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सरकार ने इस वर्ष स्माल सेविंग्स स्कीम पर ब्याज दरों में कटौती किया है और अब हर क्वार्टर के अंत में स्माल सेविंग्स स्कीम की ब्याज दरों में मार्केट के इंटरेस्ट रेट के आधार पर परिवर्तन किया जायेगा. इस से आम निवेशक बहुत नाराज हैं उनका मानना है कि स्माल सेविंग स्कीम्स पर ब्याज दरों में कटौती से उनका नुकसान होगा. वहीँ सरकार का तर्क है अगर RBI द्वारा की गई ब्याज दरों में कटौती के बाद बैंक और स्माल सेविंग्स स्कीम में ब्याज दरें नहीं घटी जायेंगी तो बैंक अपने लोन्स पर भी ब्याज दरें नहीं घटा पायेगा और जिस से देश की अर्थव्यवस्था में वृद्धि की गति धीमी पड सकती है. इसलिए यह जरुरी है की देश की अर्थव्यवस्था अधिक ब्याज दर से कम ब्याज दर वाली अर्थव्यवस्था बने. और ऐसा तभी हो सकता है जब महंगाई दर के घटने और RBI द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बाद बैंक और सरकार अपनी योजनाओं में ब्याज दरों में कटौती करें.
अब इस से आम निवेशकों का नुकसान यह है की अभी तक वो जिन स्कीमो में ज्यादा ब्याज पा रहे थे उस पर उन्हें कम ब्याज मिलेगा.
लेकिन जानना यह जरुरी है की एक आम निवेशक के पास रास्ता क्या है ? निवेशक अभी भी पुराने और ट्रेडिशनल तरीकों में ही निवेश करे या जैसे उसने रहने, खाने पीने, संचार के साधनों में बदलाव किया है वैसे इन्वेस्टमेंट करने के तरीकों और उन साधनों में भी बदलाव करे.
फिक्स्ड डिपाजिट का मतलब होता है जब हम अपनी सेविंग्स किसी ऐसी जगह इन्वेस्ट करें जहाँ से एक निश्चित ब्याज, एक निश्चित समय पर और एक निश्चित समय (Maturity) तक मिले. जब हम अपनी सेविंग्स, बैंक में एक निश्चित ब्याज दर पर एक निश्चित समय के लिए जमा करते हैं तो उसे बोला जाता हैं BANK FD और जब किसी कंपनी या कॉर्पोरेट में करते हैं तो Company FD या Corporate FD कहते हैं.
क्यूँ करते हैं लोग फिक्स्ड डिपाजिट ?
फिक्स्ड इंटरेस्ट और सेफ्टी ये प्रमुख कारण होते हैं लोगों को फिक्स्ड डिपाजिट करने के लेकिन दूसरा पहलू ये भी है, बैंक फिक्स्ड डिपाजिट, पोस्ट ऑफिस डिपाजिट जैसी स्कीमो के अलावा और क्या अच्छे विकल्प हैं इनके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है. हमारे यहाँ जानकारी का आभाव इतना है की लोग LIC में भी सेविंग के लिए पैसे लगाते हैं. कई बार पोंजी या फर्जीवाड़े वाली स्कीमों में ज्यादा इंटरेस्ट के चक्कर में पैसे लगाते हैं और बाद में जब मूलधन भी वापस नहीं होता तो पछताते हैं.
क्या Fixed Deposits सुरक्षित होते हैं ?
बैंक में आपके डिपॉजिट्स 1 लाख रुपये तक Deposit Insurance & Credit Guarantee Scheme of India के अन्तरगत Insured होते हैं और Company FD के केस में Insurance केवल 20000 रुपये ही है. इसका मतलब मेरा यह कहना नहीं है की फिक्स्ड डिपाजिट सेफ नहीं होतीं हैं, लेकिन अगर हम इस परसेप्शन के साथ आप निवेश कर रहे हैं की फिक्स्ड डिपाजिट में गारंटी है तो प्रिंसिपली ऐसा नहीं है.
क्या कभी फिक्स्ड डिपाजिट स्कीम ने डिफ़ॉल्ट किया है ?
नीचे दिया गए लिंक को जरुर पढ़ें.
