Sunday, October 14, 2018

मार्केट में गिरावट आने पर क्या आपको SIP बंद करनी चाहिए ?



शेयर  मार्केट में गिरावट बढती जा रही है और ऐसे में क्या मुझे अपनी SIP बंद कर देनी चाहिए, क्या मुझे पैसे निकाल कर कहीं और लगाना चाहिए क्या SIP की क़िस्त जब तक मार्केट सुधर न जाये तब तक के लिए रोक देनी चाहिए या SIP की किस्तें घटा देनी चाहिए ??? अगर आप के मन में भी ये प्रश्न हैं तो इस ब्लॉग के माध्यम से यह समझने की कोशिश करेंगे कि आपको क्या करना चाहिए?

 पिछले दो-तीन वर्षो में म्यूच्यूअल फण्ड के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है और काफी सारे लोग अपनी बचत का एक हिस्सा हर महीने म्यूच्यूअल फण्ड के माध्यम से इक्विटी में निवेश कर रहे हैं.  पिछले कुछ महीनों का ट्रेंड देखें तो लगभग हर महीने 9-10 लाख नए SIP अकाउंट म्यूच्यूअल फण्ड इंडस्ट्री में जुड़ रहे हैं और ये आंकड़े मेरे जैसे लोगों को एक सुखद अनुभव देते हैं कि एक आम भारतीय सही तरीका समझ गया है अपनी बचत को कैपिटल मार्केट ले जाने का और उससे लम्बे समय में अपने लिए अच्छी सम्पति बनाने का. लेकिन एक डर जो हमेशा मेरे मन में रहती है कहीं फिर से लोग केवल इसलिए तो नहीं आ रहे कि पिछले 5 सालों में मार्केट ने कोई बड़ा झटका नहीं दिया और लोगों के अनुभव इन समयों में अच्छे ही रहे हैं !! कभी अगर बड़ा झटका मार्केट में लगा या लम्बे समय तक मार्केट में पॉजिटिव रिटर्न न बने तो क्या यह ट्रेंड बना रहेगा लोग अपने विश्वास को बनाये रखेंगे और अपना इन्वेस्टमेंट चलाते रहेंगे ? या फिर लोग SIP बंद कराने लगेंगे और फिर ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट की तरफ फिर वापस चले जायेंगे जैसा पहले भी लोगों ने किया है. और इसीलिए आज मै यह ब्लॉग लिख रखा हूँ कि ऐसे लोगों के डर को दूर किया जाय.

म्यूच्यूअल फण्ड में SIP के माध्यम से जब निवेश शुरू होती है तो पहली समझ लोगों को यही दी जाती है कि यदि आप इक्विटी ओरिएंटेड म्यूच्यूअल फण्ड में SIP कर रहे हैं तो आपका नजरिया लम्बे समय का होना चाहिए , दूसरी बात यह होती है कि मार्केट में आने वाले उतार चढाव का फायदा भी SIP के माध्यम से आप को मिलता है जब मार्केट में गिरावट आती है तो फंड्स की NAV में भी गिरावट आती है और आप कम कीमत पर ज्यादा यूनिट्स खरीद पाते हैं और इस तरह से आपकी औसत लागत कम हो जाती है, तीसरी बात कि SIP के माध्यम से आप छोटी छोटी बचत कर लेते हैं और दीर्घ अवधि में चक्र्वृधि की ताकत से आश्चर्यजनक रूप से आपकी संपत्ति में  वृद्धि होती है.

यह बातें बोलने, लिखने और सुनने जितनी साधारण लगती हैं वास्तव में इनको पूरी तरह से लागू कर पाना उतना ही जटिल है. क्यूंकि मार्केट के उतार चढाव और समय के साथ एक आम निवेशक के विचार बदलने के कारण अक्सर लोग SIP लम्बे समय तक चला नहीं पाते और बंद करते खोलते रहते हैं या बीच-बीच में पैसे निकालते या डालते रहते हैं और यही एक मात्र कारण है कि बहुत कम ही लोग हैं जो लम्बे समय में इक्विटी मार्केट में निवेश का लाभ ले पाते हैं.

मार्केट में गिरावट आते ही लोगों के सोचने के तरीके बदल जाते हैं और जो लोग  कुछ दिन पहले SIP में 15%-18% के XIRR देख कर खुश हो रहा थे और SIP की क़िस्त बढ़ाने की सोच रहा थे वही SIP की क़िस्त घटाने या बंद करके पैसे निकालने के बारे में सोचने लगा है.

