Monday, October 1, 2018

शेयर बाज़ार में आई गिरावट, आप को क्या करना चाहिए?




अगर आप लम्बे समय के नजरिये से इक्विटी मार्केट में लगातार निवेश करते हैं तो आपके गलत होने की सम्भावना बहुत कम होती है और यदि आपने निवेश गिरती हुई मार्केट में किया है तब तो आप कभी गलत हो ही नहीं सकते.

एक खबर आती है और शेयर बाज़ार जो तेजी से  दौड़ रहा था उस पर ब्रेक लग जाती है और वो U टर्न ले लेती है, जब लोग अपने पोर्टफोलियो को देखते हैं तो उन्हें लगता है कि बाज़ार से ज्यादा उनके फंड्स या शेयर गिर गए हैं.ऐसा क्या हो रहा है. सभी न्यूज़ चैनेल और समाचार पत्र बाज़ार में हुई गिरावट को फ्रंट न्यूज़ बना कर छापना शुरू कर दिए हैं ? आइये समझते हैं.

वैसे बाज़ार में गिरावट तो जनवरी महीने से शुरू हो गई थी लेकिन सेंसेक्स और निफ्टी को बढ़ता देख लोग भ्रम में थे की बाज़ार तेज है. जब की मिड और स्माल कैप, मेटल्स और कुछ सेक्टर्स में गिरावट लगातार जारी थी. पहला दुश्मन बाज़ार का बजट बना जब लॉन्ग टर्म गेन पर टैक्स लगा, उसके बाद सेबी के म्यूच्यूअल फण्ड योजनाओं को दुरुस्त करने में फण्ड हाउसेस ने मिड कैप और स्माल कैप स्टॉक से थोड़ी पोजीशन कम की उसके बाद तेल की धार ने बाज़ार का मूड ख़राब किया फिर रूपया जो अपने साथ बाज़ार को भी हिला दिया, ग्लोबल ट्रेड वॉर और अंत में आई बारी डेब्ट मार्केट से बुरी खबर आने की. डेब्ट मार्किट की खबर ने  तो मार्केट की जबरदस्त धुलाई कर दी.

तो यहाँ समझने वाली बात यह है तेल का दाम बढ़ना और रुपये का कमजोर होना अर्थव्यस्था में महंगाई बढ़ने और करेंट अकाउंट डेफेसिट बढ़ने का कारण हो सकते हैं लेकिन इनका प्रभाव कुछ सेक्टर्स के लिए पॉजिटिव होता है कुछ के लिए नेगेटिव और कुछ सेक्टर्स पर इसका को कोई प्रभाव नहीं पड़ता. लेकिन जो खबर क्रेडिट मार्केट से आई जहाँ पर IL&FS जो की इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग में काफी वृहद स्तर पर काम करने वाली संस्था है, वो सिडबी के लोन का रीपेमेंट डिफ़ॉल्ट कर गई, जब की यह कंपनी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के अनुसार AAA रेटेड थी. इस खबर ने बाज़ार को बहुत ज्यादा नर्वस कर दिया क्यूंकि इस कम्पनी ने लगभग 90,000 करोंड़ मार्केट से उठाये हुए हैं, इस कंपनी के पेपर्स में  निवेश करने वाले बैंक, इंश्योरेंस, म्यूच्यूअल फण्ड, बड़े निवेशक और अन्य वित्तीय संस्थायें हैं. जब तक लोग ऐसी बुरी खबर का विश्लेषण करते तब तक यह पता चलता है कि DSP AMC ने DHFL के पेपर्स को कम दामों में बेच दिए. अब  बाज़ार इन दोनों खबरों को आपसे में जोड़ कर कुछ इस तरह से देखा है की डेब्ट मार्केट में कोई बड़ा संकट है, NBFCs के बारे में तरह-तरह की खबरे आनी शुरू होती हैं और देखते ही देखते मार्केट में बहुत सारे शेयर्स 20-30-40% तक गिर जाते हैं. लोग इस समस्या को बढ़ा चढ़ा कर पेश करने लगे, हर बैंक और NBFCs के लोन बुक और इन्वेस्टमेंट बुक के बारे में न्यूज़ फैलने लगी. लेकिन यह सब बाते सिर्फ यह दर्शाती हैं की बाज़ार में जरुरत से ज्यादा नर्वसनेस है.
और यही नर्वसनेस एक निवेशक का सबसे बड़ा दुश्मन होता है.