कौन डिफ़ॉल्ट नहीं कर सकता ?
भारत सरकार के द्वारा संचालित स्माल सेविंग्स स्कीम, GOI Bond, PPF, सुकन्या समृधि जैसी स्कीमों को छोड़ कर बाकि सारे फिक्स्ड डिपॉजिट्स में डिफ़ॉल्ट रिस्क या लेट रीपेमेंट रिस्क होता है
क्या करें ?
कभी भी फिक्स्ड डिपाजिट करने से पहले उसकी क्रेडिट रेटिंग देखें. AAA रेटिंग सबसे सेफ मनी जाती है, AA उस से कम और इस तरह जैसे जैसे रेटिंग घटेगी सेफ्टी उतनी कम होगी.
फिक्स्ड डिपाजिट करने से अच्छा है आप म्यूच्यूअल फण्ड की डेब्ट स्कीम्स में इन्वेस्ट करें. यहाँ पर आपको प्रोफेशनल की मदद मिलती है जो आपके पैसे को कॉरपोरेट बांड, गवर्नमेंट बांड , बैंक या नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल (NBFC) के बांड्स में पैसे लगाते हैं.
Debt Mutual Fund में निवेश के फायदे-
- डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में रिटर्न स्टेबल होते हैं, मतलब इनमे उतार चढाव कम होता है
- यह फिक्स्ड डिपाजिट से ज्यादा Tax Efficient होते हैं.
Particulars
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Investment in Fixed Deposit
Tax Slab 30%
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Investment in Fixed Deposit
Tax Slab 20%
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Investment in Fixed Deposit
Tax Slab 10%
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Investment In Debt Fund
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With Indexation
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Amount Invested (1-05-2013)
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1,000,000
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1,000,000
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1,000,000
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1,000,000
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Indicative Post Expenses Yield *
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9.00%
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9.00%
|
9.00%
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9.00%
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Tenure (No. of Days)
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1,095
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1,095
|
1,095
|
1,095
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Maturity Value as on 1-05-2016
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1,295,029
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1,295,029
|
1,295,029
|
1,295,029
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Gross Gain
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295,029
|
295,029
|
295,029
|
295,029
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Indexation Rate
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Nil
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Nil
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Nil
|
6.50%
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Indexation Cost **
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Nil
|
Nil
|
Nil
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1,207,950
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Gains (post indexation as applicable)
|
Nil
|
Nil
|
Nil
|
87,079
|
Tax Rate
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30.90%
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20.60%
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10.30%
|
20.60%
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Tax Payable
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91,164
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60,776
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30,388
|
17,938
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Post Tax Gains
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203,865
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234,253
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264,641
|
277,091
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Post Tax Return %
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20.39%
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23.43%
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26.46%
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27.71%
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* Based on indicative rates
** Cost inflation index has been considered @ 6.5%
This is just an illustration on computation of post tax return. This is not an indication of the portfolio yield of the scheme.
- फिक्स्ड डिपाजिट में कंपनी, बैंक या इंस्ट्रूमेंट्स का चुनाव आप करते हैं वहीँ डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में जब आप पैसे लगाते हो तो विशेषज्ञों की टीम आप के पैसे को अपने अनुभव, ज्ञान, विशेषज्ञताओं और स्कीम के प्रावधानों के आधार पर आपके पैसे को अलग-अलग जगह लगाती है
- डेब्ट म्यूच्यूअल फंड्स में डिफ़ॉल्ट रिस्क नहीं होता, इनमे Mark to Market रिस्क और इंटरेस्ट रेट रिस्क होता है. इसका मतलब डेब्ट म्यूच्यूअल फंड्स कभी डिफ़ॉल्ट नहीं कर सकते लेकिन इनकी वैल्यू में इन्ट्रेस्ट रेट के घटने बढ़ने से उतार चढाव आते हैं .
- 5000 रुपये से आप डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्टमेंट स्टार्ट कर सकते हैं.
- 5000 रुपये से आप एक बैंक में या एक कंपनी में FD कर सकते हैं, लेकिन जब आप डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में 5000 रुपये लगते हैं तो आपका पैसा एक साथ कई सारे Bank, NBFC, GOI और Corporates द्वारा जारी बांड या डेब्ट सिक्यूरिटी में पैसे लगा जाते हैं, जिससे आप किसी एक जगह पर सारे पैसे लगने के रिस्क से भी बच जाते हैं.