ऐसा मुख्यतः दो कारणों से होता है पहला निवेशको ने अपने आपको नहीं समझा है, मतलब लोग अपने रिस्क लेने की क्षमता को सही तरह से समझने में कोई गलती करते हैं और दूसरा लोग इक्विटी मार्केट के केवल एक पक्ष का समझते है और वो है अधिक रिटर्न लेकिन उसमे आने वाले उतार चढाव और उसका निवेश पर पड़ने वाले प्रभाव को सही ढंग से नहीं समझते. 

इक्विटी मार्केट में निवेश करने से पहले आपको यह दोनों चीजें सही तरह से समझनी चाहिए लेकिन अक्सर इसे न समझ पाने की गलती लोग करते हैं और इसी लिए अक्सर मार्केट में तेजी के समय ज्यादा निवेश करने वाले लोग मिलेंगे लेकिन मंदी के समय निवेश करने वाले बहुत कम हो जाते हैं साथ ही साथ समय से पहले पैसे निकालने वालों की संख्या बढ़ जाती है.

मै अपनी हर वर्कशॉप में ऐसे प्रश्नों को निवेशकों के सामने जरुर रखता हूँ जिससे के वो यह बात समझ पायें की निवेश में सबसे जरुरी है आपके रिस्क की समझ और उसको सहने की क्षमता का ज्ञान होना और इसके लिए मै एक छोटा से प्रयोग से लोगों को समझाने की कोशिश करता हूँ.

इस प्रयोग में लोगों से सिक्का उछालने के एक गेम का हिस्सा बनने के लिए कहा जाता है और उनसे तीन अलग अलग परिस्थितियों में गेम खेलने या न खेलने के विकल्प को चुनने के लिए कहा जाता है.

पहली परिस्थिति में  सिक्का उछालने पर हेड की स्थिति में 1000 रुपये मिलने का विकल्प है और अगर टेल आया तो 1000 रुपये उनको देने पड़ते हैं जो इस गेम का हिस्सा है और लोगों से पूछा जाता है कि कितने लोग इस गेम का खेलेंगे तो 40-50 लोगों में से केवल 1-2 हाथ उठते हैं

दुसरी बार उन्ही लोगों से पूछा जाता है  कि सिक्का उछालने पर हेड आये तो 2000 रुपये मिलेंगे और टेल आने पर सिर्फ 1000 रुपये देने होंगे तो इस गेम को खेलने के लिए 1-2 की जगह 6-7 लोग तैयार हो जाते हैं

तीसरी बार जब उन्ही लोगों से  हेड आने पर 5000 मिलने और टेल आने पर सिर्फ 1000 रुपये देने का विकल्प  दिया जाता है तो इस बार गेम खेलने वालों की संख्या काफी बढ़ जाती है.

अब आप आगे बढ़ने से पहले खुद को इस गेम का हिस्सा बन कर देखिये और फिर रिस्क को समझिये .

समझने वाली बात यह है कि सभी विकल्पों में रिस्क एक बराबर है, 1000 रूपये गवाने का रिस्क और उसकी सम्भावना भी उतनी ही है 50% लेकिन ऐसा क्या हुआ कि पहले गेम में लोग रिस्क लेने के लिए तैयार नहीं थे तीसरे गेम में रिस्क लेने वाले बढ़ गए. तो पहले गेम में आप रिस्क न लेने वाले व्यक्ति हैं लेकिन तीसरे में आप रिस्क लेने वाले व्यक्ति कैसे बन जाते हैं और जब की सारी परिस्थितियों में आपके 1000 रुपये का रिस्क एक ही जैसा है.

इस प्रयोग का सार यही निकलता है कि एक आम आदमी या आम निवेशक रिस्क नहीं समझता वह सिर्फ रिवार्ड समझता है, इसलिए रिस्क एक बराबर रहते हुए भी विभिन्न परिस्थितियों में वह अलग-अलग निर्णय लेता है.

जहाँ तक इक्विटी मार्केट में रिस्क की बात है तो शेयर मार्केट में रिटर्न बिना उतार चढाव के नहीं बनते. इसमें कितनी गिरावट आ सकती है इसका भी अंदाजा लगाना मुश्किल है लेकिन यह निश्चित है कि हर गिरावट के बाद शेयर मार्केट में तेजी आती है. पिछले सालों के अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि इक्विटी मार्केट में हर साल किसी भी समय 10% की गिरावट संभव होती है, हर 2-3 सालों में 20% की गिरावट आती है , हर दशक में एक से दो बार यह गिरावट 30% तक हो सकती है और 50% या उस से ज्यादा गिरावट देखने के मौके आपको जिन्दगी में एक से दो बार मिलते हैं. यह रिस्क आपको इक्विटी मार्केट में या इस से जुड़े हुए किसी भी प्रोडक्ट में निवेश करने से पहले समझ लेना चाहिए.

