (Divide by 12) | |
Health Insurance (Divide by 12) | |
House Tax, Watre Tax (Divide by 12) | |
Car & House Insurance Premium (Divide by 12) | |
Vacation, club memership and Travel (Divide by 12) | |
Miscellaneous | |
Total Other Yearly Exp | |
Total Outflows |
एक बार यह स्टेटमेंट बन गया तो आपको पता चल जायेगा कि आपके पैसे कहाँ जा रहे हैं, किस मद में आप अधिक खर्च कर रहे हैं और कहाँ आप को समझौता करना पड रहा है.
एक बार आपने अपने खर्चों को व्यवस्थित कर लिया तो जिन्दगी बहुत आसान हो जायेगी. आउट फ्लो चार्ट से आपको पता चल जायेगा कि आपके पैसे कहाँ जा रहे हैं अब अगला कदम होना चाहिए कि आप उनको कैसे खर्च करना चाहते हैं, जैसे चल रहा है वह सही है या कुछ गुंजाइश है , क्या कुछ गैर जरुरी खर्चे आपके जरुरी खर्चों पर भारी पड रहे हैं, क्या आप उसमे परिवर्तन करके अपने घर का बजट सुधार सकते हैं.
योजना बनाने से शुरू करें-
सबसे पहले आपको जरूरतों और चाहतों की लिस्ट बनानी चाहिए . अक्सर लोग इन दोनों शब्दों को एक ही मतलब समझते हैं, इसलिए यह समझना जरुरी है की जरूरत और चाहत में फर्क क्या है. रोटी, कपडा, घर और स्वास्थ सेवा हमारी जरूरतें हैं. कपडे हमारी जरुरत है लेकिन डिज़ाइनर कपडा चाहत , भोजन करना हमारी जरुरत है खाने में पिज़्ज़ा हट का पिज़्ज़ा जैसी चीजें हमारी चाहत.
तो पहला काम है आपको अपनी जरुरत और चाहतों की लिस्ट बनानी है और इस काम में परिवार के सभी सदस्यों को शामिल करें.
उपयुक्त फ़ॉर्मेट का प्रयोग करें-
बजट के तमाम फॉर्मेट आपको इन्टरनेट पर मिल जायेंगे आपको जो फ़ॉर्मेट समझ में आये उसे डाउनलोड कर लें. अथवा अपनी डायरी में ही एक फॉर्मेट तैयार कर लें
सिर्फ कागजों में बजट बना लेना ही काफी नहीं होगा उसको असली जिन्दगी में कितना लागू कर पाते हैं बदलाव उस से आएगा.
बजट ऐसे कंट्रोल में ला सकते हैं
बजट के तमाम फॉर्मेट आपको इन्टरनेट पर मिल जायेंगे आपको जो फ़ॉर्मेट समझ में आये उसे डाउनलोड कर लें. अथवा अपनी डायरी में ही एक फॉर्मेट तैयार कर लें
सिर्फ कागजों में बजट बना लेना ही काफी नहीं होगा उसको असली जिन्दगी में कितना लागू कर पाते हैं बदलाव उस से आएगा.
बजट ऐसे कंट्रोल में ला सकते हैं
मॉल की जगह थोक दुकान से घर का जरुरी सामान लें
बाजार जाने से पहले सामान की लिस्ट जरुर बना लें और कोशिश करें वहीँ सामान ले जो आपकी लिस्ट में है
100 रुपये में 1 और 190 रुपये में 2 इस तरह की मार्केटिंग गिम्मिक्स से बचें जितना जरुरी है उतना ही खरीदें. जरुरत 1 की थी लेकिन डिस्काउंट की लालच में आपने 2 ले लिए इस से खर्चे घटते नहीं बढ़ जाते हैं
अगर आप हर हफ्ते मूवी देखने या रेस्तरां में खाने जाते हैं तो आप अपनी वेल्थ के साथ हेल्थ को भी ख़राब कर रहे हैं
पढ़िए १ हजार रुपये आपके लिए क्या कर सकते हैं.
http://arthagyanindia.blogspot.in/2016/07/1000.html
घर से 200-300 मीटर की दूरी पर अगर जाना है तो पैदल जाएँ इस से आप का टाइम और पैसे दोनों बचेंगे, अगर 2-3 किलोमीटर की दूरी हो तो बाइक और उससे ज्यादा हो तभी कार का उपयोग करें.
आकस्मिक खर्चे आपके बजट को बिगाड़ सकते हैं
आकस्मिक खर्चे जैसे घर में किसी सदस्य का बीमार होना, गाड़ी ख़राब होनी, एक्सीडेंट होना या घर की मरम्मत , आकस्मिक यात्रा इन सबके लिए भी बजट में प्रावधान रखें जिस से आपका महीने का बजट ना गड़बड़ हो.
याद रखें एक अच्छा बजट आपको ना केवल आपके पैसों में आपका नियन्त्रण देता हैं बल्कि इसके माध्यम से आप अपने खर्चों को तर्कसंगत बनाते हैं और चिंताओं को बढ़ाने के बजाये जिन्दगी मजे से गुजारते हैं. और सबसे जरुरी बात यह आपको आर्थिक चिंताओं से लड़ने की शक्ति देता है.
अगर आपको मेरे ब्लॉग पसंद आयें तो अपने मित्रो, प्रियजनों एवं परिवार के सदस्यों से शेयर करें और उनको भी अपने पर्सनल फाइनेंस सुधारने के लिए प्रेरित करें.
धन्यवाद !!!
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