इक्विटी के निवेशक का सबसे बड़ा दुश्मन उसका इमोशन-

जब-जब शेयर बाज़ार में गिरावट आती है, लोग डर जाते हैं और इक्विटी फंड्स या शेयर्स से पैसे निकाल लेते हैं, शुरू के कुछ दिन की गिरावट में डर नहीं लगता लेकिन जब यह गिरावट बढती है तो लोग किसी भी रेट में सेल कर के निकलना चाहते हैं और ऐसी परिस्थिति में ख़राब कंपनियों के भाव तो गिरते ही हैं अच्छे शेयर्स भी ऐसे मौकों पर गिर जाते हैं और यही समय होता है अपने डर से निकल कर अच्छे शेयर या अच्छे फंड्स खरीदने का.

इक्विटी मार्केट में निवेश करने वाले हर व्यक्ति को यह बात अच्छे से पता होनी चाहिये कि मार्केट में गिरावट भी तेज होती है और बढ़त भी तेज हो सकती है इसीलिए इक्विटी को वोलेटाइल कहा जाता है.चलिए ठीक है यह तो आप को पता ही की इक्विटी में गिरावट आती है और वह वोलेटाइल होती है लेकिन अब प्रश्न यह उठता है कि बाज़ार में गिरावट कितनी आ सकती है ? इस प्रश्न का जवाब भारत की नहीं अमेरिका की इक्विटी मार्केट जो 100 वर्षों से ज्यादा पुरानी है से मिल सकता है " एक इक्विटी इन्वेस्टर को ,साल में कम से कम एक बार मार्केट में 10% की गिरावट, 2-3 सालों में 20% तक की गिरावट, 30% तक की गिरावट हर दस सालों में एक या दो बार और 50% तक की गिरावट अपने जीवन काल में एक या दो बार देखने के लिए तैयार रहना चाहिए."

अगर आप यह रिस्क उठा सकते हैं तभी इक्विटी मार्केट आपको रिवॉर्ड देती है.

मार्केट में इस साल अभी तक कितनी गिरावट आई ?


बीएसइ सेंसेक्स में अपने उपरी स्तरों से लगभग 7% की गिरावट  आ चुकी है, बीएसइ मिडकैप इंडेक्स अपने उपरी स्तरों से 20% गिर चूका है और वहीँ बीएसइ स्मालकैप इंडेक्स लगभग 30% टूट चूका है , वहीँ कई सेक्टर जैसे NBFC, PSU Banking, OMC, Metal, Infra जैसे तमाम सेक्टर में भी भारी गिरावट आई है. (28th Sept,18)

अब ऐसे हालात में एक आम निवेशक को क्या करना चाहिए ? उसे शेयर बाज़ार से पूरे पैसे निकाल लेने चाहिये या बाज़ार में आई गिरावट को मौका समझ के और पैसे लगाने चाहिये या कुछ नहीं करना चाहिए शांत हो कर बैठे रहना चाहिए ?

अब क्या करे निवेशक-

सबसे पहली बात जो शायद हर  तेजी की मार्केट में लोग भूल जाते हैं कि जब निवेश का नजरिया आपका  लम्बा हो तभी इक्विटी में निवेश करें और यदि आप अपने फंड्स या शेयर्स से 15-20% की सालाना रिटर्न की अपेक्षा रखते हैं तो मार्केट में कोई ऐसी गिरावट आये तो डरें नहीं बल्कि मौका समझ कर कुछ और इन्वेस्ट करें. इक्विटी मार्केट ऐसे ही चलती है और ऐसी उठा पटक के साथ ही  पिछले 38-39 साल में सेंसेक्स 100 से 36000-37000 के स्तर पर पहुंचा है.