SIP के इन्वेस्टर की सोच क्या होनी चाहिए 

दुनिया के सर्वश्रेष्ठ निवेशक वारेन बफेट ने सन 1997 में अपने शेयर होल्डर्स को एक पत्र में लिखा था कि यदि आप जिन्दगी भर बर्गर खाने का सोचते हैं और आप आलू या गेंहू पैदा करने वाले किसान नहीं हैं तो आप इनकी कीमतें बढ़ते हुए देखना चाहेंगे या घटते हुए, इसी तरह यदि आप को पता है कि आप अपने जीवन में समय-समय पर कारें खरीदते रहेंगे और आप एक कार बनाने वाली कंपनी के मालिक नहीं है तो आप कार की बढती कीमत पसंद करेंगे या घटती कीमत. अब थोडा मुश्किल सवाल, यदि आप अगले 10-20 साल तक स्टॉक मार्केट में निवेश करते रहने की योजना बना रहे हैं तो आप क्या चाहेंगे उनकी कीमते इस समय में बढती रहे या घट जाएँ ?

आगे उन्होंने लिखा कि एक उपभोक्ता के रूप में आप हमेशा चाहेंगे कि इनकी कीमते ना बढ़ें या घट जाए लेकिन जब आप इक्विटी  में निवेश करते है और आप को पता है कि आप अगले 10 साल के लिए इस कंपनी के शेयर खरीदते जायेंगे फिर भी आप को घटती कीमते अच्छी नहीं लगेंगी, आप हमेशा बढती कीमते पसंद करेंगे, आप हमेशा बुरा महसूस करेंगे जब शेयर की कीमते घटेंगी जब की एक प्रोस्पेक्टिव खरीददार के रूप में आपको घटती कीमते अच्छी लगनी चाहिये.

SIP का इन्वेस्टर एक प्रोस्पेक्टिवे खरीददार होता है क्यूंकि वह अगले 10-20-30 साल के निवेश का कार्यक्रम बना कर निवेश कर रहा है, वह महीने दर महीने एक निश्चित रकम अगले 10-20-30  निवेश करेगा, इसलिए जब मार्केट गिरेगी तो वह सस्ते दर पर निवेश करेगा और जब मार्केट बढेगी तो उसके फण्ड की वैल्यू बढ़ जाएगी. इसलिए उसे छोटी अवधि में होने वाले उतार चढाव को नजरअंदाज करना चाहिए, अगर किसी अवधि में बहुत अधिक रिटर्न बन रहे हैं तो भी बहुत खुश नहीं होना चाहिए और यदि गिरावट में फण्ड घाटे में चला जाए तो भी परेशान नहीं होना चाहिए. SIP में नुकसान या घाटा शुरुआत के कुछ सालों में दिखाई पद सकता है लेकिन जैसे जैसे आपका निवेश पुराना होता जायेगा SIP के नुकसान में जाने की संभावना कम होती जायेगी. 

जब आप लम्बी अवधि की SIP चला रहे होते हैं तो मार्केट के उतार और चढ़ाव आपके सहयोगी की तरह काम करते हैं दोनों अपने-अपने हिसाब से आपके लिए फायदेमंद ही होते हैं और यह बात समझने के लिए आप कोई भी ऐसी स्कीम उठा लीजिये जो कम से कम 15 साल पुरानी हो और जिस स्कीम ने  2-3 मार्केट के उतार चढाव (मार्केट साइकल) देखें हों, आप खुद ही समझ जायेंगे की लम्बी समय की SIP करने वाले निवेशक के लिए मार्केट के उतार चढाव अच्छे होते हैं.

अगर अभी भी आपको भरोसा नहीं हो रहा की आपकी SIP  इन उतार चढाव से होते हुए आपके लिए अच्छी संपत्ति का निर्माण कर सकती है तो एक म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम का उदाहरण लेकर समझ लेते हैं. इसे समझाने के लिए थोड़ी पुरानी स्कीम लेते हैं जिससे की हम देख सकें कि कितनी समस्याओं और उतार चढ़ाव के बाद महीने की 1000 रुपये का निवेश समय के साथ कितनी संपत्ति बना देती है. मैंने जान बूझ कर इस स्कीम का नाम चार्ट से हटा दिया है जिस से कोई बिना रिस्क रिवार्ड समझे इसमें निवेश ना करे और ना ही किसी को यह गलत फहमी हो की मै किसी कंपनी के किसी प्रोडक्ट का विज्ञापन कर रहा हूँ. अगर किसी को इस स्कीम के बारे में जानकारी चाहिए तो वह मुझे ईमेल कर सकता है.