- आपको अगर पैसे की जरुरत है तो आज आप पैसे निकालने के लिए प्रोसेस करोगे तो अगले दिन (Working Day) पर डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड से आपके पैसे निकल कर आपके बैंक अकाउंट में आ जाते हैं. घर बैठे म्यूच्यूअल फंड्स में पैसे लगा और निकाल सकते हैं.
- रेंज ऑफ़ प्रोडक्ट्स - एक दिन से लेकर 5-10 साल के लिए इन्वेस्टमेंट करने के विकल्प होते हैं डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में हैं. बस आप को एक विशेषज्ञ की मदद लेनी पड़ेगी.
- डेब्ट म्यूच्यूअल फंड्स से मिलने वाले टैक्स फ्री डिविडेंड या SWP से आप रिटायरमेंट के बाद एक स्टेबल और सुरक्षित कैश फ्लो या रेगुलर इनकम पा सकते हैं.
इतने सारे फायदे होने के बावजूद रिटेल इन्वेस्टर अभी भी डेब्ट फंड्स में कम निवेश करता है जब की कॉर्पोरेट्स और HNI लोग डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में बड़े पैमाने पर निवेश करने लगे हैं.
रिटेल इन्वेस्टर का डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में कम निवेश करने का कारण उनके बारे में कम जानकारी और उनकी फिक्स्ड डिपाजिट की तरह डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में पहले से मिलने वाले ब्याज का ना लिखा होना है.
फिक्स्ड डिपाजिट में एक रिस्क होता है reinvestment risk , जब आप की फिक्स्ड डिपाजिट mature हो जाएगी तो आपको उस ब्याज दर पर फिर से निवेश न कर पाने का रिस्क रहेगा. जैसे आप ने 5 साल पहले 9.5% के ब्याज पर फिक्स्ड डिपाजिट करी थी लेकिन अब परिपक्वता या maturity के बाद आप आज के इंटरेस्ट रेट पर ही फिक्स्ड डिपाजिट कर पाएंगे, अगर आज रेट 7.5% है तो आप को अब इसी रेट पर ब्याज मिलेगा.
PPF जैसी स्कीम में आप को कभी 11% का ब्याज मिलता था आज आपके पैसों पर सिर्फ 8.1% ब्याज मिल रहा है ये भी एक रिस्क है आपने 13 साल पहले जब PPF अकाउंट खोला था तब तो आपने यही सोचा रहा होगा की मुझे 11% का ब्याज मिलेगा लेकिन आज आपको सिर्फ 8.1% ही ब्याज मिल रहा है और कल यह दर और भी कम हो सकती है क्यूंकि अब सारी स्कीमों में ब्याज दर को मार्केट लिंक्ड कर दिया गया है.
हमने समय के साथ-साथ अपने जीने के तरीके और साधनों को बदला है जैसे अब हम लोग अंतरदेशी में पत्र या चिठ्ठी नहीं लिखते, टेलीग्राम नहीं करते अब email या whatsapp करते हैं, अब बैल गाड़ी से नहीं कार या बाइक या अन्य साधनों से चलते हैं, खाना लकड़ी के चूल्हे पर नहीं गैस चूल्हे या माइक्रोवेव में बनाते हैं उसी तरह अपने इन्वेस्टमेंट करने के साधन और तरीकों में बदलाव लाइए और फिक्स्ड डिपाजिट की जगह म्यूच्यूअल फण्ड की डेब्ट स्कीम को चुनिये, क्यूंकि डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड आपको Stable और Tax Efficient रिटर्न देंते हैं, इनसे पैसे आसानी से लगाये और निकाले जा सकते हैं और ये सुरक्षित भी होते हैं. फिक्स्ड डिपाजिट और स्माल सेविंग्स स्कीम में ब्याज समय के साथ घटता जायेगा और अन्य देशों की तरह भारत में भी लोग तब डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड को बेहतर विकल्प मानेंगे. आप आज ही अपने इन्वेस्टमेंट के तरीकों में बदलाव लाइए और डेब्ट म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश करिए.
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