न्यूज़ पर आधारित इन्वेस्टमेंट ना करें सिर्फ अपने लक्ष्यों को ध्यान में रख कर इन्वेस्ट करें-

अगर आपके वित्तीय लक्ष्य 10-15-20 साल आगे के हैं तो आज ILFS में क्या हो रहा है या बैंकिंग, आईटी, फार्मा में क्या हो रहा है कोई मायने नहीं रखता और अगर आपको मेरी बात पर भरोसा नहीं है तो पिछले 10-20 साल का इतिहास देख लीजिये. क्या-क्या नहीं हुआ, कितनी सरकारे आईं और गई, कितने घोटाले सामने आये, कितने वित्तीय संकट आये, कितनी प्राकृतिक आपदा आई, कितने आतंकवादी हमले हुए लेकिन देश बढ़ता गया और मार्केट भी बढती गई. इसलिए लक्ष्य आपके लम्बे हों तो ऐसी खबरों को या तो नजरअंदाज कर दें या उस मौके का फायदा उठाये. हाँ यदि आप छोटी अवधि 2-4 साल वाले निवेशक हैं तो फिर इक्विटी  मार्केट से दूरी ही बना कर रखें.


जब बाज़ार में डर होता है तो अच्छी खबरों को भी नजरअंदाज कर देता है, अब आप समझिये की क्या अच्छी खबरें बाज़ार में आ सकती हैं जो मार्केट का मूड बदल सकती हैं

1- मानसून अच्छा होना, हमारी अर्थव्यवस्था और खासकर कृषि क्षेत्र और रूरल इकॉनमी  के लिए एक अच्छी खबर होती  है और ऐसी अच्छी खबर आने पर बाज़ार में तेजी लौट सकती है.

2- पिछले कुछ सालों से कॉर्पोरेट्स रिजल्ट अच्छे नहीं आ रहे थे लेकिन अप्रैल से जुलाई के महीने में कॉर्पोरेट अर्निंग में लगभग 24% की बढ़ोतरी हुई है और अनुमान यही है कि अगले 1-2  साल  में कॉर्पोरेट अर्निंग ग्रोथ अच्छी दिखनी चाहिए. इसीलिए दूसरे क्वार्टर (July-Sept) के परिणाम अच्छे आये तो भी बाज़ार का मूड बदल सकते हैं.

3- रिफॉर्म्स  जैसे सरकारी बैंकों का मर्जर, NPAs की समस्या का समाधान, न्यू टेलीकॉम पालिसी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, डिफेन्स और पॉवर सेक्टर में बढ़ते निवेश.

4- रुपये की गिरावट का पॉजिटिव इम्पैक्ट आईटी और एक्सपोर्ट सेक्टर पर अच्छा होगा और इस कारण इन सेक्टर्स की कमाई बढ़ सकती है

5- कच्चे तेल के दामों में गिरावट या डॉलर को वापस 70 रुपये  के स्तर पर वापस आना भी मार्केट का मूड बदल सकते हैं

SIP ना बंद करें-

जो लोग पिछले 2-4  वर्षों से SIP कर रहे हैं वो शायद अपने फंड्स को जो कुछ समय पहले बहुत बढे हुए दिख रहे थे उनके नीचे आने से उदास या निराश हो गए हों तो उनको घबड़ाने की जरुरत नहीं है कभी भी अपनी SIP समय से पहले मत बंद करिए, जो लोग पिछले 6-7 या और अधिक वर्षों से SIP कर रहे हैं वो यह बात अच्छी तरह से समझ रहे होंगे कि यह समय SIP बंद करने का नहीं बल्कि थोडा और पैसे डालने का है.



इक्विटी में निवेश करने वाले को एक मंत्र  हमेशा याद रखना चाहिए-

"जब बाज़ार में खबरे बुरी आती हैं तो आपको खरीद के भाव अच्छे मिलते हैं और जब खबरे अच्छी आती हैं तो खरीद के भाव बुरे मिलते हैं."

जिन्होंने पहले से निवेश किया हुआ उन्हें धैर्य रखना चाहिए, अपने पोर्टफोलियो को इस समय रिव्यु करें और अगर हो सके तो जब भी मार्केट में ऐसे करेक्शन मिलें, कुछ पैसे जरुर इन्वेस्ट करें.



No comments:

Post a Comment