मैंने यह चार्ट 1 जनवरी 1995 से 1 अक्टूबर 2018 तक का लिया है. महीने के 1000 रुपये का मतलब साल के 12000 रुपये का निवेश पिछले 23 वर्षों से चलता रहा. इस बीच में 6 लोकसभा चुनाव, ना जाने कितने विधान सभा चुनाव, ना जाने कितने घोटाले, ग्लोबल और लोकल इवेंट, आतंकवादी घटनायें, कारगिल जैसे युद्ध, पोखरण के बाद अमेरिका और तमाम देशों द्वारा प्रतिबंध जैसे ना जाने कितने सारे कारणों ने शेयर मार्केट को कुछ दिनों और महीनों के लिए बहुत प्रभावित किया लेकिन इन उतार चढ़ावों के साथ यदि निवेश चलता रहा तो समय के साथ आप स्वयं देखिये इन्वेस्टमेंट की वैल्यू कैसे बढती गई. जिन्होंने अभी कुछ महीनों या 2-3 सालों से SIP स्टार्ट की है वो इस चार्ट को ध्यान से देखें, साल दर साल फण्ड वैल्यू कैसे घट-बढ़ रही है शुरू के 3 सालों में तो SIP के रिटर्न निगेटिव हैं लेकिन वही 3 साल की SIP जब 10-15-20 साल पुरानी हो जाती है तो कितने अद्भुत परिणाम देती है.

इसलिए आपको जितनी भी बुरी अच्छी खबरे सुनाई पड़ती हैं उनको नजरअंदाज करना सीखिये, इनसे प्रभावित होकर SIP बंद मत करिए, अपने निवेश के माध्यम यानी इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड को मत बदलिए. यूट्यूब, न्यूज़ पेपर और अन्य प्रसार माध्यमों को सुन कर अपने निर्णय को मत बदलिए. मै जानता हूँ यह कहना बहुत आसान है लेकिन इसे करना बहुत मुश्किल है, अगले 20-30 साल तक निवेश करते रहना बिना रुके, बिना किसी न्यूज़ से प्रभावित हुए, बहुत मुश्किल काम है इसलिए एक अच्छा निवेश सलाहकार खोजिये, उसको परखिये और उसके साथ बैठ कर अपने इन्वेस्टमेंट की प्लानिंग करिए, उसके अनुसार निवेश करिए, एक निश्चित अंतराल पर अपनी इन्वेस्टमेंट प्लानिंग का रिव्यु करिए. इन्ही बातों को ध्यान में रखिये आप जरुर अपने निवेश लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफलता होगी. 

मैंने अंत में सलाहकार क्यूँ रखने की बात की, क्यूँ आपके लिए सलाहकार जरुरी है इसके बारे में किसी और ब्लॉग में विस्तार से चर्चा करेंगे?

आखिर में एक और जरुरी बात, SIP सिर्फ निवेश करने का तरीका है इस निवेश से आपको कब और कैसे निकलना है इसके बारे में आपके पास  या आपके निवेश सलाहकार के पास योजना अवश्य होनी चाहिये.

इन बातों पर जरुर विचार करिए अन्यथा आपके इन्वेस्टमेंट की हालत महाभारत के अभिमन्यु के जैसी हो सकती है जिसने चक्रव्यूह में अन्दर जाने के बारे में अपने पिता से सुना था लेकिन चक्रव्यहू तोड़ कर विजयी होने के बारे में उसने कभी ना सुना था ना सोचा था.

आशा है आप इस ब्लॉग को पढने के बाद रिस्क को सही तरह से समझेंगे, SIP कैसे काम कर सकती है उस पर आपका विश्वास दुबारा स्थापति होगा और आप अपने इन्वेस्टमेंट से सही समय पर निकलने और अपने निवेश लक्ष्यों को हासिल कर पाने में सफल होंगे.

ढेर सारी शुभ कामनायें !!

यदि आपको मेरे ब्लॉग अच्छे लगें तो अपने मित्रों और शुभ चिंतकों को अवश्य भेजें.

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